Apang - 75 in Hindi Fiction Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | अपंग - 75

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अपंग - 75

75

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आश्चर्य में पड़े हुए रिचार्ड को देखकर भानु ने उसे बताया कि रुक इसी शहर में है |वह हकबका था | उसने एक गहरी दृष्टि से उसे देखा और अचानक उसके मुँह से निकला ;

"क्या तुम्हें पता था कि रुक इसी शहर की है ?"

"नहीं, मैं नहीं जानती थी ---अभी कुछ समय पहले पता चला है | " भानु ने उसे बताया |

"यह शॉकिंग है --मुझे रुक से कोई सिम्पैथी नहीं है |"

वह अपने उस एम्प्लॉई के परिवार को तलाशने आया था जिसका परिवार रुक ने बर्बाद कर दिया था, इससे पहले उसने भानु और राजेश को अलग किया था लेकिन भानु इस बात को बिलकुल स्वीकार नहीं कर सकती थी कि किसी के कुछ करने से किसी का परिवार टूट सकता है जब तक दूसरे की अपनी इच्छा न हो| केवल रुक को दोष देना वह ठीक नहीं समझती थी |

रिचार्ड इतना भी नहीं जानता था कि इतने बड़े भारत में वह उस परिवार को कहाँ ढूंढेगा ? लेकिन जिसे वह देखना भी नहीं चाहता था, उसका पता ऐसे चल गया जैसे कुछ 'खुल जा सिम' सिम'- |

"कैसे ---वह यहाँ कैसे चली आई और किसके साथ है ?" रिचार्ड ने जल्दी से पूछा |

"ये ही तो आश्चर्य की बात है कि वह अपने पिता के साथ है ---|" भानु ने कुछ उदासी से बताया |

"तुम इतनी उदास क्यों हो ? रिचार्ड ने पूछा |

"शायद, इतना उदास होना तो नहीं चाहिए क्योंकि बाप के संस्कार बेटी में आए हैं तो क्या बड़ी बात है ?"

"मतलब ---?"

"पं सदाचारी की बेटी है रुक यानि रुक्मणी ----" भानु ने रिचार्ड को बताया |

"ओ --माई गॉड ---" रिचार्ड ने आँखों में आश्चर्य भरकर उसकी ओर ताका | उसकी आँखों में उत्सुकता ने घर कर लिया था |

"द सेम पंडित, यू यूज़्ड टु टॉक अबाउट ----?"रिचार्ड ने पूछा |

"हम्म --"

"हाऊ डू यू नो, शी इस हिज़ डॉटर ?"

"पहले लाखी ने बताया था, अब खुद देखा ---मन बड़ा विचलित हुआ | न जाने लोग कैसे इतने नाटक कर लेते हैं ?" उसने बताया, रिचार्ड आश्चर्य में भर उठा |

मंदिर का दृश्य भानु की आँखों में तैर गया | कितनी अजीब सी हो उठी थी वह !उसकी पूरी देह काँपने लगी थी | ऐसा तो गर्म मौसम नहीं था फिर भी उसके पसीने छूट गए थे | मनुष्य के मन की भी अजीब स्थिति होती है | मन से परेशान होने का मतलब है संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्बल पड़ जाना |

रिचार्ड ने सिगरेट निकालकर जला ली, वह बहुत कम स्मोक करता था, जब भी कभी अधिक परेशान होता तभी वह स्मोक करता था | भानु को समझ में आ रहा था कि रिचार्ड काफी परेशान है लेकिन आख़िर इतना परेशान है क्यों ?

"एक्सक्यूज़ मी---" रिचार्ड ने कहा और वहाँ से बाहर की ओर निकल गया | वह जानता था भानु को सिगरेट के धूंए से परेशानी होती थी | वह जब भी यदा-कदा सिगरेट पीता, दूर चला जाता | शुरू में जब एक बार रिचार्ड ने उसके सामने स्मोक किया था, भानु का खाँसते-खाँसते बुरा हाल हो गया था | भानु ने कुछ कहा तो नहीं था लेकिन उसने ख़ुद ही बाद में कभी भानु के सामने स्मोक नहीं किया |

भानु रिचार्ड के पास आई, रिचार्ड ने उसको देखा और स्मोक करना बंद कर दिया |

"क्यों इतना परेशान हो ?" भानु ने रिचार्ड के कंधे पर हाथ रखकर पूछा |

" हम्म---" वह क्षण भर चुप हो गया, जलती हुई सिगरेट उसकी ऊँगलियों में फँसी हुई थी |

"अमेरिकी पुलिस रुक को तलाश कर रही है ---"

