Gora aur Kaala in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | गोरा और काला

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गोरा और काला

 


                                              कहानी  - गोरा और काला 

 

“ बेटे अब तो तेरी नौकरी भी लग गयी है और कम्पनी ने तुम्हें अच्छा फ्लैट भी दिया है  . तुम शहर में अकेले रह रहे हो और होटलों का खाना पीना तुम्हारे  स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है  . अब जल्द ही शादी कर ले  . “  सरला ने अपने बेटे अतुल से कहा 


“ हाँ मम्मी  , शादी तो कर लूँगा पर अभी कोई ढंग की लड़की मेरी नजर में नहीं है  . “ 


“ पर मेरी नजर में है  . “ 


“ कौन है वह लड़की ? जरा मैं भी जानूँ  . “ 


“ मेरी सहेली और स्कूल क्लासमेट  सीमा की बेटी रीता  . हालांकि रीता को मैंने जब देखा था वह छः साल की थी  .  रंग जरा सांवला होते हुए भी बहुत सुंदर और तीखे नाकनक्श वाली लड़की थी  . उस समय तुम सात साल के थे  . उसके बाद से माँ बेटी किसी से मुलाक़ात तो नहीं हुई पर सीमा और मैं  हर दस पंद्रह दिनों पर फोन से बात कर लेते हैं  . हमने उसे बात बात में कई बार कहा भी था  कि एक दिन तेरी बेटी मेरी बहू बनेगी और हम दोनों सखी समधन  . “ 


“ वो तो  ठीक है मम्मी  पर इस बीच करीब दो दशक बीत गए हैं . अब वो कैसी है और उसकी क्या सोच है वह सब मैटर करता है . हम दोनों का ताल मेल कितना बैठेगा सब देख कर ही फैसला लेना होगा . और अंतिम फैसला मेरा होगा “  अतुल बोला 


 सरला ने कहा “ हाँ , क्यों नहीं . अगले सप्ताह दोनों माँ बेटी यहाँ आ रही हैं . रीता की मौसी यहीं रहती है , उसी की बेटी की शादी है . कम से कम एक  सप्ताह  यहाँ रहेगी . उसी बीच हमलोग उस से मिल लेंगे और तुम भी रीता को देख परख लेना . फिर जैसा तुम कहोगे वैसा ही होगा . “ 


सरला और सीमा दोनों बचपन की सहेलियां थीं .  स्कूल की पढ़ाई के बाद ही दोनों की शादी हो गयी . उस के बाद दुर्भाग्यवश और इत्तफाक से कुछ वर्ष पूर्व एक दोनों के पतियों का निधन कुछ ही महीनों के अंतराल में हो गया था . सरला का बेटा इंजीनियरिंग कर दिल्ली की मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत था जबकि सीमा की बेटी ग्रेजुएशन के बाद इंदौर के किसी बैंक में काम करती थी . 


कुछ ही दिनों के बाद अतुल अपनी माँ के साथ रीता से मिलने गया  . सीमा और  रीता एक होटल में ठहरीं थीं  . औपचारिक बातचीत के बाद सीमा ने अपनी सहेली सरला से कहा “ इन दोनों बच्चों को कुछ देर आपस में बात करने दो , चलो हमलोग थोड़ा बाहर टहल कर आते हैं  . उसके बाद हमलोग डिनर लेंगे , डिनर यहीं कमरे में सर्व करने के लिए मैंने कहा है  .  “ 


दोनों सखियाँ उन्हें कमरे में छोड़ कर बाहर आ गयीं  . करीब दो घंटे बाद सरला ने बेटे को फोन किया “ मुझे लगता है तुम दोनों की बातें हो गयी होंगी  . अगर और समय चाहिए तो बोलो हमलोग देर से लौटेंगे  . “ 


“ नो , मम्मी  . आपलोग आ  जाओ  . “  अतुल बोला 


सरला और सीमा दोनों वापस आयीं  . सरला ने महसूस किया  कि दोनों गंभीर थे , रीता या अतुल किसी के चेहरे पर तनिक भी मुस्कान नहीं थी  . “ 


डिनर के बाद सीमा ने पूछा “ तब अतुल , मेरी बेटी कैसी लगी ? हमलोग आगे रिश्ते की बात करें ? “ 


