Dosti ki misal in Hindi Children Stories by Ratna Pandey books and stories PDF | दोस्ती की मिसाल  

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दोस्ती की मिसाल  

अजय एक दूध की डेरी के मालिक थे, अजय के पास बहुत सी गाय भैंस थीं। नौकर चाकर गाय भैंसों की देखरेख करते, हर सुबह दूध दुहकर वे एकत्रित करते और अजय इस दूध को बेचने से पहले उसमें पानी मिला दिया करते थे।

अजय के बेटे युवान का स्वभाव बहुत ही दयालु था। वह हर सुबह अपने पिता को दूध में पानी मिलाते हुए देखता था। अजय रोज़ युवान को आवाज़ लगाकर बुलाते और शुद्ध दूध का बड़ा गिलास भरकर युवान को पीने के लिए देते थे।

आज भी अजय ने युवान को दूध पीने के लिए बुलाया, “युवान चलो बेटा दूध पी लो।”

“नहीं पापा आज मन नहीं है दूध पीने का।”

“युवान दूध पीने के लिए कभी मना नहीं करते। दूध पीने से तुम्हारे शरीर में शक्ति का संचार होगा और स्फूर्ति भी रहेगी।”

“जी पापा कह कर युवान ने दूध पी लिया।”

कुणाल युवान का घनिष्ठ मित्र था, ग़रीब परिवार से था किंतु उसके पिता मेहनत करके अपने बेटे को अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे थे। कुणाल होनहार लड़का था, तेज दिमाग था उसका। उसकी सबसे खास बात यह थी कि वह बहुत ही तेज दौड़ता था। जब भी उनके स्कूल में दौड़ प्रतियोगिता होती वह सबसे आगे रहता किंतु कुछ ही क्षणों में उसकी सांस फूल जाती, उसका दम टूट जाता और हमेशा जीतते जीतते वह हार जाता था। युवान को हमेशा इस बात का दुःख रहता कि कुणाल कभी भी उतनी ही स्फूर्ति से दौड़ ख़त्म नहीं कर पाता है जितनी ऊर्जा के साथ दौड़ शुरू करता है।

एक दिन युवान ने अपने पिता से कहा, “पापा मेरा दोस्त कुणाल कभी भी दौड़ की प्रतियोगिता पूरी क्यों नहीं कर पाता है ? वह बहुत तेज दौड़ना शुरू करता है पर बीच में रुक जाता है, ऐसा क्यों होता है पापा ?”

अजय ने कहा, “युवान बेटा उसे जरूर कमज़ोरी होगी, उसे कहना वह भी तुम्हारी तरह रोज़ दूध पिया करे।”

“ठीक है पापा”, कहकर युवान किसी खेल में लग गया।

कुणाल का छोटा सा घर युवान के आलीशान मकान से कुछ ही दूरी पर था। कुणाल के पिता हर रोज़ अजय के यहाँ दूध लेने आया करते थे। आज कुणाल भी अपने पिता के साथ दूध लेने आया, तब युवान को पता चला कि कुणाल के घर भी उसके घर का ही दूध जाता है। उसके सामने ही अजय ने पानी वाला दूध कुणाल के हाथ में थमा दिया। कुणाल के सामने युवान कुछ भी ना कह सका।

कुणाल के जाते ही उसने अजय से गुस्से भरे स्वर में कहा, “पापा कुणाल मेरा दोस्त है, आप उसे पानी वाला दूध क्यों देते हैं ? आपको पता है ना कि शुद्ध दूध से ताकत और स्फूर्ति आती है, फ़िर भी आप दूध में पानी क्यों मिलाते हैं ? मेरा दोस्त इसलिए दौड़ प्रतियोगिता में पीछे रह जाता है, क्योंकि आप उसे पानी वाला दूध पिलाते हैं। मेरे दोस्त की हार का कारण आप हैं पापा।”

युवान की बातें सुनकर अजय क्रोधित हो गया और उसे कहा, “युवान बहुत ज़ुबान चलने लगी है तुम्हारी, छोटे हो बड़ों की तरह बातें ना करो। जाओ जाकर पढ़ाई करो, तुम्हें दुनियादारी की ख़बर नहीं है अभी। बड़े होकर ख़ुद ही सब समझ जाओगे।”

पिता की डांट से युवान सहम गया और बिना कुछ कहे वहां से चला गया।

दूसरे दिन कुणाल जब स्कूल में उसे मिला तब युवान ने उससे कहा, “कुणाल अब से रोज़ तुम्हीं मेरे घर दूध लेने आया करो।”

कुणाल ने ख़ुश होकर कहा, “हाँ युवान मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरे पिताजी तेरे घर से दूध लेकर आते हैं। अब तो मैं भी रोज़ दूध लेने के लिए आऊंगा ।”

कुणाल अब रोज़ दूध लेने के लिए आने लगा। युवान के मासूम मन में यह बात घर कर गई थी कि पानी वाले दूध के कारण ही कुणाल दौड़ में हार जाता है और वह अपने मित्र को जिताना चाहता था।

युवान अब रोज़ अपने पिता से नज़र चुरा कर अपना दूध से भरा गिलास कुणाल को पिला दिया करता था और उससे कहता, “कुणाल तुम्हें दौड़ में पहला नंबर लेकर आना है अब तुम्हारे शरीर में शक्ति और स्फूर्ति आ जाएगी।”

एक दिन जब युवान कुणाल को अपना दूध से भरा गिलास दे रहा था तब अजय ने उसे ऐसा करते हुए देख लिया।

कुणाल के जाते ही अजय ने युवान से पूछा, “युवान तुमने अपना दूध उसे क्यों दिया ?”

युवान ने नाराज़गी दिखाते हुए कहा, “पापा मेरा ग़रीब दोस्त तो दूध के पूरे पैसे देता है पर आप उसे दूध में पानी मिलाकर देते हैं। पापा मैं अपने दोस्त के साथ धोखा नहीं होने दूँगा। मैं अपने हिस्से का शुद्ध दूध उसे हर रोज़ पिलाऊँगा ताकि मेरे दोस्त की हार, जीत में बदल जाए।” इतना कहते हुए युवान की आँखों में आँसू आ गए।

अपने बेटे के मुँह से इस तरह की बातें सुनकर और उसकी आँखों में आँसू देखकर अजय का दिल पिघल गया। अजय ने युवान को चूम लिया और कहा, “युवान बेटा तुमने आज मेरी आँखें खोल दीं, तुम्हारी इस आवाज़ ने मेरे दिल के दरवाज़े पर दस्तक दी है। जो लालच का दरवाज़ा मैंने खोल रखा था, अब हमेशा के लिए बंद हो गया।”

उस दिन के बाद कुणाल जब भी दूध लेने आता अजय एक नहीं दो गिलास में दूध निकाल कर रखते, एक अपने बेटे के लिए और एक कुणाल के लिए।

अपनी लालच का त्याग कर अब वह बिना पानी मिलाए दूध बेचने लगे। वह सोच रहे थे कि कितने आश्चर्य की बात है कि एक छोटे से बेटे ने अपने पिता को सही रास्ता दिखाया और दोस्ती की भी एक नई मिसाल कायम कर दी।


रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

स्वरचित और मौलिक