Alal - Abb in Hindi Short Stories by Ramesh Yadav books and stories PDF | अलल – अबब

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अलल – अबब

पाटिल नगर में एक व्यापारी रहता था। उसकी किराना माल और मिठाई की दुकान थी। स्वभाव से वह बड़ा ही धूर्त और शातिर था। उसके पास कोई नौकर अधिक दिनों तक टिकता नहीं था। या यूँ कहें कि वह टिकने ही नहीं देता था। नौकरी पर रखते समय वह अधिक पगार देने का लालच देता पर जब पगार देने का समय आता, तो बड़ी चतुराई से वह उनके खून पसीने की कमाई हड़प लेता था। नौकरी पर रखने के साथ ही वह यह शर्त भी रखता था कि यदि किसी दिन वह काम पूरा नहीं कर सका तो, उसकी पूरे महीने की पगार काट ली जाएगी।

यह वाकया कई लोगों के साथ हो चुका था और किसी ना किसी बहाने उस व्यापारी ने कई नौकरों की पगारें काट ली थीं। मतलब ये कि जब तक उस व्यापारी को नौकर से काम करवाना होता था, तब तक वह उनसे खूब काम करवाता था और अंत में बड़ी चतुराई से ऐसा काम सौंप देता कि वे उस काम को ना कर सकें। इसके बाद उनकी पूरे महीने की पगार काट लेता था। आज तक उसके यहां से कोई भी व्यक्ति अपना पगार नहीं ले जा सका था। यह उस व्यापारी का रिकार्ड बन गया था।

धीरे-धीरे यह बात पूरे नगर में फैल गई। उसके यहां नौकरी करने वाला हर आदमी उसकी पैतरेबाजी से परेशान था। सबको उसकी धूर्तता पर चिढ़ थी मगर कोई कुछ कर नहीं पा रहा था। अधिक पगार पाने की लालच में अकसर कोई ना कोई मछली उसके जाल में फँस ही जाती थी। अबकी बार एक युवक ने तय किया कि मैं इस व्यापारी को सबक सिखाकर ही रहूंगा।

एक दिन वह युवक उस व्यापारी के पास गया और उससे नौकरी मांगी। व्यापारी ने उसे खुशी से नौकरी पर रख लिया, साथ ही अपनी शर्त भी रखी। यदि किसी दिन वह दिया गया काम नहीं कर सका, तो उसकी पूरे महीने की पगार कट जाएगी। युवक ने शर्त मान ली और उसके यहां नौकरी करने लगा।

उन्तीस दिनों तक वह युवक मन लगाकर उसके यहां नौकरी करता रहा। अब वह समय आ गया था कि व्यापारी अपना पैतरा दिखाए। उसने उस युवक को बुलाया और बोला,

“तुम बाजार जाओ और मेरे लिए ‘अलल और अबब’ ले आओ। पहले तो वह युवक समझ नहीं पाया कि ये ‘अलल-अबब’ है क्या? ऐसा कौन सा सामान है, जिसका नाम ‘अलल और अबब’ होता है? काफी देर तक वह सोचता रहा और फिर उसकी समझ में आया कि ये क्या माजरा है? युवक समझ गया कि ये व्यापारी की चाल है। वह सोचने लगा कि यदि इस काम को वह नहीं कर सका तो व्यापारी उसकी पगार काट लेगा। फिर भी उसने व्यापारी से ‘अलल और अबब’ के बारे में जानकारी पूछी और ये भी पूछा कि ये मिलता कहां है? उस व्यापारी ने उसे कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उसने सिर्फ इतना ही कहा, “मुझे ‘अलल और अबब’ चाहिए और ये तुम्हें बाजार से ले आना है। आगे मैं कुछ नहीं जानता।”

 

रास्ते भर वह युवक सोचता रहा कि क्या करे, क्या ना करे ! वह जानता था कि यदि व्यापारी का ये काम मैं नहीं कर पाया, तो उन्तीस दिन का पगार कट जाएगा, जो मेरी मेहनत और पसीने की कमाई है। उसने ठान लिया कि किसी भी हाल में मुझे मेरी पगार मिलनी ही चाहिए। उसने तय किया कि वह पूरी कोशिश करेगा। अचानक उसे लगा जैसे उससे कोई कह रहा हो  कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं होता, जो सोच सकता है, वह कर भी सकता है। तुम कर सकते हो, हिम्मत मत हारो। और अचानक उसे एक युक्ति सूझी।

वह बाजार गया और दो मटके खरीदकर लाया। दोनों मटकों में उसने कुछ सामान रखा तथा ऊपर से उसे काले कपड़े से बांध दिया। उन दोनों मटकों को लेकर शाम को वह व्यापारी के पास गया और बोला, “ये लो, आपका सामान आ गया है। खोलकर देख लो।” उसकी यह बात सुनते ही अन्य नौकर और बगल के दुकानदार भी वहां इकट्ठा हो गए। सबको यह विश्वास था कि आज इस युवक की पगार व्यापारी जरूर काटेगा इसलिए तमाशा देखने के लिए वे लोग भी वहां जमा हो गए थे।

व्यापारी कुछ समझ नहीं पा रहा था कि उसने इन मटकों में क्या लाया है? उसने कहा,

“ठीक है।” और पहला मटका खोलकर देखा तो उसे कुछ दिखाई नहीं दिया इसलिए उसने अपना हाथ मटके के अंदर डाला और टटोलने लगा। अंदर से किसी ने जोर से डंक मारा और उसकी जीभ ऐंठ गई, वह चिलाया, “अलल, अलल।” व्यापारी दर्द से कराहने लगा।

तब युवक ने मटके में से एक बिच्छू को बाहर निकाला और बोला, “ये था तुम्हारा ‘अलल।”

और अब वह युवक दूसरा मटका उसे थमाना चाहा पर व्यापारी ने लेने से इनकार कर दिया।  तब युवक बोला, “इसमें तुम्हारा अबब है” और उसने कपड़ा खोला तो एक नाग फन फैलाकर खड़ा हो गया। उसे देखते ही व्यापारी चिल्लाया, “अबब।”

युवक ने उस व्यापारी से कहा, “ मैंने तुम्हारा काम और शर्त दोनों पूरी कर दी है, अब समय से मुझे मेरी पगार मिलनी चाहिए। सिर्फ मेरी ही नहीं बल्कि मुझसे पहले जितने भी लोगों ने तुम्हारे यहां नौकरी की है और जिनकी-जनकी पगार तुमने हड़पी है, उन सबका हिसाब भी तुम्हें आज करना होगा, वरना ये नाग तुम्हारे ऊपर छोड़ दूंगा। ये नाग सबका हिसाब ले लेगा।”

व्यापारी घबरा गया। उसकी जान खतरे में थी। युवक की चतुराई को समझते हुए उसने सबके सामने वादा किया कि वह वैसा ही करेगा जैसा वह युवक कह रहा है। जो लोग वहां जमा हुए थे वे भी उस युवक की चतुराई की दाद देने लगे। वे सभी उसके साथ थे। भीड़ में से एक व्यक्ति चिल्लाया,

“सब फैसले हमारे नहीं होते

कुछ फैसले वक़्त के होते हैं

पाप का घड़ा जब भर जाता है तो

शेर को सवा शेर मिल ही जाता है।”