Do Pagal - Kahani Sapne Or Pyar ki - 13 in Hindi Fiction Stories by VARUN S. PATEL books and stories PDF | दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 13

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 13

अंक - १३ - ब्रेक-अप ?

    हेल्लो दोस्तो तो केसे हो आप लोग। मे आपका अपना लेखक वरुण एस पटेल आज फिर से हाजीर हु आपकी अपनी कहानी यानी दो पागल के तेरहवे अंक के साथ। मे चाहता हु कि आप इस अंक को पढे इस से पहले आगे के बारह अंको को पढले ताकी आपको यह अंक समझ आए। तो आईए शुरू कर ते है ब्रेक-अप वाला ? अंक |

शुरुआत. 

    आगे हमने देखा की केसे सारे दोस्तों टेलीविजन मे चल रहे समाचार को देखकर चोक जाते हैं । रुहान और जीज्ञा दोनो समाचार देखकर बहुत ही नाराज थे। मुझे पता है कि आप भी यह जानने के लिए बहुत ही बेताब होंगे की एसे कोन से समाचार है जीसे देखकर सभी दोस्तो के चहेरे के हावभाव बदल गए थे। तो टेलीविजन मे कुछ इस प्रकार के समाचार चल रहे थे।

    ब्रेकिंग न्युज। आपका स्वागत है सच तक न्युज चेनल में। आज गुजरात में बनी इस दुर्घटना से सभी लोग दुःखी है। आज फिर से एक सितारा दुनियाने खो दिया है। फिल्म जगत के बहुत ही नामी डिरेक्टर मनीषभाई को हमने कार अकस्मात की दुर्घटना में खो दिया है। फिल्मकार मनीषभाई अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। ... मीडिया के रिपोर्टर ने समाचार देते हुए कहा।

    तो कुछ एसे समाचार टेलीविजन मे चल रहे थे। यहा वही मनीषभाई की बात की जा रही थी जो जीज्ञा को बडी स्टार लेखीका बनाने वाले थे लेकिन वो अब इस दुनिया से अपनी फेमिली के साथ साथ जीज्ञा के सपनो को भी छोड चुके थे। जीज्ञा काफी हताश थी। रुहान बार बार सिर्फ जीज्ञा को ही देख रहा था। पुर्वी, महावीर और रवी भी जीज्ञा के लिए बहुत दुःखी थे। सभी दोस्त हताशा के साथ उस होटेल से बहार निकलते है। सभी के बिच खामोशी का वातावरण छाया हुआ था।

    रुहान पंदरा दिन के बाद मनीषभाई के घर से हमारी नोट्स ले आना प्लीझ... जीज्ञाने हताशा के साथ रुहान से कहा।

    देख जीज्ञा तु एसे दुःखी मत हो मनीषभाई भले ही हमारे बीच ना हो लेकिन हमने अभी तक हार नहीं मानी है। हम सब मिलके तुम्हारा सपना जरुर शाकार करेंगे और यह मेरा वादा है तुम से... रुहानने जीज्ञा से कहा।

    देख रुहान अब मुझे कोई जुठा सपना नहीं देखना है और हा तु भी तेरे केरीयर की तरफ ध्यान दे प्लीज। चल पुर्वी ... इतना बोलकर जीज्ञा अपनी बहन पुर्वी के साथ होस्टेल की तरफ चली जाती है।

    तो कुछ इस प्रकार फिर से जीज्ञा वही पे आ जाती है जहा पहले थी। फिर से जीज्ञा को अपने सपने को पुरा करने का कोई भी रास्ता नही दीख रहा था। जीज्ञा बहार से भले ही कीसी को दुःखी ना दिख रही हो लेकिन उसकी खामोशी उसके दुःख का पता बरोबर बता रही थी। मनीषभाई के मोत के बाद पंदरा दिन बितते हैं। जीज्ञा इन पंदरा दिन को अपने होस्टेल में अपनी खामोशी से बाते कर के बिताती हैं। रुहान की हालत भी कुछ एसी थी की वो हर दिन जीज्ञा को देखने के लिए तरसता था लेकिन वो जीज्ञा को नहीं देख पाता था क्योकी जीज्ञा अब कोलेज आने के लिए राजी नहीं थी। रुहान रात दिन जीज्ञा को देखने के इंतजार में गुजारता था। सुबह कोलेज पर जीज्ञा का इंतजार करता और शाम को होस्टेल के पास लेकिन जीज्ञा फिर भी रुहान से मिलने को तैयार नहीं थी। रुहान जीज्ञा को फोन भी करता लेकिन जीज्ञा रुहान का एक भी फोन नहीं उठाती थी। रुहान दिन अपने दोस्तों के साथ बिताता और रात अपने अब्बा के घर पे न होने के कारण शराब के साथ बिताता। कुछ इस प्रकार रुहान और जीज्ञा के पहली परीक्षा तक के सारे दिन बितते है।