बेटे को खामोश देख कर सरला बोली “ हाँ , बेटे  . जो भी हो साफ़ साफ़ बता दो  . “ 


“ मम्मी , इतनी जल्दी क्या है ? घर चल कर बाकी बातें करते हैं  . “ 


घर पहुँचने पर जब सरला ने बेटे से पूछा “ अब बता , तुझे रीता पसंद है या नहीं ? “ 


“ मम्मी , मुझे अभी शादी नहीं करनी है  . “ 


“ शादी नहीं करनी थी तब तुम लड़की देखने क्यों गए ? अगर तुम्हें रीता पसंद है पर शादी के लिए तुम्हें सिर्फ कुछ और समय चाहिए तो ठीक है  . मैं सीमा से बोल दूँगी और वह भी मान जाएगी  . जो भी हो  तुम साफ साफ़ बता दो  . लड़की वालों को अँधेरे में नहीं रखना चाहिए  . तुम्हें रीता पसंद है या नहीं इतना तो बताना होगा  . वैसे भी कोई तुम्हें फोर्स  नहीं करने जा रहा है  . “ 


बेटे को चुप देख कर सरला फिर बोली “ मुझे सीमा को कल जवाब देना होगा  . तुम्हारी ख़ामोशी से मुझे परेशानी हो रही है  . “ 


“ तो सुनो  , मुझे रीता पसंद नहीं है  . “ 


“ क्या इसकी एक खास वजह मैं जान सकती हूँ  . “ 


“ मम्मी , तुमने कहा था कि रंग जरा सांवला है  . पर वह सिर्फ सांवली नहीं बल्कि काली है  . “ 


“ ओ , तो तुम्हें रंग की फ़िक्र है     .  रंग तो भगवन की देन  है सिर्फ सूरत नहीं सीरत भी देखनी चाहिए  . और इस मामले में रीता में कोई कमी नहीं है  . एनीवे , तो मैं कल सीमा को क्या जवाब दूँ ? “ 


“ मैं भी सांवला हूँ इसीलिए तो गोरी लड़की चाहता हूँ ताकि हमारी संतान के गोरे  होने की संभावना  होगी  . “


“ एक बार फिर ठीक से सोच कर बोलो  . “ 


“ मम्मी मैंने बता तो दिया अब और क्या मुंह में उँगली  डाल कर बोलवाना चाहती हो  . “ 


“ ठीक है  . “ 


अगले दिन जब सीमा ने फोन कर पूछा तब सरला ने कहा “ आई ऍम सॉरी सीमु पर  …. “    सरला प्यार से अपनी सखी को सीमु कहती थी 


“ इट्स ओके सरला , इसके आगे कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है  . आजकल के बच्चे शादी अपनी मर्जी से ही करना चाहते हैं  . मैं इस बात का बुरा नहीं मानती हूँ  . “  सीमा ने बीच में बात काट कर कहा 


“ पर सीमु मैं शर्मिंदगी महसूस कर रही हूँ  . और इस बात से हमारी दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए  . “ 


“ हमारी दोस्ती बनी रहेगी , मेरा वादा है  . वैसे भी रीता ने मुझे बता दिया था कि अतुल के एटीच्यूड से उसे इसी  फैसले का अनुमान  था  . ठीक है आज रात हमलोग लौट रहे हैं  . फिर बातें होंगी  . “ 


 रीता को अतुल द्वारा रिजेक्ट किये जाने पर सीमा को मन ही मन दुःख तो जरूर हुआ  पर उसने इस बात का असर सरला से दोस्ती पर नहीं पड़ने दिया   . इस घटना के कुछ महीने बाद रीता का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया और सीमा बेटी के साथ चली गयी  . कुछ दिनों तक सरला और सीमा का सम्पर्क फोन पर बना रहा फिर यह बहुत  कम हो  गया और देखते देखते वह भी बंद हो गया  . इत्तफ़ाक़ से रीता की शादी जिस  लड़के से हुई वह लड़का गोरा था पर रीता से जूनियर था हालांकि इस बात से रीता या उसकी माँ को कोई आपत्ति  नहीं थी  . 


इधर कुछ समय के बाद अतुल की भी शादी हो गयी  . उसने एक सुंदर गोरी टीचर लड़की अर्चना से शादी की   .  कालांतर में रीता को एक पुत्र हुआ और उसके कुछ महीनों बाद अतुल को एक बेटी हुई   . भगवान् की लीला और संयोग देखिये , रीता का बेटा रंगरूप में अपने पिता पर गया  . उसका नाम रमेश था  . दूसरी तरफ अतुल की बेटी उषा सांवली  और  साधारण नाकनक्श वाली थी  . 


समय के साथ रीता  का बेटा रमेश और अतुल की बेटी उषा दोनों बड़े होते गए  . दुर्भाग्यवश  रमेश जब दस साल का था उसके पिता का निधन हो गया  . माँ और नानी ने मिलकर उसका पालनपोषण किया  . रमेश और उषा दोनों  पढ़ाई लिखाई में अच्छे थे  . लगभग 25 वर्षों के बाद  रमेश और उषा दोनों ने चेन्नई की एक कम्पनी में नौकरी ज्वाइन की  . संयोगवश दोनों एक ही प्रोजेक्ट पर  काम कर रहे थे और दोनों को  एक साल के लिए कम्पनी ने  अमेरिका भेजा  . इसी दौरान दोनों एक दूसरे के काफी निकट आये और दोनों में प्यार हुआ  . वे एक दूसरे को प्यार  करते थे पर  रमेश और उषा दोनों ने कभी मर्यादा की सीमा नहीं तोड़ी थी  . हाँ दोनों ने वादा किया  था कि भारत लौटने के बाद अपनी माताओं को अपने प्रेम के बारे में बता देंगे और शादी की इच्छा जाहिर करेंगे  . दोनों को उम्मीद थी कि उनकी माताओं को एतराज नहीं होगा  . तब तक उन्हें जरा भी पता नहीं था कि उनकी दादी - नानी कभी बचपन की सहेलियां थीं  . 


रमेश और उषा दोनों अमेरिका से लौट कर भारत आये  . कुछ दिनों के बाद रमेश की  माँ रीता ने  कहा “ बेटे अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए  . तेरी नानी  भी यही चाहती हैं  . “ 


रमेश की नानी  सीमा भी वहीँ थी , उसने भी कहा “ हाँ बेटे , मेरे जीते  जी तू शादी कर ले ताकि मैं चैन से मर सकूँ  . “ 


“ नानी  , आप ऐसा न बोलें , अभी आपको  काफी दिनों तक जिन्दा रहना है  . नानी  और मम्मी आप दोनों सुनें , मैं बहुत दिनों से अपने मन की बात आपलोगों से कहना चाहता था  . आज बात चली है तो बता देता हूँ  . “ 


सीमा और रीता दोनों ने एक साथ कहा “ हाँ जल्दी बता  . “ 


“ अमेरिका में मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है  . . “ 


“ अरे , कहीं तुझे अमेरिकन गोरी लड़की तो नहीं भा गयी है “ रीता ने पूछा 


“ नहीं मम्मी , वह इंडियन ही है , पर गोरी नहीं है  . वह उषा है जो मेरी कम्पनी में ही काम करती है  और  हम दोनों आपस में प्यार करने लगे  हैं  . “ 


नानी  ने कहा “ बेटे गोरी और काली कोई मायने नहीं रखता है  .  उसके गुण और संस्कार अच्छे होने चाहिए  . “ 


रीता ने फिर पूछा “ तुम दोनों ने सिर्फ प्यार ही किया है न या लिव इन में भी रहे थे  ? “


“ मम्मी , आपको अपने बेटे पर भरोसा नहीं है ? और  अगर मैं चाहता भी तो उषा ऐसी वैसी लड़की नहीं है जो इसके लिए मान  जाती  . “


“ ठीक है , अगर तुझे उषा पसंद है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है  . “  और फिर माँ से भी पूछा “ क्यों मम्मी रमेश  की पसंद तुम्हें मंजूर है  ? “ 


“ हाँ नानी  , आपको अगर पसंद है तभी  .....” 


“ बेटे , तेरी पसंद ही हमारी पसंद है  . अब शादी में देर नहीं करनी है  . सीमा तुम जल्द ही रमेश से उषा के घर वालों का पता ले कर शादी का मुहूर्त निकलवाओ  .अगले संडे चल कर रोका कर लेते हैं  .  “ 


उषा के घर रमेश ने फोन कर अपने घरवालों का फैसला बता दिया  . उषा ने भी अपने माता पिता  और दादा दादी सभी को रमेश से अपने प्यार की बात पहले ही बता दिया था  . संडे को रमेश अपनी मम्मी और नानी के साथ उषा के घर पहुँचा  . सभी ने एक दूसरे का अभिनंदन किया  .  


एक तरफ के सोफे पर उषा अपने  पिता अतुल और माँ अर्चना के साथ बैठी थी  . सामने वाले सोफे पर रमेश अपनी माँ और नानी के साथ बैठा था  . इधर अतुल कभी रीता तो कभी सीमा को एकटक  देख रहा था पर जब रीता ने उसकी ओर देखा तब उसने नजरें झुका ली   . अतुल ने दाढ़ी बढ़ा रखी थी इसलिए रीता या सीमा उसे पहचान नहीं सकीं थी  पर अतुल ने पहचान लिया था  . तभी सीमा की नजर टेबल पर लगी  एक तस्वीर पर गयी  . वह एक फैमिली फोटो थी  जिसमें अतुल अपनी  पत्नी अर्चना ,  बेटी उषा और एक औरत के साथ था   . सीमा उठ कर फोटो के पास गयी और उसने  औरत की तरफ ऊँगली दिखाते हुए पूछा “ यह सरला है क्या ? “ 


“ हाँ , यह मेरी मम्मी है और आप सीमा आंटी हैं न ? मैंने  तो शुरू में ही  आपको पहचान लिया था पर आप शायद मेरी दाढ़ी के चलते नहीं पहचान पायीं  . “  अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए अतुल ने कहा 


“ सरला कहाँ है आजकल ? “ 


“ यहीं घर में हमारे साथ ही पर वह दो  साल से बिस्तर पर पड़ी हैं   . उन्हें  लकवा मार गया है   . “ 


“ चलो पहले मुझे उस से मिलवाओ तब शादी की बात बाद में करेंगे  . “


अतुल सीमा से मिलने के बाद मन ही मन  चिंतित हुआ क्योंकि उसे भय था कि उसने रीता को सांवले रंग के कारण  रिजेक्ट कर दिया था  . और आज शायद इतिहास दोहराने जा रहा हो क्योंकि उसकी बेटी का रंग भी सांवला था जबकि रीता का बेटा गोरा  .  यही बात उसने अपनी पत्नी अर्चना को भी धीरे से कान में कह दिया जिसे सुन कर वह भी घबराई  . 


सरला और सीमा दोनों एक दूसरे को कुछ देर देखने लगीं  . वर्षों बाद दोनों मिलने पर भी  दोनों को एक दूसरे को पहचानने में कोई कठिनाई नहीं हुई  . सरला की आँखों में आँसू छलक आये थे , वह लड़खड़ाती जबान से बोली “ इतने दिनों बाद आयी , कैसी हो ? “ 


“ मैं तो ठीक हूँ पर तुम्हें इस हाल में देख कर दुःख हुआ  . “ 


“ नियति को कौन टाल सकता है  .  तो तुम मेरी पोती के रिश्ते के लिए आयी हो ? “ 


तब तक बाकी सब  लोग भी वहीँ आ गए  . सरला ने आगे कहा “ उषा को तुम देख ही रही हो  . रमेश को मैं भी देख रही हूँ  .अतुल ने तुम्हारी बेटी को रिजेक्ट कर दिया था  .  मैं किस मुँह से तुम्हें उषा के लिए कुछ कह सकती हूँ  . सच ही कहा गया है कि इतिहास स्वयं को दोहराता है  . आगे  तुमलोग जो ठीक समझो  . “ 


सीमा ने अपनी सखी  का हाथ पकड़ कर कहा   “ सरला , मैं समझ सकती हूँ इसमें तुम्हारी कोई गलती  नहीं थी   . तुम क्यों ऐसा सोच रही हो  . इस बार इतिहास नहीं दोहराया जायेगा  . तुम्हारे बेटे  को मेरी बेटी पसंद नहीं थी पर रीता के बेटे को तुम्हारी पोती  पसंद है और दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं  . फिर हमलोग कबाब में क्यों हड्डी बनें ? हमलोग तो अपनी अपनी संतान की पसंद को मानते हैं  . और इसी में बच्चो की ख़ुशी भी है  . आखिर हमारे देश में सभी लड़कियाँ गोरी ही हों , ऐसा असम्भव है  . तब क्या हमारी सांवली या काली लड़कियाँ बिन ब्याहे रहेंगी  . खैर छोड़ो उन बातों को ,  हमलोगों को उषा पसंद है और हम उसके रोका की रस्म की तैयारी कर के आये हैं  . तुम बस बच्चों को आशीर्वाद दो  .  “ 


फिर रीता ने अपने बेटे रमेश से कहा “ बेटे दादी का आशीर्वाद लो   . “  फिर अर्चना और अतुल से कहा “ चलो अब हमलोग रोका की  रस्म पूरी  करें  . “  

 

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समाप्त