power in prayer in Hindi Children Stories by Asha Saraswat books and stories PDF | दुआ में ताक़त

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दुआ में ताक़त

बाल कहानी- दुआ में ताक़त

दुआओं में बहुत ताक़त होती है, दुआओं में अनोखी ताक़त होती है दुआओं से मनुष्य की क़िस्मत चमक जाती है,ऐसा कहते हुए हम सब ने बहुत से लोगों को देखा और सुना है ।

दुआओं में कितना असर होता है आज इस कहानी को सुनकर जानते हैं ।

एक व्यक्ति की छोले भटूरे और जलेबी की दुकान थी । रोज़ सवेरे उठकर वह छोले भटूरे और जलेबी बनाने की तैयारी कर दुकान पर जाकर बनाना शुरू करता।

वह छोले भटूरे और जलेबी इतने स्वादिष्ट बनाता कि उसकी दुकान पर देखते ही देखते भीड़ लग जाती ।
दुकान उसकी बहुत अच्छी चलती और सभी उसके छोले भटूरे और जलेबी की खूब तारीफ़ करते ।

जब उसकी दुकान पर भीड़ हो जाती तब एक व्यक्ति उसकी दुकान पर आता और भरपूर आनंद लेकर ,
छोले भटूरे और जलेबी खाने के बाद बिना पैसे दिए वहाँ से चुपचाप निकल जाता ।

सुबह का समय होता जैसे ही भीड़ हो जाती वह आता और खाकर निकल जाता ।

छोले भटूरे और जलेबी की दुकान के सामने ही एक जूस की दुकान थी । सुबह जूस पीने वालों की भीड़ नहीं होती थी इसलिए वह ख़ाली बैठा सामने की ओर देखा करता । एक दिन उसकी नज़र एक व्यक्ति पर पड़ी जो कि छोले भटूरे और जलेबी खाने के बाद बिना पैसे दिए ही चला गया ।

दूसरे दिन फिर उसी व्यक्ति को फिर देखा वह बिना पैसे दिए ही वहाँ से चला गया ।इस तरह कई दिनों तक उसपर नज़र रखने के बाद जूस वाले ने सोचा,मैं अपने मित्र को बता दूँगा । ऐसे तो उसका बहुत नुक़सान होगा ।

जब छोले भटूरे और जलेबी वाले की दुकान पर भीड़ लगी थी वह व्यक्ति आया, तभी जूस वाले ने देखा ।
उसने मित्र का नुक़सान न हो इसलिए फ़ोन करके बताया कि मित्र तुम्हारी दुकान में एक व्यक्ति बिना पैसे दिए ही खा रहा है, मैं उसे रोज़ देखता हूँ ।आज तुम उसे पकड़ लो ऐसे तो बहुत नुक़सान हो जायेगा ।

उसने कहा “क्या तुम बता सकते हो वह कहाँ है ?”
“हॉं वह नीली क़मीज़ पहने तुम्हारी तीसरी मेज़ पर बैठा खा रहा है,जब वह उठेगा तुम पकड़ लेना ।” जूस वाले ने फ़ोन पर बताया ।

“अरे! वह तो मुझे पता है , मैं बाद में तुम से बात करता हूँ ।” यह कहकर काम के समय फ़ोन रखने के बाद काम में लग गया ।

जब भीड़ कम हो गई तब जूस वाले ने छोले भटूरे और जलेबी वाले मित्र के पास जाकर पूछा “तुम्हें पता था फिर भी तुमने उसे नहीं पकड़ा ऐसी क्या बात है, तुम्हारे यहाँ वह रोज़ बिना पैसे दिए ही खाता है तुम्हारा बहुत नुक़सान होगा ।”

“मित्र जब मेरी दुकान पर भीड़ नहीं होती वह भगवान से लगातार दुआ करता है कि भीड़ जल्दी हो जाये तो मैं
भी जल्दी से स्वादिष्ट छोले भटूरे और जलेबी खाकर अपने काम पर जाऊँ ।” छोले भटूरे और जलेबी वाले
मित्र ने बताया ।

“मित्र उसकी दुआ से मेरी दुकान में इतनी भीड़ हो जाती हैं कि मुझे बहुत आमनदनी होती है । उसकी दुआ करने से मेरे का में दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी हो रही है, मैं कैसे उसे पकड़ कर बेइज्जत कर सकता हूँ जो कि मेरे लिए दुआ करता है ।” यह कहते हुए उसका दिल भर आया,ऑंखें गीली हो गई ।

दुआ में बहुत बड़ी ताक़त है, छोले भटूरे और जलेबी वाले ने यह पोजेटिव सोचा, हम सब को ऐसे ही सोचना चाहिए । कोई अंतर नहीं होता किसी के खाने से यदि हमारे पास भरपूर है, दुआयें देते रहिये और लेते हुए ख़ुश रहिए ।

✍️ आशा सारस्वत