A stranger like myself - 2 in Hindi Horror Stories by Shubham Singh books and stories PDF | अपना सा एक अजनबी - २

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अपना सा एक अजनबी - २

मैंने कई बार उस मैसेज को पढ़ा। मुझे समझ नहीं आया क्या करू कुछ रिप्लाई करू या ना करू। मेरी एक बुरी आदत थी मुझे लोगो के मैसेज या खत पढ़ने में बहुत मजा आता था।मैंने सोचा रिप्लाई ना सही चलो पुराने मैसेज ही पढ़ ले। मैं मैसेज चेक करने लगा पर संजना का कोई और मैसेज नहीं था। मुझे लगा शायद मुझे फ़ोन देने से पहले उसने डिलीट कर दिया हो। मैंने फ़ोन रखा और सो गया।

अगले दिन ऑफिस जाते वक़्त मैं उसका भी फ़ोन ले कर ऑफिस गया की क्या पता उसका फ़ोन आये पैसे लौटने को। मैं कई बार फ़ोन चेक किया ऑफिस में पर ना उस लड़के का कोई मैसेज आया और ना संजना का। शाम को मैं बस स्टॉप पे भी उस लड़के का इंतजार किया पर वो वहां पे भी नहीं आया। घर आकर मैं फिर नहाने चला गया ,नाहा कर खाना खाया और घर बात कर के बिस्तर पर लेट गया। तभी फ़ोन की घंटी बजी, आज फिर कोई मैसेज आया था। मैंने तुरंत उसका फ़ोन उठाया, फिर से स्क्रीन पे संजना नाम ही लिखा था, मैंने उत्सुकता से फिर से मैसेज खोला। ....

"दीपक एक दिन और बीत गया पर तुम्हारा कोई मैसेज नहीं आया, तुम्हारे लिए शायद ये उतनी बड़ी बात ना हो, तुम्हे उतना फर्क भी नहीं पड़ता होगा क्युकी तुम्हारे तो इतने दोस्त है तुम्हे समय ही नहीं मिलता होगा मेरे बारे में सोचने का, पर मैं क्या करू तुम्ही बताओ मेरे पास तो कोई भी नहीं है अब जिससे मैं बात कर सकू। कभी कभी तो लगता है लोग सच कहते हैं की कभी किसी के इतने करीब ना आओ की उसके चक्कर में बाकि सबसे दूर हो जाओ। पहले तुम्हे मेरा किसी और से बात करना भी अच्छा नहीं लगता था पर अब ना जाने क्या हो गया की जब मैंने हर किसी से दुरी बना ली तुम्हारे करीब आने के लिए तो अब तुम्ही मुझसे दूर जा रहे। दीपक प्लीज मुझे एक बार बता दो मेरी गलती क्या है....."

मैंने ये मैसेज भी १० १२ पढ़ा और सच कहु तो मेरी आँखों में थोड़े आँशु भी थे उसको पढ़ के,क्यों थे ये नहीं पता। उस लड़के पे गुस्सा भी आ रहा था की जो लड़की उससे इतना प्यार करती है वो उसे इस तरह दुःख पहुंचा रहा। फिर मैं इन्ही दोनों के बारे में सोचता सोचता सो गया।

अगले दिन फिर ऑफिस जाते वक़्त उसका फ़ोन भी ले के गया की शायद आज उसका मैसेज या कॉल आये पैसे के लिए, और मैंने ये भी सोच लिया था की मैं उस लड़के से ये भी कहूंगा की उस लड़की से बाते करे वो। खैर पूरा दिन बीत गया और आज भी उसका मैसेज नहीं आया। मैं फिर घर आया और नहाने चला गया।पर आज तो मुझे भी संजना का मैसेज आने का इंतजार था, मैं नाहा कर बहार आया फ़ोन चेक किया पर कोई मैसेज नहीं था फिर मैं खाना खाने लगा ,खाने के बाद घर बात की और फिर एक दफा फ़ोन चेक किया पर अभी भी कोई मैसेज नहीं था। मैं काफी दे तक उसके मैसेज का वेट करता रहा पर कोई मैसेज नहीं आया और मैं इंतजार करते करते ही सो गया।

