ek insaan aisa bhi in Hindi Classic Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | एक इंसान ऐसा भी

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एक इंसान ऐसा भी

यहा कहानी है 2001 की और इस कहानी मे जो होगा वो चलो खुद जान्ने की कोशिश करते है.

क्या पिछ्ले जन्म की यादे इस जन्म मे सब याद रह सकता है. क्या पिछ्ले जन्म मे जो लोग हमे मिले थे क्या वो फिर से इस जन्म मे मिल सकते है. चलो जानते है.

अजित एक नींद से उठा. लेकिन उस नींद मे उससे वही सब नज़र आ रहा था जो की. उसके पिछ्ले जन्म मे सब हो चका था वही लोग वही चेहरे वही जगह. लेकिन अजित को कुच समझ नही आ रहा था की वो क्या करे. ये बात वो कीसि को बता भी तो नही सकता था. की मुझे मेरे पिछ्ले जन्म की सब यादे वापस दिख रही है. अजित ने अपने दोस्त रोनक से बताना जरुरी समझा. फैश्ला किया की वो अब ये बात जरुर बतायेगा. और निकल गया अपने दोस्त को ढूंड ने के लिए.

" फाइनली वो अपने दोस्त के पास पहुच गया. और बताया की मुझे ऐसा ऐसा होता है. अजित के दोस्त रोनक ने कहा की. . .

" अच्छा ऐसा है मतलब तुम्हे वो सब दिखाया जाता है. जो तुम्हारे पिछ्ले जन्म मे. तुम्हारे साथ हो चुका है. फहाहाहा. सच मे ऐसा होता है क्या. अरे ऐसा कुच नही होता है यार तुम्हे कोई सपना आया होगा. अजित ने कहा की. . .

" इस लिए मे नही बता रहा था पता था मेरि बात पर कोई भरोसा नही करेगा. लेकिन सोचा था की काश तुम भरोसा कर पाते. रोनक ने कहा की. . .

" तो फिर वो लोग कहा है. वो जगह कहा है. वो सारी चीजे कहा है. जो तुम्हारे साथ हुए है. कुच ऐसा बताओ की मे थोडा सा भी तुम्हारी बात पर थोडा सा भरोसा करू. अजित ने कहा ठीक है मे साबित करूंगा और तुम्हे अपनी बात पर भरोसा करने पर मजबुर कर दूंगा देखना. रोनक ने कहा. . .

" ठीक है इन्तज़ार रहेगा दोस्त लेकिन जल्दी करना ठीक है कही ऐसा ना हो मेरे पास तुम्हारे प्रती समय रहे भरोसे लायक. ठीक है. अजित ने कहा. . .

" मे बहुत जल्द ये कर के दिखाऊँगा तुम निचिन्त रहो ठीक है. रोनक ये कहते हुए चल पडा अपने वजुद को ढूंड ने. और आगे आते ही उसको वही शक्स मिला जो की रोनक के पिछ्ले जन्म का कोई सबंधी था. बिल्कुल वही शकल ना कोई फेर ना कोई फार. रोनक तुरंत गया उस इन्सान के पास. और बोला की. . .

" अरे भाई साहब आपको मे जानता हू. उस व्यक्ति ने कहा. . .

" आप मुझे कैसे जानते है. हम तो पेहली बार मिल रहे है. अजित ने कहा. . .

" हम पिछ्ले जन्म मे मिले थे. तुम मेरि मौसी के लडके थे. और तुम्हारा नाम जीतू है. उस व्यक्ति ने कहा. . .

" आप पागल तो नही हो गये हो ना. नाही मे कोई आपका रिश्तेदार हू. और नाही मे कोई जीतू वितू हू. क्या कुच भी बकक रहे हो. मेरा नाम है रणजीत सिंह. अजित ने कहा. . .

" मुझे पता है की तुमको हम पर यकीन नाही आयेगा. लेकिन मुझ पर यकीन करो मे सच बोल रहा हू. .

" ना जाने कैसे अचानक से तेज़ हवा आई. और फिर अजित गिरने वाला तो पल ज़ब्काये अजित ने रणजीत का हाथ पकड़ लिया. और हाथ पकड़ ते ही रणजीत को अजित की जो अंगूठी थी वो रणजीत को दिख गई. उसे देख कर रणजीत बोला की. . .

" अरे ये अंगूठी तुम्हारे पास कैसे. ये अंगूठी तो एक दिन मेरे सपने मे आई थी. सपने मे एक आदमी ने बिल्कुल ही ऐसी अंगूठी पहन रखी थी. मे उस आदमी का चेहरा नाही देख पाया उस ने काफ बांध रखा था. अजित ने कहा. . .

" हा तो अब तो तुम मान्ते हो ना की मे सच कह रहा हू. मुझे भी ये सब दिखाया जाता है. मे बताने के लिए बहुत उत्सुक रह्ता हू. लेकिन क्या करू कोई भरोसा नही करता. मुझ पर मे अपने दोस्त को भी बता चुका हू लेकिन उसने भी मजाक उडा दिया मेरा. रणजीत ने कहा. . .

" नही भाई ऐसा नही है लेकिन मेने तो सिर्फ ऐसी बाते ही सुनी है. ऐसे कुच ही लोग रहते है जिनका पुनर्जन्म होता है. लेकिन आज ये सच मे देखने को मिलेगा ये पता नही था. अजित ने कहा. . .

" मतलब अब तो तुम्हे भरोसा आगया ना. तो चलो अब मेरे दोस्त को जाकर बताते है. की मे झूठ नही बोल रहा हू. रणजीत ने कहा. . .

" ठीक है चलो. वो दोनो तुरंत रोनक के पास जाते है. और रोनक से ये बात करते है की. . .

" देख भाई अब मे उस व्यक्ति को लाया हू. जोकी मेरे पिछ्ले जन्म का हिस्सा है. मतलब की मेरा रिश्तेदार है. रोनक एक दम शौक गया और बोला की. . .

" अरे वाह भाई ये तो कमाल हो गया यार मतलब मेरे सामने एक अलग ही सीन हो रहा था और उससे मेने नकार दिया. माफ करना यर दोस्त दरअसल आज कल झूठी बाते बहुत फलती है. ना तो आपको तो पता है कितना कांड मच जाता है. रणजीत ने कहा. . .

" जी आपकी बात सही है. पहले तो मुझे भी कुच समझ नही आ रहा था लेकिन बाद मे इनकी अंगूठी नज़र आ गई. तब जाकर मुझे भरोसा हुआ इन पर. हा की सच है. ये बात. रोनक ने कहा. . .

" यार मान गया दोस्त तुझे. तुमने जो बोला था वो कर के दिखाया. ग्रेट इ लाइक इट. .

हर इन्सान मे एक जैसी करने रीत नही होती हर इन्सान का वजुद अलग अलग है. पिछ्ले जन्म का सच जान्ने का मौका सिर्फ उन्ही लोगो को पता रह्ता है. जो उस पिछ्ले जन्म से सबंधीत हो. तो चलो आज की ये एक चोटी सी जो कहानी है. वो यही पे समाप्त होती है.