जिंदगी के कुछ किस्से भी ख्वाब जैसे होते हैं, जिनके बारे में सिवाय हमारे कोई नहीं जानता। हम सभी ऐसे कई राज, मुलाकातें, किस्से अपने साथ लेकर चलते हैं जिसके गवाह सिर्फ और सिर्फ हम होते हैं । श्रेया की जिंदगी के भी कई राज थे जिन्हें वो खुद से भी कहना पसंद नहीं करती थी, श्रेया 13 साल की थी जब उसे पहली बार प्यार हुआ था। अमन श्रेया का पड़ोसी था, जब पहली बार अमन की फैमिली श्रेया की कॉलोनी में रहने आई थी तो पहली नजर में अमन को देखते ही श्रेया का दिल जोर जोर से धड़कने लगा था, उससे पहले श्रेया को प्यार सिर्फ टीवी सीरियल और फिल्मों की मनगढ़त कहानी लगता था, पर अमन को देखकर श्रेया को एहसास हुआ कि प्यार होता है। कुछ ही वक्त में दोनों बहुत अच्छे दोस्त भी बन गए थे, ऋषिकेश की कोई गली या कोई जगह ही शायद ऐसी थी जहां दोनों साथ ना घूमें हों, अमन और श्रेया के घरों की छत भी जुड़ी हुई थी इसलिए दोनों का फेवरिट अड्डा भी वही हुआ करता था। अमन हर वीरवार को व्रत रखा करता था और शाम को व्रत की खीर भगवान के बाद सीधा श्रेया को देता। अमन ऐसा क्यों करता था ये तो श्रेया नहीं जानती थी पर उसका ऐसा करना श्रेया को उससे और मोहब्बत करने पर मजबूर कर देता था। अपनी पॉकेट मनी से पैसे बचाकर श्रेया के लिए चॉकलेट लाना, देर रात तक छत पर बैठकर स्टार्स में एक दूसरे के नाम के पहले अक्षर को ढूंढना रोज की कहानी हो गई थी। अमन की बहन ऋतु भी श्रेया की अच्छी दोस्ती थी इसलिए श्रेया का अमन के घर पर आना जाना भी आम था, तीनों मिलकर अक्सर साथ में फिल्में देखा करते थे। ऋतु अक्सर फिल्म देखते देखते शो जाया करती थी पर अमन और श्रेया साथ बैठकर पूरी फिल्म देखते । अमन श्रेया की गोद में सिर रखकर टीवी देखा करता था, श्रेया भी टीवी देखते हुए अमन के बालों में हाथ फेरती रहती, कभी अगर श्रेया हाथ फेरना बंद भी कर देती, तो अमन श्रेया का हाथ खुद से अपने सिर पर रखकर उसे याद दिलाता कि उसे उसके बालों को सहलाना है, दोनों के बीच कितना भी झगड़ा क्यों ना हो, पर अमन गुस्से में भी सिर्फ श्रेया को ही देखना पसंद करता । श्रेया और अमन एक दूसरे के लिए एक दवा की तरह थे जिसके बिना उनका कोई मरहम ठीक नहीं होता। फिर स्कूल खत्म होने के बाद अमन आर्मी की तैयारी करने लगा और श्रेया ने भी जर्नलिज्म के लिए कॉलेज ढूंढना शुरु कर दिया। श्रेया कॉलेज शुरु होने से पहले अमन को अपने दिल की बात बता देना चाहती थी, इसलिए जब हमेशा की तरह अमन और श्रेया छत पर मिले तो श्रेया ने अमन से कहा कि वो उससे कुछ कहना चाहती है, अमन ने मुस्कुराते हुए कहा कि बताओ क्या हुआ ? श्रेया का दिल वैसे तो अमन को देखकर हमेशा ही जोर जोर से धड़कता था पर उसदिन उन धड़कनों में एक डर भी था अमन को खोने का। अमन ने फिर दोहराया - बोलो क्या हुआ ? रात के अंधेरे में श्रेया का चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा था पर शर्म से लाल हो चुके उसके चेहरे का एहसास अमन को भी हो गया था, श्रेया कई बार अपनी बात कहते कहते रुक जाती, पर फिर फाइनली श्रेया ने कह ही दिया।
श्रेया - "कोई है जो तुम्हें पसंद करता है,
अमन ने मुस्कुराते हुए कहा - कौन ?
