naina ashk na ho - 4 in Hindi Love Stories by Neerja Pandey books and stories PDF | नैना अश्क ना हो... - भाग - 4

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नैना अश्क ना हो... - भाग - 4

आर्मी हेडक्वार्टर से तड़के सुबह करीब चार बजे रहे होंगे कि आया ।
सारे लोग सो रहे थे । नव्या ने काफी देर रात तक पढ़ाई की थी इसलिए वो गहरी नींद में सो रही थी।
फिर फोन की चीखती हुई आवाज उसके कानों में पड़ी
" वो अनमनी सी हो गई की सुबह-सुबह ही किसका फोन आ गया" पर रात में गश्त पर जाने से पहले शाश्वत की काॅल आई थी किन्तु कुछ ही देर में डिस्कनेक्ट हो गया था ।
इस वजह से उसे लगा कि शाश्वत अब गश्त से वापस लौट आए होंगे और उन्होंने हीं फोन किया होगा । वो जल्दी से उठ कर बैठ गई और जल्दी जल्दी बाहर निकल आई।
इधर शांतनु जी भी उठकर आ गए कि सब सो रहे हैं मैं हीं देख लूं इतनी सुबह-सुबह किसका फोन है ? नव्या के पहले शांतनु जी पहुंच गए थे । उन्होंने रिसीवर उठाया और हैलो कहा उधर से ये जानकारी होने पर की शाश्वत के पापा बोले रहे हैं, कहा गया, कैप्टन शाश्वत आतंकवादीयों से वीरता से मोर्चा लेते हुए शहीद हुए हैं । आप एक बहादुर सैनिक के पिता हैं उसनेे इस मुठभेड़ में अदम्य साहस का परिचय दिया है हम आपसे फिर बात करेंगे ।
इतना कह कर फ़ोन कट गया । शांतनु जी कभी नव्या को देखते तो कभी फोन को । नव्या को तो भान भी नहीं था कि उसकी दुनिया उजड़ चुकी है । उसके ये पूछने पर कि क्या हुआ पापा किसका फोन था ? शाश्वत का था क्या ? क्या कह रहे थे वो ? मुझसे क्यों बात नहीं की ? शांतनु जी ने खुद पर काबू करते हुए कहा
हां, उसी का फोन था नव्या ठुनकते हुए बोली, क्या पापा आपने मेरी बात क्यों नहीं करवाई मुझे अपने सूट की मैचिंग चूड़ियां भी मगवानी थी । हां ,बेटा फिर फोन आएगा तो बोल दूंगा । वो थका था सोने गया । जा, तू भी सो जा अभी से उठ कर क्या करेंगी ? नव्या ने पूछा पापा चाय बना दूं; पर उन्होंने मना कर दिया और कहा जब तेरी मम्मी उठेगी तब पी लूंगा ।
नव्या को सोने भेज कर शांतनु जी अपने कमरे का दरवाजा बंद कर हिचक हिचक कर रोने लगे । उनकी सिसकियों से शाश्वत की मां की नींद भी खुल गई । वो चौंक कर बैठ गई और पूछा क्या हुआ जी आप रो क्यूं रहें हैं । खुद को संयत करते हुए वो बोले हमें अपनी आंखों में आंसू नहीं आने देना है शाश्वत की मां, हमें अपनी आंखों में आंसू नहीं आने देना है । जानती हो शाश्वत देश के काम आया है।
वो शहीद हुआ है , शाश्वत की मां, वो शहीद हुआ है । तुम एक शहीद की मां हो । भौचक्की! सी वो शांतनु जी का चेहरा ही देखती रह गई । तुम्हें क्या हो गया है क्या पागल हो गए हो जो सुबह सुबह बहकी-बहकी बातें कर रहे हो ।
उन्हें झकझोरते हुए वो बोली । अब शांतनु जी उन्हें अपने गले लगा कर कहने लगे तुम्हें धैर्य से काम लेना होगा मैं ने नव्या को सोने भेज दिया है उसे पता नहीं चलना चाहिए ।
हमें अपना दुख भूल कर नव्या को संभभालना है । पर मां के आंसू कहां रुकते हैं । उन्हें संभलने का समय देकर शांतनु जी ने नवल जी को फोन किया वे भी घबरा गए क्या बात है भाई साहब बस कुछ जरूरी काम है आप दोनों तुरंत आ जाइए । कह कर फ़ोन रख दिया । नवल जी सोचने लगे नव्या बीमार हो गई या उसनेे कुछ गलत किया है जो शांतनु जी इतनी सुबह-सुबह बुला रहे हैं । सशंकित मन से नवल जी यथाशीघ्र पत्नी सहित आ गए ।
नवल जी घर में घुसते ही पूछने लगे सब खैरियत तो है भाई साहब । उन्हें इशारा करते हुए चुपचाप अंदर के कमरे में ले आए । और कहा अपना हौसला बनाए रखियेगा हमें नव्या को मिल कर संभालना है । फिर पूरी बात बताई । नवल जी और उनकी पत्नी दोनों ही ये सुनते ही बेसुध हो गए । काफी देर तक उन्हें संभालने में लगा । अब चारों मिलकर नव्या को कैसे समझाना है ये सोचने लगे । अभी कुछ ही देर हुई थी कि नव्या चाय लेकर आती दिखी । नवल जी को देखकर चौंक गई ।
अरे!! मम्मी -पापा आप लोग और वो भी सुबह-सुबह।
नवल जी बोले, क्या करें तू तो आती नहीं तो सोचा हम ही चलें मिल आयें। क्या हम मिलने नहीं आ सकते? अरे नहीं पापा आप बिलकुल आ सकते हैं । सब को चाय देकर वहीं बैठ गई। सब के चेहरे से उसे कुछ गड़बड़ लग रहा था ।
अपनी उलझन दूर करने को बोली सच बताओ, मां कोई बात हो गई क्या । अब उसकी मम्मी बोली शाश्वत आ रहा है ना इसलिए हम दोनों भी आए हैं । शाश्वत तो अभी तीन दिन बाद आएगा । नव्या बोली । अब शांतनु जी बोले नहीं बेटा वो आ रहा है ।
नव्या उठ खड़ी हुई अरे!! तब तो मुझे बहुत तैयारी करनी है ,आप सब बातें करों मैं जाती हूं । झट से साक्षी के पास गई और उसे जगाते हुए बोली साक्षी तेरे भैया आज ही आ रहे हैं मैं कुछ कर भी नहीं पाई ।
" प्लीज़ उठ जा मुझे जल्दी से मेंहदी तो लगा दे "। शाश्वत को मेंहदी लगे हाथ बहुत पसंद हैं । अभी तो कुछ काम भी नहीं है । ये कहते हुए मेंहदी का कोन साक्षी को पकड़ा दिया । साक्षी ने सुन्दर सी मेंहदी लगाते हुए शाश्वत का नाम लिख दिया ।

" उधर हेडक्वार्टर से बार बार फोन आ रहा था"
जिसे शांतनु जी बाहर जाकर बात कर रहे थे । उसे लेकर वे लोग निकल चुके थे सेना के हेलीकॉप्टर से शाश्वत का पार्थिव शरीर लाया जा रहा था। इधर जैसे जैसे शहर में बात फैल रही थी लोगों के फोन और लोग खुद भी आ रहे थे । जिसे नव्या के पापा अभी आने में समय कहकर भेज दे रहे थे । नव्या की मेंहदी सूख गई थी वो शाश्वत के पसंद की पीली साड़ी लेकर नहाने चली गई । जब वो नहाकर निकली तो कुछ शोर सुनाई दी । बाकी सब को तो नवल जी ने भेज दिया था पर कुछ पत्रकार आ गए थे और वो सभी घर वालों की प्रतिक्रिया लेना चाह रहे थे। नव्या शोर सुनकर बाहर आ गई उसे बाहर निकलता देख नवल जी और शांतनु जी के साथ शेष लोग भी साथ में बाहर आ गए थे , उसे देखकर एक पत्रकार द्वारा पूछा गया मैम आपको कैसे पता चला कि कैप्टन शाश्वत शहीद हो गए ।



"क्या बीती नव्या पर इस दर्दनाक वाक्य को सुनकर"

पढ़िए अगले भाग में।
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