Chorono Khajano - 6 in Gujarati Fiction Stories by Kamejaliya Dipak books and stories PDF | ચોરોનો ખજાનો - 6

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ચોરોનો ખજાનો - 6

ડાયરી વાંચતા વાંચતા હજી પણ સિરત ક્યારેક ત્રાંસી નજર ડેની તરફ નાખતી. દરેક વખતે ડેની તેની ઉપર નજર રાખીને જ બેઠો હોય. ના જાણે કેમ પણ હવે તે ડેની તરફ અજીબ રીતે ખેંચાઈ રહી હતી. ડેની પોતાની તરફ જ જોઈ રહ્યો છે એ જાણીને તે નીચું જોઈને કોઈ જુએ નહિ એ રીતે હસી લેતી. આ વખતે પોતાનું મન મક્કમ કરીને સિરતે ડાયરી વાંચવામાં જ ધ્યાન આપવાનું નક્કી કર્યું.

सभी दलपती एकसाथ मिलकर योजना सुन रहे थे और रुस्तम सबको अपनी योजना बता रहा था।

रुस्तम: इस वक्त पूरे देश में, स्वराज के लिए जो कैबिनेट मिशन आया हुआ है, उसकेलिए चर्चा सभाए शुरू हुई है। हम उसका पूरा फायदा उठाएंगे। हमारे लिए यह बहुत अच्छी बात है कि हम, यह जानते हैं कि वह लोग कहां और कब मिलने वाले हैं। इसीलिए हमारे पास इतना वक्त है कि हम सही योजना बना पाए।

हमारी योजना ऐसी होनी चाहिए जिससे हम अपने लोगो को बचाते हुए, जितनी हो सके उतनी जल्दी इस लड़ाई को जीत ले। लड़ाई जितनी लंबी चलेगी उतना ही ज्यादा नुकसान हमे भुगतना पड़ेगा।

भले ही हमारे पास लोगोकी तादात उनसे ज्यादा है लेकिन, हथियार के मामले में अभी हम उनसे कमजोर है। हमारे पास इस वक्त उनसे लड़ने केलिए तलवारे और तीरंदाज के तीर ही है जबकि उनके पास बंदूके और तोपे भी है जिनका सामना करना हमारे लिए बहुत मुश्किल होगा। इसलिए जितनी जल्दी हम ये लड़ाई खत्म करेंगे, हमारे लोग उतने कम शहीद होंगे।

योजना की तैयारी केलिए अभी हमारे पास लड़ाई के पहले तीन दिन है। जब ये लड़ाई होगी उससे पहले हमे उन चर्चसभाओ केलिए कुछ झंडे बनाने है।

भद्रा : तो क्या हम भी उन चर्चसभाओ में शामिल होने वाले है?

रुस्तम : नही सरदार, हम खुद हमारी अपनी चर्चासभा करने वाले है, ताकि हम पर कोई शक न करे। हम लोग एकसाथ तभी शांति से और बिना रोकटोक रास्ते पर घूम सकते है, अगर हम उन चर्चसभाओ का हिस्सा बन जाए।

भद्रा : बात तो तुम सही कह रहे हो लड़के, लेकिन हमे ऐसा करने की जरूरत ही क्या है? क्यों न हम सीधा उन पर धावा बोल दे जब वो लोग खजाना उन अंग्रेजो को सौंप रहे हो?

