The Last Murder - 11 in Hindi Crime Stories by Abhilekh Dwivedi books and stories PDF | The Last Murder - 11

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The Last Murder - 11

The Last Murder

… कुछ लोग किताबें पढ़कर मर्डर करते हैं ।

अभिलेख द्विवेदी

Chapter 11:

"अपना टाइमलाइन देख लेना । किसी रंजीत का मर्डर हुआ है । उसने अपने टाइमलाइन पर तुम्हें डेडिकेटेड एक पोस्ट डाली थी । रेडी रहो, पुलिस आती होगी ।"

संविदा ने सब कुछ छोड़कर सबसे पहले वो पोस्ट देखा । पढ़ते-पढ़ते उसकी आँखों में आँसू आ रहे थे । गला रुंध चुका था और आवाज़ दब चुकी थी । उस पोस्ट के बाद उसने उसकी टाइमलाइन पर ध्यान दिया तो देखा कितने सारे पोस्ट्स थे जो उसने उसको ध्यान में रखते हुए लिखा था । उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि रंजीत उसे इतना पसंद करता था और उसे अब अफसोस भी हो रहा था कि क्यों उसने उसके लास्ट पोस्ट को कल नहीं पढ़ा या बात नहीं की । उसने रंजीत को कहानी में इसलिए थोड़ी जोड़ा था कि उसकी मौत हो जाये । अभी उसे कुछ समझ में आता कि पुलिस उसके दरवाज़े तक पहुँच चुकी थी । चेंज कर के वो उनके साथ थाने चली गयी थी, रॉबिन ने मैसेज कर दिया था कि वो वहाँ वकील के साथ रहेगा । वो वाक़ई वहाँ पहले ही पहुँच चुका था । पुलिस ने बताया कि रंजीत का मर्डर भी चौथे नॉवेल में लिखे हुए तरीके से ही हुआ है । पेन को गर्दन पर घोंपकर जान ली गयी है और लाश के पास से पहले नॉवेल की एक पेज मिली है जिसमें पहले मर्डर का तरीका लिखा हुआ है । ये सुनकर तो संविदा का रंग ऐसे उड़ा जैसे उसने साँप सूँघ लिया हो । उसे कुछ याद आया और वो तुरंत उन्हें अपने साथ अपने घर ले गयी । प्रशस्ति ने जो किताब वापस किया था संविदा ने वही किताब उन्हें देते हुए कहा कि एक बार उस पन्ने को इस किताब से मैच कर के देखें । पन्ना मैच हो गया था!

जिस तरह टॉस जीतने के बाद यह नहीं पता होता कि मैच कौन जीतेगा उसी तरह इस मैच के मिलने के बाद कोई नहीं जानता था कि कातिल का मैच भी बिल्कुल से बदल जाएगा । पन्ने का मैच भले किताब से मिल रहा था लेकिन जब पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन करना शुरू किया तो चीज़ें बदल गयी थी । दरअसल, प्रशस्ति रंजीत को डेट करती थी और उसे यह देख कर थोड़ा बुरा लगता था जब-तब रंजीत, संविदा की तारीफ में कुछ ज्यादा ही पोस्ट शेयर करता था और बात करने के टाइम भी ज़िक्र करता रहता था । हालाँकि उसने रंजीत को कभी नहीं बताया था कि संविदा उसकी कलीग रह चुकी है । पुलिस की जांच और प्रशस्ति की बात से ये पता चला कि दोनों की आपस में कहा-सुनी भी हुई थी लेकिन ये भी बात निकल कर आयी कि रंजीत के मर्डर से पहले उनका ब्रेकअप हो गया था । जिस दिन वह किताब देने संविदा को गयी थी तब तक उनका ब्रेकअप हो चुका था । और उनके झगड़े की वजह से ही उस किताब का वो पन्ना फट गया था जो रंजीत के मर्डर के टाइम लाश के पास मिला था । प्रशस्ति ने भी जो बात कही थी पन्ने पर हल्दी-मसाले गिरने की, वही बात सही थी क्योंकि जब उन पन्नों के टेस्ट हुए तो उससे यह साबित हो गया था कि उसने झूठ नहीं कहा था और रंजीत के मर्डर का सीन जो था उसमें कहीं से भी यह नहीं निकल कर आ रहा था कि प्रशस्ति ने मर्डर किया हो । तो फिर मर्डर के दिन उसकी मुलाकात किससे हुई थी?