    आज रुहान थोडा खुश था क्योकि उसका रात का चांद कहो या दिन का सुरज दिखने वाला तो आज ही था। सुबह जल्दी उठकर रुहान अपनी कॉलेज के गेट के पास आकर बेठ जाता है। रुहान बेसब्री से अपनी जीज्ञा को देखने की राह देख रहा था। कॉलेज की परीक्षा का समय होने के थोडे समय पहले जीज्ञा और पुर्वी दोनो रिक्षा के द्वारा कॉलेज पहुचते है। रुहान जीज्ञा की बिगडी सकल देखकर ही समझ जाता है कि जीज्ञा अभी तक उसी दुःख मे डुबी हुइ है। जीज्ञा और पुर्वी रुहान और उसके दोस्तो के पास आते हैं और एक कोमन फ्रेन्ड की तरह मिलकर चले जाते हैं। रुहान जीज्ञा का यह बर्ताव देखकर बहुत नाराज होता है। परिक्षा के दिन भी कुछ इस तरह बितते हैं। रुहान को समझ नहीं आ रहा था कि जीज्ञा एसा कर क्यो रही है और यही बात पुर्वी को भी बार बार चुभ रही थी। रुहान हंमेशा की तरह जीज्ञा का होस्टेल के बहार अपने दोस्तों के साथ खडा इंतजार कर रहा था और जीज्ञा अंदर अपने रुम की खीडकी से छुपकर रुहान और उसके दोस्तो को देख रही थी।

    अगर तुझे उन लोगो से मिलना ही नहीं है तो एसे खीडकी से देखने का मतलब क्या है ... पुर्वीने जीज्ञासे पुछते हुए कहा।

    तु नहीं समझेगी पुर्वी... जीज्ञाने पुर्वी से कहा।

    मे सबकुछ समझ रही हु की केसे तु अपने सच्चे और अच्छे दोस्त को मिलने के लिए इतना परेशान कर रही हैं... पुर्वीने जीज्ञासे कहा।

    एसा कुछ नहीं है पुर्वी जेसा तुम लोग सोच रहे हो... जीज्ञाने पुर्वीसे कहा।

    हा तो केसा है मेडम आप जरा मुझे बताने का कष्ट करेगी क्या... पुर्वीने जीज्ञासे पुछते हुए कहा।

    हा जरुर। रुहान मेरे सपने को पुरा करने के चक्कर में अपना केरीयर बरबाद कर रहा है। न तो अपनी पढाई मे ध्यान दें रहा है और न तो अपने केरीयर मे। उसे तो बस रात दिन अपने दोस्तों के सपने ही पुरे करने है और तो और वो अब मुझसे प्यार भी करने लगा है और उसने मुझे एक बार प्रपोझ भी किया था। तु तो जानती है कि हमारे प्यार का कोई भविष्य नहीं है इसलिए मे चाहती हु कि रुहान मुझसे दुर होजाए क्योकी मे अपनी जिंदगी में फिल्मी होने के बजाय प्रेक्टिकल होना पसंद करती हुं... जीज्ञाने अपनी सफाई मे कहा।

    अच्छा एसा तो रुहान तुझे प्यार करता है ठीक है... पुर्वीने कहा।                            

    हा बिलकुल... जीज्ञाने कहा।

    और तु क्या उससे प्यार नहीं करती ?...पुर्वीने जीज्ञा के जीवन के सभी कठीन सवालो में से एक सवाल पुछते हुए कहा ।

