Hotel Haunted - 27 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 27

Featured Books
  • द्वारावती - 73

    73नदी के प्रवाह में बहता हुआ उत्सव किसी अज्ञात स्थल पर पहुँच...

  • जंगल - भाग 10

    बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 53

    अब आगे रूही ने रूद्र को शर्ट उतारते हुए देखा उसने अपनी नजर र...

  • बैरी पिया.... - 56

    अब तक : सीमा " पता नही मैम... । कई बार बेचारे को मारा पीटा भ...

  • साथिया - 127

    नेहा और आनंद के जाने  के बादसांझ तुरंत अपने कमरे में चली गई...

Categories
Share

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 27

पहाड़ा के बीच घिरा हुआ अपने कुदरत की खूबसूरती की छाप छोड़ते हुए बसा हुआ एक खूबसूरत सा शहर। यह शहर जितना विकसित था, उतना ही खूबसूरत भी था, जैसे यह किसी हिल स्टेशन या वादियों की याद ताजा कर दे। कुदरत के दूसरे तत्वों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए ऐसा डेवलप करना उस शहर के लोगों को कुदरत के प्रति प्यार की गवाही देता था।


सुबह का वक्त था पूरी जगह में गिरती ओस उसकी वजह से अच्छी ठंडक फैली हुई थी, पहाड़ों के पीछे से धीरे-धीरे करते हुए सूरज अपनी कोमल किरने उस शहर पर बिखेर रहा था।प्रकृति के हर जीव को जिंदगी की एक नई ऊर्जा देने वाली वह कोमल रोशनी उस जगह को रोशन करते हुए उस शहर के एक घर में खिड़की से अंदर जा रही थी।


पीली सलवार कमीज में अपनी चुनरी ठीक करते हुए हल्की सी "छन्न...छन्न" पायल की आवाज करते हुए वो एक कमरे में पहुंची और बेड पे सो रहे इंसान को देखने लगी।
"ये नहीं सुधारेंगे" कहते हुए वो हलका सा झुकी और बिस्तर पर सो रहे उस इंसान को उठाते हुए बोली, "सुनिए, उठ जाए 8 बज गए हैं।"बेड पर सो रहे इंसान की उम्र करीब 46-47 साल की लग रही थी। अपनी पत्नी शिल्पा की आवाज सुनकर कंबल अपने सर पर डालते हुए नींद में कहता है,"हां...उठ रहा हुन ना..."
"इनका रोज का यही है" उसके खूबसूरत चेहरे पर एक
बड़ी सी मुस्कान आ गई। ऐसे झुके रहने से उसके बालों की एक लट निकल के चेहरे पर आ गई, उसे अपनी कोमल हाथों की उंगलियों से उसने लट को पकड़ कर के कानो पीछे कर दिया, "जल्दी से उठ जाओ नहीं तो ओफिस के लिए देर हो जायेगी।"


उसने एक बार फ़िर उस सोटे हुए ध्रुव को हिलाया, "हम्म्म्......"
उसकी नींद से भरी आवाज़ सुन वो मुस्कुरा पड़ी, "अच्छा में जा रही हुं" उसने मुस्कुराते हुए कहा, "उठ जाना, में अब उठाउंगी नहीं "कहते हुए वो कमरे में से जानी लगी, उसके जोड़े से आत्ती छन - छन् की आवाज कमरे से दूर होती गई और कुछ ही पल में गायब हो गई।
ध्रुव ने कंबल थोड़ा सा ऊंचा किया और कमरे के गेट पे देखने
लगा, "चलो गई, अब थोड़ी देर और सो लेता हु" कहते हुए वो सोने ही जा रहा था की अचानक .....वो झूठा गुस्सा दिखाती हुुई, अपनी कमर पे हाथ रखे गेट के पिछे से बाहर आइ, "अच्छा जी, ठीक है सो जाईए, नीचे आपकी चाय ठंडी हो जाएगी तो दुबारा नहीं मिलेगी आपको..."


शिल्पा को देख कर ध्रुव जल्दी से कंबल के बाहर निकलते हुए कहता है,"अरे... क्या यार मज़ाक भी नहीं समझती,देखो मैं उठकर बैठ तो गया"
"हां देखा ना..." सामने एक फिकि मुस्कान के साथ उसे कहा और चलते हुए ध्रुव के पास आने लगी।
"यह ड्रामा करना जरुरी है क्या?"कहते हुए उसने ध्रुव के कान पकड़ लिए,"owch....owch सॉरी मैडम जी माफ़ कर दिजिये मुझे,पर अगर मैं ड्रामा नहीं करूंगा तो तुम्हारी ये सुबह की प्यारी मुस्कान और ये प्यार भरा गुस्सा कैसे देख पााऊंगा "उसने मुस्कुराते हुए बेहद प्यार से कहा। उसकी बात सुनकर वो कुछ नहीं बोली बस मुस्कारा पड़ी।