रुस्तम : ऐसा करना खतरे से खाली नहीं है सरदार। अगर उन्हें जरा सी भनक भी लग गई तो उनकी बंदूकों के आगे हमारी ये तलवारे टीक नही पाएगी। अगर हम सही योजना बना पाए तो हम जरूर जीतेंगे।

भद्रा : ठीक है। बताओ, क्या है तुम्हारी योजना।

रुस्तम : ठीक है, अब मेरी बात ध्यान से सुनिए। हमारी योजना के मुताबिक, चर्चासभा के बहाने, हाथो में झंडे लिए हम कुछ दलपति और उनके दलों को उस जगह से बहुत करीब भेज देंगे। वही से वो लोग उन पर नजर भी रखेंगे। जब वो लोग ये खजाना उन अंग्रेजो को दे रहे होंगे तब उन पर नजर रखना भी आवश्यक है।

तभी वहा मौजूद दस्तूर नाम का एक दलपति बिना पूरी बात समझे बिचमे बोल पड़ा।

दस्तूर : तुम सिर्फ उन लोगो पर नजर रखने केलिए इतने सारे लोगो को वहा भेजना चाहते हो? मेरे खयाल से उस केलिए सिर्फ दस या बारा लोगो से भी काम चल सकता है।

दस्तूर की बात सुनकर रुस्तम को समझ में नहीं आ रहा था की उसपे गुस्सा करे या हसे। फिर भी वो अपने मन पर नियंत्रण रख कर बोला।

रुस्तम : अरे गुरुजी आप पहले मेरी पूरी बात तो सुन लीजिए। (उसने थोड़ा जोर दे कर कहा।)

हमे किसी एक राजा का नही बल्कि सभी राजाओं का खजाना एकसाथ लूटना है, और ये तभी मुमकिन है जब सारा खजाना उन अंग्रेजो को मिल जाए। उसके बाद हम उन पर एक साथ हमला करेंगे। मैं खुद उन दलपतियों के साथ अपने सिपाही लेकर जाऊंगा।

हमला करने का सही वक्त हमे कब मिलेगा इस केलिए उनपर मैं खुद नजर रखूंगा। जब वे सारा सामान उन अंग्रेजो को सौंप दे उसके बाद मैं आप लोगो को इशारा कर दूंगा। उसी वक्त हम सब एक साथ मिलकर उन पर हमला करेंगे। मैं पीछे से दूसरे दलपतियो के साथ मिलकर हमला करूंगा।
और आप इस और से उन पर हमला करना। वो लोग बिचमे ही फंस जाएंगे। इस से पहले की वो ठीक से सम्हले हम उन्हे दबोच लेंगे।

हमे ध्यान सिर्फ इस बात का रखना है की हमला दोनो और से एक साथ ही होना चाहिए। ना कोई पहले हमला करेगा और न ही कोई देर से।

दस्तूर : और तुम हमे इशारा किस तरह करोगे?

रुस्तम: उस केलिए भी मैने सोच रखा है। हम जो ये झंडे बनाने वाले है उनको एक साथ मिलाकर हम आग लगा देंगे और उस आग का निकलता धुआं इतना बड़ा होगा की वो तुम्हे दुरसे ही दिखाई देगा। तुम्हे पता चल जाएगा कि अब हम तैयार है। तुम्हे पता चल जायेगा की लोहा गर्म है, तुम्हे हथौड़ा मारने की देर है। वही वक्त हमारे लिए सही होगा, जंग लड़ने का।

दस्तूर : ठीक है। ये बात मेरी समझ में आ गई लेकिन अगर तुम्हे चर्चासभा ही करनी है तो तुम हथियार कहा छुपाओगे और जरूरत पड़ने पर तुम्हे हथियार कहा से मिलेंगे?

रुस्तम : गुरुजी, उस केलिए ही तो मैंने ये झंडे हमारे अपने हाथो से बनाने की योजना बनाई है। हम ये झंडे कुछ इस तरह बनाएंगे जिसमे लाठी की जगह हमारी तलवारे इस्तेमाल की जाएंगी। और जब उन जंडो का कोई काम नही होगा तब हम एक साथ वे निकाल कर जलाएंगे। ऐसी है मेरी योजना।

और इस केलिए मुझे अपने साथ ढाई हजार जितने सैनिक चाहिए जो मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ सके। मेरे साथ इतने साथी काफी होंगे, उधर से उन लालची अंग्रेजो को दबोचने केलिए।

इतना बोलकर रुस्तम सबके सामने देखने लगा। उसे ये जानना था की उसकी ये योजना सबको पसंद आई की नही? अखिरमे उसने भद्रा की और देखा।

भद्रा : तो, कैसी लगी इस नौजवान की योजना?
और कौन कौन है जो अपने साथियों के समेत उसके साथ लड़कर इस जंग में हिस्सा लेना चाहते है?

