muskarate chahare ki hakikat - 26 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 26

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

Categories
Share

मुस्कराते चहरे की हकीकत - 26

विवान गुस्से में कार लेकर वहां से निकल जाता हैं,,,,,
नित्या कॉल करके प्रवीण को अवनी और विवान के बारे में बता देती है,,,,कुछ देर में प्रवीण और नित्या घर आते हैं प्रवीण के मां पापा (विनोद और रेणुका) भी घर पहुच जाते है। सब अवनी के कमरे में आते हैं कमरे की हालत अभी भी वैसी ही थी अवनी वही नीचे फर्श पर बैठी कुछ सोच रही थी,,, अवनी की ऐसी हालत देखकर चारों घबरा जाते है रेणुका और नित्या दौड़ते हुए अवनी के पास आते हैं अवनी को इस हालत में देखकर दोनों की आंखों में आंसू बहने लगते हैं विनोद और प्रवीण कमरे को अभी भी हैरानी से देख रहे थे,,,,,
रेणुका अवनी को गले लगाकर रोते हुए - कैसी हालत बना रखी है तुमने अपनी...क्या हुआ अवनी.... अपनी मामी को नहीं बताएगी....कुछ तो बोल मेरी बच्ची... अवनी रेणुका की गोद में ऐसे छुप जाती है जैसे कोई छोटी बच्ची अपनी मां की गोद में,,,,,
रेणुका अवनी के बालों में हाथ फेरते हुए उसे सीने से लगाकर रोए जा रही है नित्या प्रवीण और विनोद भी अवनी को इस तरह देखकर उदास थे,,, प्रवीण अवनी को खड़ा करके उसे ऊपर बेड पर बैठा देता है फिर खुद घुटनों के बल नीचे बैठकर उसके हाथों पर लगी चोट को देखकर थोड़ी गुस्से से बोलता है,,,,कर ली तूने अपनी मनमानी... तुझे क्या लगता है मैं कुछ समझता नहीं.. तुम्हारे रग-रग से वाकिफ हूं मैं.. भाई हूं तुम्हारा इतना तो समझता हूं तुम्हे...यदि तुम विवान से प्यार करती हो तो क्यो नहीं बताया उसे...... क्यों उससे और खुद से दूर भाग रही हों...
नित्या अवनी के पास बैठ कर रोते हुए बोली- इन सब का कारण मैं हूं... मेरी वजह से पहले तुमने अपना परिवार खोया और अब विवान... तुम इसलिए मना कर रही हो ना कि मेरी विवान से शादी होने वाली थी.. काश मैं तुम्हें कभी मिलती ही नहीं....
अवनी जो इतनी देर से सबकी बातें चुपचाप सुन रही थी नित्या की बात सुनकर थोड़े गुस्से में बोलती है- शट अप नित्या.... क्या कुछ भी बोले जा रही हो आज के बाद फिर कभी ऐसा कहा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा...
अवनी वहा से उठकर विनोद के पास आती है जो सबसे दूर खड़ा था,,,,अवनी ने उनके आंसू पोछते हुए कहा- मामू मुझे अब नहीं रहना यहां...प्लीज ले चलिए मुझे यहां से....
अवनी विनोद के कंधे पर सिर रखकर रोने लगती है
विनोद उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला- मैं तुम्हारी हालत समझ सकता हूं बेटा...हम आज ही यहां से निकल जाएंगे...
विनोद, रेणुका और नित्या के पास आते है और रेणूका की तरफ़ देखकर - रेणुका जी सामान पैक कर लीजिए हम अभी यहां से निकलेंगे....
फिर नित्या के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले : सॉरी बेटा... हम अभी तुम्हें अपने साथ नहीं लेजा सकते कुछ दिनों में तुम्हारे एग्जाम्स कंप्लीट हो जाए फिर मैं खुद तुम्हे यहां से लेने आऊंगा....