फिर श्रेया ने अमन का फोन लिया और उस पर टाइप किया - Me...
अमन ने मैसेज पढ़ते ही श्रेया की तरफ देखा। अमन को चुप देखकर श्रेया का डर बढ़ने लगा था।
श्रेया ने अमन को देखते हुए कहा- yaar, मैं तुझसे प्यार करती हूं, पर अगर तू नहीं करता तो कोई बात नहीं। हम लोग दोस्त तो हमेशा ही रहेंगे ना। पर तू कुछ बोल तो सही। यार तुझे पता हैना अगर तू जवाब नहीं देगा तो मुझे रात भर नींद नहीं आएगी और मैं यही सोचती रहूंगी कि तू मुझे पंसद करता है या नहीं ।
अमन ने कुछ पल श्रेया की आंखों में देखा। उतने में अमन की मॉम ने उसे खाने के लिए आवाज लगाई।
अमन की मां - अमन, अमन इतनी रात को छत पर क्या कर रहा है, खाना नहीं खाना क्या ?
अपनी मां की आवाज सुनकर अमन बिना कुछ कहे वहां से चला गया। श्रेया ने अमन का जवाब जानने के लिए उसे कई मैसेजस किए पर अमन ने कोई जवाब नहीं दिया। उस दिन के बाद अमन ने श्रेया से दूरी बनना शुरु कर दिया। श्रेया को यकीन हो गया कि अमन उसे पसंद नहीं करता। श्रेया दूर से अमन को देखा करती और जैसे -जैसे दिन बितने लगे श्रेया का ये दर्द कम होने की बजाय बढ़ने लगा। श्रेया को समझ आ गया कि जब तक अमन उसके सामने रहेगा वो कभी मूव ऑन नहीं कर पाएगी। इसलिए श्रेया ने अपना एडमिशन दिल्ली के एक कॉलेज में करवा लिया। दिल्ली जाने से पहले श्रेया आखिरी बार अमन के घर गई। वो आंटी से मिली और फिर उसने एक नजर अमन के कमरे की तरफ घूमाई। अमन वॉलीबॉल खेलने जाने के लिए तैयार हो रहा था। आंटी ने श्रेया के लिए उसकी फेवरिट मठरी बनाई थी, आंटी श्रेया के लिए मठरी लाने किचन में गई तो उतने में अमन अपने कमरे से बाहर आया और अमन को देखकर श्रेया ने हड़बड़ाहट में अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमाई ताकि अमन को ये ना लगे कि वो यहां उसे देखने आई थी।
अमन श्रेया के पास गया और बोला - जा रही हो ।
श्रेेया ने सिर हिलाते हुए हां में जवाब दिया। फिर अमन ने श्रेया की तरफ देखते हुए कहा ।
अमन - ऋतु से मिलना है तो वो अपने कमरे में है । ( और वो वहां से जाने लगा ।)
तभी श्रेया ने कहा - आज मैं जा रही हूं कम से कम आज तो जवाब दे दो। मैं तुम से किसी प्यार की उम्मीद नहीं कर रही । पर मैं तुम्हारी ना सुनना चाहती हूं, क्योंकि हो सकता है तुम्हारी ना मुझे शायद उतनी तकलीफ ना दे जितनी तुम्हारी खामोशी दे रही है।
अमन के चेहरे पर ना मुस्कान थी ना दर्द, बस एक अजीब सी खामोशी।
अमन ने श्रेया की तरफ देखते हुए कहा- समझने वाला समझ जाता है।
