Rewind Jindagi - 5.3 in Hindi Love Stories by Anil Patel_Bunny books and stories PDF | Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.3:  प्यार एवं जुदाई

Featured Books
Categories
Share

Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.3:  प्यार एवं जुदाई

Continues from the previous chapter…

Chapter-5.3: प्यार एवं जुदाई


“ठीक है डॉक्टर!” माधव ने कहा, और दवा की पर्ची ले के वहां से चल दिया।
माधव के दिमाग में भी यह बात घूमने लगी। डॉक्टर जो कह रहा था, वो पूरी तरह से नज़रअंदाज करने जैसा नहीं था। हो सकता है वो सच हो। पूरे रास्ते माधव को यहीं ख़्याल आता रहा कि डॉक्टर की बात में कितनी सच्चाई थी। माधव अपने घर पहुंचा और पहुंचते ही सीधा अपने कमरे में गया, और आईने के सामने जा के देखा तो उसे अंदाजा हुआ कि डॉक्टर सच कह रहा था। उसे अकेलेपन की बीमारी हो गई थी। इस वक़्त उसे कीर्ति की बहुत याद आई। उसे आईने में उसकी झलक दिखाई दी। जब उसकी झलक आँखों से ओझल हुई तब उसने ख़ुद को आईने में पाया। उसने अपने आप से बातचीत की,
“क्या ये सच है? तू कीर्ति से प्यार करने लगा है?” आईने वाले माधव ने असली माधव से पूछा।
“नहीं ऐसा नहीं है, ऐसे वक़्त में एक दोस्त की याद आती ही है।” असली माधव ने कहा।
“अरुण भी तो तेरा दोस्त है, और वो तो कीर्ति से कई गुना ज़्यादा अच्छा दोस्त है तेरा। वो भी तो इस वक़्त तेरे साथ नहीं है तो फिर उसकी याद क्यों नहीं आ रही तुझे?”
माधव कुछ बोल ना सका, उसकी अंतर आत्मा सच कह रही थी, पर उसका मन ये मानने को तैयार नहीं था।
“वो मेरी दोस्त है, मैं उससे प्यार कैसे कर सकता हूं?” माधव ने अपनी अंतर आत्मा से पूछा।
“एक दोस्त ही तुम्हारी जीवनसाथी बन जाए तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है?”
बात में दम तो थी, पर माधव डर रहा था कि इस चक्कर में वो एक अच्छी दोस्त ना खो दे।
“अगर तुझे दोस्ती की इतनी ही परवाह है, तो मुझे यह बता की कब तूने आखिरी बार कीर्ति से बात की? तुझे भी याद नहीं होगा कि तूने कब उससे दोस्ती के खातिर बात की होगी।” माधव की अंतर आत्मा ने कहा।
“तो क्या करूं मैं? उससे अपने प्यार का इज़हार कर दूं?”
“हां! अभी के अभी फ़ोन लगा और कह दे।”
माधव ने बिना वक़्त गंवाए तुरंत फ़ोन लगाया, सामने से एक आदमी की आवाज़ सुनाई दी, “हैल्लो?”
“हां मैं माधव बोल रहा हूं, क्या मैं कीर्ति से बात कर सकता हूं?”
“अबे साले, पहले चेक तो कर ले किस नंबर पर फ़ोन किया है तूने!”
माधव ने फ़ोन में देखा तो वह अरुण का नंबर था।
“ओह! सॉरी सॉरी सॉरी! गलती से तुझे कॉल लग गया।” माधव ने कहा।
“हां भाई, चलो शुक्र है तूने गलती से तो मुझे याद किया। वरना तुझे आजकल फुरसत कहा?”
“हां यार मार ले ताने जितने मारने हो उतने, मैं इसी लायक हूं।”
“ये बता कीर्ति से बात करनी थी तो मुझे कॉल कैसे लग गया?”
“पता नहीं यार मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है, डॉक्टर को दिखाया तो उसने कहा मुझे अकेलेपन की वज़ह से मेरी तबीयत खराब होने लगी है।”
