After hanging - 10 in Hindi Detective stories by Ibne Safi books and stories PDF | फाँसी के बाद - 10

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फाँसी के बाद - 10

(10)

सरला मोटर साइकल से उतर तो गई मगर फ़्लैट के दरवाजे की ओर नहीं बढ़ी । बस वहीँ खड़ी रही । शायद किसी अवसर की ताक में थी । मगर वह लोग भी कम चालाक नहीं थे । कदाचित उन्होंने उसका इरादा भांप लिया था । इसलिये कि एक ने बढ़कर उसकी मोटर साइकल संभाल ली और दूसरे ने उसके बाल मुट्ठियों में जकड़ लिये ।

सरला के मुख से चीख की आवाज भी न निकल सकी । इसलिये कि चीखी तो थी वह पूरी शक्ति से ही मगर मुंह पर पड़ने वाला हाथ भी उतना ही ज़बरदस्त था ।

“शाटे !” – रिवोल्वर वाले ने कहा – “अधिक दमन की आवश्यकता नहीं है । इसे इसके कमरे में ले चलो और इसकी मोटर साइकल गैराज में खड़ी करके गैराज में ताला बंद कर दो ।”

सरला की केवल आंखें खुली रह सकीं । फिर दूसरे ही क्षण उसने अपने आपको अपने कमरे में पाया । उन लोगों ने उसके दोनों हाथ बांध दिये थे और मुंह में कपड़ा ठूंस दिया था ।

फिर सरला ने अपनी बाई भुजा में चुभन सी महसूस की । उसके बाद उसके हाथ भी खोल दिये गये और मुंह में ठूंसा हुआ कपड़ा भी निकाल दिया था । जब हाथ आजाद हुए तो वह उठकर बैठ गई । उसने ओवरकोट की जेब में हाथ डालकर रिवोल्वर निकालना चाहा मगर पूरे शरीर में थरथरी पड़ गई । न रिवोल्वर ही निकाल सकी और न चीख ही सकी । जेब में हाथ डाले वह मसहरी पर ढेर हो गई ।

उसने एक भयंकर अट्टहास सुना और फिर उसे कुछ याद नहीं रह गया ।

***

सीमा सोने की तैयारी कर रही थी ।

आर्लेक्चनू में हमीद की बातों ने उसे काफ़ी परेशान कर रखा था । हमीद बार बार उसे ड्राइवर के बारे में पूछ रहा था – मगर वह तो खैर हमीद ही था अगर उसका बाप लाल जी भी उससे ड्राइवर के बारे में पूछता तो वह उसे भी न बताती । मगर ड्राइवर से अधिक फिलहाल उसके ज़ेहन पर एक ही प्रश्न छाया हुआ था और वह प्रश्न था कि “सवेरे चार बजे रनधा को फाँसी होगी या नहीं ?”

रनधा को फाँसी होना या न होना ख़ुद उसकी ज़िन्दगी और मौत का सवाल था । यदि रनधा को फाँसी हो गई तब तो वह आजाद है और अगर उसे फाँसी न हुई तो फिर शायद उसे अपना पूरा जीवन रनधा के विलास गृह में व्यतीत करना पड़ेगा ।

सीमा यह जानती थी कि अगर रनधा को फाँसी नहीं हुई तो वह उसे किसी भी मूल्य पर नहीं छोड़ेगा और यह बात तो उसे बहुत पहले से मालूम थी कि रनधा उसका अपहरण करना चाहता है । अपहरण का ध्येय भी उसे मालूम था । रनधा उसे अपने रतिगृह की शोभा बनाना चाहता था – इतना ही नहीं वरन यह भी कि रनधा ख़ुद उसे और उसके पिता लाल जी को ब्लैक मेल करके धन प्राप्त करता रहेगा ।

आज सीमा देर से घर पहुँची थी । आज चेम्बर आफ कामर्स की ओर से क्लब में डिनर दिया गया था जिसमें वह भी सम्मिलित हुई थी । डिनर के बाद शराब का दौरा चलता रहा था और सीमा भी कोको कोला सिप करती रही थी । सिपर से बोतल हिला हिला कर उसमें झाग पैदा करके यह प्रकट करती रही कि उसमें किक पैदा हो रही है ।