इतना कहकर अमन वहां से चला गया। श्रेया का दिल आंसूओं से भीग चुका था पर चेहरे उसने भी झूठी मुस्कान लगा ली थी। वो समझ चुकी थी कि उसे अपनी जिंदगी अब इन्ही अधूरे सवालों के साथ काटनी है। इतने में आंटी भी मठरी लेकर आ गई और श्रेया को पकड़ते हुए कहा- बेटा ये ले, तुझे पसंद हैना। दिल्ली मैं जब भी हमारी याद आए ऋतु या अमन को फोन कर लेना। श्रेया आंटी के गले मिली और अपने घर की तरफ चल दी। पहली बार श्रेया अकेले ऋषिकेश को छोड़कर किसी दूसरे शहर रहने जा रही थी। पर उसके दिल में नए शहर के डर से ज्यादा पुराने शहर का दिया वो घाव था जो शायद ही कभी भरपाए। एकतरफा प्यार में तकलीफ तो हर किसी को होती पर शायद इंकार से ज्यादा तकलीफ लोगों की खामोशी देती है। जिसका बोझ श्रेया अपने साथ लेकर जा रही थी। टैक्सी के गली से निकलते ही श्रेया के आंसू छलकना भी शुरु हो गए। टैक्सी ड्राइवर को लग रहा था कि श्रेया अपने घरवालों से दूर जाने के गम में रो रही है, पर वजह तो आज भी अमन ही था।
रोते हुए श्रेया की नजर अचानक सड़क किनारे खड़ी बाइक पर पड़ी। जिस पर अमन बैठा हुआ था। ये श्रेया का वहम था या सच में अमन वहां था वो नहीं जानती थी पर उसके बाद उसके आंसूओं की धार और बढ़ने लगी।
7 घंटे के सफर के बाद अब श्रेया दिल्ली पहुंच चुकी थी। बस स्टॉप पर चाचा जी श्रेया को लेने आए थे। श्रेया के चाचा चाची दिल्ली में ही रहा करते थे उनकी कोई औलाद नहीं थी पर चाचा जी श्रेया को भी अपनी बेटी ही मानते थे, हां चाची थोड़ा कड़वा बोलती थी पर श्रेया उनकी बातों को दिल पर नहीं लेती थी।
दिल्ली में पहली सुबह श्रेया के लिए बहुत खास थी, आज भी अमन के चेहरे को याद कर ही उसकी आंख खुली थी, पर फिर उसने अमन की यादों को अपने सूटकेस में बंद किया और अपने कमरे की खिड़कियां खोली। दिल्ली ऋषिकेश की तरह शांत नहीं था, गली में बच्चों का क्रिकेट टूर्नामेंट, रेड़ी वालों की आवाज और गाड़ी के हॉर्न से यहां लोगों की सुबह होती थी, पर ये इतना बुरा भी नहीं था। श्रेया कॉलेज के पहले दिन अपना फेवरिट व्हाइट टॉप पहनकर गई, जिसे वो अक्सर तब पहना करती थी जब बहुत खुश होती थी। आज वो खुश तो नहीं थी पर खुश होना जरुर चाहती थी। इसलिए उसने उस टॉप को चुना। कॉलेज का पहला दिन था और श्रेया के सफर की नई शुरुआत। श्रेया ने तय कर लिया था कि अब उसके सपने ही उसकी मोहब्बत है इसलिए जहां उसके क्लासमेट बंक मार कर कभी सिनेमा तो कभी पार्क में बैठे नजर आते थे, वो सिर्फ अपने प्रोजेक्ट पूरा करने में वक्त निकाल देती । इस दौरान उसकी एक दोस्त भी बन गई थी जिसका नाम प्रोरिमा था। प्रोरिमा बंगाल से थी लेकिन अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रहती थी, प्रोरिमा की लव स्टोरी भी श्रेया जैसी ही थी बस फर्क इतना था कि प्रोरिमा को यकीन था कि जिसे वो प्यार करती वो उसे प्यार नहीं करता इसलिए प्रोरिमा ने कभी अपने प्यार का इजहार किया ही नहीं। प्रोरिमा और श्रेया अक्सर साथ ही रहते और कॉलेज खत्म होने के बाद घर चले जाते। दिल्ली में श्रेया सफर आसानी नहीं था, पर उसके लिए दिल्ली की दी चोट आज भी ऋषिकेश में मिले घाव से कम ही थी । कॉलेज में एडमिशन के एक महीने बाद ही श्रेया के पापा की जॉब चली गई। पापा ने श्रेया को कॉलेज छोड़कर घर वापस आने को कहा, क्योंकि वो उसकी फीस नहीं भर सकते थे। पर श्रेया ऐसा करना नहीं चाहती थी। श्रेया