vah jo nahin kaha - 1 in Hindi Short Stories by Sneh Goswami books and stories PDF | वह जो नहीं कहा - 1

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वह जो नहीं कहा - 1

वह जो नहीं कहा


जनवरी 5 सुबह 6 बजे


सुनो जानू ! आज तुम टूर पर हो तो लग रहा है आज यह घर पूरा का पूरा मेरा है . लग रहा है मैं आज सच्चे अर्थो में घरवाली हूँ वर्ना तो शाम के समय पूरे घर में तुम्हारी ही आवाजें सुनाई देती हैं -सुनती हो चाय बनाओ .जल्दी से खाना लाओ . चादर नहीं झाडी अब तक .भई ! तुम तो सारा दिन सोयी रहती हो और अब आधी रात तक बर्तन बजाती रहोगी . अब दूध क्या एक बजे रात दोगी . - पूरा दिन यही सब सुनते बीतता है . पर आज कितनी शान्ति है . आज मैंने शादी के बाद पहली बार अदरक डली चाय बनाई है .अब आराम से अपना मनपसन्द कोई नॉवल पढ़ना चाहती हूँ .तुम तो अपनी मीटिंग की फाइलों में उलझे होंगे .फिर भी बाय


जनवरी 5 सुबह 10 बजे


सुनो जानू मीटिंग शुरू हो गई क्या ? पक्का हो गई होगी . मैंने भी मन्नू भंडारी का आपका बंटी खत्म कर लिया . बेचारा बंटी ! पर बंटी को बेचारा होने से बचाने के चक्कर में कितनी शकुन हर रोज़ बेचारी होती है .तुम मर्द कैसे समझोगे . खैर जाने दो .मैंने आज अपने लिए सैंडविच और पोहा बनाया .चटखारे ले कर खाया . रोज रोज आलू के परांठे खा के उब गयी थी .तुम तो कभी उबते ही नहीं परोंठों से . मन में संतुष्टि हो रही है .अब कुछ देर टी वी पर कोई सीरियल देखूंगी .जब तुम घर होते हो तब तो टी वी पर या तो न्यूज चलती हैं या फिर कोई मैच . वह भी तब तक जब तक तुम्हारा मन करे वरना टी वी बंद . अरे कोई अच्छा सा सीरियल शुरू हो गया है .इसलिए बाय


जनवरी 5 दोपहर ३ बजे


जानू आज मैंने कई दिनों बाद फिल्म देखी . लगा था जिन्दगी मशीन हो गई है पर नहीं दिल अभी धड़क रहा है . पुराणी फिल्म थी साहिब बीबी और गुलाम .मीना कुमारी छोटी बहु बनी है .गरीब घर की बेटी और बड़े जमींदार की पत्नी . पति को नाचने वाली से और शराब से फुर्सत नहीं . बीबी बेचारी सारी जिन्दगी उसे खुश करने के चक्कर में पागल हुई रहती है . सुनो ! ये हसबैंड लोगों को बाहर वालियां क्यों अच्छी लगती हैं . बेशक कोई बाहर वाली घास भी न डाले पर ये लट्टू हुए आगे पीछे घुमते रहेंगे . घरवाली को सिर्फ कामवाली बाई बनाए रर्क्खेगें अरे आज सफाई तो की ही नहीं . चलो अब थोड़ी सफाई कर ली जाय फिर खाना सोचूंगी . बाय


जनवरी 5 शाम 7 बजे

जानू शाम को सफाई में ही तीन घंटे लग गए .आज मैंने घर रगड़ रगड़ कर साफ़ किया . एक एक खिड़की दरवाजा ,रोशनदान झाड़ कर चमकाया . इस घर पर सच में बहुत प्यार आया . फिर सारी चादर बदली . सोफे कवर बदले . पूरा घर अलग ही लुक दे रहा है . कपड़े धोने के लिए मशीन में डाले . फिर अपने लिए रोटी बनाई सब्जी तो वही पड़ी थी जो रात तुम्हारे लिए बनाई थी उसी के साथ खा ली . अब कुछ देर गाने सुने जाएँ , ठीक ! बाय !

जनवरी 5 रात ग्यारह बजे

सुनो जानू शाम को खाना तो बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ीं . खाया ही आठ बजे था पर कोफ़ी का एक कप बनाया . एक तुम्हारा भी बन गया था सो दोनों कप मुझे ही पीने पड़े . फिर सास बहू के सीरियल देखे . बहुत दिनों से देखे नहीं थें पर लगा नहीं कि एक साल बाद देखे .वही कहानी .वही करेक्टर वही उनके षड्यन्त्र फिर भी अच्छा समय बीत गया . अब सोने जा रही हूँ . अच्छा अब गुड नाईट

जनवरी 6 रात दो बजे


सुनो जानू तुम तो सो चुके होंगे पर मुझे नींद नहीं आ रही . तुम्हारे चीखने चिल्लाने की आवाजें सुबह से अब तक नहीं सुनी शायद इसलिए या इस समय पूरे कमरे में गूंजते खर्राटो के बिना सोने की आदत नहीं रही इसलिए कारण जो भी हो पर नींद तो सचमुच ही नहीं आ रही . इतना अच्छा दिन बीता फिर तो निश्चिंत हो कर सोना चाहिये था न फिर भी नहीं सोई . .तुम से पूरी तरह से न जुड़ पाने के बावजूद तुम्हारे बिना नींद नहीं आ रही . पर तुम यह सब कैसे जानोगे . तुम खुद कभी ये समझोगे नहीं और मैं तो शायद कभी कह ही नहीं पाउंगी क्योंकि जब तुम घर में रहोगे तो यह घर तुम्हारा ही होगा. तुम ही बोलोगे . तुम ही हुक्म दोगे .मैं तो सिर्फ जी आई जी जी लाई जी ही कह पाती हूँ पर फिर भी तुम्हें मिस कर रही हूँ . अपनी मीटिंग जल्दी से खत्म करो और कल आ जाओ . मुझे नींद नहीं आ रही है .

स्नेह गोस्वामी