Nafrat se bandha hua pyaar - 31 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 31

Featured Books
  • અસવાર - ભાગ 3

    ભાગ ૩: પીંજરામાં પૂરો સિંહસમય: મે, ૨૦૦૦ (અકસ્માતના એક વર્ષ પ...

  • NICE TO MEET YOU - 6

    NICE TO MEET YOU                                 પ્રકરણ - 6 ...

  • ગદરો

    અંતરની ઓથથી...​ગામડું એટલે માત્ર ધૂળિયા રસ્તા, લીલાં ખેતર કે...

  • અલખની ડાયરીનું રહસ્ય - ભાગ 16

    અલખની ડાયરીનું રહસ્ય-રાકેશ ઠક્કરપ્રકરણ ૧૬          માયાવતીના...

  • લાગણીનો સેતુ - 5

    રાત્રે ઘરે આવીને, તે ફરી તેના મૌન ફ્લેટમાં એકલો હતો. જૂની યા...

Categories
Share

नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 31

रायडू अभी भी कोमा में ही था। उसे होटल रूम में मिले हुए तकरीबन दो महीने हो चुके थे। देव निराशा से बहुत चिड़चिड़ा गया था की सारी जानकारी रायडू के दिमाग में है। अगर उसे जल्दी होश नही आया तोह कितना लंबा इंतजार देव को करना पड़ेगा और अगर कहीं वोह होश में आने से पहले ही मर गया तोह कभी भी देव उस मंदिर हत्याकांड के बारे में नही जान पाएगा। हालांकि, रायडू को बचाने के लिए सिंघमस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अलग अलग डॉक्टरों को दिखाने के बाद, सभी का एक ही जवाब था की रायडू पूरी तरीके से ठीक हो रहा।

"क्या डॉक्टर मान गए?" देव ने शहर से वापिस सिंघमस मेंशन आते हुए, रास्ते में गाड़ी चलाते हुए, अभय से पूछा।

"यिआह! मैं पहले फ्लाइट से जा रहा हूं डॉक्टर से मिलने हॉस्पिटल में और फिर शाम तक वापिस आ जाऊंगा।" अभय की आवाज़ देव के कार के स्पीकर से आ रही थी।

"तुम्हे हर बार डॉक्टर से मिलने जाने की जरूरत नहीं है, अभय। इन सब के लिए मैं भी जा सकता हूं। अनिका को इस वक्त तुम्हारी जरूरत होगी।"

"मैं जानता हूं। पर तुम्हारे पास भी तोह कम काम नही है। तुम भी तोह बिजनेस और इन्वेस्टिगेशन में बिज़ी हो और साथ ही तुम्हारी कई और जिमेदारिया भी है। बल्कि मुझे अनिका ने ही कहा था की मैं खुद जा कर डॉक्टर से बात करूं। अनिका भी उतनी ही बेकरार है रायडू को होश में लाने के लिए जितने की हम।"

देव जनता था की अनिका लगभग छह महीने की प्रेगनेंट है पर फिर भी वोह कभी कभी अभय के साथ अलग डॉक्टर से मिलने जाति है, इन्वेस्टीगेटर से मिलने जाति है प्रोग्रेस जानने के लिए। जो पिछली रात उसकी अनिका से जो बात हुई थी, वोह बात अभी भी देव को परेशान कर रही थी।

"अभय, कल रात को, अनिका मुझे बता रही थी की उसको लगता है की रायडू या तोह नीलांबरी के के कहने पर सब कुछ कर रहा था या फिर और कोई है जो नीलांबरी के साथ मिला हुआ जो रायडू से सब करवा रहा है।"

"हां! उसने मुझसे भी पहले यह कहा था।" अभय ने जवाब दिया।

"हम दोनो ही एक जैसा सोचते हैं। रायडू जरूर किसी के ऑर्डर्स फॉलो कर रहा है। लेकिन मुझे नही लगता की वोह नीलांबरी प्रजापति के ऑर्डर्स फॉलो कर रहा है। क्योंकि उस हत्याकांड के वक्त झगड़ा पहले ही शुरू हो चुका था। सिंघम्स और प्रजापति दोनो ही एक दूसरे से नफरत करते थे।"

"हम्मम! देखा जाए तोह यह बात कहना मुश्किल है की रायडू वफादार नही है और उसके पास ऐसी कोई वजह भी नही है की वोह नीलांबरी प्रजापति के ऑर्डर्स फॉलो करे। पर हम ऐसे ही सिर्फ अंदाजा नहीं लगा सकते। जब तक रायडू को होश नही आ जाता, हम सच्चाई का पता नही लगा सकते।"


