Pen Friend in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | पेन फ्रेंड

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पेन फ्रेंड


कहानी - पेन फ्रेंड


शादी से पहले मेरे पति अशोक का डोरा के साथ काफी पत्राचार हुआ करता था .शादी के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा . इसकी जानकारी जब मैं शादी के बाद दिल्ली इनके साथ रहने लगी तब हुई . एक दिन जब ये दफ्तर गए थे इनका एक डाक आया .काफी खूबसूरत रंगीन लिफाफा था ,भेजने वाली का नाम डोरा था और पता अमेरिका का था .तब तक मैं नहीं जानती थी कि डोरा कौन है .शाम को जब ये घर आये तब मैंने डोरा के बारे में पूछा तो इन्होंने कहा " थोड़ा चाय नाश्ता तो कराओ .सब कुछ बताऊंगा ."

चाय समाप्त कर इन्होंने वह लिफाफा खोला .उसकी चिट्ठी पढ़ी , मुझे भी पढ़ाया था . लिफाफे में डोरा का फोटो भी था .बड़ी खूबसूरत गोरी विलायती मेम थी , सभी पश्चिमी देश की औरतों को विलायती ही कहती थी मैं . लॉन्ग स्कर्ट और टॉप्स में थी .पर जैसा कि मैंने पश्चिम की नग्नता के बारे में सुना था तस्वीर में वैसी कोई बात नहीं थी .फिर भी डोरा की एक बात मुझे अच्छी नहीं लगी थी . उसने चिट्ठी में लिखा था " तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो . "


मैंने डोरा के बारे में पूछा तब अशोक ने मुझे बताया कि जब वे इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे थे , उस समय सोशल मीडिया का चलन नहीं था .उन दिनों न तो इंटरनेट था न ही फेसबुक या ट्विटर का जन्म हुआ था . एक अंतर्राष्ट्रीय ' पेन फ्रेंड ' क्लब हुआ करता था . उन दिनों कुछ शहरी छात्र या छात्राएं इसके सदस्य होते थे. एक फॉर्म पर अपने डिटेल्स , पसंदीदा चीजें , शौक़ आदि लिख कर भेजने पर वह क्लब शैक्षिक योग्यता ,उम्र और होब्बीज को कम्प्यूटर से मैच करा कर भावी पेन फ्रेंड का नाम पता दोनों को सूचित कर देते थे .फिर इन पेन फ्रेंड्स या पेन पॉल्स के बीच परस्पर पत्राचार , फोटोज व गिफ्ट्स का आदान प्रदान होता .पर यह सब उन दिनों डाक द्वारा ही संभव था .

अशोक की भी एक पेन फ्रेंड थी ' डोरा ', वह अमेरिकन थी .अशोक ने जब पढ़ाई पूरी कर नौकरी ज्वाइन कर ली , तभी उनसे मेरी शादी हुई . अशोक तो इंजीनियर थे पर मैं बी .ए . में पढ़ रही थी . उन दिनों आज कल की तरह कमाऊ बीबी की प्राथमिकता नहीं थी . अशोक और मैं दोनों ही साधारण परिवार से थे . पर अशोक बड़े शहर में रह कर पढ़े थे जबकि मैं छोटी जगह से थी तो उनका सामान्य ज्ञान और आई क्यू मुझसे बेहतर होना स्वाभाविक था .पेन फ्रेंड क्या होता है, मैं इससे अनभिज्ञ थी .शादी के बाद भी कुछ महीने मैं अपने ससुराल में ही रही थी .


मैंने इनसे पूछा कि क्या डोरा हमारी शादी के बारे में जानती है तो उन्होंने कहा " सुधा , वह सब कुछ जानती है हम दोनों के बारे में .लगता है तुमने पूरी चिट्ठी ठीक से नहीं पढ़ी है ." और चिट्ठी दिखाते हुए कहा " यह पढ़ो .अंत में लिखा है " माई स्पेशल लव टू सुधा ."

