Sapne - 9 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-9)

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सपने - (भाग-9)

सपने......(भाग-9)
 
आस्था के एडमिशन और हॉस्टल की बाकी सब फॉर्मेलिटिज पूरी करके, उसे हॉस्टल में रहने के लिए जरूरी सामान खरीदवा कर तीसरे दिन निखिल और अनिता जी वापिस चले गए....ढेर सारी हिदायतों के साथ.......एक कमरे को 3 लड़कियों ने शेयर करना है तो आस्था ने उन तीनों लड़कियों से दोस्ती करने की कोशिश पहले दिन से ही शुरू कर दी।
एक नयी जगह पर आ कर रहना, अनजान लोगो के बीच में रहना आसान किसी के लिए भी नहीं होता....पर शायद वहाँ आने वाले सब इस बात से वाकिफ थे, तभी आपस में जल्दी ही घुलमिल गए। अलग अलग राज्यों से आया युवा लड़के लड़कियाँ, सब का ही एक मकसद था, अपने सपने पूरे करने का........! श्रीकांत ने उसे एक दो बार फोन किया था......मिलने के लिए पर आस्था पहले ठीक से माहौल में खुद को एडजस्ट करने की कोशिश में थी तो उसने फिर कभी मिलने के लिए कह दिया.....! घर पर रोज बात हो रही थी.....धीरे धीरे रेगुलर वर्कशॉप और पढाई होने लगी तो आस्था बिजी होती चली गयी। उधर आदित्य भी काफी महीनों से घर नहीं गया और अपने एक दोस्त की इंवेट मैनेजमेंट कंपनी थी तो उसकी हेल्प करने लगा और वो खूब एंजाय कर रहा था काम को.....अपने सुंदर नगर वाले आलीशन फ्लैट में वो अकेला ही रहता था। पूरा दिन दोस्तों और काम में लगा रहता तो घर तभी आता जब उसे नींद आने लगती। आदित्य जैसे अमीर लड़के की कई गर्लफ्रैंडस बनना एक आम बात है....
पर आदित्य को ये सब टाइम पास ही लगता है, दिल किसी से अब तक ऐसी लड़की से मिला ही नहीं था। आदित्य को भी ये बात अच्छे ढंग से पता है कि लड़कियाँ उसको नहीं उसके पैसों को पसंद करती हैं.....कुछ दिन मौज मस्ती फिर रास्ते अलग अलग। आजकल उसकी एक नयी गर्लफ्रेंड बनी है जिसका नाम "सोनिका" है.....लड़कियों का उसके फ्लैट पर आना और राते बिताना आम बात है.......आस्था को 3 महीने हो गए थे दिल्ली में आए तो एक संडे को उसने श्रीकांत को कनॉटप्लेस मिलने के लिए बुलाया....उसकी एक रूम मेट अपने किसी रिलेटिव्स के घर जा रही थी तो उसने C.P जाने का रास्ता पूछ लिया। श्रीकांत ने उसे कैफे कॉफी डे में मिलने को कहा ठीक 12:30 बजे तो वो तैयार हो कर सही टाइम पर पहुँच गयी। उधर आदित्य भी अपनी गर्लफ्रैंड सोनिका से मिलने आया था.....सोनिका का घर कुछ ही दूर था, वहाँ से तो आदित्य डायरेक्ट C.P ही आ गया। कैफे कॉफी डे में उस संडे को भी काफी भीड़ थी, पर एक आखिरी टेबल खाली होने ही वाली थी। आस्था नेे5-10मिनट इंतजार किया और टेबल खाली होते ही बैठ गयी। वैसे तो C.P संडे को बंद होता है तो आदित्य ने सोचा था कि सब जगह सुनसान होगा पर वो गलत था। उसने सोनिका को फोन किया तो वो बोली कि उसके घर अचानक गेस्ट आ गए हैं, तो वो थोड़ी देर में आती है......कहाँ जाए सोच ही रहा था कि सामने कैफे कॉफी डे दिखा तो वो वहीं चला गया। सुबह ठीक से कुछ खाया नहीं तो भूख भी लग रही थी.....। अंदर नजर दौडायी तो एक टेबल पर अकेली लड़की को देख कर वहीं चला गया। स्मार्ट और हैंडसम जैसी Qualities और ऊपर से अमीर भी तो एक अपना ही Swag होता है...."Exuse me miss, can i sit here"? आस्था जो अपने फोन में खोयी थी, उसने आँखे ऊपर करके देखा तो एक हैंडसम लड़का बैठने के लिए पूछ रहा था, "yeah please"!