देव अभय की फ्रस्ट्रेशन समझ सकता था। लगभग चार महीने हो चुके थे जब अभय ने रायडू को सैन फ्रांसिस्को में पहली बार देखा था। दूसरो की नज़र में यह ज्यादा वक्त नहीं हुआ था लेकिन जिन परिस्तियों के साथ वोह दोनो गुजरे थे, जो जो उन्होंने किया था रायडू को पकड़ने में, जितनी मेहनत उन्होंने की थी, अब वोह थक चुके थे....अब बस जल्द से जल्द सच्चाई तक पहुंचना चाहते थे।

"क्या उस आदमी के बारे में कुछ नही पता चला, जिसने रायडू पर गोली चलाई थी?" अभय ने पूछा।

"नही। पुलिस अभी भी पता लगाने की कोशिश कर रही है। और हमारे इन्वेस्टीगेटर भी साथ ही उसके बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।"
देव उसे सारी डिटेल्स बता रहा था जो भी इन दिनों इन्वेस्टिगेट हुआ लेकिन वोह सब इन्फॉर्मेशन कुछ खास काम की नही थी। जब उसने कॉल कट करी, उसके बाद उसने थकान से एक लंबी सांस ली। वोह बस उस रास्ते पर आने वाला था जो रास्ता सिंघम मैंशन की तरफ जाता था, पर उसने गाड़ी धीमी करी और गाड़ी दूसरी तरफ मोड़ ली।

वोह जनता था की उसे किस चीज़ की जरूरत है जो उसे सब भुला दे और उसके दिमाग को शांति दिला दे।

वोही एक जगह जहां वोह दो महीने से ज्यादा दिन से जा रहा था।

उस रास्ते की तरफ मुड़ने के बाद, उसने अपना फोन निकाल और किसीको मैसेज टाइप कर सैंड कर दिया। सिर्फ एक ही शब्द,
"कॉटेज"


*******
"बोलो तुम मेरी हो!" देव ने भुनभूनते हुए कहा। वोह अपना बैक धीरे धीरे हिला रहा था।

"नही।" सबिता ने देव के नीचे लेटे हुए ही कहा। सबिता के नेल्स देव के कंधे पर गड़े हुए थे और उसकी ऐड़ी देव के बैक पर। वोह उसे कस कर पकड़े हुई थी।
"तुम बार बार गधे की तरह एक ही बात बोलते रहते हो।" सबिता ने फुसफुसाते हुए कहा।

"तोह फिर कह दो ना जो में सुनना चाहता हूं! कह दो तुम मेरी हो!" देव ने गरजते हुए कहा। फिर एक हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर छा गई। "गधा? तुम मुझे बाद के लिए आइडियाज दे रही हो," उसने हंसी उड़ाते हुए कहा।

देव ने देखा सबिता का चहरा मदहोशी में डूबा हुआ था और दांत आपस में पिसे हुए थे।

"शट अप। एंड मूव फास्टर!" सबिता ने देव को जकड़ते हुए कहा। उसका चेहरा पूरा वासना और बेकरारी में डूबा हुआ था जैसे देव का था।

देव कराह उठा और लगभग अपना नियंत्रण खो दिया। अपने दांत को पिस्ते हुए उसने अपने आप पर नियंत्रण रखने की कोशिश की और सबिता की बात नही मानी। पता नही क्यों लेकिन वोह बार उससे बस एक ही बात कहने के लिए कह रहा था, जबकि सबिता को कोई मतलब नहीं था। वोह बस सबिता के मुंह से यही सुनना चाहता था की वोह उसकी है। बस उसके मुंह से सुनने में उसे एक मज़ा आता।

"मैं तेज़ नही करूंगा।" देव ने कहा। और अपने मूवमेंट को धीरे ही रखा, हालांकि, उसके लिए यह टॉर्चर जैसा था जैसा इस वक्त सबिता महसूस कर रही थी।
"मैं पूरी रात ऐसे ही करूंगा, जब तक की तुम मुझे वोह नही कह देती जो मैं सुनना चाहता हूं। मैं ना ही तुम्हे शांत होने दूंगा और ना ही तुम्हारी इच्छा पूरी होने दूंगा, तुम्हे ऐसे ही बीच में अटका कर रखूंगा।" देव ने प्यार से ताना मारते हुए कहा।