नित्या अवनी के पास आकर उसके गले लगकर रोने लगती है, अवनी भी खुद को रोक नहीं पाती ,,,,,,
अवनी, नित्या के आंसू पोछकर - बस कुछ दिनों की बात है फिर तुम भी मेरे साथ दिल्ली में ही रहोगी... जो हुआ उसे भूलकर अपने फ्यूचर पर ध्यान देना अभी मुझे जाना होगा मैं तुम्हारा वेट करूंगी जल्दी एग्जाम्स खत्म करके आना ओके....
नित्या अवनी की तरफ देखते हुए नम आंखों से हा में गर्दन हिलाती हैं,,,,,,,,
प्रवीण नित्या के पास आकर बोला-तुम्हें कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक कहना जैसे पहले बोलती थीं और जल्दी आना तेरे बिना मैं और अवनी किससे लड़ेंगे...। प्रवीण की बात सुनकर तीनो हंसने लगते हैं,,,,,,
अवनी और नित्या अवनी का सामान पैक करने लगती है अवनी की नजर सामने दीवार पर टिक्की तस्वीरों पर जाती है जो उसकी और काव्या की थी और काव्या के पेरेंट्स और उसके भाई की,,, अवनी वो तस्वीरे उतारकर अपने बैग में डाल लेती है और अपना सामान पैक करने लगती हैं,,,,,,

इधर विवान घर आता है, सब घर में उसका ही इंतजार कर रहे थे विवान बिना कुछ बोले ही सीधा ऊपर जाने लगता है शालिनी पीछे से विवान को आवाज देती है,,, विवान उनकी आवाज बिना सुने ही आगे बढ़ जाता है, विवान के चेहरे से साफ-साफ नजर आ रहा था कि वह इस वक्त बहुत गुस्से में है,,, विवान को इस तरह देखकर बाकी सब भी परेशान हो जाते है,,,,, यश दौड़कर सीढ़ीओ पर ही विवान के सामने खड़ा हो जाता है और उसे रोकते हुए बोलता है,,,, क्या हुआ विवान... कुछ बताएगा हम कब से तेरा ही वेट कर रहे हैं अवनी ठीक तो है ना... उसने कुछ कहा....
विवान गुस्से से यश को दूसरी तरफ करते हुए बोला- मुझे नहीं पता जाने दो मुझे.... विवान ऊपर जाने लगता है,,,,,, कृष्णमूर्ति, थोड़े गुस्से में - यह क्या तरीका है विवान... सब तुमसे बात करना चाहते हैं और तुम इस तरह सबको परेशान कर रहे हो, जो बात है वह खुलकर बताओ.....
कृष्णमूर्ति जी की बात सुनकर विवान जहां था वहीं रुक जाता है फिर पीछे मुड़कर सब की तरफ देखता है जो सवालिया नजरों से उसे देख रहे थे और बहुत उदास भी थे,,,,,,, विवान नीचे सबके सामने आकर खड़ा हो जाता है।
शालिनी जी विवान के पास आकर - क्या हुआ बेटा.... सब ठीक है ना.....
शालिनी जी आगे कुछ बोलती उससे पहले ही विवान उनके गले से लिपटकर बोला- कुछ ठीक नहीं है मॉम.... वह प्यार नहीं नफरत करती है मूझसे...इतनी नफरत की उसने.... विवान आगे कुछ नहीं बोल पाया उसकी आंखे आसुओं से भीग चुकी थीं,,,,,
शालिनी विवान को खुद से अलग करके उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली - नहीं बेटा... वह तुमसे नफरत नहीं करती,हमने खुद अवनी की आंखों में देखा है.....।
काव्या, विवान के पास आकर- हां विवान.... तुम्हें जरूर कुछ गलतफहमी हुई है... इतने दिनों में मैंने अवनी को इतना तो जान लिया है कि वह जानबूझकर किसी को हर्ट नहीं करेगी... ऐसा भी हो सकता है ना, कि उसकी कोई मजबूरी हो जिस कारण वो तुमसे दुर रहना चहती हो...
विवान,सब से थोड़ा दूर जाकर- कोई मजबूरी नहीं है भाभी..... उसने खुद मुझे कहा है कि यदि मैं उसे खुश देखना चाहता हूं तो उससे दूर रहू....
यश, विवान के पास आकर - यह तो नहीं कहा ना कि वह तुमसे नफरत करती है,,,,,,
विवान हैरानी से यश की तरफ़ देखकर - कहना क्या चाहते हो तो तुम...?
