muskarate chahare ki hakikat - 15 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 15

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 15

2 महीने बाद
अग्रवाल मेनशन
सुधा जी, शालिनी से- बहु करण और काव्या आ रहे हैं ना आज.....
शालिनी-हां मां... बात हुई थी मेरी उनसे, अभी कुछ देर में पहुंच जाएंगे...
सुधा जी- और नित्या भी आज शाम को घर आ रही है....
शालिनी, कुछ सोचते हुए- मां क्या हम सही कर रहे हैं कहीं उनको कोई प्रॉब्लम हुई तो.....
सुधा जी- किसको क्या प्रॉब्लम होगी,,, सबके सामने विवान ने नित्या को वादा किया था कि वह उससे शादी करेगा,,,,
शालिनी- हा मां, दोनों बचपन से एक साथ है, बहुत अच्छी दोस्ती भी है दोनों में और एक दूसरे का ख्याल भी कितने अच्छे से रखते हैं,, देखा ना आपने.. जब से नित्या ने कॉलेज ज्वाइन किया है विवान रोज उसे ड्राप करने जाता है,,, यही सही मौका है सब से बात करने का और आज सब घर भी आ रहे हैं वापस....
सुधा जी- तू कृष्णा और राजेश को फोन करके बोल दे कि शाम को घर जल्दी आ जाए,,,
शालिनी हां मैं सिर हिलाती हैं और कृष्णमूर्ति को कॉल करके शाम को जल्दी आने के लिए बोलकर किचन में चली जाती है
इधर विवान ऑफिस में बार-बार अपने फोन को देख रहा था, विवान का मैनेजर उसके पास आता है और उसे कुछ फाइल्स पर सिग्नेचर करवा कर वापस चला जाता है विवान फिर से अपना फोन देखने लगता है और उसे रखकर खिड़की के पास आकर खड़ा हो जाता है
थोड़ी देर में फोन की रिंग बजती है विवान जल्दी से टेबल के पास आकर फोन उठाता है शालिनी का कॉल था,,,
विवान- हा मा....
शालिनी- आज शाम को घर जल्दी आ जाना कोई बहाना नहीं चलेगा समझे...(और फोन रख देती है)
विवान फोन को साइड में रखकर- अब इन्हे क्या हो गया है अच्छे से बात भी नहीं की और जल्दी आने के लिए और बोला है...
विवान किसी को कॉल लगाता है लेकिन फोन स्विच ऑफ बताता है तो विवान गुस्से में अपना फोन फेंक देता है और कुर्सी पर सिर टिकाकर अपनी आंखें बंद कर लेता है
यश अंदर आता है और विवान के साइड में रखी चेयर पर बैठते हुए- किसी और का गुस्सा बेचारे फोन पर क्यों निकाला....
विवान, गुस्से से यश को घूरते हुए-यश प्लीज अपनी नौटंकी बंद कर....
यश- तू परेशान क्यों हो रहा है उसने इन दो महीनों में किसी से भी बात नहीं की,, यहां तक की काव्या और नित्या से भी नहीं...
विवान, गुस्से में- यही तो मैं जानना चाहता हूं कि ऐसा क्या काम है उसे कि इन दो महीनों में उसने किसी से भी बात नहीं की... क्या समझती है खुद को, डेढ़ महीने के लिए बोला था दो महीने हो गए,,, जाने अनजाने में ही सही कितने सारे रिश्ते बनाए थे उसने यहां, एक बार पिछे मुड़कर भी नहीं देखा,,, सही कहा था उसने, उसे रिश्तो की कदर मालूम ही नहीं...
यश, विवान के कंधे पर हाथ रखकर- रिलैक्स यार... तू जानता है ना उसे, उसके लिए उसका कैरियर कितना इंपोर्टेंट है, चल छोड़ उसे... भूल जा सब कुछ और विवान यह मत भुल कि तुमने नित्या से सबके सामने कहा था उसे शादी करने के लिए और इसी हक से वह तुम्हारे घर पर है यदि नित्या थोड़ी भी हर्ट हुई तो अवनी भी तुम्हें कभी माफ नहीं करेगी अब तुम्हें घर जाना चाहिए वरना रोज की तरह बैठे रहना यहां अकेले......
यश वहां से चला जाता है और कुछ घंटों बाद विवान भी....
