Neemrana Fort in Hindi Classic Stories by Gurpreet Singh HR02 books and stories PDF | नीमराना किला

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नीमराना किला

नीमराना किला भारत उन प्राचीनतम किलो में शामिल हैं जिसे अब होटलो के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं। नीमराना एक ऐतिहासिक फोर्ट के साथ-साथ खूबसूरत फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। जिस कारण यहाँ पर्यटको का आवाजाही लगा रहता हैं।

इस किले पर बहुत पुराने समय में पृथ्वीराज चौहान के वंश के राजा महाराजा शासन करते थे। उन्होंने बहुत सालों तक इसी किले पर निवास किया था। नीमराना किला दिखने में काफी भव्य प्रतीत होता है। नीमराना किला जब बनवाया गया उस वक्त इसमें कुल 11 मंजिले बनवाई गयी थी।
इस 10 मंजिले महल पर कुल 50 कमरे रिसोर्ट में हैं। यह तीन एकड़ में अरावली पहाड़ी को काट कर बनाया गया है। यही कारण है कि इस महल में नीचे से ऊपर जाना किसी पहाड़ी पर चढ़ने का अहसास कराता है। नीमराना की भीतरी साज-सज्जा में काफी छाप अंग्रेजों के दौर की भी देखी जा सकती है।नीमराना किला काफी पुराना और प्रसिद्ध किला है। इस किले के नाम के पीछे एक रोचक कथा हैं। बहुत साल पहले इस जगह पर ‘निमोला में’ नाम का शासक हुआ करता था। उसकी इच्छा थी की इस किले को उसका नाम दिया जाए। इसीलिए उस इन्सान के नाम के ऊपर से ही इस किले को’ नीमराना किला’ नाम दिया गया।

पृथ्वीराज चौहान की 1192 में मुहम्मद गौरी के साथ जंग में मौत हो गई थी। इसके बाद चौहान वंश के राजा राजदेव ने नीमराना चुना लेकिन यहां का निर्माता निमोला बहादुर शासक था। चौहानों से जंग में हारने के बाद निमोला ने अनुरोध किया कि उस जगह को उसके नाम से रख दिया जाए, तभी से इसे नीमराना कहा जाने लगा।

इसे पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने अपनी राजधानी के रूप में चुना था। सन 1464 में निर्माण किये गए किले को पृथ्वीराज चौहान 3 के उत्तराधिकारी राजधानी के रूप में इस्तेमाल करते थे। लेकिन जब भारत में अंग्रेज का शासन था तो चौहान शासको की ताकत कम पड़ गयी थी लेकिन उन्होंने कभी भी अंग्रेजो के सामने हार नहीं मानी थी
1947 में राजा राजिंदर सिंह ने नीमराना किले को छोड़ दिया और विजयबाग को एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने का सोचा था। कहा जाता हैं राजा राजिंदर सिंह इस किले को बेचना चाहते थे। 1986 में इस किले दोबारा मरम्मत कराई गयी। सन 1991 में इस किले को आम लोगो को देखने के लिए खोला गया, लेकिन यहां सिर्फ 15 कमरों में लोगो को रहने के लिए इजाजत दी गयी।

इस किले को कई पुरूस्कार के लिए भी नामित किया जा चूका हैं। जिसमे ‘इन्ताच सत्ते’ और आगा खान पुरूस्कार शामिल हैं। 2008 तक यह किला एक महल का रूप ले चूका था और इसमें 72 कमरे भी बनवाये गए थे, कई सारे हैंगिंग गार्डन्स, रेस्टोरेंट और काफी बड़े बड़े तालाब भी इसमें बनवाये थे। एक समय में यह किला पूरी तरह से खंडहर बन चूका था लेकिन अब यह किला एक भव्य और सुन्दर महल का रूप ले चूका है।
ऊंची पहाड़ी पर स्थित नीमराना किला-हवेली के आस-पास सौंदर्य का आलीशान दृष्टिकोण इस स्थान को ओर भी आकर्षक बना देता है। दस मंजिलों पर कुल 50 कमरे इस रिसोर्ट में हैं। ऊँचे पहाड़ पर बने होने के कारण ज्यादातर कमरों की बालकनी से आसपास की भव्यता का पूरा आनंद उठा सकते है। यहां तक की इस किले के बाथरूम से भी आपको हरे-भरे नजारे देखने को आसानी से मिल जायेंगे।

इसे 1986 में हेरिटेज रिजॉर्ट के रूप में तब्दील कर दिया गया। यहां नजारा महल और दरबार महल में कॉन्फ्रेंस हाल है। पैलेस में बदले इस किले में कई रेस्त्रां बने हैं। इस पैलेस में ओपन स्विमिंग पूल भी बना है। नाश्ते के लिए राजमहल व हवामहल तो खाने के लिए आमखास, पांच महल, अमलतास, अरण्य महल, होली कुंड व महा बुर्ज बने हुए हैं। इस किले की बनावट ऐसी है कि हर कदम पर शाही ठाठ का अहसास होता है।

इस फोर्ट के निर्माण में मुगलकालीन और राजंपूताना वास्तुकला शैली का मिश्रण साफ़ दिखाई पड़ता है। इसके अलावा महेल की भीतरी साज-सज्जा में अंग्रेजों के दौर की छवि भी देखी जा सकती है। वर्तमान समय यह पैलेस एक प्रमुख विरासत स्थल बन चुका है और शादियों व सम्मेलनों के लिए एक उचित स्थान है।