Rewind Jindagi - 5.1 in Hindi Love Stories by Anil Patel_Bunny books and stories PDF | Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.1: प्यार एवं जुदाई

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Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.1: प्यार एवं जुदाई

Chapter-5.1: प्यार एवं जुदाई

कीर्ति और माधव का गाया हुआ गाना कुछ ही दिनों के बाद टीवी पर आने लगा। जैसा सब ने सोचा था, बिलकुल उससे उलटा हुआ। गाना किसी को पसंद नहीं आया। ना कोई इस गाने को गुनगुनाता था ना ही रेडियो या टीवी पर कोई इसे सुनता था। माधव को इस बात से बहुत दुःख हुआ। कीर्ति और कीर्ति के परिवार वालो को भी ये बात हज़म नहीं हुई। जिस हिसाब से दोनों ने गाना गाया था उस हिसाब से उसका परिणाम हासिल नहीं हुआ। हालांकि उस फिल्म के दूसरे सभी गाने बहुत हिट हुए, पर माधव और कीर्ति का गाया हुआ गाना ही फ़्लॉप हुआ।

कीर्ति ये क्या सोचा था और क्या हो गया?माधव ने कीर्ति से मिलकर कहा।

छोड़ ना यार, ऐसा क्यों सोचता है, यह भी तो हो सकता है कि किसी को हीरो हीरोइन पसंद ना आए हो इसीलिए गाना पसंद नहीं किए हो।

अगर ऐसा होता तो लोग रेडियो पर तो गाना सुन सकते थे, या मन ही मन गुनगुना सकते थे।

हां। पर क्या पता शायद गाने में ही दम नहीं था इतना। इसका मतलब यह तो नहीं है कि हम दोनों की आवाज़ ख़राब है।

तू सच कह रही है, पर अब मुझे डर है कि कोई हम दोनों को गाने के लिए बुलायेगा भी या नहीं।

तेरा ये पहला सॉन्ग थोड़े ना था, इससे पहले भी लोगों ने तेरी आवाज़ को पसंद किया ही था ना? मेरा ये पहला सॉन्ग था, हो सकता है सब को मेरी ही आवाज़ पसंद ना आई हो।

एक काम करते है, इस सवाल का जवाब वक़्त ही दे सकता है, तो क्यों ना हम अब अपने अपने गाने अलग से गाए, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि अब हम दोनों को कोई एक साथ एप्रोच करेगा।

कहना क्या चाहता है? तुझे लगता है मैं तेरे लिए पनोती हूं?

भेजा मत खा यार, मैं क्या बोल रहा हूं और तू क्या समझ रही है। मैं ये कहना चाह रहा हूं कि हमें अब एक साथ गाना गाने के लिए कोई नहीं बुलायेगा। मैंने पहले जो गाने गाए वो अकेले में गाए थे, वो सभी हिट हुए। इस बार मैंने पहले से ज़्यादा अच्छा गाया तो भी वो किसी को पसंद नहीं आया। इसीलिए हमें सोच समझ कर अपने कैरियर का फ़ैसला लेना होगा। वरना शुरू होने से पहले ही हम ख़त्म हो जाएंगे।

तू इतना क्यों सोच रहा है ये मेरी समझ से तो परे है। तेरी लाइफ में अब है कौन जो इतना सोच रहा है। अकेला है, तो किसी की परवाह किए बिना अपनी ज़िंदगी जीना सीख ले।कीर्ति ने कहा।

माधव को कीर्ति की बात गले उतर गई, पर उसे पैसे कमा के अपना कर्जा चुकाना था। साथ ही अपने कैरियर पर फोकस करना था क्योंकि गाने के सिवाय और कोई टेलेंट नहीं था माधव में, कम से कम माधव को तो ऐसा ही लगता था।

अब सोच क्या रहा है, चल चाय पीने। पैसे मैं दे दूंगी।यह कहकर कीर्ति जोर से हँसने लगी। माधव कुछ ना बोल सका बस कीर्ति को हँसते हुए देखता रह गया।