देव फील्स लाइक 👉🧛

सबिता फील्स लाइक 👉🤦🏻‍♀️

देव की बात सुन कर सबिता ने अपनी भौंहे सिकोड़ ली और आंखे छोटी छोटी हो गई। उसने अपने हाथों और पैरों को देव के शरीर पर से धीरे से हटा लिया। तुरंत ही उसने देव को इतनी ज़ोर से धक्का दिया की देव हट कर साइड हो गया। बिना वक्त गवाए सबिता ने एक बार फिर धक्का दे कर उसे बैड पर लिटा दिया।

अपने चेहरे पर तिरछी मुस्कान लिए सबिता देव के ऊपर आ गई।
फिर क्या था, देव कब तक ज़िद्द करता। वोह तोह भूल ही गया की वोह सबिता से क्या बुलवाना चाहता था। 😝🙈

**********
कुछ देर बाद, स्वादिष्ट सुगंध हवा में फैली हुई थी। देव कॉटेज की छोटी सी किचन में डाइनिंग चेयर पर बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर एक मुस्कान खिली हुई थी।

सबिता प्रजापति जो सबसे चालाक, हिंसक और खतरनाक औरत है तीनों पड़ोसी राज्य में वोह.....
वोह..... खाना बना रही थी।

देव उसे खाना बनाते हुए देख रहा था। वोह बिलकुल कॉन्फिडेंट, स्मूथ और ग्रेसफुली मूव कर रही थी खाना बनाते वक्त। देव ने नोटिस किया की सबिता हमेशा ही ग्रेसफुल लगती थी। बल्कि जब भी वोह देव के ऊपर आती थी, और देव उसे ऊपर से नीचे तक खुशी से निहारता, कभी कभी तोह वोह जबरदस्ती अपनी आंखे खुली रखने की कोशिश करता ताकी सबिता के सेंशुअल और ग्रेसफुल मूव को देख सके। उसके हर मूवमेंट में एफर्टलेस सेंशुअलिटी थी।

पिछले कुछ हफ्तों से वोह कॉटेज दोनो का अपना स्वर्ग जैसा घर बन गया था और साथ ही लड़ाई करने की जगह भी। देव ने कभी भी पहले साबित प्रजापति जैसी लड़की ना देखी थी न मिला था।

सबिता एक खूबसूरत, ताकतवर, भयंकर और गुस्से वाली लड़की थी। वोह एक बेहतरीन लीडर भी थी प्रजापतियों की। अनिच्छा से ही सही देव यह जानता था और मानता भी था, जबकि वोह उससे नफरत करता था। पर अब वोह उससे नफरत नही करता था। उसने देखा था की सबिता अपने लोगों के लिए कितना करती है। सबिता का दिमाग हमेशा काम में ही लगा रहता था। वोह सिर्फ देव से ही नही बल्कि आर्किटेक्चर और इंजीनियर से भी हजारों सवाल करती थी, की काम किस तरह होता है। पर उसके पास एक खास चीज़ और भी थी.....उसकी फोटोग्राफिक मैमोरी।

देव ने कभी उसके साथ बिजनेस की कोई बातें या बहस नही की थी जब वोह उसके साथ बैड पर होती थी। सबिता सेक्स के लिए ही उत्सुक रहती थी। सबिता भोली भाली सी वर्जिन तोह नही थी लेकिन इन सब में अनुभवी भी नही थी। लेकिन वोह तेज़ी से सीखने वाली लड़की थी। सबिता हमेशा देव का चेहरा देखती थी जब भी वोह कुछ ऐसा कर रही होती थी जिससे देव को आनंद मिले। जैसा की देव भी सबिता के बारे में जानता था की उसे किस तरह से पसंद है, उसी तरह से सबिता भी देव की ख्वाइश जान गई थी। सबिता ने देव पर जादू सा कर रखा था। जब तक सबिता से नही मिला था, तब तक देव दूसरी लड़कियों के साथ विनम्र ही रहता था या फिर लड़किया ही मासूम सी या नम्र बन कर रहती थी। वोह लड़कियां देव की हर बात मानती थी बैड पर भी और बैड के बाहर भी जैसे की वोह बहुत स्वीट सी बेचारी हो जिसे अपनी जरूरतों के लिए देव पर ही निर्भर रहना पड़ता हो।

या तोह देव खुद डॉमिनेटिंग नेचर का था या फिर उन लड़कियों के स्वीट बिहेवियर की वजह से डोमिनेंट हो गया था। जो भी हो उसे दूसरों पर हावी होने में मज़ा आने लगा था। पर सबिता प्रजापति के ऊपर हावी होने के लिए उसे उससे लड़ना पड़ता था और जितना भी पड़ता था। वोह उसे काटती थी, नोचती थी, और काफी फाइट के बाद वोह अपना कंट्रोल खो कर सरेंडर कर देती थी देव के सामने। यह देव के लिए शानदार जीत होती थी।