और उसके पिता के बीच मनमुटाव बढ़ने लगे। फिर भी मां श्रेया को कुछ पैसे भेज दिया करती थी, पर इतने पैसे कॉलेज की फीस के लिए काफी नहीं थे, इसलिए श्रेया ने कॉलेज के बाद पार्ट टाइम जॉब करना शुरु किया। वो सुबह कॉलेज शुरु होने से पहले और कॉलेज खत्म होने के बाद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करती। इसी दौरान श्रेया को कॉलेज में एक प्रोजेक्ट मिला जिसमें उसे शॉर्ट फिल्म तैयार करके कॉलेज में समिट करानी थी। श्रेया ने स्क्रिप्ट लिखी और प्रोरिमा ने कॉलेज से कैमरे का इतंजाम किया पर अभी उन्हें अपनी फिल्म में एक्टिंग करने के लिए कुछ लड़कों की जरुरत थी। अपने बैच में श्रेया और प्रोरिमा की किसी से कोई खास दोस्ती नहीं थी, इसलिए किसी ने भी उसके प्रोजेक्ट में काम करने के लिए हामी नहीं भरी। फिर कॉलेज के रिसेप्शन पर श्रेया को आकाश मिला । आकाश को देखते ही श्रेया ने बिना कुछ सोचे उसे अपनी फिल्म में काम करने के लिए पूछ लिया । आकाश ने भी हामी भर दी । फिर बातों बातों में श्रेया को पता चला कि आकाश भी पहाड़ी है और वो देहरादून से है। इस बात को जानने के बाद आकाश और श्रेया की दोस्ती और गहरी हो गई। श्रेया को पहली बार एक अनजान शहर में अपनेपन का एहसास हुआ था और उसी दिन कॉलेज की सीढ़ियों पर श्रेया को रोहित भी मिला। रोहित और आकाश एक ही बैच में थे और दोनों एक दूसरे को कुछ खास पसंद नहीं करते थे, पर ये बात श्रेया नहीं जानती थी। रोहित दिखने में काफी हैंडसम था और स्मार्ट भी। रोहित को देखते ही श्रेया को लगा कि यही उसकी फिल्म का हीरो बन सकता और उसने रोहित से उसकी फिल्म में काम करने के लिए बात की। रोहित ने भी फिल्म में काम करने के लिए हामी भर दी।
शूटिंग के दिन रोहित वक्त पर पहुंच गया जिससे श्रेया को काफी अच्छा लगा पर काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी आकाश नहीं आया। श्रेया को लगा कि आकाश नहीं आएगा पर जब श्रेया किसी और से रोल के लिए बात करने ही लगी थी कि आकाश भी आ गया। श्रेया आकाश से गुस्सा तो थी पर उसने थोड़ी बहुत नाराजगी दिखकार आकाश को माफ कर दिया । आकाश केयरफ्री इंसान था उसे हर चीज आखिरी वक्त में करने की आदत थी । आकाश शूट पर आ तो गया था पर कॉस्टयूम घर ही भूल आया था, जिसके बाद श्रेया काफी परेशान हो गई पर फिर जैसे तैसे आकाश के लिए कपड़ों का इंतजाम कराया और शूट खत्म किया। शूटिंग को देखने के लिए आकाश के कुछ दोस्त भी आए थे जिसमें अरमान भी था । अरमान दूर खड़ा श्रेया को फिल्म डायरेक्ट करता देख रहा था और फिर वो पानी की एक बोतल लेकर श्रेया के पास गया ।
अरमान - पानी
श्रेया ने मुस्कुराते हुए कहा- थैंक्स
अरमान - तुम्हारी फिल्म का कॉन्सेप्ट अच्छा है, सर को तुम्हारी फिल्म जरुर पसंद आएगी ।
श्रेया - थैंक्स
अरमान- वैसे मेरा नाम अरमान है
श्रेया - मेरा श्रेया
अरमान - तुम बहुत क्यूट हो
श्रेया ने अरमान की बात का कोई जवाब नहीं दिया और सिर्फ मुस्कुराकर दोबारा शूट पर लौट गई ।
