Buffalo Flight (Satire) in Hindi Comedy stories by Alok Mishra books and stories PDF | भैंस की उड़ान ( व्यंग्य)

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भैंस की उड़ान ( व्यंग्य)

भैंस की उड़ान

कहावत तो सुनी होगी " अकल बड़ी या भैंस ।" हमारे आस पास बहुत से लोग हैं जिनके लिए भैंस ही बड़ी होती है । उनके लिए भैंस कहां और अकल कहां ? उन्हीं में से एक है हमारे श्यामलाल जी । श्यामलाल की अकल केवल रुपए पैसे वाले कामों में चलती है, बाकी समय तो वह अपनी भैंसों के साथ व्यस्त रहते हैं । उस दिन समाचार मिला कि एक हवाई जहाज भैंस से टकरा गया । संयोग से उसी दिन श्यामलाल जी के दर्शन हो गए । वे एकदम तपाक से " बोले अरे भाई साहब.... आपने सुना क्या भैस हवाई जहाज से टकरा गई ?" मैंने जवाब दिया " हां ...समाचार तो सुना था ।" वे पुनः पूछ बैठे " ऐसी कौन सी भैंस है जो उड़ती भी है ? " हम तो उनकी इस भैंस की उड़ान पर आवाक ही रह गए । उन्हें क्या जवाब देते ? जरूरी काम का बहाना बनाकर वहां से खिसक लिए ‌‌।
अब हम सोच रहे हैं कि अकल उड़ान भरे या न भरे लेकिन भैंस उड़ान भरने लगी है । अक्ल वाले चाक और कलम घिसते रहते हैं ,चप्पले चटकाते रहते हैं और मर जाते हैं ।भैंस वाले मुर्ग मुसल्लम खाते हैं , नाम कमाते हैं और मंच सजाते हैं । देखा जाए तो भैंस ही उड़ान भर रही है । भैंस की उड़ान के चक्कर में कुछ लोग निकल पड़े भ्रष्टाचार समाप्त करने, काला धन लाने और जनता को न्याय दिलाने इन भैंस वालों को कौन समझाए की राजनीति और प्रशासन का तो अचार ही भ्रष्टाचार है । बिना अचार के आज तक कोई थाली सजी है क्या ? अब ऐसी उड़ान भरती भैंसे हवा जाए , हवाई जहाज से टकराए या जमीन पर धप्प से गिरे; इससे क्या फर्क पड़ता है । कुछ लोग इन्हीं भैंसों की उड़ान के साथ सिंहासन पकड़ लेते हैं , फिर वहां बैठ कर जनता को लंबे-लंबे भाषण देते हैं । वे यह बताना नहीं भूलते कि जनता के दिन फिरने वाले हैं लेकिन कितनी पंचवर्षीय योजनाओं के बाद वे तो बिल्कुल नहीं बताते । जनता तो बस तालियां बजा-बजा कर हथेली लाल कर लेती है । खैर साहब .... जिसकी लाठी उसकी भैंस ।
अब आपको लग रहा होगा चलो हम तो बचे, होंगे कोई भैंस वाले ‌। साहब चुनाव के समय आपकी अकल क्या भैंस चराने चली जाती है जो आप अपने घर बैठ कर टी.व्ही. का मजा लेते रहते हैं । कब आप सब पहुंचते हैं वोट डालने? फिर कहते हैं फंला नेता ऐसा है.... फला नेता वैसा है ।
जब आप वोट ही नहीं डालते । अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनते तो आप भी भैंस की उड़ान वालों की गिनती में शामिल हो जाते हो । आपको बुरा लगा क्या ? बिल्कुल लगना भी चाहिए । बुरा लगा हो तो चुनाव हो मतदान करके अकल वालों में शामिल जरूर हो जाना
हम सभी कभी न कभी भैंस वाले होते हैं। अक्सर दूसरों के मामलों में अक्ल वाले, स्वयं के मामलों में हम भैंस वाले बन जाते हैं । घर का कचरा साफ और गली में कचरे का ढेर भी भैंस वालों की निशानी है । पान, गुटखा खाकर यहां वहां थूकते , दीवारों के सहारे लघु शंका करते और खुले में शौच करते भैंस वालों से देश भरा पड़ा है । इन छोटे भैंस वालों को उचित व्यवस्था देकर न देकर कोरे वादे करने वाले बड़े-बड़े भैस वाले होते हैं ।
दूसरों को सदाचार का पाठ पढ़ाने वाले , जब स्वयं दुराचार में लिप्त हो तो अकल को जेब में रखकर वे भैंस के साथ उड़ान भर रहे होते हैं । जब आपको सरकारी दफ्तर में कोई काम हो और आप अचार अर्थात भ्रष्टाचार का स्वाद चख ले तो समझें आप भी भैंस वालों में शामिल हो गए हैं । जब आप न्यायालय में पेशी बढ़ाने के लिए पैसे दे रहे होते हैं तो आपके दूसरे हाथ में भैंस की पूछ ही होती है ‌ जब प्रशासन किसी घटना विशेष से कुछ समय के लिए जाग जाता है और जनता की नींद हराम कर देता है तो समझ लेना बड़े अफसर भैंस के साथ उड़ान भर रहे हैं । कुछ दिनों के बाद पूरा प्रशासन भैंस की पीठ पर खर्राटे भरता हुआ नजर आएगा । हमारे पुरखे यह बात पहले ही जान गए थे कि धीरे-धीरे वो जमात बढ़ेगी जो भैंस को अकल से बड़ा भले ही ना कहें लेकिन अकल का काम भैंस से ही लेने लगेंगे । वे अकल और भैस को समान अर्थों में मानते थे। आज उनकी इस बात को जो मानता है । वह फल फूल रहा है। मुझे जो कहना था वह मैं कह चुका । अब आप कुछ समझे या मैने केवल भैंस के आगे बीन बजाई ।
आलोक मिश्रा"मनमौजी"