शिल्पा ​​ने हलका सा चांटा ध्रुव के सर पे मारा और खड़े होते हुए कहा,"बच्चे बडे हो गए पर आपकी हरकतें बच्चे जैसी ही रहेंगी।"इतना कहने के बाद वह मुड़कर जाने लगी।
"हेय.. शिल्पा... इसमे बच्चे वाली हरकत कैसी, ओये सुनती तो जाओ" ध्रुव पिछे चिल्लाता रहा लेकिन तब तक शिल्पा कमरे से निकल चुकी थी।
"और हा टाइम पे नीचे आ जाना नहीं तो नाश्ता भी नहीं मिलेगा"
शिल्पा ​​ने ऊंची आवाज़ में कॉरिडोर में से कहा, जिसे सुनकर ध्रुव के चेहरे पे एक मुस्कान आ गई।
"चलो ध्रुव बेटा जल्दी से नीचे पहुच जाओ,वरना नाश्ता नहीं मिलेगा "कहते हुए ध्रुव बिस्तर से नीचे उतरा और बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया।


ये दोनो का रोज़ का था, प्यार की महक के बीच थोड़ी बहुत नोक झोक। अतीत के कुछ पुरानी घटनाओं को भुलाकर उसकी
जगह एक दूसरे के लिए प्यार के नए लम्हे भर रहे थे, दोनो के प्यार में वो खुश्बू थी, जिसकी वजह से इनका पुरा घर खुशनुमा रहता था।


शिल्पा डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट लगा रही थी, "गुड मॉर्निंग मॉम" तभी उसके कानो में आवाज पड़ी तो उसे अपनी नज़र उठा के देखा और उसके चेहरे पर एक बेहद प्यारी मुस्कान आ गई। सामने एक लड़का अपना बैग लेकर Jeans tshirt मैं सीढ़ियों से उतरता हुआ शिल्पा के पास आया। शिल्पा ने उसके माथे पे प्यारी सी किस की, "गुड मॉर्निंग बेटा "वो अपनी मां को देखते हुए बोला "आप तो दिन ब दिन खूबसूरत होती जा रही हो मोम...क्या बात है"इतना कहते हुए वह चेयर पर जाकर बैठा गया।
"हट पागल" शिल्पा ने हलका सा उसके कंधे पे प्यार से मारा और उसको नाश्ता देने लगी।
"लो जी, अपनी माँ की तारिफ करो तो भी मार खाओ" सामने रखी प्लेट में से टोस्ट उठाते हुए बोला।
"हां समझ रही हुं तुझे, अच्छा बता क्या चाहिए तुझे, जो आज सुबह अपनी मॉम की इतनी तारफ करी रहा है "शिल्पा ​​ने हल्के से उसके कान खिचते हुए कहा।
"आ..हह .... माँ, ऐसा कुछ नहीं है, में तो सच में आपकी तारीफ कर रहा था।"
" अच्छा - अच्छा , चल नाश्ता खतम कर ले , फिर बता देना क्या चाहिए" शिल्पा ने मुस्कुराते हुए उसका कान छोड दिया।
"mom you're the best मेरे बिना कुछ कहे सारी बात समझ जाती हो।"इतना कहते हुए वो टोस्ट खाने लगा।
"हर्ष... तुम्हारा भाई कहां रह गया?" शिल्पा ने जैसे ही सवाल किया हर्ष ने टोस्ट खाना बंद कर दिया, "आ रहा होगा, मुझे क्या पता "थोड़े रूखे स्वर में उसने जवाब दिया।
"ये क्या बात हुई? श्रेयस बेटा जल्दी आओ नाश्ता ठंडा हो रहा है"
तेज़ आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा।



"आया माँ बस 2 मिनट"शिल्पा की आवाज सुनते ही जवाब दिया, फिर जल्दी जल्दी मिरर के सामने खड़ा हुए उसने अपने बाल ठीक करे, ड्रेसिंग टेबल पे रखे अपने ग्लासिस उठाये और उनको देखने के बाद अपनी किताबें समेटते हुए बैग में डालने लगा।
"ओहो क्या बात है!!...आज जनाब इतनी जल्दी उठ गए कॉलेज जाने के लिए" ध्रुव अपने कोट के बटन बंद करते हुए चेयर पे बैठा गया।
"गुड मॉर्निंग डैड" टोस्ट खाते हुए हर्ष ने जवाब दिया.... इतनी देर में शिल्पा ने ध्रुव का नाश्ता लगा दिया। शिल्पा की ओर देखते हुए ध्रुव ने कहा"शिल्पा, कितनी बार मन करा है तुम्हें,servents है ना घर में तो तुम क्यूं इतना काम करती हो।"