ऐसा नहीं था की सबिता ही अपना कंट्रोल खो देती थी, बल्कि सबिता के सामने देव भी अपना कंट्रोल खो देता था।

सबिता किचन में खाना बना रही थी और देव उसके पीछे डाइनिंग चेयर पर बैठा उसे देख रहा था। देव ने कई बार सबिता को अपनी शर्ट पहनने को दी थी, लेकिन सबिता ने कभी नहीं पहना। एक बार को तोह देव खुश हुआ की सबिता ने आज तक उसकी एक भी चीज़ का इस्तेमाल नहीं किया था। वोह उससे बहुत प्रभावित हुआ था। हालांकि देव ने उससे कहा था की उसे कोई दिक्कत नही है लेकिन फिर भी उसने कभी इस्तेमाल नहीं किया।

आज भी दोनो के उस लम्हों को एंजॉय करने के बाद सबिता ने अपने शरीर को ढकने के लिए सिर्फ अपनी शर्ट पहनी हुई थी जो वोह पहन कर आई थी। उसमे से झांकते उसके निचले बदन पर जब देव की नज़रे गई तोह देव को बहुत ही पछतावा हुआ। उसके वाइल्ड सेक्स की वजह से कितनी चोट आई थी सबिता को।

देव ने याद किया की लास्ट मोमेंट पर कैसे सबिता ने उसे धमकाया था की अगर उसने दुबारा इतना हार्ड किया तो वोह उसके 'फैमिली ज्वेल्स' को काट देगी।

देव हमेशा ही उसके साथ नरमी से करना चाहता था। लेकिन सबिता ने हमेशा उसके अंदर कुछ ऐसा एहसास जगाया जिसकी वजह देव अपने होश खो बैठता और उस पर अपना पूरा हक जताता जैसे वोह उसे पूरी तरीके से अपने से जकड़ कर रखना चाहता हो। उसके हार्ड होने की वजह से ही उसके अंदर का जानवर शांत हुआ था।

अपने पूरे हफ्ते के लंबे वर्क लोड के बाद देव अब बहुत थक गया था खासकर अभी के इंटीमेसी मैराथन के बाद तोह पूरी तरह से। लेकिन उसके अंदर की चाहत सबिता को बार बार पाने की कभी कम नहीं होती थी। वैसे वोह अभी भी सेक्स ड्राइव पर दुबारा जा सकता था लेकिन सबिता के हाथ में ज्वेल नाइफ देख कर, जिससे वोह बड़ी ही होश्यारी और सभ्यता से कुछ काट रही थी, वोह रुक गया।

"व्हाट्स सो फनी?" सबिता ने देव को अपनी तरफ घूरता पा कर, अपना हाथ दिखा कर पूछा।

"मैं बस यही सोच रहा था की अगर मैं लोगों से कहूं की सबसे खतरनाक औरत मेरे सामने खाना बना रही है तोह कोई मेरी बात का यकीन नही करेगा। और अगर यह चाकू तुम्हारे हाथ में नही होता तोह, इस वक्त तोह इसी काउंटर पर बैठी होती और ज़ोर ज़ोर से मेरा नाम चिल्ला रही होती।" देव ने जवाब दिया।

सबिता ने देव की बात सुनकर अपनी एक भौंहे उचकाई और फिर वापिस मुड़ कर खाना बनाने लगी। सबिता आगे देखते हुए हल्का सा मुस्कुराई लेकिन उसने उसे बढ़ने से रोक लिया। देव ने उसे अपनी हंसी छुपाते हुए देख लिया।

कॉटेज में दोनो को एक दूसरे से मिलते हुए दो महीने से भी ज्यादा हो गए थे। कभी कभी इंटीमेसी के बाद उन्हें बहुत भूख लगती थी। शुरू में तोह सबिता अपने साथ कुछ हल्के फुल्के स्नैक्स रखती थी लेकिन फिर बाद में वोह आसान और जल्दी बनने वाले खाने की सामग्री लाने लगी।

जब देव ने उससे पूछा की तुमने कहां खाना बनाना सीखा और क्यों तोह सबिता ने बात बदलनी चाही पर दुबारा पूछने पर उसने कहा,
"मैंने खाना बनाना तब सीखा था जब में बहुत छोटी थी। और एक समय पर में कुक बनना चाहती थी।"

