The Hoodie Boy in Hindi Short Stories by Krishna Kaveri K.K. books and stories PDF | द हूडि बॉय

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द हूडि बॉय

द हूडि बॉय


रोज की तरह उस रात भी मैं अपने कोचिंग से घर वापस जा रही थी। वैसे तो उस गली में अंधेरा और सन्नाटा रहता ही है.. लेकिन उस रात का अंधेरा कुछ ज्यादा ही अंधकार भरा लग रहा था। मेरे कदम मुझे आगे ले जाना चाहते थे... लेकिन दिल बहुत घबरा रहा था। कुछ दूर चलने के बाद मैं रूक जाती और बार बार पीछे मुड़कर देखती कि कहीं कोई पीछे तो नहीं आ रहा है ना???


और इसी तरह डरते डरते मैं अपने घर के बाहरी गेट के बिल्कुल पास आ गई। मैं गेट खोलकर अंदर गई , फिर वापस गेट बंद करने लगी तो अचानक से मेरी नजर सामने पड़ी...!!! , मैं बिल्कुल घबरा गई.. क्योंकि ठीक मेरे बाहरी गेट के सामने एक लड़का खड़ा था!!! , वो मुझे गुस्से भरी आंखों से घूर रहा था। उसके माथे पे चोट थी , जिससे लगातार खून बह रहा था। उसने नेवी ब्लू कलर की हूडि पहन रखी थी।


पहले तो मैं उसे देखकर डर गई.. लेकिन फिर सोचा इसे इतनी ज्यादा चोट लगी है। रात का समय है पता नहीं इस वक्त कोई मेडिकल स्टोर या क्लिनिक खुली भी होगी कि नहीं? , यहां आस पास कोई हॉस्पिटल भी तो नहीं है!!! , क्या मुझे इसकी हेल्प करनी चाहिए? , हो सकता है ज्यादा अंधेरे की वजह से ये अपने घर का रास्ता भटक गया हो? इसलिए गलती से मेरे घर के सामने आ गया हो? , यही सोच कर एक बार फिर अपने कदम घर से बाहर निकाल लिए...!!!


वो लगातार मुझे घूरे जा रहा था , मैं भी थोड़ा झिझकते हुए उसके पास पहुंच गई , वो अभी भी मुझे घूरे ही जा रहा था।


मैंने कहा,,,,, तुम इतनी रात को इस सुनसान सड़क पर क्या कर रहे हो? , ये चोट तुम्हें कैसे लगी? , देखो रात बहुत ज्यादा हो गई है.. इसलिए आस पास की कोई क्लिनिक भी खुली नहीं होगी , ना ही कोई मेडिकल स्टोर खुला होगा और हॉस्पिटल यहां से बहुत ज्यादा दूर है , देखो मैं तुम्हें डरा नहीं रही हूँ.. लेकिन यही सच है , हां... लेकिन अगर तुम चाहो मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हूँ.. मेरे घर में फर्स्ट ऐड किट है.. मेरे घर चलो.. मैं तुम्हारी ड्रेसिंग कर दूंगी।

मैंने इतना कुछ कह दिया था... लेकिन वो हूडि वाला लड़का अभी तक बस मुझे घूरे ही जा रहा था। उसकी इस हरकत से मुझे बहुत गुस्सा आने लगा , मैं चिल्ला कर कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी राइमा ने मुझे आवाज लगाई,,,,, रिया.. रिया.. रिया... इतनी देर से वहां बहार क्या कर रही है? , मौसम खराब होने वाला है! , ऊपर देख! , पूरा का पूरा आसमान लाल नजर आ रहा है!! , ऐसा लगता है बहुत बड़ा तूफान आने वाला है!!!


पहले ही मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था , ऊपर से इस राइमा की बच्ची ने दिमाग और भी ज्यादा गर्म कर दिया , गुस्से में बड़बड़ाते हुए , मैंने जैसे ही सामने देखा...!!! , मुझे अपने आंखों पर यकीन नहीं आ रहा था! , वो हूडि वाला लड़का वहां से गायब हो चुका था! , मेरी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था! , मैं पागलों की तरह इधर उधर उसे ढूंढ़े जा रही थी।


मैं उसे ढूंढ़ने में ही लगी थी कि तभी राइमा चिल्लाते हुए मेरे पास आकर बोली,,,,, कानों में तेल डाल रखा है क्या? , कब से आवाज लगा रही हूँ.. कुछ सुनाई नहीं देता है क्या?


राइमा की चुभती हुई कर्कश आवाज सुनकर मेरा ध्यान टूट गया।


राइमा! तूने देखा वो लड़का कहां गया? , मैंने हैरानी से राइमा से पूछा?


