Incidentally in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | इत्तफाक-

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इत्तफाक-

"अरे आप? राजन बस की क्यू मे लगा,तो अपने आगे लगी युवती को देखकर चोंका था,"कल आप मेट्रो में मिली थीं और आज
राजन की बात सुनकर वह युवती मुस्करायी लेकिन बोली नही
"मेरा नाम राजन है।पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ।क्या आपका नाम जान सकता हूँ?"राजन अपना परिचय देते हुए बोला।
"सालू"उसने सक्षिप्त सा उत्तर दिया था।
"लगता है आप सर्विस करती है?"
"जी मैं टीचर हूँ।"सालू ने अपने बारे में बताया था।
कुछ देर के लिए दोनों के बीच मौन छा गया।उसको तोड़ते हुए सालू बोली,"आपका दिल्ली कैसे आना हुआ।"
"फ्रेंड कि बहन की शादी में आया था।
"अब आप कहाँ जा रहे है?"
"पहली बार दिल्ली आया हूँ।सोचा आया हूँ,तो घूम ही लूं",राजन बोला,"दोस्त के पास समय नही है।वह शादी के कामो में व्यस्त है।कुछ दोस्त ने बता दिया है।कुछ लोगो से पूछ लूंगा।"
"आप नए है।कहाँ कहाँ पूछेंगे।"सालू बोली,"चलो मैं आपको घुमा देती हूँ।"
"आप घुमाएँगी,"सालू की बात सुनकर राजन बोला,"लगता है,आप खुद ही कहीं जा रही हैं।फिर मुझे कैसे घुमाएँगी?"
" आज छुट्टी है।घर मे बोर ही रही थी।इसलिए सहेली के घर जा रही थी।"
"फिर कैसे घुमाएँगी"?राजन ने पूछा था।
"सहेली तो दिल्ली मे ही रह्ती है।उसके पास किसी और दिन चली जाऊंगी,"सालू,राजन से बोली,"आप पहली बार दिल्ली आए हैं।आज आपको घुमा देती हूँ।"
" थैंक्यू,"सालू को धन्यवाद देते हुए राजन बोला,"आप जैसा हसीन साथी होगा,तो घूमने में भी आनंद आएगा।"
राजन सालू के साथ चल पड़ा।इंडिया गेट,अक्षरधाम,बिड़ला मन्दिर आदि जगह घूमने के बाद वे दोनों एक पार्क में आ बैठे थे।वे दोनो बाते करने लगे।आज पहली ही मुलाकात में वे ऐसे दोस्त बन गए थे कि औपचारिकता छोड़कर तुम पर आ गए थे।और बातो ही बातों में सालू को निहारते हुए बोला,"अभी शादी नही हुई।"
"नही"।सालू ने गर्दन हिलाई थी।
"क्या शादी का इरादा नही है?"
"हर कुंवारी लड़की का सपना होता है।राजकुमार सा पति।अपना घर और बच्चे।मेरा भी था,"सालू बोली,"लेकिन जरूरी नही।हर लड़की का सपना पूरा हो।"
"तुम्हारा सपना पूरा क्यो नही होगा?सूंदर हो।शिक्षित हो और सर्विस भी करती हो,"राजन बोला,"तुम्हे अपनी बनाने वाले तो बहुत मिल जाएंगे।"
"मेरी मां ने भी तुम्हारी तरह ही सोचा था।लेकिन सुंदरता और शिक्षा के साथ लोगो को दहेज भी चाहिए।जितना अच्छा लड़के का पद उतनी ही ज्यादा दहेज की मांग।बिना दहेज कोई मेरे को अपनी बनाने के लिए तैयार नही हुआ।मेरी मां कहां से लाती इतना दहेज?औऱ बेचारी मेरी शादी का सपना लिए ही दुनिया से चली गई।"सालू अपनी आप बीती सुनाकर उदास हो गई थी।
"सॉरी,"राजन ने सालू को सांत्वना देने के लिए अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया,"मुझे मालूम होता।तुम्हे मेरे प्रश्न से दुख होगा।तो मै यह बात छेड़ता ही नही।"
"तुम्हारी शादी हो गई।"
"मैं तो शादी करना चाहता हूँ,लेकिन मुझे कोई अपनी लड़की देने के लिए तैयार नही है।"
"क्यों?
"क्या करोगी जानकर।रहने दो"।
"अगर ऐतराज न हों तो बताओ।"
"मैं एक वेश्या पुत्र हूं,"राजन अपना अतीत सालू को बताते हुए बोला,"कोई भी शरीफ अपनी बेटी मुझे देने के लिए तैयार नही है।"
"अतीत तो सबका होता है।लेकिन ज़िंदगी तो वर्तमान से चलती है,"सालू बोली,"स्मार्ट हो,शरीफ हो,अच्छी सर्विस करते हो।तुम्हे अपना बनाने के लिए तो बहुत सी लड़कियां तैयार हो जाएंगी।"
"तुम भी?"राजन ने पूछा था।
"मैं?"सालू ने राजन पर प्रश्नसूचक नज़र डाली थी।
"हां तुम,"राजन बोला,"अभी तुम्ही ने कहा था।स्मार्ट होशरीफ हो,सर्विस करते हो।तुमसे शादी करने को कोई भी लड़की तैयार हो जाएगी।क्या तुम करोगी मुझसे शादी?"
"मैं राजन की बात सुनकर सालू अचकचा गई।उसकी समझ मे नही आ रहा था।अचानक आये शादी के प्रस्ताव पर क्या निर्णय ले।
उसको असमंजश में देखकर राजन बोला,"कोई भी लड़की वेश्या पुत्र को अपना भविष्य नही सौपेगी।"
""राजन,मुझे तुम्हारा प्रस्ताव मंजूर है।मैं बनूँगी तुम्हारी पत्नी।"सालू मन ही मन दृढ़ निश्चय करके बोली थी।
राजन और सालू ने भी नही सोचा होगा।कुछ घण्टो का साथ जीवन भर के साथ मे बदल जायेगा