उस समय मैं चुप रही . इसके बाद भी इनका और डोरा के बीच पत्राचार जारी रहा .एक बार आलमारी की सफाई करते समय डोरा के कुछ पुराने पत्र और फोटो मुझे मिले .वैसे देखा जाय उनमें तो कोई अश्लील बातें या फोटो नहीं

थे , फिर भी एक दूसरे की तारीफ़ की बातें थी .कुछ फोटो वहां के दर्शनीय स्थल - निआग्रा फॉल्स , वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ( जिसे 9/11 में आतंकियों ने गिरा दिया था ) , ग्रैंड कैनियन , हॉलीवुड स्टूडियोज, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग आदि के थे .

एक दिन जब फिर डोरा की चिट्ठी आई तो मैंने अशोक से कहा " अब तो आपकी शादी हो चुकी है , मुझे डोरा के साथ पत्राचार कुछ ठीक नहीं लगता है . "

" इसमें क्या बुराई है . सिर्फ खत की ही तो दोस्ती है . मुझे कुछ अमेरिका के बारे में जानने को मिलता है और कुछ टाइम पास भी हो जाता है और उसे मुझसे भारत की जानकारी मिलती है . "

मैं थोड़ा क्रोध से बोली " शादी के बाद किसी गैर लड़की , वह भी विदेशी लड़की से दोस्ती तो मुझे उचित नहीं लगती है . शादी से पहले टाइम पास के लिए डोरा की जरुरत हो सकती थी , पर अब क्या मुझसे टाइम पास नहीं हो सकता है ?"

" तुम नाहक बात का बतंगड़ बना रही हो . डोरा एक अच्छी लड़की है . "

" और सुधा क्या बुरी है ? दूसरी बात डोरा से दोस्ती भले मात्र चिट्ठी की हो ,आप भावनात्मक रूप से उस से जुड़े हुए हैं . पत्नी होने के नाते यह बंटवारा मुझे मंजूर नहीं है .आपके प्यार का बँटवारा ,भले इमोशनल ही क्यों न हो, मैं नहीं होने दूंगी . "

इसी बीच कॉल बेल बजी , इनका कोई मित्र अपनी पत्नी के साथ हमसे मिलने आया था . तो यह बात अभी आई गयी हो गयी थी .

कुछ दिनों बाद डोरा का खत फिर मिला .मैंने ही इसे खोला .अशोक ने मुझसे कहा था कि खत में छिपाने वाली कोई बात नहीं होती , मैं चाहूँ तो खोल कर पढ़ सकती थी इसलिए मैंने लिफाफा खोल दिया . खत में मुझे ऐसी कोई बात नहीं मिली थी पर लिफ़ाफ़े में डोरा ने अपना एक फोटो भेजा था जिसमें वह एक सी बीच पर बिकिनी में थी . इसे देख कर मेरा चेहरा क्रोध से आरक्त हो उठा था .

शाम को अशोक जब ऑफिस से लौटे तो मैंने खत और फोटो उनको दिखाई तो वह बोले " इसमें ऐसी तो कोई बात नहीं है . आजकल तो हमारे हिंदी फिल्मों में ऐसे फोटो अक्सर देखने को मिलेंगे . "

मैंने कहा " फिल्मों की तस्वीरें सारी दुनिया देख सकती है , पर यह फोटो तो सिर्फ आपके लिए है . जो भी हो , मैं अब यह पेन फ्रेंडशिप बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ . आपको डोरा की दोस्ती और मेरे में किसी एक को चुनना होगा . "

" यह तो बेकार की ज़बरदस्ती हुई . मैं ऐसी बकवास नहीं मानने वाला हूँ ."

मैं बोली " तो मैं भी नहीं मानने वाली .कल सुबह मैं मैके चली जाऊँगी ."

" तुम्हें जो ठीक लगे करो ." बोल कर वहां से उठ कर बेड रूम में चले गए .