शूटिंग खत्म होने के बाद घर लौटते हुए मेट्रो में श्रेया को अरमान का ख्याल आया। अरमान में कुछ तो अलग था । श्रेया को अरमान का ख्याल आया ही था कि अरमान का मैसेज भी आ गया। अब नंबर कैसे मिला ये सवाल पूछना बेकार था क्योंकि श्रेया जानती थी कि अरमान ने आकाश से नंबर लिया होगा। इसलिए दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला शुरु हो गया। अरमान श्रेया की जिंदगी में वो एहसास बनकर आया था जो उसे अमन को भुलाने में मदद कर रहा था। क्लास के बाहर अक्सर अरमान और आकाश श्रेया और प्रोरिमा का इंतजार किया करते थे। आकाश सबसे कहता कि वो प्रोरिमा से प्यार करता है, ये एक मजाक था पर श्रेया को लगता था कि शायद आकाश सच में प्रोरिमा को पसंद करता है। वहीं प्रोरिमा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था, वो कभी आकाश के बारे में सोचती तक नहीं थी। पर चारों की दोस्ती गहरी हो रही थी। अरमान और श्रेया के बीच कोई तो फीलिंग है इस बात का एहसास प्रोरिमा को था पर आकाश को नहीं। आकाश और श्रेया घंटों अपने घर की बात किया करते, श्रेया के लिए आकाश एक दोस्त की ही तरह था पर आकाश को श्रेया से प्यार होने लगा था। वहीं अरमान और श्रेया के बीच भी कहानी दोस्ती से आगे बढ़ने लगी थी, अरमान श्रेया को उन फीलिंग्स को बताने लगा था जिसका एहसास उसे आज से पहले कभी नहीं हुआ था। अमन को लेकर श्रेया को ख्याल आते थे कि अमन कभी उसे किस करे। पर अरमान की बातें उसके सेक्सुल डिसाजार्स को बाहर लाने लगी थी। फिर एक रोज अरमान ने श्रेया से वन नाइट स्टैंड के लिए पूछा । श्रेया वन नाइट स्टैंड का मतलब नहीं जानती । पर जब उसे इस शब्द का मतलब समझ आया तो उसने इंकार कर दिया। उसने अरमान से कहा कि उन्हें एक दूसरे को अभी और वक्त देना चाहिए। पर अरमान की दिलचस्पी श्रेया के शरीर में थी। हां लेकिन ऐसा भी नहीं था कि अरमान बहुत बुरा था और उसे श्रेया की कोई परवाह नहीं थी, पर उसके लिए उसके जज्बातों से ज्यादा वैल्यू उसके स्टेटस की थी। श्रेया कॉलेज की बाकी लड़कियों की तरह तैयार होकर कॉलेज नहीं आती थी। उसके कपड़ों को लेकर अक्सर स्टूडेंट्स उसका मजाक बनाया करते थे। इसलिए चाह कर भी अरमान उसे अपना नहीं सकता था। फिर फ्रेशर पार्टी का दिन आया। श्रेया के पास ड्रेस खरीदने के लिए ज्यादा पैसे नहीं थे इसलिए श्रेया ने बाजार जाकर 250 रुपये की सेल में लगी एक ड्रेस खरीदी। ये ड्रेस दिखने में ज्यादा खास नहीं थी। पर श्रेया पर काफी अच्छी लग रही थी। श्रेया को ड्रेस में देखकर आकाश काफी खुश था, उसने तय कर लिया था कि वो अपने दिल की बात आज श्रेया को बता देगा। आकाश श्रेया को प्रपोज करने वाला है ये बात अरमान को भी पता चल गई थी। पर शायद उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने दोस्त को सच बता सके। फ्रेशर पार्टी के बाद सब दोस्त मिलकर ट्रथ एंड डेयर खेलने लगे। फिर बोतल श्रेया पर रुकी तो श्रेया ने टूथ्र चुना।
