कविताएं
-------------
1)हरियाली तीज
-------------------
हरियाली तीज आ गई
सुहागन के मन को भा गई
सावन की छटा निराली है
प्रियतम को भी भा गई ।
रखती है सुहागन उपवास
पिया रहे हमेशा उसके पास
उसकी उम्र की माँगती दुआ
सोलह सिंगार करती खास।
झूलों पर इठलाती हैं
सावन के गीत गाती हैं
पिया बसे रहे मन में
यह कहकर मुस्कुराती है।
आभा दवे
2)सावन की खुशियाँ /आभा दवे
--------------------
सावन के आते ही
छा जाती है खुशियाँ
सखियों संग झूला झूलती
शहर,गाँवों की गोरियाँ ।
मेहंदी रचाती हाथों में
रंग बिरंगी ओढ़े चुनरिया
गालों की लाली बतलाती
उनके चेहरों की बोलियाँ ।
आँखों में सपने सजते साजन के
माथे पर होता बिंदिया का श्रृंगार
हाथों की चूड़ियाँ पैरों की पायल
पुकारती पिया मिलन की आस।
सावन के बादल प्रीत जगाते
धरती पर हरियाली लाते
फूलों से सजती धरती
झूलों पर गीतों की मस्ती ।
पुरवाई चलती मंद- मंद
लिए साथ बौछारों का संग
तीज -त्यौहार रंग जमाते
आँगन में खुशियाँ भर लाते
सावन के झूले सब के मन भाते।
आभा दवे
मुंबई
3)जल की बूंदें
-----------------
रिमझिम- रिमझिम बरसे सावन
प्यासी धरती की प्यास बुझे
हरियाली से धरती का कोना सजे
पानी की बूंदे जब रिमझिम- रिमझिम पड़े।
नन्ही -नन्ही जल की बूंदें भी
खूब कमाल कर जाती है
पतली सी निर्मल धारा
सागर का रूप बन जाती है ।
बस अब न बरसो बादल तुम
रह-रहकर धरती पुकार लगाती है
आ जाना फिर अगले बरस
इस बरस अब जाओ तुम ।
पानी का अब कहर मच रहा
सभी जगह पानी भर रहा
पानी की बूंदों अब तो तरस खाओ तुम
अगले बरस आओ तुम अगले बरस आओ तुम।
आभा दवे
4)मसरुफ़/ लीन/ रत
आभा दवे
सावन की रिमझिम फुहारे पड़ी हैं
बरखा ने देखो धरती रंगी है
हरियाली छाई है चहुँओर
फुलवारी भी फूलों से ढँकी है ।
मौसम भी देखो *मसरूफ* कितना
झरनों की अद्भुत झड़ी सी लगी है
नदियाँ कल -कल गीत गा रहीं है
सागर से मिलने वो जा रही है ।
आसमान में बिजली डोल रही है
बादलों से ना जाने क्या बोल रही है
अपने में *लीन* वो *मशगूल* हो
पर्वतों से जाकर टकरा रही है ।
लुभा रहा सभी को ये खूबसूरत नज़ारा
तस्वीरों में उतर आई सभी की छवि है
भीगी हुई रात , पवन ये सुहानी
अपने में *रत* सभी की जिंदगानी ।
आभा दवे
मुंबई
5)सरोवर
------------
सावन की बूँदों ने जीवन महकाया है
मन में उमंगों का तूफान सा आया है
*सरोवर* के किनारे मंद हवा के झोंको का
पड़ रहा हौले -हौले दिल पर साया है ।
*सरोवर* में खिले कमल
मन को लुभा रहे हैं
भंवरे भी उन पर
देखो कैसे मंडरा रहे हैं।
चारों ओर फैली हरियाली
मखमल सा सुकून दे रही है
सावन के झूलों संग सरोवर
तट पर खुशियाँ चहक रही है ।
आभा दवे
6)नमन हमारा/आभा दवे
-----------------
भारत की भूमि को नमन हमारा
इस पर लहराये तिरंगा प्यारा
शहीदों की धरोहर , सैनिकों का अभिमान
गंगा की पावन नदी देश का स्वाभिमान ।
अलग-अलग वेशभूषा अलग-अलग बोली
सर्वधर्म देश की शान खेलते सब होली
हरा भरा हर दम रहे किसी की बुरी नजर न लगे
संसार में बन जायें सभी इसके सगे ।
ईश्वर का उपहार है प्यारा
हिमालय की चोटी से लगे न्यारा
भारत की भूमि को नमन हमारा
इस पर लहराये तिरंगा प्यारा।
आभा दवे
मुंबई