अगले दिन मैं फिर उसका फ़ोन ले कर ऑफिस गया पर आज मुझे उस लड़के के कॉल से ज्यादा संजना के मैसेज के आने का इंतजार था ,पर ऑफिस का पूरा दिन निकल गया कोई मैसेज नहीं आया और नहीं उस लड़के का कोई कॉल आया। ऐसे ही मैं कई दिन फ़ोन ऑफिस ले के जाता रहा पर ना संजना का कोई मैसेज आया और ना उस लड़के की कॉल।

आज शनिवार था यानी कल ऑफिस की छुट्टी, मैं ऐसे ही बिस्तर पे लेता था घडी में १२ बज रहे थे, पर नींद आँखों से कोशो दूर थी, और अब तो मुझे संजना के मैसेज के आने आने की भी कोई उमींद नहीं थी, और ना ही उस लड़के की फ़ोन वापस लेने आने की । मैंने सोच ही रहा था की अब इसमें अपना सिम लगा लेता हु और उसका सिम निकल देता हूँ। कुछ दिन थोड़ा इस मेहेंगे फ़ोन को चलाऊंगा फिर ना होतो किसी को बेच दूंगा आखिर २००० रुपये का भी तो इंतजाम करना था वरना महीने का पूरा बजट बिगड़ जायेगा। अभी मैं सोच ही रहा था की तभी अचानक से फ़ोन की घंटी बजी मैं तुरंत फ़ोन को उठाया तो देखा तो संजना का मैसेज था। सच कहु तो मुझे इतनी ख़ुशी हुई की मनो संजना ने मेरे लिए ही वो मैसेज भेजा हो, मैंने तुरंत मैसेज पढ़ना स्टार्ट किया।

"दीपक मैं तुम्हे ४ दिन से मैसेज नहीं कर पाई उसके लिए सॉरी, दरअसल मैं हॉसिपटल में थी..." मेरी धड़कने तेज हो गई पढ़ते ही आखिर क्या हो गया संजना को जिसकी वजह से उसे हॉस्पिटल जाना पड़ा। मैंने आगे पढ़ना चालू किया। 'मैं बाकि लड़कियों की तरह ये तो नहीं कहूँगी की तुम मुझसे बात नहीं करोगे तो मैं तब तक खाना नहीं खाउंगी क्युकी मैं अपने तरफ से तुम्हे थोड़ा सा भी परेशां नहीं करना चाहती पर क्या करू जबसे तुमने मुझसे बात करना बंद किया है मुझसे कुछ खाया ही नहीं जाता। खाना लेती तो हूँ पर कवर को मुँह तक ले जाते ही तुम्हारी याद आने लगती है, की कैसे तुम बार बार पूछते थे की मैंने खाना खाया या नहीं और जैसे ही ये सब याद आता है मुझे रोना आने लगता है और फिर खाया नहीं जाता। इसी वजह से परसो अचानक बेहोश हो गई थी और फिर हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा।डॉक्टर ने बोला कमजोरी है ग्लूकोस और खून चढ़ाना पड़ेगा। तुम परेशां ना होना अब मैं ठीक हु कल सुबह तक हॉस्पिटल से घर भी आ जाउंगी। अपना ध्यान रखना तुम। "

मुझे मैसेज पढ़ने के बाद कुछ देर तक तो मुझे कुछ समझ ही नहीं आया, मैं वैसे ही बैठा रहा, और उसी मैसेज के बारे में सोचता रहा। आज के मैसेज में संजना ने दीपक से मैसेज करने को नहीं कहा था, शायद उसे लग रहा था की उसकी तबियत के बारे में तो सुन के दीपक जरूर मैसेज करेगा। मुझसे आज रहा नहीं गया सच कहु तो वैसे तो मुझे लड़कियों की बातो पे इतनी जल्दी विश्वास नहीं होता पर संजना की एक एक बात ना जाने क्यों सच लग रही थी। मुझे लगा उसका दिल नहीं टूटना चाहिए, अगर वो दीपक के मैसेज का इंतजार कर रही तो दीपक आज जरूर उसे मैसेज करेगा। मैंने फ़ोन लिया उसका और रिप्लाई करने लगा ,काफी सोचने के बाद मैं बस येही लिख पाया। " तुमने खाना खा लिया ?" ये लिख सेंड बटन पे क्लिक कर दिया।