Sima par ke kaidi - 1 in Hindi Children Stories by राजनारायण बोहरे books and stories PDF | सीमा पार के कैदी - 1

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सीमा पार के कैदी - 1

सीमा पार के कैदी 1

बाल उपन्यास

राजनारायण बोहरे

दतिया (म0प्र0)

एक

फौजी जासूस केदारसिंह अपने दोनों बेटों के साथ सीमा की एक चौकी पर आये हुए थे और सब लोग सीमा पार की दूसरे देश की चौकी की ओर ताक रहे थे।

कुछ देर बार एक फौजी ट्रक सीमा पार की चौकी पर आकर रूका और उसमें से सेना के जवानों के साथ दस-बारह ऐसे लोग उतरे जो देखने में बड़े गरीब और परेशान लग रहे थे। उन दस बारह लोगों को सीमा पार की चौकी के जवानों ने भारत की सीमा पर बनी इस चौकी की ओर इशारा कर के जाने की अनुमति दे दी तो वे लोग उन जवानों के प्रति हाथ जोड़ कर श्रद्धा प्रकट करते हुए उस देश की सीमा पार करते हुए ऐसी जगह में से आगे बढ़ने लगे जिसे नो मैन्स लैण्ड कहा जाता है, यानी कि दोनों देश की सीमाओं के बीच की जगह जहां किसी देश का कब्जा नही होता था।

भारत की सीमा में आते ही भारत के सैनिकों ने उन सबका हाथ जोड़ कर स्वागत किया और सामने खड़े ट्रक में बैठने का इशारा किया। वे लोग उस ट्रक में चढ़ कर बैठ गये तो एक सैनिक उन सबको चाय बिस्कुट देने लगा। वे लोग चाय और बिस्कुट इस तरह से खाने लगे जैसे कई दिनों के भूखे हों।

बाद में एक सैनिक ने उन सबकी तलाशी ली और ठाकुर केदारसिंह को बताया कि किसी के पास कोई सामान नही निकला है ।

इशारा पाकर वह ट्रक वहां से रवाना हुआ तो केदारसिंह ने अपने बेटों का के इशारा किया| वे दोनों लपक के जीप में बैठ गये और सैनिकों के सेल्यूट का जवाब देते केदारसिंह जी वहां से चल पड़े थे।

मौका पाकर अजय बोला “पापा , ये लोग कौन थे?”

“ये लोग हमारे देश के गरीब मारवाड़ी चरवाहे हैं जो कभी गलती से अपनी भेड़ बकरियों के साथ सीमा पार करके चले गये होंगे और पढ़ौसी देश की सेना ने इन्हे पकड़ के हवालात में डाल दिया होगा ।“ केदारसिंह ने जवाब दिया।

‘‘ सीमा के पास तो सेना की चौकी होती है, फिर ये लोग सीमा पार करके कैसे चले गये होंगे?’’

‘‘ ऐसा नही है कि पूरी सीमा पर चौकियां बनी हों या हमारे मकानों की तरह पूरे वार्डर पर हजारों किलोमीटर में लम्बी दीवार खड़ी हो चुकी हो, जिससे पता लग जाये कि कब हमारे देश की सीमा समाप्त हो चुकी है। रेत से भरे इन मैदानों में दोनों देश की सीमायें कहां पार हो गईं यह सिवाय सैनिकों के कोई नही जान पाता।’’

‘‘ फिर ऐसे तो हमारे हजारों लोग पढ़ौसी देश के यहां बंदी पड़े होंगे ।’’

‘‘ हां यह रोज की समस्या है।’’

‘‘ तो हमारी सरकार अपने सारे कैदी एक साथ क्यों नही मांग लेती ?’’

‘‘ अरे पगले, अब सरकार को क्या पता कि किस गांव से कितने लोग गल्ती से सीमा पार करके उधर कैद हो गये हैं।’’

‘‘ तो, ये लोग कैसे छुड़ा लिये सरकार ने ?’’

‘‘ हमारे जासूसों ने इन सबके नाम और पते की जानकारी ले ली थी, उसी के आधार पर इनकी मांग की गई और ये लोग वापस लाये गये।’’

‘‘ लेकिन पापा इन देहातियों को उन्होने किस आरोप में पकड़ा होगा?’’

‘‘ जासूसी के आरोप में ’’

‘‘ ये बेचारे जासूसी क्या जानें । फिर हमारा देश क्यों जासूसी करेंगा?’’

‘‘ बात यह है बेटे। वे लोग समझते है कि हम लोग अपने जासूस वहां भेज कर वहां की गोपनीय बाते जानना चाहते हैं, जिससे उन्हें बड़ा नुक्सान है।’’

इसके बाद अजय और अभय ने अपने पापा से अनेकों प्रश्न पूंछे, और उनके उत्तर जानकर उन्हे बड़ा दुख हुआ।

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