आदित्य को बैठने के लिए बोल कर वो फिर फोन में मस्त हो गयी, ये आदित्य के लिए अजीब था......क्योंकि ऐसा कभी हुआ नहीं कि लड़की ने उसे नजरअंदाज कर दिया....इसलिए वो दोबारा बोला, "Hi, I am Aaditya khanna"... आस्था की तरफ उसने मुस्कुराते हुए कहा," Hello, I Am Aastha saxena, Actually I am waitig for my friend." आदित्य वैसे भी अकेला महसूस कर रहा था तो उसने आस्था से बात करना आगे बढ़ाते हुए बोला," मैं भी एक फ्रैंड का वेट कर रहा हूँ, मुझे भूख लगी तो यहाँ आ गया"....! आस्था को भी उसकी बात सुन कर भूख लग गयी।अपना आर्डर बोलने के लिए उठने लगी तो आदित्य ने उसे रोक लिया। मैं बोल देता हूँ? आस्था को भी अनजान जगह पर थोड़ा अजीब लग रहा था तो आदित्य ने बोला तो उसने उसकी बात मान ली। आदित्य आर्डर बोल कर आ गया और बैठते हुए बोला, " आप कहाँ रहती हैं"? " "जी मैं National school f drama की स्टूडैंट हूँ, हॉस्टल में रहती हूँ। वैसे मैं इलाहाबाद से हूँ"! आस्था ने भी अपने बारे में बता दिया। आर्डर रेडी हुआ तो वेटर उनके पास ले कर आ गया। श्रीकांत का फोन आया तो उसने सॉरी बोला लेट होने के लिए, वो कुछ देर में पहुँच कर लेट होने की वजह बताएगा। आस्था और आदित्य अपने अपने बारे में बता रहे थे, स्कूल और कॉलेज वगैरह। कब आप से तुम पर आ गए बातों ही बातों में खुद उनको ही नहीं पता चला। दोनो अपने अपने दोस्तों का इंतजार करते करते आपस में ही दोस्त बन गए। श्रीकांत भी तब तक पहुँच गया, उसने बताया कि उसके दोस्त का एक्सीडेंट हो गया था तो वो उसे पहले हॉस्पिटल ले गया था सो लेट हो गया। आदित्य ने श्रीकांत से भी खूब बातें की और दोनो खूब जोक्स सुना कर हँस रहे थे और आस्था को भी हँसा रहे थे, तब तक सोनिका भी आ गयी। एक बार फिर जान पहचान का दौर चला आपस में......फिर आदित्य ने ही कहा "चलो चारों लंच करने चलते हैं"।आस्था ने सोनिका की तरफ देखा, जो शायद अकेले टाइम बिताने आयी थी आदित्य के साथ, इसलिए उसने कहा, "आदित्य आप लोग अपनी डेट एंजाय कीजिए, हम क्यों बने कबाब में हड्डी? क्यों श्रीकांत" ? "अरे ऐसा कुछ नहीं है आस्था, चलो चारो चलते हैं आदि", सोनिका ने कहा तो आदित्य ने आस्था और श्रीकांत को बोला "अब चलो"!शाम को 6 बज गए थे, आस्था को वापिस जाना था। सब मिल कर आदित्य की गाड़ी में पहले आस्था को छोड़ कर आए, फिर श्रीकांत को। उन दोनो को छोड़ने से पहले आदित्य ने दोनो के नं ले लिए, और अगले संडे फिर मिलने का वादा लिया। सोनिका देख रही थी कि इतने दिनों से वो आदित्य के साथ है, पर उसने इस तरह उससे कभी बात नहीं की। कितना खुश दिखाई दे रहा था वो आज मिडिल क्लॉस फैमिलिज से आए नए दोस्तों के साथ!! उन को ड्रॉप करके वो दोनो आदित्य के फ्लैट पर आ गए। सभी सुख सुविधाओ से सजा हुआ 3 Bhk..... रास्ते से डिनर पैक करा कर ले आए...फ्रेश हो कर पहले बीयर पी दोनो ने जम कर और उसके बाद थोड़ा बहुत खाना खाया.......आदित्य ने और सोनिका दोनो में खो गए....शायद प्यार का असर था या बीयर का....या फिर कुछ और ???
क्रमश: