रात बारह बजे का वक्त.....
आलू प्रसाद जी के फोन की घंटी बजती है...
उन्होंने फोन उठाया और बात करने के बाद उनके चेहरे का रंग उड़ गया, उन्होंने उसी समय अपनी लालटेन उठाई और घर से बाहर जाने लगें.....
तभी मलाई देवी बोलीं....
सुनिए जी! कहां जाइएगा इतनी रात को....
आते हैं ना!हमारी चिंता नहीं ना कीजिएगा,आलू प्रसाद जी बोले....
इसी तरह आलू जी अपनी लालटेन लेकर उस स्थान पर पहुंचे जहां उन्हें बुलाया गया था।
रात का समय ,ऊपर से अंधेरा लेकिन शुक्र था कि उनकी लालटेन टिमटिमा रही थी।।
तभी उस स्थान पर एक हाथी चिघाड़ते हुए आया आलू जी बहुत डर गए, लेकिन जब हाथी नजदीक आया तो उन्होंने देखा कि उस पर छायावती जी सवार थी, उन्हें देखकर उनकी जान में जान ,छायावती हाथी से उतरीं और उन्होंने एक पेपर निकाला जिस पर कुछ संवाद लिखे थे क्योंकि वो बिना पढ़े तो कुछ बोल नहीं पातीं, उन्होंने आलू जी से बात करनी शुरू की,अब दो लोग हो गए थे तो डर भी कुछ कम था,
तभी आलू जी ने ऊपर की ऊपर देखा तो नेजरीवाल जी अपनी झाड़ू को रोकेट बनाकर हवा में उड़ते हुए आए और खांसते हुए जमीन पर लैंड भी हो गए, उतरकर उन्होंने अपना मफलर बांधा और वो भी उनसे बतियाने लगे।
कुछ देर बाद वहां मिथिलेश माधव जी भी अपनी साइकिल पर सवार होकर आ पहुंचे और नेजरीवाल जी बोले....
मैं जानता हूं, मैं समझता हूं, मैं बोलता हूं कि तनिक आप इस जगह को अपनी झाड़ू से बुहार देते तो मैं अपनी साइकिल खड़ी कर देता...
नेजरीवाल जी खांसते हुए बोले....
मेरी तबियत खराब है जी!!
फिर माधव जी कुछ ना बोले...
कुछ ही देर में वहां एक बड़ी सी कार आकर खड़ी हुई और उसमें से मोनिया आंधी और आउल आंधी उतरे, उन्हें देखकर सब भौंचक्के रह गए....
तभी मिथिलेश माधव जी ने आउल आंधी से पूछा....
मैं जानता हूं, मैं समझता हूं, मैं बोलता हूं,आप और यहां!क्या आपको भी कोई फोन आया था...?
तब आउल जी बोले....
हां! मैं ने रात को गिलास भर दूध पिया और जैसे ही सोया था तो मुर्गे भौंकने लगें,मेरी अचानक नींद खुली....
तभी मोनिया जी बोली....
पुत्तू बेटा,मुर्गे भौंकते नहीं है।।
हां, मां !याद आया कुत्ते कुकडू कू बोलते हैं,आउल जी बोले..
नहीं बेटा!मोनिया बोलीं।।
ओ बुड़बक! ई सब छोड़ो,ई बाद में देख लेंगे कि कौन भौंकता है, पहिले ई बताओ यहां किसलिए बुलाया गया है।।
तभी समता जी भी व्हीलचेयर पर आ टपकीं और बोलीं....
हम भी जानना चाहते थे....
तभी माहौल में एक आवाज गूंजी...
भाइयों और बहनों! मैं जानता हूं सबके मन की बात...
वो आवाज़ गोंदीं जी की थी, उन्हें देखकर सबने नमस्कार किया।।
तभी एक शख्स चीखते चिल्लाते हुए प्रकट हुआ....
पूछता है भारत आप लोगों को यहां क्यों बुलाया गया है?
और वो थे सरनव शोरस्वामी....
उन्होंने कहा कि मेरा माइक,मेरा मुंह और मैं ही बताऊंगा कि आप लोगों को क्यों बुलाया गया है....
सबने ऊत्सुक होकर पूछा....
आखिर क्यों बुलाया गया है हमें?
तब सरनव जी बोले.....
आज मातृभारती बहन ने सबको यहाँ बुुलाया है उन्होंने मुझसे कहा कि ये संदेश मैं आप सब तक पहुंचा दूं।।
ये सुनकर सब शांत हो गए क्योंकि मातृभारती बहन की बात भला कौन टाल सकता था?
समाप्त....
सरोज वर्मा...