और इस प्रकार उन लोगों का साथ देने के बाद जब बिजिनेस की बातें आरम्भ हुई थीं तो पाँच करोड़ के उस प्रोजेक्ट में भाग लेने वालों में मिस्टर नौशेर भी सम्मिलित थे – प्रकाश सुहराब जी और मिस्टर मेहता भी शामिल थे ।

यह तो नहीं कहा जा सकता था कि उनमें से कितने दिलों में हंगामे मचल रहे थे मगर सीमा ने इतना अवश्य महसूस किया था कि उनमें से हर एक कनखियों से सही – ललचाई हुई नजरों से उसे देख लेता था ।

पौने बारह बजे मीटिंग बरखास्त हुई थी और घर पहुँचते पहुँचते बारह बज गये और अब वह विचारों में उलझी हुई कपड़े बदल कर सोने के लिये मसहरी की और बढ़ रही थी कि अचानक कमरे में तीन आदमी दाखिल  हुये जिनमें से दो तो नाटे कद के थे और एक लम्बे कद का था । तीनों के चेहरों पर नकाब पड़े हुये थे ।

सीमा के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई ।

रनधा की गिरफ़्तारी के बाद से वह यह सोच भी नहीं सकती थी कि कोई दूसरा इस प्रकार निर्भीकता के साथ उसकी कोठी में दाखिल हो सकता है ।

लम्बे आदमी के हाथ में रिवाल्वर थे । उसने फुफकार भरे स्वर में कहा ।

“तुम्हें हमारे साथ चलना है सीमा ।”

“कहाँ....कहाँ......?” – सीमा ने हकला कर पूछा ।

“वहाँ – जहाँ हम तुम्हें ले जाना चाहते है ।” – रिवाल्वर वाले ने कहा “ कैप्टन हमीद – इन्स्पेक्टर आसिफ़ और रमेश हमारी कैद में है । सरला को थोड़ी ही देर पहले बेहोश करके हम उसे उसके कमरे में डाल आये है और अब तुम्हारी बारी है ।”

“मम....मगर....कक....क्यों ?” – सीमा ने भय के साथ हकलाते हुये पूछा ।

“इसलिये कि तुमने भी रनधा की गिरफ़्तारी में भाग लिया थे ।” – रिवाल्वर वाले ने कहा “जिन लोगों ने इसका दुस्साहस किया था वह सब हमारी कैद में आ चुके है और आज की रात उन सब पर भरी होगी । कल सवेरे लगभग नौ बजे तक तुम सब को हमारी कैद में रहना है – उसके बाद तुम्हारी तकदीरों का फैसला किया जायेगा ।”

“तुम हो कौन ?” – सीमा ने पूछा ।

“आश्चर्य है कि तुम भी मुझे नहीं पहचानतीं ।” – रिवाल्वर वाले ने कहा “क्या तुमने रनधा की आवाज़ कभी नहीं सुनी ?”

“सुनीं है मगर तुम रंदा नहीं हो ।”

”काश तुम नहीं जान सकती ।” – रिवाल्वर वाले ने कहा फिर हंसता हुआ बोला “ कोई भी नहीं जानता कि रनधा कौन है – सवेरे चार बजे रनधा को फांसी हो जायेगीं मगर जेल के सारे छोटे बड़े कर्मचारी परेशान है कि जिस आदमी को गिरफ़्तार करके जेल भेजा गया है और जिसे सवेरे चार बजे फांसी दी जायेगी वह रनधा ही है या कोई दूसरा आदमी है ।”

“यह कैसे हो सकता है ?” – सीमा ने अघोरता के साथ पूछा । मगर रिवाल्वर वाला आपनी बात कहता रहा ।

“जेल का कर्मचारी वर्ग कहता है कि रनधा की शक्ल बदल गई है । उन्होंने सारे जतन कर डाले मगर रनधा ने मुख नहीं खोला – अब तुम्हारी समझ में आ गया होगा कि वह क्यों परेशान है ?”