श्रेया से उसके दोस्तों ने पूछा कि क्या उसे कॉलेज में किसी पर क्रश है। श्रेया ने पहले तो कहा कि उसे किसी पर क्रश नहीं है पर काफी जिद्द करने पर श्रेया ने अरमान का नाम लिया। अरमान का नाम सुनकर आकाश का दिल टूट गया था। वो बिना कुछ कहे वहां से उठकर चला गया । श्रेया को समझ नहीं आया कि आकाश को क्या हुआ है। वहीं अरमान भी इस बात से खफा था कि श्रेया ने उसका नाम सबके सामने क्यों ले लिया। आकाश और श्रेया साथ ही घर जाया करते थे इसलिए पार्टी खत्म होने के बाद श्रेया ने आकाश को कई कॉल लगाई ताकि वो उसके साथ घर जा सके पर आकाश ने एक भी कॉल नहीं पिक की। फिर प्रोरिमा और श्रेया घर जाने लगे तो उन्हें मैट्रो स्टेशन पर आकाश नशे की हालत में मिला। आकाश अपने पैंरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। आकाश की ये हालत देखकर श्रेया काफी टेंशन में आ गई । श्रेया ने आकाश को संभालने की काफी कोशिश की पर आकाश सिर्फ यही दोहराया जा रहा था कि श्रेया ने उसे धोखा दिया है। आकाश की बातों से श्रेया का दिल बार बार टूट रहा था पर फिर वो भी अपने दोस्त को संभालना चाहती थी क्योंकि वो जानती थी कि जब दिल टूटता है तो कैसा महसूस होता है। तभी अरमान अपने दोस्तों के साथ वहां आया। अरमान और उसके दोस्तों ने मिलकर आकाश को संभाला और अपने साथ ले गए। प्रोरिमा भी अपने घर चल गई पर श्रेया काफी देर स्टेशन पर खड़ी सिर्फ ये सोचती रही कि उसके साथ ये क्यों हुआ ? काश वो जानती होती कि आकाश के दिल में उसके लिए फीलिंग्स हैं, पर उस पल उसे एहसास हुआ कि जब उसे पता नहीं चला कि आकाश उसे प्यार करता है तो फिर वो अमन से कभी कैसे एक्सपेट कर सकती थी कि उसके दर्द का अंदाजा उसे हो।
घर पहुंचकर श्रेया ने अरमान से बात करने की कोशिश की। पर अरमान ने ये कहकर श्रेया का फोन काट दिया कि उसने उसे और आकाश को धोखा दिया है। उसदिन के बाद अरमान और आकाश ने नए दोस्त बना लिए और श्रेया से बात करना बंद कर दिया। श्रेया के बाकी दोस्त भी उसके पास सिर्फ काम के लिए ही आया करते थे, बिना काम के उससे कोई बात करना पसंद नहीं करता था। इसलिए श्रेया ने खुद ही सबसे दूरी बना ली। उसके पास दोस्त कहने के लिए कोई नहीं था या फिर था- रोहित। श्रेया और रोहित की बहुत कम बात होती थी, दोनों कॉलेज में कभी टकरा जाते तो एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते और आगे बढ़ जाते । पर फिर भी दोनों एक दूसरे की तकलीफ को बहुत अच्छे से समझते थे। श्रेया को रोहित कभी उदास देखता तो कॉल करके उससे बात कर लेता। कभी ये नहीं पूछता कि उसकी तकलीफ क्या है पर बस चुपचुप श्रेया को सुनता रहता जो भी वो कहती। श्रेया भी रोहित के साथ एक जुड़ाव सा महसूस करती थी। पर श्रेया अब और किसी के साथ दिल नहीं लगाना चाहती थी, अमन की खोमाशी, अरमान की बेरुखी और आकाश के इल्जाम पहले ही श्रेया को तोड़ चुके थे। रोहित के दिल में क्या था ये बात रोहित के अलावा कोई नहीं जानता था।