“मेरी मान तो कीर्ति से एक बार बात कर ले, तुझे अकेलापन नहीं प्यार की बीमारी हो गई है।” अरुण ने कहा।
माधव फिर से सोच में पड़ गया, फिर सोच के बोला, “शायद तू सही कह रहा है, मुझे भी ये आभास हो रहा है कि मैं कीर्ति को चाहने लगा हूं।”
“तो फिर दिक्कत क्या है? बोल दे उसे अपनी फीलिंग्स के बारे में।”
“उसे बुरा तो नहीं लगेगा ना?”
“बिलकुल नहीं। चल अब फ़ोन रख, ये कॉल कट करेगा तभी तो उससे बात कर पायेगा, और जो भी जवाब आये तो मुझे बताना क्या हुआ!”
माधव ने कॉल कट कर के तुरंत कीर्ति को कॉल लगाया पर मन में सोच रहा था, पता नहीं ये नंबर अब भी चालू होगा या नहीं।
“हैल्लो!” सामने से आवाज़ आई।
“कीर्ति?”
“हां! माधव?”
“हां! तूने मेरी आवाज़ पहचान ली?”
“बेवकूफ कहीं का, तेरी आवाज़ तो पूरी दुनिया पहचान चुकी है, और भला मैं कैसे नहीं पहचानूंगी?”
माधव की जान में जान आई, और आगे कुछ सोचे समझे उससे पहले ही उसने बोल दिया, “आई लव यू!”
“क्या?”
“आ... आ... ई… लववव... यू!” ये कहते वक़्त माधव का दिल गले तक आ गया था।
“आई लव यू टू!” कीर्ति ने तुरंत कहा।
“क्या मतलब? मतलब? मतलब तू भी?”
“हां गधे मैं भी तुझसे प्यार करती हूं।”
“मुझे यक़ीन नहीं हो रहा, तू सच कह रही है ना, या मजाक कर रही है?”
“सच कह रही हूं बाबा! तू मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, तुझे तो प्यार करूंगी ही ना!”
माधव ने अपना फोन सर पे दे मारा।
“मैं दोस्ती वाले प्यार की बात नहीं कर रहा हूं, मुझे… मतलब... वो… प्यार वाला प्यार हो गया है तुझसे।”
“एक मिनिट, तू सच कह रहा है या मजाक कर रहा है?”
“मैं तेरी कसम खा के कह रहा हूं मैं सच कह रहा हूं।”
कीर्ति कुछ बोल नहीं पाई, वो एकदम से शांत हो गई, वो गहरी सोच में डूब गई थी। क्या करें क्या ना करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
“क्या सोच रही है?”
“कुछ नहीं, मैं तुझे बाद में कॉल करती हूं।”
“जवाब तो दे दे यार।”
“मैं सोच के बताती हूं, अभी मैं काम में व्यस्त हूं।”
“कोई बात नहीं, कॉल कर……” माधव की बात ख़त्म हो उससे पहले ही कीर्ति ने कॉल कट कर दिया।
माधव को लगा उसने बहुत जल्दबाजी कर दी, उसे लगा कीर्ति को ये बात रूबरू कहनी चाहिए थी। माधव अब कुछ नहीं कर सकता था, अब उसे कीर्ति के जवाब का इंतज़ार करना था। माधव के लिए एक एक पल अब सदियों के बराबर थी। उसके मन में कई तरह के ख़्याल आ रहे थे, पर उन सब ख़्यालों पर उसका कोई काबू नहीं था।


Chapter 5.4 will be continued soon…

यह मेरे द्वारा लिखित संपूर्ण नवलकथा Amazon, Flipkart, Google Play Books, Sankalp Publication पर e-book और paperback format में उपलब्ध है। इस book के बारे में या और कोई जानकारी के लिए नीचे दिए गए e-mail id या whatsapp पर संपर्क करे,
E-Mail id: anil_the_knight@yahoo.in
Whatsapp: 9898018461

✍️ Anil Patel (Bunny)