सीमा ने फिर कुछ कहना चाहा मगर रिवाल्वर वाले ने हाथ उठा कर कहा ।

“मेरे पास तुम्हारी बातें सुनने का समय नहीं है । तुमको हमारे साथ चलना है । बस यह बता दो कि सीधी प्रकार चलोगी या आपत्ति उत्पन्न करेगी ?”

और फिर प्रथम इसके कि सीमा कुछ भी कहती रिवाल्वर वाले ने फिर कहना आरंभ कर दिया ।

“अगर तुमने आपत्ति उत्पन्न की तो दो चार तमांचे खाओगी – दो चार घूंसे भी सहन करने पड़ेंगे और तुम्हारे बालों को पकड़ कर झटके भी दिये जायेंगे और ले जाया भी जायेगा – और यदि तुमने आपत्ति नहीं की तो फिर किसीं प्रकार की यातना नहीं दी जायेगी – अब बताओ – क्या कहती हो ?”

“मुझे बेईज्ज़त तो नहीं करोगे ?” – सीमा ने पूछा ।

“नहीं ।”

सीमा ने दोनों हाथ ऊपर उठा लिये ।

“शोटे !” – रिवोल्वर वाले ने दोनों में से एक को सम्बोधित करके कहा – “सीमा को इज्ज़त के साथ कार में बैठा दो और वहां पहुंचा दो जहां हमीद इत्यादि हैं । मैं थोड़ी देर बाद आ रहा हूं ।”

दोनों में से एक ने सीमा को चलने का संकेत किया । सीमा दरवाजे की ओर बढ़ी । कमरे से निकलकर बरामदे में आई, फिर कम्पाउंड में उतर गई । तमाम बत्तियां जल रही थीं मगर प्रतिरोध करने वाला एक आदमी भी नज़र नहीं आ रहा था और इस पर सीमा को आश्चर्य था ।

रिवोल्वर वाला उन तीनों के पीछे आ रहा था ।

कम्पाउंड के बाहर एक कार खड़ी थी । जब कार के निकट सब पहुंच गये तो रिवाल्वर वाले ने ख़ुद पिछली सीट का दरवाजा खोला । सीमा को अंदर बैठाया और कोमल स्वर में बोला ।

“तुम वादे की पक्की मालूम होती हो इसलिये तुम्हारे साथ अच्छा व्यव्हार किया जायेगा ।”

“तुमने केवल हमीद, आसिफ़ और रमेश ही को गिरफ्तार किया है ?” – सीमा ने पूछा ।

“हां । क्यों ?”

“मेरे बाद भी किसी को गिरफ्तार करोगे ?”

“नहीं ।”

“जिन को गिरफ्तार किया है उन सबको क़त्ल कर डालोगे ?”

“नहीं । मगर तुम यह सब क्यों पूछ रही हो ?”

“जब तुम्हें अब कुछ करना ही नहीं है तो फिर मेरे साथ क्यों नहीं चल रहे हो ?”

“इसलिये नहीं जा रहा हूं कि अभी मुझे उन लोगों के पास जाना है जिन्होंने रनधा के खिलाफ़ गवाहियां दी हैं । उन लोगों के पास भी जाना है जिन्होंने रनधा के वकील मिस्टर ए.के. राय को इसलिये रिश्वतें दी हैं कि वह रनधा के केस को बिगाड़ दे – और कुछ पूछना है ?”

“बस एक बात ।” – सीमा ने कहा । फिर पूछा – “क्या तुमने मेरे डैडी को क़त्ल कर डाला है ?”

“नहीं ! वह अपने कमरे में आराम से सो रहे हैं !”

सीमा ने संतोष की सांस ली और रिवाल्वर वाले ने अपने साथियों से कहा ।

“अब जाओ ।”

दोनों में से एक सीमा की बगल में बैठ गया और दूसरे ने ड्राइविंग सीट संभालकर कार स्टार्ट कर दी ।

***