Koun hai wo - 2 in Hindi Horror Stories by Surekha Nayak books and stories PDF | कौन है वो? - 2

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कौन है वो? - 2

हैलो दोस्तों !
कैसे हो आप?
खुशी की कहानी में हम अब आगे देेेेखते है।
खुशी को अब अपने घर जाना था। उसने अपने चाचा से बात की। खुशी: चाचा जी अब मुझे घर जाना है।
चाचा: ठीक है, लेकिन आज का दिन रूक जाओ कल चली जाना।
उसी रात खुशी सो रहीं थी कि अचानक उसके फोन कि घंटी बजी। खुशी ने फोन में देखा तो रात के बारह बजे थे। खुशी ने फोन उठाया।
खुशी: हैलो! कोन ?
फोन में से आवाज आई: खुशी तुम घर नहीं जा सकतीमैं तुम्हें घर नहीं जाने दुंगा।
खुशी : लेकिन तुम कौन हो?
और फोन कट गया। खुशी बहुत डर गई।वह अपने चाचा के पास गईं। और उसने चाचा जी को सब बताया।
चाचा जी: कौन था?
खुशी: पता नहीं?
चाचा जी: नंबर दिखााओ।
खुशी ने अपना फोन अपने चाचा जी को दिया। चाचा जी ने फोन में देखा मगर किसी का भी फोन नहीं आया था। चाचा जी को लगा कि खुुीशी ने कोई बुरा सपना देखा होगा।
अगली सुबह खुशी अपने घर जाने के लिए नीकली। खुशी के चाचा ने खुशी को बस स्टैंड छोड़ दिया। बस आईं खुशी बस में बैंठी। अब खुशी को बहुत अच्छा लग रहा था कि वो अपने घर जा रहीं हैं। लेकिन वो यह नहीं समझ पा रही थी कि रात को जिसने फोन किया वो कौन था। खुशी को लगा कि शायद उसके साथ किसीने मज़ाक किया होगा
अचानक बस रुक गई। सब लोग डर गये कि क्या हुआ।

बस में से किसी ने पूछा: ओ भााई क्या हुआ? बस क्यु रोक दि?
बस का ड्राइवर बोला: पता नहीं । मैं बस को चालू करने की कोशिश कर रहा हूं।

थोड़ी देर बाद ड्राइवर बोला: आप लोगों को दुसरी बस पकड़नी होगी यह बस अब चालू नहीं हो रही। खुशी को यह सुन के बहुत डर लगा। रात होने वाली थी । और कोई खुशी के साथ भी नहीं था। खुशी ने अपने पापा को फोन करने के लिए अपना फोन निकाला। खुशी ने अपना फोन देखा तो फोन स्विच ऑफ था। खुशी ने अपने फोन को चालु करने की कोशिश की लेकिन खुशी का फोन चालु नहीं हुआ। सब लोग बस से उतर गए। और खुशी भी। सब लोग चले गए अब खुशी बिल्कुल अकेली थी। रात भी हो चुकी थी।
खुशी को अब बहुत ज्यादा डर लग रहा था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा है।

खुशी खुद से: हे भगवान! ये सब क्या हो रहा है। कौन है वो ? जो मेरे साथ यह सब कर रहा है। अब मैं क्या करूं? कहां जाऊं? खुशी को बहुत गुस्सा आया और उसने अपना फोन फैैंक दिया। और वो वही बैठ के रोने लगी। तभी अचानक फोन में से कुछ आवाज आई। खुशी का ध्यान फोन की तरफ गया।
फोन में से आती आवाज: खुशी मेरे पास आओ। खुशी मेरे पास आओ तुम। खुशी को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो कुछ सोचे समझे बीना फोन के पास जा रहीं थी। और फोन में से एक ही आवाज आ रही थी कि खुशी मेरे पास आओ।
अब खुशी फोन की बहुत नज़दीक पहोंच गई थी। वो फोन को छूने ही वाली थी कि अचानक पीछे से आवाज आई बेटी उस फोन के पास मत जाओ। खुशी ने पीछे मुड़कर देखा तो उसके मम्मी पापा थे। अब फोन में गुस्से में आवाज आई खुशी वो तुम्हारे मम्मी-पापा नहीं है तुम यहां आओ। अब खुशी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि किसकी बात मानु और किसकी बात ना मानु।

दोस्तों अब खुशी क्या करेंगी? क्या होगा खुशी के साथ? वो किस कि बात मानेगी?

देखेंगे तीसरे भाग में आगे खुशी के साथ क्या होता है।