श्रेया अपने दुख को दिल में दबाकर अपने करियर पर फोकस करने लगी। श्रेया को कभी तन्हाई अकेलापन महसूस होता या फिर उसके साथ कुछ बुरा होता तो वो अमन की फोटो देख लेती। अरमान और आकाश से मिलने के बाद श्रेया को एक बात समझ आ गई थी कि भले ही अमन उसका एकतरफा प्यार था पर फिर भी कम से कम उसे वो अपना कह सकती है, वो खुलकर कह सकती है कि वो अमन से प्यार करती थी भले ही अमन उसे प्यार ना करता हो।
फिर कॉलेज खत्म होने तक श्रेया को एक पब्लिशिंग हाउस में राइटर की जॉब भी मिल गई थी। अब धीरे-धीरे श्रेया की फाइलेंशल कंडीशन ठीक होने लगी और पापा के साथ प्रॉब्लम भी खत्म हो गई। सैलरी का आधा हिस्सा श्रेया घर भेजा करती और बाकी बचे पैसे से वो अपना रेंट और बाकी खर्चे पूरा करती। अब श्रेया की लाइफ काफी बदल गई थी, उसके पास रहने के लिए अच्छा अपार्टमेंट भी था और पहने के लिए अच्छे कपड़े भी। पर फिर भी श्रेया के दिल पर लगा वो घाव आज भी ताजा था। वो दोस्त जिन्होंने कॉलेज में श्रेया से मुंह मोड़ लिया था अब वो उसकी फोटोज पर कमेंट करने लगे, मैसेज करके उसका हालचाल पूछने लगे। श्रेया से दूर होने के बाद आकाश भी काफी बदल गया था। आकाश समझ चुका था कि जो भी हुआ उसमें श्रेया की कोई गलती नहीं थी इसलिए जब एक प्रेस इवेंट में आकाश और श्रेया दोबारा मिले तो दोनों के बीच दोबारा दोस्ती हो गई। अरमान से भी कभी कभी श्रेया की बात हो जाय़ा करती थी।
श्रेया की जिंदगी का बुरा वक्त गुजर चुका था और अब दिखने में श्रेया की जिंदगी काफी खूबसूरत नजर आती थी। पर श्रेया के दिल का वो कमरा आज भी खाली था। रोहित शायद श्रेया के उस अकेलेपन को भर सकता था पर श्रेया ने दिल टूटन के डर से उस तरफ कभी कदम बढ़ाया ही नहीं। और वक्त के साथ रोहित से भी श्रेया की बातें कम होने लगी हां लेकिन आज भी अगर कभी दोनों की बात होती तो श्रेया की आवाज से रोहित उसकी तकलीफ का अंदाजा लगा लेता । पर कोई सवाल नहीं करता। ऑफिस ज्वाइन करने के बाद श्रेया को सुमित भी मिला था। सुमित के लिए श्रेया के दिल में कोई जज्बात नहीं थे पर फिर भी वो उसके साथ एक साल तक रिलेशन में रही। शायद इसलिए क्योंकि श्रेया जानती थी कि जिस दिन उसका ये रिश्ता टूटेगा उसदिन उसे तकलीफ नहीं होगी। और ऐसा ही हुआ भी। एक साल बाद सुमित के साथ श्रेया का ब्रेकअप हुआ तो उसे कोई तकलीफ महसूस नहीं हुई, हां खालीपन महसूस हुआ पर वो तो सुमित के साथ भी होता था इसलिए उसे सुमित के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ा।