अब घूम-फिरकर बात वहीं आ गई थी कि किसने रंजीत का मर्डर किया, इसके अलावा क्यों किया ये भी सवाल अहम था । इन्वेस्टिगेशन जितनी तेजी से आगे बढ़ना चाह रहा था, चीजें उतनी ज्यादा उलझती जा रही थी । सब कुछ पानी जैसा साफ था फिर भी उसमें कई शरबतों का फ्लेवर मिक्स था, जिसके वजह से सुलझी चीजें भी उलझी हुई नज़र आ रही थी । अब पुलिस के पास कोई रास्ता नहीं दिख रहा था तो रॉबिन ने एक आईडिया दिया ।

"सर, क्यों न ऐसे राइटर्स की लिस्ट बनायी जाए जो संविदा के या ऐसे राइटर्स के खिलाफ रहें हों?"

पुलिस को भी इस बात में दम नज़र आया और उन्होंने शहर के सारे राइटर के नाम की लिस्ट बनाने का काम शुरू किया । क्योंकि उन्हें भी लगता था कि यह सारा मसला राइट टू पब्लिश कैंपेन और संविदा के नॉवेल के आने के बाद ही शुरू हुआ था । अब लिस्ट के हिसाब से आशुतोष की डेथ पहले ही हो चुकी थी और मांडवी उस कैंपेन के रिजल्ट के बाद से ही इस शहर में नहीं थी । उसके बाद सिर्फ संविदा रह गई थी जिसकी किताबें मार्केट में चल रही थी । संविदा के बाद जितने भी राइटर्स की लिस्ट थी उनमें से सबको ट्रैक करना एक बहुत बड़ा पेचीदा काम बनता जा रहा था क्योंकि न्यू ऐज के मैक्सिमम राइटर इस शहर से बाहर के थे । हालाँकि पुलिस का बार-बार शक रॉबिन पर ही जा रहा था क्योंकि हर राइटर से सबसे ज़्यादा पकड़ उसी की थी । दूसरे पब्लिशर और बुक-स्टोर तो वैसे भी रॉबिन के लेवल में नहीं थे तो पुलिस ने उन्हें परेशान करना सही नहीं समझा । अब ऐसे में एक अंदाज़ यह भी हुआ कि कोई कहीं कोई रीडर भी ऐसा कर सकता है, लेकिन जब रीडर की बात आती है तो किसी एक रीडर पर जाकर टिकना इतना आसान नहीं था । सोशल मीडिया के हिसाब से संविदा के अब तक टोटल 68000 फॉलोअर हो चुके थे और इनमें से किसी एक कातिल को ढूंढना इतना आसान नहीं था और इसका सबसे बड़ा जो नुकसान हो रहा था वह संविदा से जुड़ा था ।

संविदा की पांचवी किताब की तैयारी चल रही थी और उसे यह नहीं समझ में आ रहा था कि इस कहानी को मार्केट में उतारा जाए या नहीं । क्योंकि इस बार की कहानी में उसने प्रोमिता का नाम दिया था । पांचवे नॉवेल से जुड़ी सारी बात पुलिस को मालूम थी । रोबिन भी जानता था कि पांचवी नॉवेल भी मार्केट में बहुत कुछ कर सकती है लेकिन उसके पहले सबसे जरूरी था कातिल को पकड़ना, नहीं तो फिर एक मौत को अंजाम देना ये साबित कर देगा कि पुलिस से कोई क्राइम नहीं संभल सकता और सारा असर बुक की सेल पर भी पड़ सकता है । इस सीरियल मर्डर की वजह से पुलिस पर भी प्रेशर था और हर तरफ से सवाल था, हर किसी को यही जनना था कि किताब के आने के बाद ही क्यों कत्ल हो रहा है और सिर्फ उन्हीं का क्यों हो रहा है जिनके नाम नॉवेल में होते हैं । दूसरे पब्लिशर तो इसका मज़ा ले रहे थे और हर मूँह ज़्यादातर रॉबिन का ही नाम ले रहा था । मार्केट के जानकार मानते थे कि रॉबिन जैसा इंसान कुछ भी कर सकता है लेकिन पुलिस को उसके खिलाफ कुछ मिल नहीं रहा था और वो उल्टे उनकी हेल्प और खातिरदारी भी बहुत अच्छे से कर रहा था ।

