ghost reality ya fake - 2 in Hindi Horror Stories by Sonu Rj books and stories PDF | भूत हकीकत या छलावा - 2

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भूत हकीकत या छलावा - 2

स्पष्ट झलक.

अंकित होने वाले गैर परस्पर संवादात्मक व्यक्तित्व की श्रेणी में आते हैं क्यूंकि अपनी इंसानी रूपरेखा और हरकतों के बावजूद वह अपनी परिस्थितियों से बिलकुल अनजान होते हैं | एक और खुबी जो इन भूतों की अपने परस्पर संवेदात्मक दोस्तों से भिन्न करती है वह यह है की इन्हें एक ही हरकत को बार बार करने की आदत होती है | एक ही गलियारे से बार बार निकलना या एक ही खिड़की से बार बार बाहर झांकना इस प्रकार के व्यक्तित्व की खासियत होती है | दर्शक ऐसे व्यक्तित्वों से संपर्क नहीं कर पाते हैं और ना ही बार बार एक ही कार्य को करने की उनकी आदत में विघ्न डाल पाते हैं | अंकित होना नाम इस तथ्य से जुड़ा है की ये भूत एक ही जगह और एक ही व्यव्हार में बंधे या अंकित होते हैं |

कुछ लोग दलील देते हैं की ये लोग वाकई में भूत नहीं है , अपितु एक ऐसे शक्स जो यहाँ रहता था उसकी रोज़ मर्रा के कार्य को करने की क्रिया की तस्वीर का एक रूहानी रूपांतर है | ये तस्वीर किसी तरह से वातावरण में कैद हो गयी है और कुछ परिस्थितियों में और लोगों के देखने के लिए दोहराई जाती है |
जीवित व्यक्ति का भूत

एक जीवित भूत अनोखी बात है पर फिर भी कई बार होता है | एक जीवित भूत एक ऐसे व्यक्ति का प्रतिरूप है जो दर्शन के समय जैविक तौर पर उस वक़्त कहीं और उपस्थित है | अक्सर ये भूत दर्शक का जान पहचान वाला होता है | जांच से पता चलता है की जिस व्यक्ति को देखा गया था वह अक्सर उस वक़्त किसी मुसीबत या खतरे का सामना कर रहा होता है और वह अपने प्रिय जन को आने वाले खतरे के बारे में बताने के लिए या उससे बचने के लिए वहां आ गया है | ये दृश्य एक ही बार प्रदर्शित होते हैं और क्यूंकि ये दुबारा प्रदशित नहीं होते हैं इनका विश्लेषण कर पाना बेहद कठिन है |
एक और जीवित व्यक्ति के भूत का उदाहरण हैं “मौत के समय” पर भूत का नज़र आना | वह व्यक्ति तकनिकी तौर पर दर्शन के वक़्त जिंदा होता है ,लेकिन भूत तब नज़र आता है जब वह बिलकुल मरने वाला हो और जिसका दर्शक को कोई अंदेशा नहीं हो | वह व्यक्ति उस वक़्त किसी और स्थान पर होता है और इसलिए दर्शक उसे देख थोडा भ्रमित हो जाता है | बाद में जब मौत की खबर आती है तो दर्शक उसे देखने की बात बताता है | ये व्यक्तित्व भी पारिवारिक होते हैं क्यूंकि वह अपने नजदीकी सम्बन्धियों को ही दिखाई देते हैं | ऐसे दर्शन दुर्लभ होते है और उनका विश्लेषण या दर्शक की गवाही के इलावा परिलेख करना मुश्किल होता है क्यूंकि इनकी भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है और वह दुबारा घटित नहीं होते हैं |
निर्जीव वस्तु भूत

जहाज , ट्रेन और अन्य निर्जीव वस्तुओं के दर्शन “अंकित भूतों “ की श्रेणी में आते हैं | क्यूंकि ये वस्तुएं जीवित नहीं होती है , भूत के साथ कोई उर्जा या आत्मा शामिल नहीं होती है जो इस बात को पुख्ता करता है की ऐसे द्रश्य बातचीत की ज़रुरत से न निहित हो कर वातावरण में शामिल होते है | ऐसे दर्शन दुर्लभ और अनावर्ती होते हैं |