Your own house in Hindi Horror Stories by Akash Saxena "Ansh" books and stories PDF | आपका अपना घर

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आपका अपना घर

हेलो!... हेलो शिवम!..कहां है तू?प्रिया को लेकर जल्दी आ,आ चल उसे आज उस भूत बंगले की सैर कराते हैं...बहुत बड़ी बड़ी बातें बताती है ना वो इस भूत की….


बस पहुंचने ही वाला हूं प्रिंस,5 मिनट और…


प्रिंस -"ठीक है मैं यही भूत बंगले के बाहर खड़ा तेरा इंतजार कर रहा हूं,जल्दी से आ और हाँ प्रिया की आंखों पर पट्टी ज़रूर बांध दियो नहीं तो वो इसे देखकर ही भाग जायेगी"…


__________


और थोड़ी देर में शिवम प्रिया को लेकर प्रिंस के पास पहुंचता है…

प्रिंस -हे शिवम! कैसा है तू?.... हाय प्रिया! और क्या हाल?

शिवम-बस भाई बढ़िया तू बता…..

प्रिया -""अरे तुम्हारी हाय-हेलो हो गई हो तो मुझे ये बताओ कि मेरी आंखों पर पट्टी क्यूँ बांध रखी है।तुम लोग आखिर ऐसा क्या सरप्राइस दे रहे हो""

प्रिंस-कहता है, अरे रुक जा….सब्र कर ज़रा...आज देख तुझे किसी से मिलवाता हूं….

___________


और प्रिंस और शिवम,प्रिया का हाथ पकड़ कर उसे अंदर लें जाने लगते हैँ..तभी रिया के फ़ोन बजता है।

प्रिया-""अरे कोई देखो तो किसका कॉल है?""....

'हाँ हाँ रुक प्रिंस उसकी जेब से फ़ोन निकलता है...प्रिया कोई प्राइवेट नंबर है।'

प्रिया फ़ोन उठाती है…-""हेलो! हेलो! हेलो कोई है...हेलो...प्रिया बस कान से ज़रा सा फ़ोन हटाती ही है की तभी…--'आ..जाओ..मुझे तुम्हारा ही इंतजार था….आओ…'और फ़ोन कट जाता है।


तीनो भूत बँगले में कदम रख ही रहे होते हैँ,तभी शिवम प्रिया से पूछता है…"किसका फ़ोन था प्रिया"...

प्रिया -पता नहीं कौई पागल था शायद….और बातें करते करते तीनो अंदर पहुँच जाते हैँ…..


""अब तो मेरी आँखें खोल दो की आँखें बांध करके ही किसी से मिलवाओगे...प्रिंस खोल ना यार….प्रिंस….,शिवम….शिवम मै पट्टी खोल रही हूँ,बहुत हुआ तुम्हारा...और प्रिया पट्टी खींच लेती है….ये क्या है प्रिंस?....प्रिया झटके से मुड़ती है,लेकिन प्रिंस और शिवम वहां नहीं होते...उसके सामने एक पुरानी हिलने वाली कुर्सी और एक मेज, जिस पर कुछ खाने के साथ एक मोमबत्ती जल रही होती है…. प्रिया उस टेबल की तरफ बढ़ती है,तभी अचानक से एक खोपड़ी लुढ़कती हुयी टेबल के नीचे से आती है,''''आआआआआ""प्रिया ज़ोर से चीखती है …..

तभी किसी के भागते हुए क़दमों की आवाज़ प्रिया को सुनाई देती है और वो बाहर जाने के लिए भागती है,लेकिन उसके दरवाज़े के पास पहुँचने के पहले ही दरवाज़ा एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ बंद हो जाता है...रिया बहुत डर जाती है…"" प्रिंस…,...शिवम ये तुम हो ना,प्लीज़ यार सामने आ जाओ""...


'हेल्प! हेल्प ...'….एक और ज़ोरदार आवाज़ प्रिया को सुनाई देती है,वो तुरंत उस आवाज़ की तरफ़ दौड़ती है...तभी उसके पर मे कुछ अटकता है और वो गिर जाती है...उसके सामने एक दरवाज़ा खुलता है और…


"प्रिया i am sorry…help me प्रिया...मुंहे बचाले प्रिया " एक कटे हाथ के साथ प्रिंस लहूलुहान उस दरवाज़े पर से बोलता है…


""प्रिंस ये क्या हुआ...मै आ रही हूं तू डर मत""प्रिया जल्दी से उठती है और प्रिंस की तरफ़ भागती है तभी प्रिंस का सर कट कर प्रिया के आगे गिरता है...और उसके शरीर के दो टुकड़े हो जाते हैँ जिसमे से उसकी आंते निकलकर वहीँ प्रिया के आगे गिर पड़ती हैँ….

""आआआआआ….कौन हो तुम हमें जाने दो हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा हैँ""रिया धीरे-धीरे उस टेबल की तरफ़ बढ़ते हुए बोलती है और रोटी हुयी उस टेबल के पास जाकर खड़ी हो जाती है,""शिवम...शिवम तू कहाँ है?तुम लोग कोई मज़ाक कर रहे हो ना""तभी टेबल पर ढके रखे बर्तन हिलने लगते है,प्रिया झट से दो कदम पीछे होती है और काँपते हुए हाथों से एक बर्तन का ढकन हटाती है…""नहीं नहीं नहीं...नहीं…..आ..आ ..आ"" ….रिया बर्तन मै रखे शिवम के सर को देखकर चीखने चिल्लाने लगती है,तभी सारे बर्तन खुल जाते हैं और हर बर्तन मै शिवम के शरीर का एक एक टुकड़ा...रिया रोते डरते हुए सब देख ही रही होती है तभी कटे रखे शिवम के सर की आँखें खुलती हैं और वो कहता है'प्रिया...प्रिया यहाँ से भाग जा तेरी बात सही थी..जा भाग जा प्रिया'


इतना बोलते ही देकते ही देखते शिवम के शरीर के टुकड़े सड़ जाते हैं और शिवम और प्रिंस की चीखों से वो बंग्ला गूँज उठता है और उन्ही चीखों के साथ एक हंसी की आवाज़ आने लगती है

और प्रिया के सामने रखी कुर्सी हिलती है और ज़ोरज़ोर से हिलती है...प्रिया पीछे हटती है,दरवाज़ा अपने आप खुल जाता है,दरवाज़ा खुला देख प्रिया उस तरफ भागती है और छलांग लगा देती लेकिन वो ना बाहर जा पाती है ना ही अंदर,उसके उस दरवाज़े के बीच दबकर ही उसका आधा शरीर दरवाज़े के अंदर और आधा बाहर गिर जाता है और एक आंख निकलकर गेट पर लटक जाती है जहाँ लिखा होता है कि 'आपका अपना घर'।



आज भी उस बँगले मे कोई जाता है तो कभी लौट कर वापस नहीं आता।


धन्यवाद।

समाप्त।।