"हां मां, पापा सही कह रहे हैं, आपको इतना काम नहीं करना चाहिए"श्रेयस ने हॉल में आते हुए कहा।"गुड मॉर्निंग माँ, गुड मॉर्निंग पापा" कहते हुए अपनी माँ के पास गया और उनको चेयर पे बैठाते हुए कहा "आप यहां आराम से बेठो हम सब ब्रेकफास्ट कर लेंगे, आपको चिंता करने की जरुरत नहीं है"श्रेयस की बात सुनकर शिल्पा टेबल पर बैठ गई।
"हम्म, हमने कहा तो हमारी नहीं सुन्नी, बेटे ने कहा तो फोरन सुन ली"ध्रुव ने शिल्पा की तरफ़ देखते हुए कहा...
"हां....तो?"ध्रुव की ओर देखकर उसने थोड़ा मुंह फूलाते हुए कहा।श्रेयस उन दोनों को देखकर मुस्कुरा रहा था फिर दोनो की बेहस शुरू हो गई, सुबह सुबह मां पापा का यही प्यार देखने के लिए में उठता हुं, इसी वजह से में रोज़ नए दिन का इंतजार करता हूं।इन दोनों की यही प्यारी नोंक झोंक घर में रोनक रखती थी।


"गुड मॉर्निंग भाई...." मेने उसे greet किया, लेकिन रोज़ की तरह उसने कोई जवाब नहीं दिया, में उसे देखके मुस्कुरा पड़ा और अपना ब्रेकफास्ट करना लगा।
"अच्छा माँ, में कॉलेज चला" कहते हुए हर्ष उठा अपनी माँ को पीछे से गले लगाया और जाने लगा"बेटा आज तू टाइम पे जा रहा है तो बेटा श्रेयस को भी साथ ले जा" शिल्पा ने एक उम्मीद के साथ उसकी तरफ देखते हुए कहा...मां की बात सुन के श्रेयस खाना बंद कर दिया और यही सोचने लगा की माँ ने क्यूं ऐसा बोल दिया।


शिल्पा की बात सुन के हर्ष रुक गया, "पैर हैं उसके, खुद जा सकता है और वैसे भी मेने कोई ग्रामीण सेवा नहीं खोल रखी जो सबको लेके जाऊं "हर्ष ने बडे तीखे टोन में अपनी बात कही और जाने लगा, उसकी बात सुनकर शिल्पा ​​ने तो अपनी आँखें बंद कर ली और टेबल पे हाथ रख के बैठ गई,पर ध्रुव को गुस्सा आ गया..."हर्ष, ये क्या तरीका है बात करने का?"पर हर्ष ध्रुव की बात अनसुनी करते हुए जाने लगा। "रुको, मैंने कहा वहीं रुक जाओ" ध्रुव ने चिल्लाते हुए कहा, लेकिन हर्ष नहीं रुका और वो घर से निकला गया..."देख रही हो ना तुम इस लड़के को और फिर मुझे कहती हो की में क्यों डांटता रहता हुं इसे, असल में गलत तुम्हारी है, तुम्हारे लाड़ - प्यार ने बिगाड़ रखा है इसे, जो वो मांगता है तुम
उसे दे देती हो इसलिए उसका व्यवहार ऐसा हो गया है।"ध्रुव ने शिल्पा की तरफ़ देखकर गुस्से में कहा, लेकिन कुछ कुछ नहीं बोली बस वैसे ही बैठी रही।
"पापा ..." में इसके आगे कुछ कहता इस से पहले पापा उठ के वहां से चले गए, मेने सामने मां की तरह देखा, वो वैसे ही बैठी थी, मैंने अपना हाथ बड़ाया और उनके हाथ पे अपना हाथ रखा, "माँ"
मेरी आवाज सुन के उन्होनें आंखें खोली, उनकी आंखें नम थी, उन्हे इस तरफ देखकर में परेशान हो गया।


में आगे कुछ कहता उससे पहले ही वो वहां से उठकर चली गई, मेने एक गहरी सांस छोडी और कुछ देर वही बैठा रहा, "मेरे लिए शायद ये सबसे बड़ा दुख था की मेरी मां की आंखें नम थी, मैं
हमेश सिर्फ उन्हे खुश देखना चाहता हूं, लेकिन हर बार मेरी ही वजह से उनके चेहरे पे दुख आ जाता है। मुझे उन्होंने अपना बनाया, मेरी जिंदगी में मा बाप की कमी को पूरा किया और में" में बस इतना सोच ही रहा था की तभी मेरे कंधे पे प्यार से हाथ रखा , मेने अपनी नजर पिछे की तो मां खडी थी।जो मेरी तरफ देखते हुए मुसकुरा रही थी।
"आज फिर भूल गए" कहते हुए उन मेरा वॉलेट मेरी तरह बढ़ाया उन्हें देख मेरे चेहरे पर भी मुस्कान आ गई, में अपनी जगह से खड़ा हुआ"आप बस ऐसे ही रहा मुस्कुराते रहो, जब भी मैं आपको परेशान देखता हूं तो... "बस इतना ही कह पाया कि तभी मेरा गला भारी हो गया, उन्होंने मुझे गले लगाया और प्यार से मेरे सिर पर हाथ रखकर कहा "चलो जाओ नहीं तो देर हो जाएगी"मैं उनकी तरफ देखके हंस दिया और फिर कॉलेज के लिए निकल गया।शुरू हो गई एक नई शुरुआत, कहते हैं की प्यार जिंदगी बटोरता हैं और यही प्यार आगे जाकर कई लोगो के जीने की वजह और जिंदगी बन जाएगा।

To be continued......