swatantr saksena ki kaviataye - 8 in Hindi Poems by बेदराम प्रजापति "मनमस्त" books and stories PDF | स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 8

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 8

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं 8

काव्‍य संग्रह

सरल नहीं था यह काम

स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना

सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़

डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश

9617392373

सम्‍पादकीय

स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये

वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’

कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता रहता है |

स्वतंत्र ने समाज को अपने तरीके से समझा है| वे अपने आसपास पसरे यथार्थ को अपनी कविताओं के लिए चुनते हैं| समाज व्यवस्था, राज व्यवस्था और अर्थव्यवस्था की विद्रूपताओं को सामने लाने में स्वतंत्र सन्नद्ध होते हैं|

अपने कवि की सीमाओं की खुद ही पहचान करते हुए स्वतंत्र कुमार लेखनकार्य में निरंतर लगे रहें, हमारी यही कामना है| सम्‍पादक

41 अच्‍छे बच्‍चे वो कहलाते

कौआ बोला कॉंव कॉंव

छोड़ो बिस्‍तर बाहर आओ

उठो जल्‍दी हुआ सवेरा

सूरज ने किरणों को बिखेरा

बिल्‍ली बोली म्‍याऊ म्‍याऊ

बात राज की तुम्‍हें बताऊ

समय पर जो स्‍कूल है जाते

अच्‍छे बच्‍चे वो कहलाते

42 ठंडी हवा चली

कल धूप थी शाम से ठंडी हवा चली

रजाई के अंदर ओ मेरी तो यार दम निकली

उजेला हो गया कभी का मन नहीं होता

बिस्‍तर छोड़ने के नाम से हुई हालत पतली

हाथ पॉंव समेत पड़ा हूँ बिस्‍तर में

न हाथ मूँह धोए न कुल्‍ला किया चाय पीली

घड़ी के दोनों कॉंटे परस्‍पर मिल बैठे

धुंध कुछ कम हुई छत पर जरा सी धूप खिली

नन्‍ही चकोरी में बहुत ही हिम्‍मत है

सुबह से दौड़ती फिरती वो मुझसे आन मिली

सबसे बड़ी सजा तो इस सर्दी में मिली लोरी को

इस कड़कड़ाती ठंड में तैयार हो स्‍कूल चली

43 आजादी है आजादी है

आजादी है आजादी है

जिसका भी कोई कनेक्‍शन है

फिर नहीं कोई भी क्‍वेश्‍चन है

इन्‍टरव्‍यू बस फॉरमल होगा

मानो कि श्‍योर सिलेक्‍शन है

लेने देने की सबको ही

आजादी है आजादी है

मित्रों सबको आजादी है

आजादी है आजादी है

नेताजी को आजादी है

हर अफसर को आजादी है

उनके भी चमचों पंखों को

सब करने की आजादी है

बाबू हो या चपरासी हो

या कोई खास दलाली हो

इन सबको रेट बताने की

वरना काम लटकाने की

आजादी है आजादी है

शहर में लूट मचाने की

अपराधी को भी पटाने की

यदि फिर भी कोई नहीं माने

थाने तक में धमकाने की

आजादी है आजादी है

पाबंदी यहॉं जवानों पर

आवाज उठाने वालों पर

प्‍यार के कुछ परवानों पर

मेहनत करने वालों पर

बेवजह और बेवख्‍त यहॉं

कानून बताने वालों पर

छिनते खेत उजड़ती बस्‍ती

सपनों को बचाने वालों पर

गांधी की दुहाई देते जो

लेनिन की राह पर चलते हैं

समझाया जाता है उन्‍हें बहुत

लेकिन वे कुछ न समझते हैं

ऐसे सिरफिरे जवानों पर

लाजिम है कि पाबंदी है

बाकी सबको आजादी है

आजादी है आजादी है

तूफान मचाने वालों पर

ऑंख दिखाने वालों पर

सर उठा ले चलाने वालों पर

नेताजी की उज्‍जबल छवि पर

अफसर की कार्य कुशलता पर

प्रश्‍न उठाने वालों पर

मजबूरी है पाबंदी है

पाबंदी है...............................

प्रजातंत्र बचाने के खातिर

देश चलाने के खातिर

भारत की देश विदेशों में

छवि सुगढ़ बनाने के खातिर

मित्रों यह बहुत जरूरी है

कि इन सब पर पाबंदी हो

बाकी सबको आजादी है

आजादी है आजादी है

44 अपने मन की बात।।

तुम तो कह लेते हो सबसे अपने मन की बात

हम तो कह न पाए किसी से अपने मन की बात

हंगामा हो गया शहर में कल फिर बीती रात

जाने किस ने कह दी किससे अपने मन की बात

चली चौक में लाठी गोली रही जरा सी बात

कुछ मजूर बोले मालिक से अपने मन की बात

अम्‍मा जी रूठी रूठी हैं चाचा हैं नाराज

बिटिया बोल गई भूले से अपने मन की बात

मिले राह में चलते चलते पल दो पल की बात

कहते कहते रह गए तुमसे अपने मन की बात

दिन को तो बहला देता हूं नींद चुराती रात

जब मैं अपने से कहता हूं अपने मन की बात

धरती रही डोलती दिन भर अम्‍बर सारी रात

कह बैठा था जब मैं उनसे अपने मन की बात

तुम स्‍वतंत्र ठोकर खाकर भी नहीं समझते बात

कह देते हो चाहे जिससे अपने मन की बात।।

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