one tree two owners in English Motivational Stories by Krishna Kant Srivastava books and stories PDF | एक पेड़ दो मालिक

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एक पेड़ दो मालिक

एक पेड़ दो मालिक
एक समय की बात है, एक राजा का दरबार सजा हुआ था। तभी राघव और केशव नाम के दो व्यक्ति अपने घर के पास स्थित आम के पेड़ का एक मामला लेकर दरबार में उपस्थित हुए। दोनों व्यक्तियों का कहना था कि वे ही आम के पेड़ के असल मालिक हैं और दुसरा व्यक्ति झूठ बोल रहा है। चूँकि आम का पेड़ फलों से लदा हुआ था, इसलिए दोनों में से कोई उसपर से अपना दावा नहीं हटाना चाहता था।
मामले की सच्चाई जानने के लिए राजा, राघव और केशव के आसपास रहने वाले लोगों के बयान सुनते हैं। पर कोई फायदा नहीं हो पाता है। सभी लोग कहते हैं कि दोनों ही पेड़ को पानी देते थे। दोनों ही पेड़ के आसपास कई बार देखे जाते थे। पेड़ की निगरानी करने वाले चौकीदार के बयान से भी साफ नहीं हुआ कि पेड़ का असली मालिक राघव है अथवा केशव है, क्योंकि राघव और केशव दोनों ही पेड़ की रखवाली करने के लिए चौकीदार को पैसे देते थे।
अंत में राजा थक हार कर अपने चतुर सलाहकार मंत्री की सहायता लेते हैं। मंत्री तुरंत ही मामले की जड़ पकड़ लेते हैं। उन्हें सबूत के साथ मामला साबित करना होता है कि कौन सा पक्ष सही है और कौन सा झूठा। इस लिए वह एक नाटक रचते हैं।
मंत्री आम के पेड़ की चौकीदारी करने वाले चौकीदार को एक रात अपने पास रोक लेते हैं। उसके बाद मंत्री उसी रात को अपने दो भरोसेमंद व्यक्तियों को अलग-अलग राघव और केशव के घर “झूठे समाचार” के साथ भेज देते हैं। मंत्री दोनों व्यक्तियों को समाचार देने के बाद छुप कर घर में होने वाली बातचीत सुनने का निर्देश देते हैं।
केशव के घर पहुंचा व्यक्ति बताता है कि आम के पेड़ के पास कुछ अज्ञात व्यक्ति पके हुए आम चुराने की फिराक में है। आप जा कर देख लीजिये। यह खबर देते वक्त केशव घर पर नहीं होता है, पर केशव के घर आते ही उसकी पत्नी यह खबर केशव को सुनाती है।
केशव बोलता है, “हां, हां सुन लिया अब खाना लगा। वैसे भी मामला राजा के दरबार में विचाराधीन है, फैसला होना बाकी है। पता नही, आम का पेड़, हमें मिलेगा या नहीं। और खाली पेट चोरों से लड़ने की ताकत कहाँ से आएगी। वैसे भी चोरों के पास तो आजकल हथियार भी होते हैं।”
मंत्री के गुप्तचर केशव की यह बात सुनकर मंत्री को बता देता हैं।
ऐसी ही झूठी खबर दूसरा गुप्तचर राघव के घर जाकर भी देता है कि, “आप के आम के पेड़ के पास कुछ अज्ञात व्यक्ति पके हुए आम चुराने की फिराक में हैं। आप जा कर देख लीजिये।”
यह खबर देते वक्त राघव भी अपने घर पर नहीं होता है, पर राघव के घर आते ही उसकी पत्नी यह खबर राघव को सुनाती है।
राघव आव देखता है न ताव, फ़ौरन लाठी उठाता है और पेड़ की ओर भागता है। उसकी पत्नी आवाज लगाती है, अरे खाना तो खा लो फिर जाना, राघव जवाब देता है कि खाना भागा नहीं जाएगा पर हमारे आम के पेड़ से आम चोरी हो गए तो वह वापस नहीं आएंगे। इतना बोल कर राघव दौड़ता हुआ पेड़ के पास चला जाता है।
आदेश के अनुसार “झूठा समाचार” पहुंचाने वाला व्यक्ति मंत्री को सारी बात बता देते हैं।
दूसरे दिन राजा के दरबार में राघव और केशव को बुलाया जाता है। मंत्री रात को किए हुए परीक्षण का वृतांत राजा को सुना देते हैं जिसमें भेजे गए दोनों व्यक्ति गवाही देते हैं। राजा, राघव को आम के पेड़ का मालिक घोषित करते हैं, और केशव को पेड़ पर झूठा दावा करने के लिए कड़ा दंड देते हैं। मामले को बुद्धि पूर्वक, चतुराई से सुलझाने के लिए मंत्री की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हैं। जो परिश्रम करके अपनी किसी वस्तु या संपत्ति का जतन करता है उसे उसकी परवाह अधिक होती है। ठगी करने वाले व्यक्ति को अंत में दण्डित होना पड़ता है, इसलिए कभी किसी को धोखा ना दें।
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