🎼🎼 जब से तन्हा हूँ 🎼🎼
जब से तन्हा हूँ ,
तब से ज़िन्दगी को अपना है बनाया l
जब से खुद को समझना चाहा ,
तब तब खुद को तन्हा है पाया l
जब से तन्हाई से दोस्ती चाही ,
तब तब किसी के छोड़ जाने का दर्द ना सताया l
जब जब खुद से मिलना चाहा ,
तब तब खुद को तन्हा है पाया l
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🎼🎼 प्यार का किनारा 🎼🎼
प्यार का किनारा ढूंढ़ने चले थे,
पैर यो रखा तो फिसल गए l
डूबना चाहा पर डूब ना पाए ,
किनारा कहा मिले जे जान ना पाए l
किनारा जो मिला तो छूना चाहा ,
पर उस पहले से डूबे किनारे मे ,
हम भी जान डाल ना पाए l
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🎼🎼 हर कोई पूछता है 🎼🎼
हर कोई पूछता है ?
कौन हो तुम ?
क्या बताओ बेवफा है हम ..
उसने वफ़ा करी जो रास ना आई ,
अब बेवफाओ मे खुद को शामिल कर लिया..
उन्हों ने तो कब का माफ कर दिया,
पर खुद को मैं माफ कर ना पाया...
बेवफाई की सजा जो मिली
तो मौत भी रुसवाई करगी ,
उम्र भर का दर्द, ये बेवफाई हमारे हिसे करगी...
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🎼🎼 कुछ कमियाँ तुम मे भी 🎼🎼
एक औरत होती घर का सिंगार ,
जो बनाती है एक मकान को परिवार l
तुम्हारी कमियाँ खुद मे छुपाये ,
खुद वो तेरे अत्याचर सहती जाये l
हर कमी होती ना एक औरत मे ही ,
कुछ कमियाँ होती ,तुम मर्दो मे भी l
जोड़ रखना चाहती वो तुम्हारा परिवार,
इस लिए सहती वो चुप कर तुम्हारे अत्याचार l
खुद की कमियों को, उस औरत पर मत डाल ,
खुद की कमियों को, खुद तो अपनाना
अपने हमसफ़र के साथ मिल कर ,
अपने मकान को तुम घर बनाना l
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🎼🎼 कभी मिलो 🎼🎼
कभी मिलो तभी ,
समझ पाएंगे हमे
कभी मिलो तभी ,
हमारी चुपी से समझ पाएंगे हमे
कभी मिलो तभी,
हमारी आखिओं से पढ़ पाएंगे हमे
कभी मिलो तभी,
दिल की दास्ता बियान कर पाएंगे तुम्हे
कभी मिलो तभी,
पहचान पाएंगे हमे
पर क्या करे ...
कमवख़त ये वक़्त ही तो नहीं हमारा ...
जो, मिल ने आ पाओगे हमे
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🎼🎼सकून की तालाश मे 🎼🎼
चले जो हम घर से ...🏠
देखा हर जगह 👀
मिला न वो हमे किसी मे भी ....
फिर तलाशा जो सकुन खुदी मे
मिला वो सकुन हमीं मे ...
अब की बार जो निकले घर से🏠
सब जगह दिखा सकुन हमे ,सभी मे ...👀👀
क्योंकी अभी चले थे हम जो ,
सब के साथ अपना, सकून बांटने मे ...
सीखी तभी बात हमने ✍️
खुद मे मिला जो सकुन
मिलेगा हर जगह मे...
खुद मे नहीं जो सकुन
मिलेगा ना कभी किसी जाहा (दुनिया ) मे..
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