राधा के हाथों में अपनी बेटी आलिया की गुड़िया देखते ही उसकी माँ ने राधा से वह गुड़िया छीनते हुए कहा, "अरे पुष्पा अपनी बेटी को क्यों लेकर आती हो, आलिया की इतनी महंगी-महंगी गुड़िया रोज-रोज गंदी कर देती है।"
"क्या करूँ मैडम जी घर पर अकेली छोड़ कर तो नहीं आ सकती ना, छोटी है मैं मना करती हूँ, फ़िर भी उठा लेती है।"
पुष्पा ने अपनी बेटी राधा को गुस्से में एक चाँटा मारते हुए कहा, "राधा अपनी औकात में रहना सीख ले। हम गरीब लोग हैं, मैं तुझे कपड़े की एक गुड़िया बना कर दूँगी।"
राधा रोने लगी उसे रोता देखकर आलिया ने दौड़ कर उसे अपनी गुड़िया दे दी। किंतु आलिया की माँ सानिया को यह अच्छा नहीं लगा और उसने आलिया को डांटते हुए राधा के हाथ से पुनः गुड़िया ले ली।
सानिया ने अपनी बेटी को डाँटते हुए कहा, "आलिया तुम्हें कितनी बार कहा है, तुम्हारे खिलौने कितने महंगे होते हैं क्यों देती हो इसे? सब गंदे कर देती है।"
"लेकिन मम्मा वह मेरी दोस्त है।"
"चुप रहो आलिया और जाओ यह गुड़िया अंदर रखकर आओ।"
इतना सुनते ही आलिया डर गई और अंदर चली गई।
आज तो घर जाते वक़्त पुष्पा बहुत दुःखी और नाराज़ थी। सानिया का ऐसा व्यवहार उसे बार-बार उसकी ग़रीबी और सानिया के घमंड की याद दिला रहा था। फ़िर भी वह कुछ नहीं कर सकती थी, वेतन अच्छा मिलता था अतः वह ख़ून का घूंट पीकर रह गई। पुष्पा उसके बाद अपना गुस्सा जल्दी शांत ना कर पाई। मज़बूरी नहीं होती तो वह यह काम ही छोड़ देती। लेकिन वह छुट्टी लेकर सानिया से अपने अपमान का बदला तो ले ही सकती थी।
दूसरे दिन बीमार हूँ कह कर का पुष्पा ने तीन दिन की छुट्टी ले ली। सानिया भी पुष्पा के ना आने के कारण परेशान हो गई थी। पुष्पा काम बहुत अच्छा करती थी और ईमानदार भी थी। इसलिए सानिया उसे निकाल नहीं सकती थी। पुष्पा उसकी मज़बूरी थी और पुष्पा की मज़बूरी थी उसके घर से मिलने वाले पैसे।
चौथे दिन पुष्पा अपनी बेटी राधा को लेकर वापस काम पर आ गई। राधा को देख कर आलिया बहुत ख़ुश हो गई और दोनों साथ में खेलने लगीं।
कुछ ही देर में सानिया जैसे ही वहाँ आई राधा के हाथ में गुड़िया देखकर उसका गुस्सा सातवें आसमान पर था। वह ख़ुद पर नियंत्रण ना रख पाई। उसने राधा को झिड़कते हुए उसके हाथ से गुड़िया छीनते हुए कहा, "तुम्हें समझ नहीं आता, कितनी बार मना किया है। क्यों लेती है बार-बार उसकी गुड़िया।"
सानिया का ऐसा व्यवहार देख कर राधा डर गई और ज़ोर से रोने लगी। पुष्पा अपनी बच्ची के रोने की आवाज़ सुनकर दौड़ कर आई और सानिया का ऐसा दुर्व्यवहार देखकर अपनी बेटी को उठा कर सीधे घर से बाहर निकल गई।
उसे घर से बाहर जाता देख सानिया घबरा गई और उसने आवाज़ दी, "पुष्पा रुको"
लेकिन वह नहीं रुकी उन दोनों के जाते ही आलिया ने अपनी माँ से कहा, "मम्मा आपने आज राधा को क्यों डांटा? क्यों गुड़िया छीन ली?"
"आलिया तुम्हारी गुड़िया है वह, हम तुम्हारे लिए लाते हैं, उसके लिए नहीं, समझी।"
"लेकिन मम्मा आज तो वह गुड़िया राधा की ही थी। उसकी मम्मा ने उसे दिलाई थी, फ़िर आपने क्यों छीनी। मैं उसकी गुड़िया से खेल रही थी पर पुष्पा आंटी ने मुझसे गुड़िया नहीं छीनी।"
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक