Kuchh chitra mann ke kainvas se - 24 in Hindi Travel stories by Sudha Adesh books and stories PDF | कुछ चित्र मन के कैनवास से - 24 - नियाग्रा फॉल…'हनीमून कैपिटल'- - 2

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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 24 - नियाग्रा फॉल…'हनीमून कैपिटल'- - 2

2नियाग्रा फॉल…'हनीमून कैपिटल'-

वस्तुतः बर्फ की एक बहुत बड़ी सतह या पिंड के गिरने के कारण एक बड़ी नदी जिसे लेक ऐरी का नाम दिया गया, नियाग्रा फॉल के निर्माण का कारण बनी। इसके कारण शहर का नाम ही नियाग्रा तथा नदी का नाम नियाग्रा रिवर पड़ गया । यह नदी लगभग 12,000 वर्षों से बहती आ रही है । मौलिक रूप से इस फॉल का निर्माण लुइस्तन शहर के 7 मेल उत्तर में हुआ था लेकिन कटाव के कारण अब यह लुइस्तन तथा ओंटीरिओ के लगभग बीच में स्थित है । नियाग्रा नदी इंटरनेशनल बाउंड्री द्वारा दो भागों में विभक्त है नियाग्रा फॉल और न्यूयॉर्क तथा नियाग्रा फॉल और ओंटीरिओ नदी पर बने रेनबो पल द्वारा जुड़े हुए हैं ।

कनाडा की तरफ स्थित फॉल घोड़े की नाल के आकार का है जिसका 2,200 फीट का अत्यंत गहरा कटाव है । इसकी ऊंचाई 177 फीट है अर्थात पानी 177 फीट ऊंचाई से नीचे गिर कर फॉल का निर्माण करता है वहीं अमेरिका की तरफ स्थित फॉल का 1,075 फीट का सीधा कटाव है तथा इसकी ऊंचाई 184 सीट है । तीसरा छोटा ब्राइडल वेल फॉल है जो नियाग्रा फॉल से लूना और गोट आइसलैंड द्वारा अलग होता है ।

फॉल में गिरने से पहले आधे से अधिक पानी पावर जनरेशन के लिए ले लिया जाता है । अगर जनरेशन के लिए पानी को डायवर्ट ना किया जाए तो 1.5 गैलन पानी एक सेकेंड में कटाव से नीचे गिरेगा । वास्तव में 700,000 गैलन पानी प्रति सेकेंड गिरकर अद्वितीय फॉल का निर्माण करता है ।

2,000 वर्षों से यहां लोग रह रहे हैं । एक पुजारी फादर लुईस हेनिपेन ने जब 1678 में जब इस झरने को देखा तो वह प्रार्थना की मुद्रा में घुटने के बल बैठ गया तथा कह उठा... पूरी पृथ्वी पर इसके जैसा झरना हो ही नहीं सकता...।

सन 1820 में स्टीमशिप तथा सन 1840 में रेल के द्वारा यहां आने का साधन उपलब्ध होने से ज्यह स्थान पर्यटकों के लिए उपलब्ध हो गया । एक पुरानी कहावत के अनुसार जो लोग यहां हनीमून के लिए आते हैं उनका प्यार उतना ही चिरस्थाई रहता है जितना कि यह फॉल है ...सचमुच हनीमून के लिए यह स्थान स्वर्ग से कम नहीं है शायद इसीलिए इसे 'हनीमून कैपिटल ' भी कहा जाता है । यह फॉल एक वर्ष में लगभग ढाई इंच कट रहा है लेकिन फिर भी सदियों तक अपने इसी रूप में लोगों को आकर्षित करता रहेगा ।

नियाग्रा फॉल के अतिरिक्त अमेरिका तथा कनाडा की तरफ के कुछ अन्य दर्शनीय स्थल है ...जैसे गोट आइसलैंड, डिस्कवरी सेंटर, रेनबो ब्रिज, प्रोस्पेक्ट पॉइंट, क्लिफ्टन हिल, ओके गार्डन पार्क, क्वीन विक्टोरिया पार्क, वर्ल्ड ऑफ लास्ट किंग्डम, स्काईलोन टॉवर, स्काई व्हील, फॉल व्यू वाटर पार्क, आईमैक्स थियेटर , वर्लपूल एरो कार, फ्लोरल क्लॉक, बटरफ्लाई एक्ज़िबिट, हेलीकॉप्टर राइड इत्यादि । इसके अतिरिक्त नियाग्रा सीनिक ट्रॉली चलती है जो तीन मील तक फैले नियाग्रा पार्क का गाइडेड टूर कराती है ।

अभी मैं पढ़ ही रही थी कि झरने के पानी पर विभिन्न तरह की लाइटें, सर्च लाइट के द्वारा पड़ने लगीं । इन विभिन्न प्रकाश की किरणों ने एक अलग ही दृश्य पैदा कर दिया था । लग रहा था जैसे बहुत सारे रंगों का पानी एक साथ गिरकर एक गहरे कुंड में समा रहा है । सूरज अस्तांचल में विश्राम के लिए जाने लगा था । हमने सोचा अब खा-पीकर आराम किया जाए अतः झरने के सामने बने वेलकम सेंटर में चले गए । वहां भी एक रिसेप्शन काउंटर था । वहां से कुछ जानकारी प्राप्त कर अंततः इस दृश्य को देखने के लिए हमने वहीं स्थित रेस्टोरेंट में खाने का मन बनाया तथा ऐसी टेबिल का चुनाव किया जहां से दोनों झरने नजर आएं । खाते-खाते झरने को निहारना अत्यंत ही अच्छा लग रहा था ।

हम खाकर अपने कमरे में लौट ही रहे थे कि अचानक क्रैकर्स शो प्रारंभ हो गया । आकाश में बनती बिगड़ती विभिन्न आकृतियों ने मन को सहज ही मोह लिया । सच तो यह था कि कभी हम आकाश की तरफ देखते जहां विभिन्न तरह तरह के दृश्य पटाखों द्वारा बनाए जा रहे थे तो कभी झरने की तरफ जिसमें विभिन्न रंग फॉल ( झरने ) की लहरों को एक मायावी रूप प्रदान कर रहे थे । हमें पता चला कि यह क्रेकर शो हफ्ते में दो बार होता है । शुक्रवार तथा इतवार की रात को 8:00 बजे तथा कुछ छुट्टी के दिन भी ...संयोग से उस दिन शुक्रवार था ।

खाना खाकर हम अपने कमरे की ओर जा रहे थे पर अभी भी फॉल की खूबसूरती देखने को मन मचल रहा था पर सब कुछ चाहने से ही तो नहीं होता... समय का भी ध्यान रखना पड़ता है । अपने कमरे में आकर फॉल की तरफ देखा तो पाया अभी भी सर्च लाइट के जरिए फॉल पर विभिन्न तरह के रंग डाले जा रहे हैं जिसके कारण फॉल की खूबसूरती और भी बढ़ गई है । उस समय ऐसा महसूस हो रहा था जिसने अमेरिका आकर यह फॉल नहीं देखा तो उसने कुछ भी नहीं देखा ।

हमने टी, कॉफी मेकर द्वारा काफी बनाकर पी । आदेशजी और पंकज जी अपने -अपने बेड पर लेट गए और शीघ्र ही सो भी गए । दरअसल हमने अपनी सुविधा के लिए ऐसा कमरा लिया था जिसमें एक ही कमरे में दो डबल बेड थे । मैं और प्रभा रूम में पड़ी कुर्सियों पर बैठकर फॉल का आनंद लेते हुए बातें करने लगे । दो स्त्रियां , वह भी दो बहनों की बातों का भी कभी अंत हो सकता है । आखिर समय ने हमें जताया तो हमने सोचा चलो अब बातों को विराम देकर विश्राम कर ही लिया जाए क्योंकि सुबह फिर से नियाग्रा शहर के अन्य पर्यटन स्थलों को घूमना है ।

सुधा आदेश
क्रमशः