Ek Bevkuf - 13 in Hindi Detective stories by Priyansu Jain books and stories PDF | एक बेवकूफ - 13

Featured Books
  • જીવન પથ - ભાગ 33

    જીવન પથ-રાકેશ ઠક્કરભાગ-૩૩        ‘જીતવાથી તમે સારી વ્યક્તિ ન...

  • MH 370 - 19

    19. કો પાયલોટની કાયમી ઉડાનહવે રાત પડી ચૂકી હતી. તેઓ ચાંદની ર...

  • સ્નેહ સંબંધ - 6

    આગળ ના ભાગ માં આપણે જોયુ કે...સાગર અને  વિરેન બંન્ને શ્રેયા,...

  • હું અને મારા અહસાસ - 129

    ઝાકળ મેં જીવનના વૃક્ષને આશાના ઝાકળથી શણગાર્યું છે. મેં મારા...

  • મારી કવિતા ની સફર - 3

    મારી કવિતા ની સફર 1. અમદાવાદ પ્લેન દુર્ઘટનામાં મૃત આત્માઓ મા...

Categories
Share

एक बेवकूफ - 13

विक्रम-" मतलब मैं सही था, कुछ तो है जो तुम्हें मालूम पड़ चूका है और तुमने मुझे अभी तक नहीं बताया।"

अभिमन्यु(लम्बी सांस छोड़ते हुए) -" हाँ दोस्त, एक लड़का था जो काफी छोटी उम्र से ही इंटेलिजेंस में था।काफी तेज बंदा था। उसकी खासियत ये थी कि वो किसी को भनक भी न लगने देता और काम हो जाता था जबकि वो खुद काम बहुत कम ही किया करता था। वो किसी ऐसे व्यक्ति को अपना हथियार बनाता जो कि एकदम निर्दोष हो और उसे कुछ पता भी न चले। धीरे-धीरे उसे बड़े काम दिए जाने लगे और वो अपनी मासूम शक्ल का फायदा उठा कर वो कर दिया करता था। भले ही किसी खतरनाक टेररिस्ट को मारना हो या किसी खतरनाक जगह से कोई सबूत या इनफार्मेशन लाना हो वो आसानी से कर दिया करता था। इस केस में भी मेजर का जैसे इस्तेमाल किया गया है और मेजर के अनुसार लड़कियां मारी जा चुकी होने के बावजूद लाशों का पता न चलना, उसके काम करने के तरीके को दर्शा रहा है।"

विक्रम-" तो फिर देर क्यों कर रहे हो दोस्त?? इस केस में जितने भी इन्वॉल्व है उन सब को बुला लेता हूँ, तुम पहचान लो कि वो कौन है? पहले ही बता देते ये बात; भले ही इंटेलिजेंस वाला ही क्यों न हो कानून से खिलवाड़ करने का हक तो किसी को नहीं है।"

अभिमन्यु-" रुको दोस्त, इतने उतावले न बनो. वो कौन है, कैसा
दीखता है, कहाँ रहता है ये मुझे भी नहीं मालूम. क्यूंकि उसका कोई रिकॉर्ड ऑफिसियल नहीं है और डाटा अनुसार तो वो कब का नक्सलियों से संघर्ष में मारा जा चूका है।"

विक्रम (चौंकते हुए)-" क्या!!!!! ऐसा कैसे हो सकता है!!!
फिर उसके जैसा तरीका कौन इस्तेमाल कर रहा है?? फिर तो हम वहीं के वहीं रह गए। इस इनफार्मेशन का फायदा क्या हुआ??"

अभिमन्यु-" दोस्त तुम बहुत उतावले हो रहे हो। मैंनें ये कहा कि डाटा अनुसार वो मर गया है, ये नहीं कहा की वो मर ही गया है। मैंने इसीलिए कहा था कि कोई फायदा न होगा क्यूंकि वो सामने से भी निकल जायेगा तो भी हमें पता भी न चलेगा। पर फिर भी तुमने मेरा मानस बना दिया है।अब हम कोशिश जरूर करेंगे अब या तो वो नहीं या हम नहीं।"

विक्रम(व्यंग्य से) -" वाह दोस्त , क्या तोड़ा है, क्या उखाड़ा है. हम क्यों न रहेंगे?? हम दो है, उसकी तो बीन बजा ही देंगे। अब इमोशनल डायलॉग छोड़ो और काम पे लगो। अब बताओ शुरुआत कहाँ से करें??"


अभिषेक -" एक काम करते हैं, तुम्हारा आईडिया ही अपनाते हैं। पहले जितने भी लोग इस केस से सम्बंधित है उनको एक-एक करके बुलाओ। पर ध्यान रखना सब को बयान के बहाने से बुलाना।"

फिर शुरू हुई एक- एक को बुलाकर पूछताछ करने की कवायद। चूंकि म्यूजिक टीचर तो पहले से ही फरार था और बाकी लोगों के बयान लगभग एक जैसे ही थे तो ज्यादा कुछ हुआ ही नहीं। दोनों कुछ निराश होने लगे थे।

वो लड़का जिसे विक्रम ने पहले फेंटा हुआ था, जिसकी फ्रेंड (नूतन) शरुआत में गायब हुई थी, उसके आते ही विक्रम ने(अभिषेक को सम्बोधित करते हुए कहा) कहा " इनसे मिलिए , ये हैं वो महान हस्ती जिन्होंनें सारे शहर को उसका काम सीखाने का ठेका ले रखा है (फिर उस लड़के को) आइये बैठिये, थोड़ी फॉर्मेलिटी करनी है।"

ऐसा कहकर विक्रम ने उस लड़के के आगे कुछ पेपर्स रख दिए और बयान लिखने के लिए कहा। अभिषेक जस लड़के को देख रहा था। उसने देखा था कि उस लड़के के चेहरे पर बहुत दयनीय भाव थे जैसे वो बेचारा बहुत दुखी था। परन्तु अभिमन्यु की तेज नजरों से ये छुपा न रहा कि इसके एक्सप्रेशन तो सही है, पर इसकी आँखें तो अलग ही कहानी बयां कर रही है। फिर कुछ ऐसा नजर आया उसे कि उसकी आँखें चौड़ी हो गयी। कुछ न कुछ तो था उस लड़के में जो अलग था। उस लड़के ने भी सीधा अभिमन्यु कीआँखों में देखा। अभिमन्यु को ऐसा लगा कि जैसे वो व्यंग्य से मुस्कुरा रहा है पर असलियत में ऐसा था नहीं। उसके चेहरे पर अभी भी मासूम सा मातम था। अभिमन्यु के दिमाग में कुछ खटक रहा था जो उसे बहुत बैचैन किये जा रहा था। वो लड़का( प्रियांशु) और अभिमन्यु एक दूसरे को नज़रों से तौल रहे थे.

To be continue......