माधव रात को सो नहीं पाया। वो जब भी सोने की कोशिश करता था कीर्ति का हँसता हुआ चेहरा सामने आ जाता था। ऐसा पहले तो कभी उसके साथ नहीं हुआ था। उसे ख़ुद समझ नहीं आ रहा था यह क्या हो रहा है। फिर उसने अपना ध्यान भटकाने के लिए अपने कैरियर के बारे में सोचना शुरू किया फिर उसकी नींद, जो थोड़ी बहुत थी, वो पूरी तरह से उड़ गई।

माधव और कीर्ति को अब कोई गाने की ऑफर नहीं आ रही थी, माधव की चिंता सही थी। माधव अब बेचैन हो गया उसे पैसो की और अपने कैरियर की चिंता सताने लगी। माधव को तलाश थी एक ऐसे मौके की जो उसको पूरे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में उसको ख्याति दे।

एक दिन एक प्रोड्यूसर का फोन माधव के लिए आया, उसे एक नए फ़िल्म के लिए गाने की ऑफर मिली थी। माधव को जो तलाश थी वो पूरी होती नज़र आई। हालांकि फ़िल्म के सारे लोग नए थे, डायरेक्टर, हीरो, हीरोइन, विलन, संगीतकार सभी लोग नए थे। फ़िल्म का बजट बहुत ही कम था, इसीलिए माधव को गाने के लिए भी छोटी सी ही रकम मिलनी थी, पर ये वो मौका था जिसकी माधव को तलाश थी। वैसे भी संघर्ष के दिनों में मेहनत ज़्यादा करनी पड़ती है और पैसे कम मिलते है।

माधव ने कीर्ति को फोन कर के उससे पूछा,क्या मुझे ये फ़िल्म के लिए गाना चाहिए?

तू इतना सोच क्यों रहा है यार? तुझे सामने से कॉल आया है, तुझमें कुछ तो टेलेंट देखा होगा उन्होंने! लक्ष्मी और सरस्वती दोनों एक साथ ख़ुद तेरे दरवाज़े पर दस्तक दे रही है, और तू है कि दरवाजा खोलूं या ना खोलूं? ये सोच रहा है।कीर्ति ने कहा।

ठीक है बाबा मैं हां कह देता हूं। देखते है, क्या होता है।माधव ने कहा।

होगा क्या? तू इस फ़िल्म के बाद फेमस हो जाएगा, लोग तेरा ऑटोग्राफ लेंगे।

तेरे मुंह में घी सक्कर!माधव ने कहा,चल अभी फोन रखता हूं।

ये कहकर माधव ने फ़ोन रख दिया और बिना किसी चिंता के सो गया। अपनी दोस्त से बात कर के उसे सुकून महसूस हुआ। कीर्ति के साथ बात कर के माधव को हंमेशा सुकून मिलता था। अगले दिन माधव ने फ़िल्म के प्रोड्यूसर को गाने के लिए हां कह दी।

माधव ने इस बार दुगनी मेहनत से गाना गाया, और उसका नतीजा जैसा उसने सोचा था वैसा ही आया। कीर्ति के मुंह में सच में घी सक्कर आ गई, मतलब माधव के गाये हुए गाने बहुत ही मशहूर हुए। इतने मशहूर की लोग उसके ऑटोग्राफ लेने के लिए लाइन लगाने लगे।

एक के बाद एक माधव सफलता की सीढ़ियां चढ़ता गया। कुछ ही समय में उसने अपने लिए घर खरीद लिया और एक गाड़ी भी। अब माधव का नाम भारत के चुने हुए गायकों में आने लगा। दूसरी तरफ कीर्ति अभी भी अपने कैरियर के लिए संघर्ष कर रही थी। उसे कुछ फिल्मों में गाने का मौका जरूर मिलता था, पर उसकी गिनती चुनिंदा गायकों में नहीं हुई थी।

Chapter 5.2 will be continued soon…

यह मेरे द्वारा लिखित संपूर्ण नवलकथा Amazon, Flipkart, Google Play Books, Sankalp Publication पर e-book और paperback format में उपलब्ध है। इस book के बारे में या और कोई जानकारी के लिए नीचे दिए गए e-mail id या whatsapp पर संपर्क करे,

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Anil Patel (Bunny)