इस विवाद की वजह से संविदा को पांचवी कहानी कम्पलीट करने के लिए कंसंट्रेट करना मुश्किल हो रहा था । कभी-कभी वह ब्रेक लेने के लिए सोशल मीडिया पर समय बिता लेती थी । वह तो अच्छा था कि शहनाज़, तनवीर जैसे कुछ अच्छे रीडर जुड़े थे जो उससे सहानुभूति भी रखते थे और हौसला बढ़ाते थे । जैसे-तैसे संविदा ने पांचवी कहानी कम्पलीट की और रॉबिन को फ़ाइल को दे दिया था । लेकिन इस बार रॉबिन भी बुक को पब्लिश करने से डर रहा था क्योंकि उसे भी अब समझ में आ रहा था कि अगर संविदा का हाथ नहीं है तो सबसे ज्यादा शक उसी पर जाएगा कि हो ना हो रॉबिन ही है जो बुक को चर्चित करने के लिए यह हथकंडे अपना रहा है । सभी जानते हैं कि पब्लिसिटी के लिए कुछ लोग कुछ भी कर सकते हैं और बुक के बिज़नेस में बेस्टसेलर नहीं भी बनो तो कोशिश यही सबकी रहती है कि किताब सबसे ज्यादा चर्चा बटोरे, भले बिके कम । इसी वजह से सबको यही लग रहा था कि रोबिन का इसमें हाथ ज्यादा है । इसलिए इस बार रॉबिन ने बुक को पब्लिश करने से पहले पुलिस से बात की और उन्हें बुक का पूरा कंटेंट बताया और दिखाया । पुलिस को कहानी से समझ में आ गया था कि सिर्फ कहानी के बेस पर कातिल को पकड़ना आसान नहीं होगा क्योंकि कातिल इस कहानी को पढ़कर नहीं मर्डर करता है, वो बस मर्डर करने का वेपन और नाम से मिलते बंदे या बंदी का मर्डर करता है । इसलिए उन्होंने रॉबिन और संविदा से कहा कि सबसे पहले इसे प्रमोट करने की स्ट्रेटेजी बनाइये और इस बार इसका कंटेंट ज़रूर शेयर करियेगा या इस तरीके से प्रमोट करें जिससे कि संविदा पर ज्यादा ध्यान हों और कातिल इस बार या तो संविदा को मारने की कोशिश करें या फिर इस कहानी वाली प्रोमिता को । पुलिस ने कहा कि इस नाम वाली लड़की को पहले ही ढूंढ लिया जाय और उसे यह सब कुछ बता दें ताकि वह बलि का बकरा बनने में भी कोई संकोच ना करे और हमारी मदद करे । संविदा ने बता दिया कि इस नाम की लड़की है जो उसकी रीडर भी है और राइटर भी और उसने उसी को ध्यान में रखकर इस किताब के करैक्टर को गढ़ा है । संविदा को भरोसा था कि अगर वो प्रोमिता से इसके लिए बात करेगी तो वो मान जाएगी । उसने पुलिस को भी आश्वासन दिया कि वह प्रोमिता से बात करेगी इस बारे में और कोशिश करेगी कि वह मान जाय, कातिल को पकड़ने में सभी की मदद करे और उसे भी कुछ नुकसान ना पहुँचे । कोई स्ट्रेटेजी भी बनानी हुई तो सब मिलकर उसके हिसाब से चलेंगे । हालाँकि अब भी बड़ा मसला यही था कि कहानी के हिसाब से कातिल का पता कैसे लगेगा, उस कातिल को तो सामने आना होगा ।