    जीज्ञा थोडी देर पुर्वी के सवाल को सुनकर एकदम चुप रहती है।

    तुम्हारी इस खामोशी को मे क्या समझु... पुर्वीने जीज्ञासे कहा।

    नहीं मे रुहान से प्यार नहीं करती हुं और मे उससे क्यु प्यार करु क्योकी वो सिर्फ मेरा दोस्त है और हम आगे भी सीर्फ दोस्त ही रहेंगे और इसी शर्त पे हमारी दोस्ती हुइ थी...जीज्ञाने अपना जवाब देते हुए कहा।

    क्या सच मे जीज्ञा रुहान से प्यार नहीं करती थी या वो अपने आपसे और पुर्वी से झुठ बोल रही थी ? अब इसका जवाब तो सिर्फ जीज्ञा ही दे सकती हैं।

    शर्त । क्या बात है जीज्ञा। देख जीज्ञा शर्तो पे कभी रिश्ते नहीं बनते फिर चाहे वो रिश्ता दोस्ती का ही क्यु न हो... पुर्वीने जीज्ञासे कहा।

    तुम्हें जो सोचना है वो तुम सोच शक्ति हो लेकिन इसी शर्त मे हम दोनो की भलाई है... जीज्ञाने अपनी और रुहान की बात करते हुए कहा।

    तो कुछ एसे दोनो बहेनो के बिच संवाद होता है।

    कुछ दिनो के पसार होने के बाद अब दिवाली की छुट्टी कॉलेज में शुरु हो रही थी और जीज्ञा और पुर्वी अपने अपने घर जाने की तैयारीया कर रही थी। पुर्वीने रुहान को फोन कर के सबकुछ बता दिया था कि जीज्ञा क्यो उससे दुर हो रही हैं इसलिए पुर्वी और जीज्ञा अपने घर अहमदाबाद चले जाए इससे पहले रुहान को पुर्वी जीज्ञा से मिलने के लिए कहती है । दोनो अपने घर जाने की सारी तैयारीया पुर्ण कर लेती हैं और बहार ग्राउंड पर अपना सारा सामान लेकर आ जाती हैं। पुर्वी बेसब्री से रुहान की राह देख रही थी लेकिन रुहान अभी तक आया नहीं था। कुछ घंटे बितते है। पुर्वी के मामा अपनी कार लेकर दोनो को लेने के लिए आते हैं। पुर्वी अब आशा छोड चुकी थी की अब रुहान जीज्ञा से मिल पाएगा। दोनो कार में अपना सारा सामान रखकर बेठते है और इस तरफ रुहान होस्टेल के गेट पर पहुचता है जहा जीज्ञा के मामा की कार पडी थी लेकिन वो अपनी बाईक से निचे उतरे इससे पहले जीज्ञा के मामा अपनी कार अहमदाबाद की और आगे बढाते है और पीछे खडा रुहान बस कार को जाते हुए देखने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता था।

    तो कुछ इस तरह की परिस्थिति मनीषभाई के जाने के बाद रुहान और जीज्ञा के बिच बन गई थी। दोनो के बिच प्यार की बात तो अब दुर थी क्योकी यहा पे तो हमे दोनो के बिच की बिगडती हुई दोस्ती नझर आ रही थी। अब आगे रुहान जीज्ञा को केसे समझायेगा ? अब जीज्ञा अपना सपना केसे पुरा करेंगी ? क्या जीज्ञा रुहान से प्यार करती है और अगर करती भी है तो क्या दोनो के एक होने का कोई संभवित कारण आपको दिख रहा है ? क्या रहस्य है उस अंजान आदमी का जो रुहान और जीज्ञा की तस्वीरे खीच रहा था और संजयसिह अभी तक चुप क्यो बेठा है क्या वो रुहान और जीज्ञा के जीवन में एक बडा भुचाल लाने के लिए सही समय का इंतजार कर रहा है ? आगे क्या होनेवाला है जीज्ञा और उसके पापा के बिच ? यह सारे सवालो के जवाब हमारी कहानी के आनेवाले अंको को और भी मजेदार और मनोरंजक बनाने वाले है तो पढना ना भुले आपकी अपनी कहानी दो पागल के आनेवाले अंक को। धन्यवाद।

    अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेर जरुर करे |

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY