uff ye museebatein - 4 in Hindi Comedy stories by Huriya siddiqui books and stories PDF | उफ्फ ये मुसीबतें - 4 - शादी में फू फ़ा

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उफ्फ ये मुसीबतें - 4 - शादी में फू फ़ा

"अरे जंबो🧐!! तुम अभी तक तैयार नहीं हुई ? बारात बस आने वाली होगी।" एक अजनबी औरत ने मुझसे कहा

"जी हुई तो थी, ये पोशाक तो नहीं पहनी थी मैने।😮"

"अरे,तमीज छू कर भी नहीं गुजरी इस लड़की को"🤨 एक अनजान औरत ने मुझे घूरते हुए कहा


"अरे ना पूछो🙄😏। कोई सलीका नहीं, बहनों के ऊपर डिपेंडेंट, सारा काम और ख्याल वही करती हैं खाला" अजरा ने भी शिकायत लगाई

यह कौन है जिसको अज़रा पहचानती है मैं नहीं🤔🙄 "देखिए ना सलवार कौन सा तो कुर्ता कौन सा, कुर्ता भी मरदाना लगता है ,और दुपट्टा कहां है तुम्हारा🧐 ?"

"अरे!😧 मैं शादी के हॉल में बिखरे बाल और उल जलूल हुलिए मैं क्या कर रही हूं और ये शादी का फंक्शन मेरे यूनिवर्सिटी में क्यों हो रहा है?"

" तुम वहां बैठो😒👿!" एक खतरनाक वेटर ने मुझे भीखमंगो की तरह प्लेट दी और जमीन पर बिछे बोरे पर बैठने को कहा ,उसकी इस हरकत पर मेरा गुस्सा बेकाबू हो गया मैंने उसी का दिया हुआ प्लेट उसी के ऊपर दे मारा,😬😤

उस को मारने के जोश में मै कीचड़ में जा गिरी😰 उफ्फ कैसा मटियाला पानी था गरम गरम हाथो और बाजुओं पर तेज़ी से महसूस हुआ😖

"मम्मा,,s,,,s,,😩।"

" हैं,,🤔😕??" कोई मुझे नन्हे हाथो से जगा रहा था, ज़रा को समझ आया कोई बच्चा मेरे साथ ही लेटा था "उफ्फ शुक्र है ये ख्वाब था😌 "।।।।अभी सुकुन की सांस ली ही थी कि फौरन महसूस हुआ कि मै बच्चे की वजह से भीग गई हू ना जाने कौन लोग है जो बच्चो को ऐसे बिना डायपर छोड़ देते है??😡 हाय रे,,😩 मै तो रोने को हो गई खैर शादियों के घरों में कुछ छोटी बातो को नजरंदाज करना ही पड़ता है 🙄

"अप्पी! क्या हुआ ऐसे क्यों बैठी है?😯"

अतिया जो दुपट्टे में किरण लगा रही थी बोली

"कुछ खास नहीं, बस इस बच्चे की अम्मी की समझदारी की वजह से भीग गई हूं😕"

"है,,।।,, मतलब 🤔?"

"मतलब के बिना डायपर मेरे पास लिटा दिया और इन जनाब ने अपना काम कर दिया🙁पता नहीं कौन समझदार है ?😕"

"अरे अपी😬। शःश:😳🤫आहिस्ता बोलिए चाची के भाभी का नाती है, सुन लेंगी तो चाची को ऐसे ऐसे सुनाएंगी ,फिर चाची आपको ऐसे ऐसे सुनाएंगी की

सुनम सुनाई में अच्छा खासा बखेड़ा हो जाएगा😵🤫😬"

" चलो कोई ना, मै अब नहा लू तुम इसकी अम्मी को बता दो बच्चा गीला और शायद भूखा भी है😗"

"ठीक है 😄लगता है आज बारिश होगी🤔"

मैंने आसमान देखा वाकई मौसम दिलकश था इस वक़्त मै चाची के साथ कच्चे आंगन में बैठी थी

"ओह अम्मी की कॉल।😃 हेलो अम्मी?


" हां बेटा जंबो कैसा है मेरा बच्चा☺️ ?"

" मैं ठीक हूं दादी आप कैसी हो ,कब आओगे😃😉?

ऐसे वक़्त में दादी का कॉल,, मैं बच्चों जैसे खुश हो गई😁

" बस मेरा बच्चा ,तेरे अब्बू के ऑफिस वाले छुट्टी ही नहीं दे रहे हैं, मैं तो कहती हूं इस निगोड़ी ड्यूटी का मैं क्या करूं मेरे बेटे को सबसे दूर कर दिया है🤨🙄😒"

वह हजार बार वाली बात दोहराने लगी "तेरे अब्बू से कहती हूं कि जरा जल्दी करें😉"

*आगे की कहानी के लिए लिंक ज़रूर खोले*

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