HR The Untold strory - 1 in Hindi Adventure Stories by Harshal Chandratre HR books and stories PDF | HR The Untold strory - 1

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HR The Untold strory - 1

कहानी H से HR बनने की,

जिंदगी, क्या हैं जिंदगी अपनो का मिलना और बिछड़ना । उसी पे आधारित ये किताब हैं ये कहानी हैं कुछ अधूरी बातों की कुछ यादों की, या खुद को तलाश करने की ।
जिसकी शुरुआत कहाँ से करू, चलो शुरू से शुरू करते हैं ये कहानी आधारित है दो किरदारों पर, जो अपने जीवन मे आये उतार चढ़ाव को समझने और सुलझाने की कोशिश करते नजर आएंगे, यह कहानी है बचपन से जवानी की, लड़कपन के पहले प्यार से दर्द की, तुम से हम की, परायो से अपनों की, जिंदगी में आई उलझनों को समझने की और खुल के जीने की कहानी का लेखा-जोखा नजर आएगा । कुछ किस्से होंगे दोस्तों के, कुछ बातें होगी यारों की, कुछ किस्से चाय पे होगे तो कुछ महफ़िल में सुनाये जायेगे,एक पागल सा आशिक होगा, एक भोली सी लड़की होगी, घंटो चलने वाली बात होगी, बाबू-सोना वाली झलक होगी । कुछ रुठना होगा कुछ मनाना होगा, बाते कभी तारों की होगी या ज़िक्र कभी चाँदनी का होगा ।
ज्यादा वक्त न जाया करते हूँ कहानी की ओर चलते हैं

जैसा कि मैने आप को बोला था कहानी दो किरदारों पे आधारित हैं । वैसे ही जैसे हिंदी पिक्चरों में होता हैं बस ये उतनी फ़िल्मी नहीं हैं,

ठंड के दिन थे सुबह के करीब 6:10 का वक़्त हुआँ होगा, एक लड़का जिसने अभी अभी कॉलेज में दाखिला लिया हैं अपने आधे जूते पहने हुए हाथ में मोज़े लिए हुए घर से रेलवे स्टेशन की तरफ भागता हुआँ, अपनी कोचिंग न छूट जाए इस डर से और तेज़ भागता हुआँ ट्रैन पकड़ने की कोशिश करता नज़र आता हैं, वो इस कहानी का पहला महत्वपूर्ण किरदार हैं जिस के आस पास कहानी घूमती हुई नज़र आयेंगे । फ़िल्मी भाषा मे कहे तो ये इस कहानी का हीरो हैं और अगर हीरो हैं तो उसका नाम भी होगा, पर किसी ने क्या खूब कहा "नाम मे क्या रखा हैं ।" पर किरदार हैं तो नामकरण भी जरुरी हैं इसका नाम रख देते हैं .......
ये कारवाँ अगले 3 साल तक यूँही चलता रहा ।

किरदार हैं तो नामकरण भी जरुरी हैं इसका नाम रख देते हैं “H”.

“H” भी आम लड़कों की तरह रोज घर से कोचिंग क्लास और कोचिंग क्लास से घर की फेरी लगाने में लग गया, अरे हाँ बीच-बीच में कभी-कभी गलती से कॉलेज भी चला जाया करता था, उन दिनों में पूरे दिन का सब से अच्छा पल रहता था शाम का जहाँ कभी वर्जिश करने जिम चला जाता, या फिर अपने लगोटिया यारों के साथ फुटबॉल-क्रिकेट खेलने निकल जाता, लगोटिया यार इनसे भी रूबरू करवाऊँगा अभी बस इतना समझ लो कि ये वो दोस्त हैं जिनके साथ वक़्त काँटा नहीं जिया हैं । वक़्त के साथ सब बदला पर इनका साथ नहीं बदला । इन कमीनो के किस्से आगे सुनाऊँगा जहाँ बगीचे की बैंच होगी कई चाय की गुमटी होगी कुछ के हाथ में सिगरेट होगी और नाम लेने से ज्यादा गाली गलौज होगी तब सुनाने का आनंद ही अलग आएगा । इसी बीच एक दिन जब “H” गलती से कॉलेज पहुँचा तो वहाँ उसकी मुलाकात एक लड़की से हुई ........