घर पर शाम को सब एक साथ बैठे थे करण और काव्या भी आ गए थे कृष्णमूर्ति, राजेश, कुणाल, श्रेया, रिया, नित्या भी सबके साथ बैठे थे लेकिन विवान अभी तक नहीं आया था सब उसका ही वेट कर रहे थे,,,,
कृष्णमूर्ति, करण की तरफ देखकर- तो बेटा कैसा रहा आपका सफर...
करण, मुस्कुराते हुए- बहुत अच्छा पापा...
सुधा जी, दरवाजे की तरफ देखते हुए- यह लड़का भी ना... कभी टाइम पर नहीं आता...
मैं आ गया दादी... विवान दरवाजे से सुधा जी के पास आते हुए बोलता है,,,
विवान आकर सबके साथ बैठ जाता हैं
सुधा जी- मुझे आप सब से बात करनी थी..
विवान, उनकी तरफ देखकर- क्या.. क्या बात है दादी सब ठीक है ना...
शालिनी- अरे कुछ नहीं हुआ है बेटा, तुम इतना घबरा क्यों रहे हैं..
कुणाल- तो बताओ ना दादी क्या बात करनी है...
सुधा जी, विवान और नित्या की तरफ देखकर- विवान ओर नित्या की शादी के बारे में...
कृष्णमूर्ति, ख़ुश होकर- आपने तो हमारे दिल की बात ही छीन ली मां.. हम भी कब से यही बात करना चाहते थे पर मौका ही नहीं मिला,,,
विवान, खड़ा होकर- शादी... पर इतनी भी क्या जल्दी है अभी तो...
नित्या, विवान की बात पूरी होने से पहले ही- हां दादी.. और अवनी भी यहां नहीं है ऐसे में मैं कैसे उसके बिना शादी कर सकती हूं,,,
सुधा जी- नित्या हम समझ सकते हैं लेकिन अवनी को दो महीने हो गए हैं गए हुए, अभी मालूम भी नहीं कि वह कहां है और ना ही उसने कॉल किया है...
नित्या- पर दादी कुछ दिन और वेट करते हैं मुझे पता है वह हमसे मिलने जरूर आएगी...
काव्या - हां दादी,, नित्या ठीक कह रही है उसने कितनी हेल्प की थी हमारी,, आज आश्रम के सभी बच्चे और बड़े कितने खुश है और फिर हमारे साथ भी तो कितना गहरा रिश्ता जुड़ चुका था उसका... अवनी को मैं जितना जानती हूं वह जरूर आएगी,,,,
श्रेया, नित्या और काव्या का साथ देते हुए- भाभी सही कह रही है उसके बिना बिल्कुल मजा नहीं आएगा...
कुणाल, बीच में ही- हां फिर मेरा पार्टनर कौन बनेगा स्टेज पर....
रिया, मायूस सा चेहरा बनाकर कृष्णमूर्ति से- प्लीज ताऊ जी, आप ही समझाओ ना दादी को.. अवनी के बिना मजा नहीं आएगा हम सब चाहते हैं कि वह हमारे साथ हो...
सब अपनी अपनी बात रख रहे थे कृष्णमूर्ति सबकी तरफ देखता है फिर विवान की तरफ देखकर- तुम कुछ नहीं कहोग विवान...
विवान- मुझे नहीं पता, जैसा आपको ठीक लगे...( और वहां से अपने रूम में चला जाता है)
राजेश, विवान को इस तरह जाते देख- अब इसे क्या हुआ...
सुधा जी, कुछ सोचकर- चलो तुम सब बोल ही रहे हो तो हम कुछ दिनों तक और रुक जाते हैं आखिर हम भी यही चाहते हैं कि अवनी भी यहां हो.....
कुणाल, श्रेया, रिया, सुधा जी के गले लगते हुए- थैंक्यू दादी...
विवान अपने रूम में आता है और पास में रखी टेबल पर जोर से अपने हाथ को मारते हुए- यह हो क्या रहा है मेरे साथ.. आखिर मैंने ही तो वादा किया था नित्या से फिर क्यों... नहीं मैं नित्या को धोखा नहीं दे सकता नेवर... पर क्यों इतना अजीब लग रहा है,, मैं भी यही चाहता था ना लेकिन अब...
क्या हुआ विवान, तुम ठीक तो हो ना,,,,,, पीछे से नित्या की आवाज आती है
विवान, पिछे मुडकर नित्या की तरफ देखते हुए- नित्या.... तुम कब आई,, मैंने देखा नहीं..
नित्या - मैं अभी आई हूं...
विवान- अंदर आ जाओ..
नित्या, विवान के पास आकर- विवान मुझे तुमसे बात करनी थी.
विवान- हां.. हां.. कहो..