हमारे सरदार ने जो सवाल किया था उससे कुछ पल केलिए तो सभी दलपती सोचमे पड़ गए थे। कुछ देर तक एकदम सन्नाटा रहा। फिर थोड़ी देर केलिए पूरे झुंडमे खुसफुसाने की आवाजे आने लगी। तभी अचानक ही भिड़मे से कोई तालिया बजाने लगा।

वो तालिया बजाने वाला कोई और नहीं बल्कि ये वही दलपती था जिसने थोड़ी देर पहले रुस्तम को अंडे वाला ताना सुनाया था। उसके पीछे सभी दलपतियों ने रुस्तम की योजना को तालियों से बढ़ावा दिया। सबके चेहरे पर इस योजना के अनुसार चलने की अनुमति देने वाली खुशी दिख रही थी।

सभी के दिलोमे इस वक्त खुशी की लहर दौड़ गई।सब के दिलो में रुस्तम केलिए सम्मान और बढ़ गया। सबसे पहले राठौर ने ही अपने आप को और अपने साथियों को रुस्तम का साथ देने का फैसला सुनाया। उसके साथ ही दूसरे दलपतियो ने भी रुस्तम के साथ जुड़ने में खुशी दिखाई। देखते ही देखते रुस्तम के साथ खड़ी सेना की संख्या ढाई हजार से भी ज्यादा हो गई।

अब भी शायद कुछ कहना बाकी रहा था इसलिए रुस्तम आगे बोलने लगा।

रुस्तम : अब इसके आगे क्या? सिर्फ जंग जितने तक की ही हमारे पास योजना होना काफी नही है। चलो मान लो की हम ये जंग जीत गए, उसके बाद क्या होगा?

सब लोग एकदम चुप थे। कोई कुछ नही समझ रहा था की जंग जितने के बाद जब हमारे पास ढेर सारा सोना, हीरे, मोती, जवाहरात होंगे उसे लेकर कहा जायेंगे? कहा छुपाएंगे? क्यों की जंग जितने के बाद हमारे पीछे सिर्फ अंग्रेज सरकार ही नहीं किंतु सभी राज्यों के राजाओं से भी हम दुश्मनी मोल लेंगे। उसके बाद तो कई राजाओं और अंग्रेजो सबकी सेना पड़ सकती है और हमे उन सबका सामना करना पड़ेगा।

अब रुस्तम आगे बोलने लगा।

रुस्तम : सरदार, हमारे पास जलंधर जहाज कितने है?

सरदार भद्रा जैसे सब समझ गया हो इस तरह खुशी से जैसे उछल पड़ा।

भद्रा : हमारे पास जलंधर जहाज अभी छे है। फिरभी तुम बताओ। तुम्हे कितने चाहिए? उसका इंतजाम मैं कर दूंगा।

रुस्तम : हमे उस वक्त कम से कम चार जहाज चाहिए होंगे।

भद्रा : (हंसते हुए) हो जायेगा। उसकी जिम्मेदारी मेरी।

सभी एकदम खुशी से नाच उठे।


પેલા જહાજ કેવા હશે?
ચોરો ખજાનો લઈને ક્યાં ગાયબ થઈ ગયા?
પેલા બીજા શેના હતા?
પેલો માસ્ક ધારી કોણ હતો?
શું તેમને નકશાના બધા ટુકડાઓ મળશે?
વાંચતા રહો..
ચોરનો ખજાનો

Dr Dipak Kamejaliya
'શિલ્પી'