अमन को देखे 6 साल बीत चुके थे पर श्रेया की एक तरफा मोहब्बत आज भी जिंदा थी हां अब अमन की यादों पर वक्त की हल्की धूल जम गई थी और इस कहानी में कई और किरदार भी आ गए थे पर अमन के लिए श्रेया मोहब्बत पहले जैसी ही थी। श्रेया छुट्टी लेकर अक्सर तभी ऋषिकेश जाती जब अमन घर नहीं आया होता। अमन की आर्मी में पोस्टिंग को भी 5 साल हो गए थे। श्रेया के दिल्ली जाने के कुछ महीनों बाद ही अमन आर्मी में भर्ती हो गया था। अमन साल में जब भी घर आता तो श्रेया के घर की तरफ देखता ये सोचकर कि शायद किसी रोज वो उसकी आवाज सुन पाएगा। उसे देख पाएगा। ये उसका इश्क था या श्रेया के लिए उसकी दोस्ती पता नहीं । पर खालीपन तो उसके साथ भी चल रहा था।
फिर वो साल आया जिसने सबकी जिंदगी बदल दी। कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। अमन भी उस वक्त घर आया हुआ था ये बात श्रेया जानती थी क्योंकि वो घरवालों से बातों बातों में अमन के बारे में पूछ ही लेती थी। घर ना जाना पड़े इसलिए श्रेया दिल्ली में ही चाचा चाची के यहां रहने के लिए चली गई, पर उसी रोज चाचा जी को अमन के पापा का कॉल आया। अमन के पापा ने चाचा को बताया कि अमन को ड्यूटी पर वापस बुला लिया है उसकी फ्लाइट दिल्ली से है। अब लॉकडाउन में होटल तो बंद है इसलिए उन्होंने चाचा चाची से रिक्वेस्ट की कि वो एक दिन उसे वहां रहने दें। अमन की बात थी इसलिए चाचा चाची भी मान गए । पर श्रेया को जब अमन के आने की खबर हुई तो एक बार फिर उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा। मानो दिल पर लगी बरसों की धूल एक झोंके से हट गई हो। श्रेया जानती थी कि अमन के आने से वो घाव फिर ताजा हो जाएंगे जिनपर वो 6 साल से वक्त का मरहम लगा रही है, पर उसके दिल में एक अजीबी सी खुशी भी थी। खुशी 6 साल बाद अमन को देखने की। श्रेया अक्सर अमन का इंस्ट्राग्राम चेक करती थी। पर इतने सालों के बाद अमन को अपनी नजरों के सामने देखने का एहसास कुछ अलग ही होने वाला था। श्रेया ने वो रात बस इन्हीं सवालों के जवाब में करवट लेते हुए काट दी।
सुबह 9 बजे उठने वाली श्रेया आज 5 बजे ही उठ गई थी। उठती भी क्यों नहीं रात बिना नींद के जो कटी थी। अमन को देखने की बेकरारी श्रेया के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। आज कई सालों बाद वो बचपन वाली श्रेया फिर लौट आई थी। जो अपने घर की बालकनी पर खड़ी अमन के वॉलीबॉल खेलकर लौटने का इंतजार करती थी और पसीने से भीगा अमन जो घर लौटता तो घर में जाने से पहले दरवाजे से एक नजर श्रेया की बालकनी की तरफ देखता । इतने सालों से ना उस बालकनी पर कोई नजर आया था ना उस दरवाजे पर खड़ा कोई नजर आया। पर आज जैसे फिर वो वक्त लौटकर आ रहा था। ये शहर वो नहीं था पर यहां भी यादें उसकी थी। घड़ी की हर टिक टिक के साथ श्रेया की धड़कने बढ़ रही थी। आज पहली बार श्रेया के पास लिखने के लिए कुछ नहीं था काफी कोशिशों के बाद भी वो एक शब्द टाइप नहीं कर पाई थी और वक्त रेत की तरफ फिसल रहा था। अमन को देखने की खुशी और फिर उसी घाव के ताजा होने का डर श्रेया को खाए जा रहा था। पर क्या अमन के मन में भी कोई ऐसा ही एहसास था या फिर वो वक्त के साथ सबकुछ भुला चुका था। क्या इस बार श्रेया जान पाएगी कि अमन को उसे कभी प्यार था या नहीं