"उसने किया क्या है ?" भानु को कुछ भी समझ ही नहीं आ रहा था |

"भानु, इस लेडी ने मेरे एम्प्लॉई का घर तो ख़राब कर ही दिया, उस बेवकूफ़ ने अपनी बच्चे और वाइफ़ को यहाँ कहीं भारत में भेज दिया | और जब रुक यहाँ चुपचाप आई उसका न जाने कितना पैसा और ज्वेलरी चुराकर, उसका बेवकूफ़ बनाकर ले आई थी | ही इज़ ऑन द टॉप पोज़िशन इन माय कंपनी --- कई दिन तो उसे पता नहीं चला, वह इसके अपार्टमेंट के चक्कर काटता रहा | इसने उस आदमी के कार्ड्स से भी न जाने कितनी शॉपिंग की और बताया भी नहीं, शी रैन अवे -- | जब काफ़ी दिनों बाद उसे पता चला, वह परेशान हो गया | फिर उसे पता चला कि ये औरत उसका सब कुछ लूटकर ले गई थी | उसने पुलिस में रिपोर्ट कर दी |" रिचार्ड जब भी अधिक बेचैन होकर बोलता था तब उसके संवाद हिंदी और अंग्रेजी में टहलते रहते थे |

"अरे ! इतनी चालाकी ? ज़रूर इसकी पहले से ही प्लानिंग रही होगी | " भानु भी बेचैन हो उठी | कितने बेवकूफ़ से प्यार किया था उसने ! अपने आपको और अपने बच्चे को तो परेशान किया ही लेकिन माँ-बाबा ?उनको मानसिक कष्ट देकर उसने गुनाह किया था | वह तड़प उठती थी | जब भी इस प्रकार की कोई बात सामने आती जिसमें परोक्ष या अपरोक्ष रूप से राजेश जुड़ा होता, उसे अपने ऊपर क्रोध आने लगता | अब जीवन के सारे बहुमूल्य क्षण हाथ से रेत की तरह फिसल चुके थे, गया समय कब लौटकर आता है ? काश ! वह माँ-बाबा के चरणों में गिरकर उनसे माफ़ी माँग सकती |

"यस, बिना प्लानिंग के इतना बड़ा काम नहीं हो सकता |आई नैवर थिंक अबाउट हर, यह मुझे ऐसे मिल जाएगी, दैट टू हीयर ---" रिचार्ड अपने ही विचारों में खोया हुआ था | उसने अपनी ऊँगलियों में फँसी हुई सिगरेट होठों पर लगाने की कोशिश की लेकिन जली हुई सिगरेट ने उसकी उँगलियों तक पहुँचकर ऊंगलियाँ जला दीं | एक 'सी' उसके मुँह से निकली | भानु ने बिजली की सी फ़ुर्ती से उसकी उँगलियों से सिगरेट खींचकर दूर फेंक दी जिससे उसकी ऊँगली में भी थोड़ी सी जलन हुई लेकिन उसने रिचार्ड को पता नहीं लगने दिया |

"क्या कर रहे हो रिच ?"

वह वाक़ई काफ़ी परेशान था | अचानक बोला ;

" मैं दिल्ली एयरपोर्ट से बाहर निकलकर टैक्सी ले रहा था | मेरे साथ ही एक पेयर भी टैक्सी के लिए खड़ा था | आदमी स्मोक कर रहा था | टैक्सी में बैठने से पहले ही उस आदमी ने सिगरेट टैक्सी के नीचे की तरफ़ बची हुई सिगरेट फेंक दी और अंदर बैठ गया |"

"अरे! ऐसे कैसे ? किसी ने बोला नहीं उसे?कोई पुलिस, कैमरा ---" भानु ने तुरंत ही रिचार्ड को बीच में टोका |

"नो, आई डिड नॉट सी समवन ---आई वाज़ स्टेंडिंग नीयर बाय--आई आस्क्ड --"

"ये क्या कर रहे हैं, वो सामने बिन है --"

"पहले तो उस आदमी की वाइफ़ या जो भी थी मुझे हिंदी में बोलते देखकर शॉक हो गई, फिर ज़ोर से बोली, "आपको क्या मतलब है ?"

" बट दिस इज़ नॉट फ़ेयर --- बोलना नहीं चाहता था बट मुँह से निकल गया |"

"आपने शूज़ पहने हुए हैं, व्हाई शुड यू बौदर ---" उस लेडी ने कहा और मैं चुपचाप गाड़ी में बैठ गया |

"दुनिया में सब तरह के लोग होते हैं रिचार्ड ---न जाने मन के कोरे कागज़ पर कितने सवाल छपे रहते हैं, सबका उत्तर कहाँ मिलता है ?" लेकिन भानु को ख़राब लग रहा था | हमारे देश की इमेज कैसे ख़राब कर देते हैं लोग ! राजेश, रुक, सदाचारी और ये ही क्यों ?न जाने कितने लोग इस दुनिया में भरे हुए हैं जो नैतिकता के नाम पर भ्रम में जी रहे हैं और यह तबका एक बड़े उस वर्ग का है जिसे समाज में शिक्षित या बुद्धिमान माना जाता है |