कौन सा लड़का? , तेरा दिमाग तो ठीक है ना? , यहां कोई लड़का बड़का नहीं है समझी.. वैसी भी इतनी रात को कौन सा लड़का आ जाएगा यहां पर? , सारा दिन डेटिंग एप पर चैटिंग करते करते तेरा तो दिमाग खराब होता जा रहा है! , जहां देखो वहां बस लड़का ही दिखता है तुझे!! , अब जल्दी से अंदर चल.. भूख लग रही है , रात के 9 बजने वाले है , सोना नहीं है क्या? , तुझे याद है ना अर्ली मॉर्निंग मॉम एंड डैड आने वाले है... अगर नाईट में जल्दी से नहीं सोएंगे तो मॉर्निंग में उठने में लेट हो जाएंगे और फिर से मॉम एंड डैड की डांट खानी पड़ेगी , राइमा ने अपना लम्बा चौरा स्पीच दे दिया था… इसलिए उसकी नॉनस्टॉप बक बक से बचने के लिए , मैंने भी उससे बहस करना ठीक नहीं समझा और बिना कुछ बोले घर के अंदर आ गई। खाना खाकर हम दोनों अपने अपने कमरे में बेड पर सोने चले गए।


मुझे लेट नाईट सोने की आदत थी.. इसलिए मैंने रोज की तरह अपने लेपटॉप में डेटिंग चैटिंग एप ओपन किया.. लेकिन पता नहीं क्यों? , आज कुछ मजा ही नहीं आ रहा था! , बार बार बस उस हूडि वाले लड़के का ही ख्याल आ रहा था.. तभी अचानक से खिड़कियों के पर्दे तेजी के साथ हवा में लहराने लगे , पहले तो मैंने इग्नोर कर दिया.. लेकिन जब हवा बहुत ज्यादा तेज हो गई और दीवारों पर लगे कैलेंडर , पोस्टर और पिन अप बोर्ड में लगे मेरे इम्पोर्टेन्ट नोट भी हवा के साथ इधर उधर उड़कर बिखरने लगे तो ना चाहते हुए भी मुझे बेड से उठने का फैसला लेना पड़ा। मैंने लेपटॉप का मॉनिटर नीचे कीबोर्ड की तरफ फोल्ड कर के रख दिया।


मैं बेड से उठकर सीधे खिड़कियों के पास गई और जल्दी जल्दी में उन्हें बन्द करने लगी.. तभी अचानक से मेरी नजर खिड़की के नीचे सड़क पर गई.. मैं घबराकर नीचे बेड के पास ही गिर गई। नीचे सड़क पर वहीं हूडि वाला लड़का खड़ा था और मुझे घूरे जा रहा था।


मैं बहुत डर गई.. मेरी सांसे तेज हो गई थी और दिल की धड़कने भी बहुत ज्यादा तेज होने लगी थी। बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को संभाला और वहां से उठने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मेरे हाथ पैर हिल नहीं रहे थे.. जैसे कि किसी ने उन्हें फ्रिज कर दिया हो.. मैं ईश्वर से प्रार्थना करने लगी.. क्योंकि मैं समझ चुकी थी कि शायद जो हूडि बॉय मुझे बार बार दिख रहा है , वो कोई जिंदा इंसान तो नहीं हो सकता? , ये जरूर कोई घोस्ट ही है.. लेकिन मुझे ये समझ में नहीं आ रहा कि ये जो भी है घोस्ट या आत्मा आखिर मेरे पीछे ही क्यों पड़ा हुआ है? , मैंने इसका क्या बिगाड़ा है?


कुछ मिनटों बाद मैंने खुद को संभालते हुए समझाया कि शायद वो मेरा वहम हो! , मेरी आंखों का धोखा हो! , बस यही सोचकर मैं एक बार फिर से उठी और हिम्मत जुटाते हुए दुवारा से उन खिड़कियों के पास जाने लगी.. मैं खिड़कियों के पास पहुंची ही थी कि तभी मुझे ऐसा महसूस हुआ कि कोई मेरे पीछे खड़ा है! क्योंकि खिड़कियों में लगे सफेद पर्दों में एक काली परछाई जैसी कोई चीज आ जा रही थी।


मैं बहुत डर गई और आंखे बंद करते हुए पीछे मुड़ी , डरते डरते धीरे से आंखे खोली तो पीछे कोई नहीं था , मैंने चैन की एक गहरी सांस भरी , फिर आगे देखा तो जो नजरा था , वो मुझे हार्ट अटैक देने के लिए काफी था।


वो हूडि बॉय उन खिड़कियों के सामने हवा में खड़ा था , गुस्से भरी नजरों से मुझे घूरे जा रहा था। उसे इस तरह हवा में झूलता देख , ये बात तो तय हो गई थी कि वो इंसान नहीं घोस्ट है।