नित्या - विवान तुम मुझसे शादी करने के लिए तैयार हो...
विवान, हैरानी से- नित्या तुम ये क्यों पूछ रही हो . मैंने वादा किया था ना तुमसे,की तुम्हें इस परिवार का हिस्सा बनाऊंगा....
नित्या, विवान से थोड़ा दूर जाकर- विवान जब तुमने वादा किया था तब हम दोनों नहीं जानते थे कि शादी का मतलब क्या होता है, उसके बाद तुम मुझसे पांच साल दूर रहे....
विवान, नित्या के पास आकर- इससे क्या फर्क पड़ता है नित्या.. हम अभी भी पहले की तरह ही अच्छे दोस्त है ना...
नित्या, कुछ सोचकर- विवान इन पांच साल में तुमने किसी से प्यार नहीं किया....
विवान- प्यार....
नित्या - हां विवान प्यार... जिसे तकलीफ में देखकर दर्द तुम्हें होता हो, आंखें बंद करने पर जिसका चेहरा तुम्हारे सामने हो, थोड़ा सा दूर रहने पर बेचैनी हो, हर वक्त जिसे खोने का डर रहें, जिसके दुर जाने से हर वक्त उसी का ख्याल रहें,, वो होता है प्यार विवान, लेकिन हमारे रिश्ते में ऐसा कुछ नहीं है फिर भी क्या तुम मुझसे शादी के लिए तैयार हो....
विवान, थोड़ी देर चुप रहता है फिर नित्या के पास आकर- मेरे लिए इन सबसे बढ़कर तुम्हें किया हुआ वादा है नित्या... प्लीज यह सवाल दोबारा मत करना...
नित्या, विवान का हाथ पकड़कर- मुझे पता था विवान.. थैंक यू,,,,,,,,,(नित्या वहां से चली जाती है)
विवान बेड पर जाकर लेट जाता है और नित्या की कही हुई बातों को याद करके अपनी आंखें बंद कर लेता है विवान के सामने अवनी से पहली मुलाकात से लेकर उसके जाने तक, उसके साथ बिताया हर वक्त, हर मिनट, हर सेकेंड, उसकी आंखों के सामने होता है,,,, उससे लड़ना- झगड़ना, उसकी फिक्र करना, सभी विवान के सामने एक सपने की तरह था...
विवान, बेड से उठकर- नहीं... मैं अवनी से प्यार कैसे कर सकता हूं मैंने नित्या को वादा किया था.. लेकिन अवनी के बिना... नहीं... यस आईं लव हर.... लेकिन क्या वो मुझसे प्यार करती है... इन 2 महीनों में मैंने बहुत कोशिश कि अवनी तुम्हें भुलाने की लेकिन तुम्हारी उतनी ही याद आती है... प्लीज एक बार.. एक बार.. आकर मुझसे बात करो प्लीज.. मुझे नहीं पता तुम मेरे बारे में क्या फील करती हो,,लेकिन मेरे दिल और दिमाग में हर वक्त तुम्हारा ही ख्याल रहता है चाह कर भी तुम्हारी यादों को भुला नहीं पा रहा हूं मैं...
विवान के मन में कई सारे सवाल और उलझने थीं जिन्हें वो खुद भी समझ नहीं पा रहा था.....
अगली सुबह
सब एक साथ नाश्ता कर रहे थे विवान तैयार होकर नीचे आता है और बिना नाश्ता किए ही बाहर जाने लगता है
कृष्णमूर्ति पिछे से आवाज़ लगाते है- रुको विवान.. तुमसे जरूरी बात करनी थी...
विवान, उनके पास आकर- बोलिए डेड...
कृष्णमूर्ति- दो- तीन दिन बाद एक मीटिंग है जिसमें देश की हर कंपनियों के डायरेक्टर,CEO, कोई भी एक बड़ा मेंबर शामिल होगा... वह मीटिंग अटेंड करना बहुत जरूरी है, मैं चाहता हूं कि तुम उस मीटिंग में जाओ....
विवान- यश ने भी बताया था डैड, मै चला जाऊंगा और यश को भी अपने साथ ले जाऊंगा उसे उनकी पूरी इंफॉर्मेशन है,,
कृष्णमूर्ति- हमें पता था तुम्हारा जवाब यही होगा,,, ऑल द बेस्ट...
विवान- थैंक्स डेड, अब मैं चलता हूं......