यश - यही कि अवनी तुमसे शायद इसलिए दुर रहना चाहती हो कि उसे लगता है अब वह नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकती....
सब यश की बात ध्यान से सुन रहे थे विवान भी कुछ सोचने लगता हैं,,,,,
कृष्णमूर्ति - विवान, यश सही कह रहा है पहले तुम्हें अवनी को यकीन दिलाना होगा कि वह अपनी बीमारी को हराकर नॉर्मल लाइफ जी सकती है,,,, कृष्णमूर्ति विवान के कंधे पर हाथ रखकर - बेटा प्यार से भी बढ़कर दोस्ती होती है तुम्हें पहले एक अच्छा दोस्त बनकर अवनी का साथ देना होगा... जिस तरह नित्या को बचाने के लिए अवनी ने खुद को इतना मजबूत किया, उसी तरह तुम्हें भी एक अच्छे दोस्त की तरह, पहले यह पता करने की कोशिश करनी होगी कि उसकी लाइफ में क्या चल रहा है किस बात से वह भाग रही है,,,,,,
सुधा जी - बेटा.. उस बच्ची को बचपन से प्यार नहीं मिला, उसे आज भी अपनों को खोने का डर है और वो डर हम सब ने उसकी आंखों में देखा है.. तुम्हें उसे इस डर से आजाद कराना होगा... दो लोगों का एक साथ रहना प्यार का गवाह नहीं बल्कि एक दूसरे से अलग होकर बिना बताए अपने साथी के दर्द को समझना ही प्रेम हैं... तुम भी अवनी से सच्चा प्यार करते हो तो तुम्हें बिना उसके कहें, उसकी तकलीफ को समझना होगा.....
विवान उनकी बातें सुनकर कुछ देर सोचता है फिर मुस्कुराकर कृष्णमूर्ति के गले लगकर - थैंक्स डेड...
फिर सुधा जी के पास आकर उनके गले लगते हुए- थैंक्यू दादी... अब मुझे समझ आ गया है कि मुझे क्या करना है,,,,
विवान के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर बाकी सब भी मुस्कुराने लगते हैं,,,
रिया, सुधा जी के पास आकर उनके गले में हाथ डालते हुए- वाह.. वाह.. दादी, आपको तो लव गुरु होना चाहिए.....
श्रेया,कृष्णमूर्ति की देखकर मुस्कुराते हुए बोली- और डैड को आपका चेला....
रिया और श्रेया की बात सुनकर सब जोर जोर से हंसने लगते हैं,,,,
काव्या,कृष्णमूर्ति और शालिनी जी की तरफ देखते हुए - तुम्हें पता हैं विवान मेरे और करण के बारे में भी सबसे पहले मॉम डैड को ही पता चला था,,,,,
कृष्णमूर्ति, हंसते हुए बोला - क्या हुआ बेटा जी अगर आप मॉर्डन जमाने के हो तो, हम भी इतने पुराने जमाने के नहीं है... हमें सब पता रहता है
कृष्णमूर्ती जी राजेश और कविता की तरफ देखकर मुस्कारते हुऐ बोले - रिया बेटा, आपकी मम्मा पापा की भी शादी हमने ही करवाई थी वरना वक़्त पर हमें पता नहीं चलता तो आपकी मम्मा की कहीं और शादी हो जाती और आपके पापा, यूंही कवारे डोलते जिंदगी भर....
सब हंसते हुए राजेश ओर कविता की तरफ़ देखते हैं जो सिर झुकाए हंस रहे थे,,,,
यश, कृष्णमूर्ति जी की तरफ बढ़ते हुए- अंकल...
