The Author Ruchi Dixit Follow Current Read पश्चाताप. - 15 By Ruchi Dixit Hindi Fiction Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books What Does Science Say About Whey Protein and Longevity? Discover the powerful link between whey protein and longevit... Positive and Negative Aspects of using Mobile phone's Using mobile phones can have both positive and negative effe... Disturbed - 26 Disturbed (An investigative, romantic and psychological thri... The Second Innings: Time Bowled Him, But He Hit It Back Arjun Shrivastava had it all. At 30, he was the golden boy o... HAPPINESS - 117 Leave jealousy Leave jealousy and live in your own bl... 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" नही माँ ! आपका जन्मदिन है आप सबकुछ हमारी पसन्द का करेंगी |" प्रतिमा "करेंगी नही करना पड़ेगा ! और जँचेगी क्यों न अभी भी पूर्णिमा के चाँद से कम लगती हो क्या ? पूर्णिमा थोड़ा शर्माती हुई हम्म ! " ठीक है ! जैसी तुम सबकी मर्जी |" शाम को जन्मदिन की पार्टी के लिए तैयार होने के लिए पूर्णिमा ने जैसे ही आलमारी खोलती है कि कुछ सामन अचानक हाथ से छूटकर नीचे गिर जाता है | पूर्णिमा समान समेटने लगती है कि अचानक एक तस्वीर पर रूक जाती है , आँखे गुजरे समय को जैसे समेटकर बहा देना चाह रही हों किन्तु हृदय की पीड़ा पर यह प्रयास हमेशा ही असफल रहा , तभी कमरे मे प्रतिमा का प्रवेश "अरे ! पूर्णी तैयार न हुई अभी तक ?और यह क्या फिर तश्वीर लेकर रोने बैठ गई ? जब इतना प्रेम करती है तू शशि से फिर भी ? तूने सही नही किया पूर्णी न अपने साथ और शायद शशि के साथ भी | हो सकता है वह जीवन मे आगे भी बढ़ गये होंगे , तेरी जगह किसी और ने सम्भाली होगी पर अपनी इस दशा का कारण भी तू ही है , तूने एकतरफा फैसला लिया कोई मौका ही नही दिया | रिश्ते मे भला "मै" का क्या काम तूने ही कोशिश की होती आखिर तुझे उनके प्रेम पर तो विश्वास आज भी है न ? पूर्णिमा बिना कुछ जवाब दिये आँसू पोंछती हुई " तू चल मै आ रही हूँ | " प्रतिमा हाँ ! हाँ !! अब तो मुझे भगायेगी ही खैर ! आ जाना जल्दी नीचे तैयार होकर |" लाल रंग की साड़ी मे पूर्णिमा बहुत खूबसूरत लग रही थी | शाम को बहुत धूमधाम से जन्मदिन की पार्टी कुछ नये कान्ट्रैक्टर के साथ पारिवारिक सामन्जस्य बैठा लाभ भी दे रही थी | विधु आज अपने एक दोस्त का बहुत देर से इंतजार कर रहा था , बार -बार गेट पर जाकर देखना दूर से पूर्णिमा की नजर भी अश्चर्य से विधु की तरफ ही थी तभी वह किसी को साथ लेकर पूर्णिमा के नजदीक आकर "माँ ! ये आकाश है कालेज मे मुझसे जूनियर है मगर मेरा बहुत अच्छा और एकलौता दोस्त |" न जाने क्यों पूर्णिमा की नजर एकटक आकाश पर ही रूक गई वही आकाश भी आँखे चुराता पूर्णिमा के पैरो की तरफ हाथ बढ़ाता है कि वह उसे रोकने का सफल प्रयास करती है फिर भी आकाश की आँखों से निकली दो बूँदो ने पूर्णिमा के पैरो का स्पर्श कर ही लिया जिसका आभाष पूर्णिमा को बरबस ही आकाश की तरफ खींच रहा था | पूरी पार्टी मे पूर्णिमा की नजर केवल आकाश पर ही थी | शाम की पार्टी के बाद रात भर पूर्णिमा आकाश के बारे सोचती रही न जाने कैसा अंजान मगर जाना पहचाना सा खिचाव था उसमे | आज फिर पूर्णिमा गुजरे पल को याद करने लगी , मेरा बाबू भी आकाश की उम्र का होगा न जाने कैसा होगा , वैसे तो कोई पल न ऐसा गया जिसमे पूर्णिमा का हृदय चित्त बाबू और शशिकान्त को भूला हो मगर आज आकाश से मिलकर पूर्णिमा की बेचैनी बढ़ गई , आज उसका मन खुद को ही धिक्कार रहा था , अथाह वेदना के बीच अचानक शब्द फूट पड़े " मै तेरी दोषी हूँ बाबू मुझे माफ मत करियो , मुझे ईश्वर भी माफ नही करेगा , मै तुझे अपना मुँह दिखाने लायक भी नही मेरे बच्चे | मै क्या करुँ , मुझे तो नर्क मे भी शायद जगह न मिले |" कहकर फूट -फूटकर रोने लगी | तभी उसी कमरे मे दूसरी पलंग पर लेटी प्रतिमा की आँख खुल जाती है और पूर्णिमा के पास आकार उसे गले लगा शान्त करने की कोशिश करती है | पूर्णप्रतिमा आवास मे एक नियम जिसका पालन अब तक निर्बाध रहा वह यह कि सुबह का नाश्ता सब एक ही टेबल पर एक साथ करते थे | विधु के बैठते ही पूर्णिमा ने उत्सुकता से "विधु ! " " हाँ ?माँ " "वो तुम्हारा दोस्त आकाश उसके बारे मे तुमने कुछ बताया नही ? " " हाँ मगर ! आपने भी कुछ पूछा नही था |" पूर्णिमा "कहाँ रहता है ? " " ज्यादा कुछ नही पता न ही मैने भी ज्यादा जानने की कोशिश की कहीं बाहर से आया है हास्टल मे रहकर पढ़ाई कर रहा है, है मगर बहुत अच्छा पढ़ने और व्यक्तिगत रूप से भी | इसीलिये वह मेरा दोस्त है |" पूर्णिमा "उसके माता पिता कौन हैं? " विधु पता नही माँ ! मुझे जानने की उत्सुकता भी नही और न ही कभी आवश्यकता ही पड़ी खैर ! मै उसे किसी दिन घर ही लेकर आऊँगा आप खुद ही पूँछ लेना उसी से |" यह कह नाश्ता खत्मकर विधु कालेज के लिए निकल जाता है | ‹ Previous Chapterपश्चाताप. - 14 Download Our App