(और वहां से ऑफिस के लिए निकल जाता है)
अगले दिन
R. K. कंपनी
कांफ्रेंस रुम में चार लोग बैठे थे जिनमें तरुण सिंघानिया और वीरेंद्र भी थे,,,
वीरेंद्र- सर, अब हमें अवनी को बुला लेना चाहिए दो महीने हो गया है उसे गए हुए हमने जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा बेनिफिट और नाम मिला है हमारी कंपनी को, और यह सब अवनी की मेहनत का नतीजा है,,,
तरुण सिंघानिया- यू आर राइट वीरेंद्र... हम भी यही चाहते हैं कि अब अवनी को इस कंपनी में वह स्थान मिलना चाहिए जिसकी वह हकदार है, उसने इस कंपनी में एक मेंबर होकर जो काम किया है उसके लिए वह सम्मान की हकदार है तुम अवनी को अभी कॉल करो और कल तक यहां आने के लिए बोलो.....
वीरेंद्र- श्योर सर...
वीरेंद्र अवनी को कॉल लगाता है और उसे अगले दिन आने के लिए बोलता है...

मुंबई, शाम सात बजे
अवनी, फाइनली तुम कल भोपाल जा रही हो... इस बार दूसरा प्रोजेक्ट मत ले लेना वरना फिर बॉस तुम्हें कहीं और भेज देंगे- एक लड़की, जो अवनी का सामान पैक करा रही थी, अवनी से बोलती है।।।।
अवनी, बिना उसकी तरफ ध्यान दिए- मैं भी यही चाहती हूं कि फिर से मुझे नया प्रोजेक्ट मिल जाए और दूसरी जगह भेज दे मुझे भोपाल में नहीं रहना निशा...
निशा- यार अवनी, तुम पागल हो गई हो क्या... दो महीने हो गए तुम्हें भोपाल से निकले हुए,, कनिका रियान भी तुम्हारे साथ ही आए थे, एक महीने में वापस निकल गए दोनों,,, और एक महीने से मैं तेरे साथ हूं, तुम्हें प्रॉब्लम क्या है, क्यों कर रही है तू ऐसा.. किससे भाग रही है तू... ना किसी से फोन पर बात करती है ना किसी से मिलने गई,,,,
अवनी, किसी गहरी सोच में डूबते हुए- बचपन से मुझे अकेले रहना पसंद है इसलिए मैं हमेशा अकेली ही रहना चाहती हूं बिना परिवार के जीना सीख लिया था बिना दोस्तों के भी जीना सीख रही हूं......
निशा, अवनी के कंधे पर हाथ रखकर- कितनी बार पूछा मैंने कि क्या प्रॉब्लम है लेकिन तुम बताना ही नहीं चाहती और तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं रहती,, तुम्हारे परिवार में से किसी के भी नंबर होते ना, मेरे पास तो मैं उन्हें तुम्हारी तबीयत के लिए बताती कि कितना बीमार रहती हों तुम खैर..... तुमसे यह सब बात करना ही बेकार है... आज रात को ही यहां से निकलना है सामान पैक करके तैयार रहना,,,,,
दोनों अपने अपने सामान पैक करने लगते हैं,,,,,

इधर विवान के पास यश का कॉल आता है विवान कॉल उठाकर- क्या हुआ उस मीटिंग का...
यश- दो दिन बाद है और मीटिंग में हर कंपनी में से एक मेंबर प्रजेंट रहेगा,,,,,,
विवान- पता है मुझे और इस बार डैड ने मुझे खुद जाने के लिए बोला है तो तू भी चल रहा है मेरे साथ....
यश-ठीक है....
यश फ़िर से- विवान सब तेरी और नित्या की शादी की बात कर रहे हैं तू खुश तो है ना....
विवान, गुस्से में- तुमने मुझे शादी की बधाई देने के लिए कॉल किया था क्या....?
यश- रिलैक्स यार, मैं तो पूछ रहा था वैसे प्रवीण से बात हुई थी मेरी... अब वह दिल्ली में ही रहता है उसे अच्छी जॉब मिल गई वहां और उसकी फैमिली भी वही है तो उसने अवनी के जाने से पहले ही कंपनी छोड़ दी थी।।
विवान- तो उसे मालूम होगा ना कि वह कहां है..?
यश- नहीं उसने बताया कि, अवनी ने जाने से पहले ही बोल दिया था कि वह उसके घर ही आकर मिलेगी वहां से कॉल नहीं करेगी,,,
विवान- बड़ी अजीब लड़की है यार किसी को पता भी नहीं कि कहां है....
विवान फोन रखकर ऑफिस से निकल जाता है।।