विवान, उसके पिछे से बोला - तू तो रहने दे बेटा.. तेरे बारे में मुझसे अच्छा और कौन जान सकता है... यश विवान की तरफ देखता है जो आंखों से उसकी तरफ कुछ इशारे कर रहा था,, यश मुंह पर अंगुली रखकर उसे चुप रहने का इशारा करता है बाकी सभी उन दोनों को ही देख रहें थे पर किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था,,,,,
कुछ देर में नित्या भी यहां आ जाती है, इस वक्त नित्या को अचानक यहां देखकर सब हैरान थे नित्या दौड़ते हुए शालिनी के पास आती है और उनके गले लगकर रोने लगती है,,,
शालिनी जी नित्या के सिर पर हाथ रखते हुए बोली - क्या हुआ बेटा.. आप रो क्यों रहे हो और इस वक्त यहां आपको तो अवनी के पास आना चाहिए,,,,,,,
नित्या कुछ नहीं बोलती वह केवल शालिनी के कंधे पर सिर रखकर रो रही थी,,,,
विवान, नित्या के पास आकर बोला- नित्या अवनी ठीक है ना.. जब मैं आया था तब उसने अपनी हालत कैसी बना रखी थी उसने फिर से खुद को चोट...... विवान के चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी,,,,
सब विवान की बात सुनकर हैरान थे क्योंकि विवान ने अवनी की चोट के बारे मे नही बताया था,,,,,
काव्या, विवान के पास आकर- क्या... अवनी ने खुद को चोट पहुंचाई.... तुमने पहले क्यों नहीं बताया...(काव्या, नित्या से) नित्या बताओ क्या हुआ अवनी को...?
नित्या अपने आंसु पोछते हुए बोली-अवनी दिल्ली चली गई है अब वह वापस कभी नहीं आयेगी यहां....
नित्या की बात सुनकर जैसे सब के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो, सब हैरानी से नित्या को देखने लगते हैं,,,
काव्या खुद को संभाल नहीं पाती वह लड़खड़ाकर गिरने वाली होती है पास खडे विवान और नित्या उसे पकड़ते हैं,,,,
करण, काव्या के पास आकर उसे संभालते हुए बोला- काव्या संभालो खुद को....
काव्या आंखों में आंसू लिए बोली- अवि ऐसा कैसे कर सकती है वह मुझे बिना बताए चली गई.. एक बार बात भी नहीं की...
नित्या, काव्या के पास आकर बोली - काव्या, अवनी ने तुम्हारे लिए कुछ दिया है उसने कहा था कि तुम खुद को संभाल नहीं पाओगी, उससे नाराज होगी इसलिए उसने तुम्हारे लिए यह चिट्ठी दी है......। नित्या, काव्या को एक चिट्ठी देती है काव्या अपने आंसू पोंछकर उसे जोर-जोर से पढ़ना शुरू करती है उसमें अवनी ने लिखा था,,,,,,,
सॉरी काव्या.. तुम्हें बिना बताए जा रही हूं प्लीज माफ कर देना अपनी अव्वी को, तुम्हें हमेशा हर्ट किया है बस यह आखिरी बार है इन तीन चार महीनों में तुम्हारे साथ बिताए हर लम्हे को यादों में बसाकर ले जा रही हूं और हां इस बार फ़ोन नंबर चेंज नहीं करुंगी तो तु जब चाहे मुझसे बात कर सकती है तुम्हारा मन करे तो मुझसे मिलने भी आ सकती हो,,, अंकल आंटी और काविन से मैंने बात कर ली हैं,,,,,,दादी से कहना मैं उन्हें बहुत मिस करूंगी और अंकल आंटी से कहना ऑफिसर अवनी व्यास का सफर उनके साथ यहीं तक था,,,,,,, करण, यश, कुणाल, श्रेया और रिया से कहना मेरे गाने सुनने हो तो दिल्ली आ सकते हैं और... मिस्टर खडूस मतलब विवान को बोल देना कि किसी को इतना परेशान मत करना जितना मुझे किया था और अब वो आराम से रहे क्योंकि मैं भी नहीं हूं अब उसे परेशान करने के लिए........ बाय...
तुम्हारी अव्वी......
अवनी की चिट्ठी पढ़ने के बाद सबकी आंखें नम थी लेकीन विवान के चेहरे पर अब भी मुस्कुराहट थीं, सब हैरानी से विवान को देख रहे थे,,,विवान उपर अपने कमरे में चला जाता है,,, बाकी सब भी एक-एक करके सोने चले जाते हैं,,,,,,

Continue....