Unfinished Lovosophy in Hindi Poems by M. Sohil shaikh books and stories PDF | Unfinished Lovosophy

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Unfinished Lovosophy

इज़हार ए इश्क़ किया हे अभी, खोयी मुस्कराहट याद करने दो।
आग़ाज़ ए इश्क़ हुआ हे अभी, थोड़ा तो उनका ज़िक्र करने दो।
तौबा करेंगे सुकून से सोहिल, अभी गुनाह तो मुक़म्मल करने दो।


Ijhar e ishq kiya he abhi, khoyi muskurahat yaad karne do.

Aaghaj e ishq hua he abhi, thoda to unka jiqr karne do.

Tauba karenge sukun se sohil, abhi gunah to mukammal karne do.

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उन्हें याद करने का काम कुछ अच्छा ही था,

अब तो भूल गया हूं पर उनका नाम कुछ अच्छा ही था।


Unhe yaad karne ka kaam kuch acha tha,

Ab to bhul gaya hu par unka naam kuch acha hi tha.

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Suna he ki zaban gahre zakhm deti he,

Shayad aapki ankhon ka kisiko pata nahi.


सुना हे की जुबान गहरे ज़ख्म देती हे,

शायद आपकी आंखों का किसीको पता नहीं।

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जरा सा सोच क्या लिया तुम्हारे बारे में,

लोग बाते बनाने लगे हमारे बारे में।


zara sa soch kya liya tumhare bare me,

Log bate banane lage hamare bare me.

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ना नींद आयी ना चैन आया,

मुझे खयाल तेरा बे हिसाब आया।


Na nind ayi na chain aya,

Mujhe khayal tera be hisab aya.

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खुश रहो तुम अपने लोगों के साथ,

में खुश हुअपने ego ke साथ।


Khush raho tum apne logon ke sath,

Mei khush hu apne ego ke sath.

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बदल दिया मुझे उसने अपने हिसाब से,

अब कहते हे तुममे पहले वाली बात नहीं हे।


Badal diya mujhe usne apne hisaab se,

Ab kehte he tumme pehle wali bat nahi he.

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कुछ गहरा सा लिखना था,

मैंने इश्क़ लिख दिया।

कुछ ठहरा सा लिखना था,

मैंने दर्द लिख दिया।

कुछ समन्दर सा लिखना था,

मैंने अश्क लिख दिया।

कुछ पल जिन्दगी लिखना था,

मैंने हर पल को फ़रियाद लिख दिया।

सुनो जिन्दगी लिखना था,

मैंने हिफ़ाज़त से तेरा नाम लिख दिया।


Kuch gahra sa likhna tha,

Meine ishq likh diya

Kuch thahra sa likhna tha,

Meine Teri yaad likh diya.

Kuch samandar sa likhna tha,

Meine ashk likh diya.

Kuch pal zindagi likhna tha,

Meine har pal ko fariyad likh diya.

Suno mohabbat likhna tha,

Meine hifajat se tera naam likh diya.

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मुमकिन ग़र होता तुम्हें लफ्जों में उतरना,

तो किताबें हजार लिख चुका होता सोहिल ।


Mumkin gar hota tumhe lafzon me utarna,

To kitaben hazar likh chuka hota sohil.

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लोग पूछने लगे सोहिल हुआ क्या हे?

बेवफा से मोहब्बत वजह क्या हे?


Log puchne lage Sohil hua kya he?

Bewafa se mohabbat wajah kya he?

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में कोई और हो गया हूं , था में कोई और दो दिन पहले.

भटक रहा हूं अब रास्ते से? या गुमराह था दो दिन पहले


Mei koi aur ho gaya hu, tha mei koi aur do din pehle.

Bhatak raha hu ab raste se, ya gumrah tha do din pehle?

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ना सुर्ख ना सब्ज़ ना सफ़ेद हे,

इश्क़ मेरा बेदाग बेरंग अभेद हे ।


Na surkh na sabj na safed he,

Ishq mera bedag berang abhed he.

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जरा सा सोच क्या लिया तुम्हारे बारे में,

लोग बाते बनाने लगे हमारे बारे में।


zara sa soch kya liya tumhare bare me,

Log bate banane lage hamare bare me.

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लोगों ने पूछा किस हथियार से घायल हुए,

हम उनकी मुस्कान केसे बयां करते।

Logone pucha kis hathiyar se ghayal hue,

Ham unki muskan kese bayaan karte.

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मोहब्बत जो जानते हो बूंद हे,

नहीं जानते वो समंदर हे।


Mohabbat jo jante ho bund he,

Nahi jante wo samandar he.

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बैठे बैठे घूम हो जाता हूं,

में अब में नहीं तुम हो जाता हूं।


Baithe baithe ghum ho jata hu,

Mei ab mei nahi tum ho jata hu.

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खत व मुलाकात के दिन गए,

बरसात के दिन हे,

ऑनलाइन मिलो तो कुछ बात बने।


Khat wa mulakat ke din gaye,

Barsat ke din he,

Online milo to kuch bat bane.

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हमारी अधूरी सी कहानी रह गई,

अश्क बह गए और निशानी रह गई।

मुद्दतों बाद हाल पुछ कर,

वो बेहाल कर गई।

एक मर्तबा करीब से क्या गुज़री,

अच्छे भले शख्स को बीमार कर गई।


Hamari adhuri si kahani rah gayi,

Ashq bah gaye aur nishani rah gayi.

Muddaton bad haal puch kar

wo behal kar gayi.

Ek martaba kreeb se kya gujari,

Ache bhale sakhs ko bimar kar gayi.

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अच्छा नहीं लगता कोई शख्स तेरे नाम का,

तुम जेसा ना हो तो नाम भी न रखें तुम्हारा।


Acha nahi lagta koi sakhs tere naam ka,

Tum jesa na ho to naam bhi na rakhe tumhara.

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कोई पूछे ग़र सोहिल कहां मिलेगा,

बता देना जहां इश्क़ मुक़म्मल मिलेगा।


Koi puche gar sohil kaha milega,

Bata dena jaha ishq Mukammalmilega.

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राह ए इश्क़ में भटका हूं कोई दिखा दो रस्ता,

हूं में ग़रीब इश्क़ का मारा इलाज़ दिखा दो सस्ता।


Raah e ishq me bhatka hu koi dikha do rasta,

Hu Me gareeb ishq ka mara ilaj dikha do sasta.

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सोच कर के चला था प्यार पैसो से खरीदा नहीं जाता,

प्यार तो सस्ता ही था पर,

राह ए इश्क़ सफर महंगा पड गया।


Soch kar ke chala tha pyaar peso se kharida nahi jata.

Pyar to sasta hi tha par,

Rah e ishq ka safar mehenga pad gaya.

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जिसकी चाहत हो वो मिल जाये,

तो शिकवा कोन करेगा।


हर शख्स मुझसे मोहब्बत करेगा,

तो सर ए आम रुसवा कोन करेगा।


हर कोई गमज़दा हे दौर ए जहां में,


सब को दुआ में याद रखूं,

तो मेरे लिये दुआ कोन करेगा।


Jiski chahat ho wo mil jaye,

To shikwa kon karega.


Har shaks mujhe mohabbat karega,

To shar e aam ruswa kon karega.


Har koi ghamzada he dour e jahan me,


Sab ko dua me yaad rakhu,

to mere liye dua kon karega.

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सुनो मेरी बात कभी तो मान लिया करो,

जब-जब घर आओ,अपनी नज़र उतार लिया करो।


Suno meri baat kabhi to maan liya karo,

Jab-jab ghar aao, apni nazar utaar liya karo.