मेरे पैर अपनी जगह पर जाम हो चुके थे। कमरे में अचानक से बहुत ज्यादा ठंडक आ गई थी। मेरे हाथ पैर फ्रिज से हो गए थे। गला सूखकर बैठ गया था , बहुत कोशिश करने पर भी गले से कोई आवाज नहीं निकल रही थी , ऐसा लग रहा था कि शायद मेरी बोलने की क्षमता चली गई है। पलकों पर जैसे ठंडी सी बर्फ पड़ गई हो , जिससे आंखे झपक नहीं रही थी।


मैं बहुत ज्यादा डरी हुई थी... लेकिन अंदर से खुद को मजबूत कर लिया था कि अब जो भी होगा देखा जाएगा। मेरे पास कोई दूसरा ऑप्शन भी तो नहीं था।


वो हूडि बॉय मेरी ओर बढ़ने लगा.. उसका शरीर खिड़कियों में लगे जालीदार लोहे की डिजाइनर सलाखों को पार कर गया.. देखते देखते वो बिल्कुल मेरे पास आ गया.. उसकी गुस्से भरी आंखे मेरी आंखों में देख रही थी।


ना चाहते हुए भी मेरी आंखें उसकी आंखों में देखे जा रही थी... क्योंकि मेरी पलके ठंडी होकर जम चुकी थी।


ठंडक इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मुझे अपने आस पास की कोई भी चीज महसूस ही नहीं हो रही थी।


मेरे बेहद करीब आकर उस हूडि बॉय ने अपने सिर से हूडि को हटाया तो सामने जो मंजर था , वो डर की पराकाष्ठा को वयां करने वाला था। उसके सिर का ऊपरी हिस्सा बुरी तरह से कुचला हुआ था.. जिसमें से मांस के लोथले लटक रहे थे और लगातार खून का रिसाव हो रहा था।


बस देख के ही डर गई!!! , सोचो जिसके साथ ये सब असलियत में हुआ होगा? , उसकी क्या हालत हुई होगी??? , "दुनिया में हर कोई अच्छा नहीं होता.. चाहे वो कोई इंसान हो... या फिर कोई आत्मा.." , आज "दो बजकर तीन मिनट" पर जो हुआ!! , कोशिश करना वो दुवारा कभी ना हो... "क्योंकि..... इससे पहले कहीं मेरी बातें शायद.... याद रखने लायक हो..." , बोलकर वो हूडि बॉय वहां से गायब हो गया। उसके वहां से जाते ही सब कुछ फिर से ऐसे नॉर्मल हो गया कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो..!!


उसकी बातें सुनकर मैं एकदम सदमें में थी.. आज दो बजकर तीन मिनट पर जो हुआ , वो घटना बिल्कुल मेरे आंखों के सामने चलने लगी... कॉलेज से छुटते ही रोज की तरह कोचिंग जाने के लिए मैंने अपना सड़क मार्ग बदल लिया... क्योंकि वो रास्ता ज्यादा भीड़ भाड़ भरा नहीं रहता था.. इसलिए मैं अख्सर उसी रास्ते से मोबाइल में चैटिंग करते हुए जाती थी। पैदल चलकर कॉलेज से कोचिंग की दूरी मात्र दस से पन्द्रह मिनट ही थी... यही वजह थी कि मैं पैदल चलते हुए , मोबाइल में चैटिंग करते हुए , कोचिंग जाना पसंद करती थी.. क्योंकि इससे चैटिंग की चैटिंग हो जाती थी और कोचिंग जाने का ये टाइम भी बिना किसी बोरियत के अच्छे से कट जाता था , जिससे मुझे अपना एक्स्ट्रा टाइम भी वेस्ट नहीं करना पड़ता था।


मुझे याद है आज जब मैं मोबाइल में चैटिंग करते हुए कॉलेज से कोचिंग जा रही थी तो एक कार की ब्रेक लगाने की आवाज आई थी... लेकिन जब मैंने चौंक कर सामने देखा तो वहां कोई नहीं था..!! , एक मिनट... नहीं नहीं नहीं... ऐसा नहीं हो सकता है..?? क्या जैसा मैं सोच रही हूँ!! बिल्कुल वैसा ही हुआ होगा..?? , अगर सच में ऐसा हुआ है तो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है... उस हूडि वाले लड़के की जान मेरे कारण गई है!!!


मैं अपने मोबाइल में चैटिंग करने में इतनी ज्यादा बिजी थी कि चलते समय एक वार भी सामने नहीं देखा... लेकिन उस लड़के ने मुझे सामने से आते देख लिया होगा..!! और अचानक से कार का ब्रेक लगाकर कार को दूसरे रास्ते में मोड़ने की कोशिश की होगी.. लेकिन अचानक से कार का ब्रेक लगाकर ऐसा करने के चक्कर में उसकी कार सड़क से स्पिलिट होकर नीचे खाड़ी में गिर गई होगी..!!


समाप्त.....


Thanks for Reading.....

Written and Copyrighted by @Krishna Singh Kaveri "KK"