सबिता के यह जानकारी देने पर देव को तोह शॉक सा लगा। इसके अलावा सबिता ने देव को आगे कुछ नही बताया। और ना ही देव ने आगे इस बारे में बात की। देव जनता था की अगर उससे उसके पास्ट के बारे में पूछेगा तोह कहीं अभी के उन दोनो के रिश्ते पर असर पड़ जायेगा।

"वैसे, मैं तुम्हे सुबह थैंक यू कहना भूल गई।" सबिता खाने के दो बाउल डाइनिंग टेबल की तरफ लाते हुए कहा। "जिस एजेंसी से तुमने बात की थी वोह कल टीचर्स भेज रहें हैं।"

"यू आर वैलकम, प्रजापति।" देव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"मैं उम्मीद करती हूं की बस यह कुछ समय तोह टिक जाए।"

"तुम चिंता मत करो, जरूर सब ठीक होगा।" देव ने आश्वस्त करते हुए कहा। "हमने इस एजेंसी को सिंघम्स के लिए भी यूज़ किया हुआ है। वहां के टीचर्स पैशनेट और डिटरमाइंड होते है। वोह सिर्फ पैसों के लिए काम नहीं करते।"

सबिता ने सिर हिला दिया और वोह दोनो बाउल टेबल पर रख दिए। सबिता ने अपनी शर्ट को ठीक करते हुए बस बैठने ही वाली थी की अचानक किसी चीज़ पर उसका ध्यान गया और वोह एकदम जम सी गई। वोह अपनी कमर पर बार बार हाथ रख कर बेताबी से कुछ ढूंढने लगी।

"मेरी चेन," सबिता ने परेशान होते हुए कहा। "लगता है मैने अपनी चेन कहीं खो दी।"

खाना छोड़ कर वोह सीधा बैड की तरफ गई और ढूंढने लगी। देव भी अपनी भौंहे सिकोड़ हुए गंभीरता से कुछ सोचते हुए आ गया उसके पास और वोह भी ढूंढने लगा।

"रिलैक्स, यहीं कहीं कॉटेज में ही कहीं गिरा होगा। मैने शाम को तोह देखा था तुम्हारी कमर पर।" देव ने कहा।

पर सबिता ने उसकी बात नही सुनी। वोह किसी भी बात पर ध्यान नहीं दे रही थी बस इधर उधर ढूंढ रही थी। वोह बैडशीट उठा कर तकिए के नीचे हर जगह ढूंढ रही थी।

थोड़ी देर बाद देव को बैड के साइड में नाइट स्टैंड के नीचे उसकी चेन मिली। "मुझे मिल गई," देव ने कहा।

देव देख रहा था की सबिता को यह सुन कर कितनी राहत मिली थी। उसने आगे आ कर उसकी कमर पर आराम से चेन बांध दी और टाइट कर दिया क्योंकि उसका हुक लूज हो गया था।

"थैंक यू," सबिता ने फुसफुसाते हुए कहा। उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था की वोह इस वक्त एंबारेस्ड और अनकंफर्टेबल लग रही है।

देव के सीने में हल्का सा दर्द सा उठा सबिता को असहज देख के। "चलो खाना खाते है, मुझे बहुत भूख लगी है।" देव ने मुस्कुराते हुए कहा और सबिता की असहजता थोड़ी दूर करनी चाही।

सबिता बदले में मुस्कुराई और उसके साथ खाने के लिए वापस आ गई। पर जैसे ही उसका खाना खतम हुआ उसने जाने की ज़िद्द पकड़ ली और तुरंत चली गई।

इस बार जब जाते हुई सबिता को देव देख रहा था तोह उसने महसूस किया की उसे कितना दुख है की वोह उसके बारे में कितना कम जनता है।

वोह जानना चाहता था की वोह प्रजापति की बेटी जिस सबसे ज्यादा अधिकार प्राप्त है जो इतने बड़े मैंशन में रहती है वोह कुक बनना चाहती थी।

वोह जानना चाहता था की उसकी कमर पर बंधी वोह चेन उसे किसने दी और उसकी इतनी अहमियत क्यों है।

वोह जानना चाहता था की सबिता की पीठ पर धुंधले से क्रिस क्रॉस निशान क्यों हैं जो लगभग उसकी पूरी पीठ पर हैं।

वोह जानना चाहता था की उसने कभी पढ़ने और लिखने की कोशिश क्यों नही की जबकि वोह कितनी पैशनेट लर्नर है।

वोह सबिता प्रजापति के बारे में सब कुछ जानना चाहता था।







































_________________
(आप लोगों के प्यार को देखते हुए बड़ा चैप्टर)
(पढ़ने के लिए धन्यवाद)

🙏