सुबह मैं अपने मैके चली आई . अभी शादी हुए एक साल भी नहीं हुआ था .यहाँ आने के कुछ दिन बाद ही मुझे पता चला कि मैं माँ बनने वाली थी . मेरे मैके में सभी बहुत खुश थे . पर अशोक को अभी यह बात मैंने नहीं बताई थी . कुछ दिनों के बाद हमारी मैरिज एनीवर्सरी थी , तो अशोक भी आये थे . जब मेरी छोटी बहन ने उन्हें बताया कि वे पापा बनने वाले हैं , तो वे बहुत खुश हुए थे और मुझसे दिल्ली चलने को कहा और बोले " सुधा , दिल्ली चलो वहां अच्छे डॉक्टर्स और नर्सिंग होम्स हैं .वहां डिलीवरी में कोई कठिनाई नहीं होगी . "

मेरी माँ भी वहीँ थी .वह बोली " मेरे बच्चों का जन्म इसी छोटे शहर में हुआ था और कभी कोई प्रॉब्लम नहीं हुआ . अब तो यहाँ भी पहले से बेहतर सुविधा उपलब्ध हैं .और वैसे भी पहला बच्चा हमारे यहाँ मैके में ही होता है . "

अशोक मान गए और मैं भी यही चाहती थी . मैके वालों ने देखा कि मेरी और अशोक के बीच बातें न के बराबर होती थीं . अशोक जाने के बाद भी फोन पर मेरा हाल चाल माँ या बहन से ही पूछ लेते थे . एक बार मेरी माँ ने पूछा कि हमारे बीच सब ठीक तो है . मैंने हाँ कहा पर माँ मेरे जबाब से संतुष्ट नहीं थी . तब मैंने सारी बातें उसे बताई. घर में सब लोगों ने विचार किया . उनका कहना था कि मैं पेन फ्रेंड लेकर ओवर रियेक्ट कर रही थी .

खैर , कुछ ही दिनों के बाद मुझे एक बेटी हुई . पार्टी रखी गयी थी . अशोक को तो आना ही था . वे वैसे भी बहुत खुश थे . मेरे पास आकर बोले " मैंने तुमसे कहा था कि मुझे बेटी ही चाहिए और भगवान ने मेरी सुन ली है . "

काफी शानदार पार्टी रखी गयी थी . अशोक ने ख़ास कर के दिल्ली से फोन पर पहले ही पिताजी को बोल रखा था कि पार्टी में किसी तरह की कोई कमी न रहे .उन्हें एक सरप्राइज देनी थी मुझे .पार्टी शुरू होने के पहले इन्हें एक फोन आया और फोन पर मैंने इन्हें बोलते सुना " हाँ , तुम लोग आ सकते हो , मैंने टैक्सी भेज दी है ."

थोड़ी देर बाद मैंने टैक्सी से दो विदेशी मेहमानों को उतरते देखा .जब वे निकट आये तो मुझे एक को पहचानने में कोई दिक्कत नहीं हुई .यह डोरा ही थी . जब वे निकट आये तो अशोक ने सभी से उनलोगों का परिचय कराते हुए कहा " ये मेरी अमेरिकन पेन फ्रेंड डोरा और यह उसका मंगेतर जॉन .इनकी सगाई हो चुकी है और जल्द ही शादी होने वाली है . "

सब लोगों ने तालियों से विदेशी मेहमानों का स्वागत किया था . डोरा और जॉन दोनों मेरे पास आये दोनों ने हाथ जोड़ कर मुझे हिंदी में' ‘ नमस्ते ' कहा .फिर उन्होंने मेरी बेटी को ढ़ेर सारे उपहार दिए और उसे बहुत प्यार किया .

डोरा अंग्रेजी में बोली " मुझे अशोक ने बताया है कि मुझे लेकर तुम्हारे मन में कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग है . हमारे बीच ऐसी कोई बात नहीं है .मुझे बेबी की मौसी समझो . और तुम नहीं चाहती तो मैं अशोक को पत्र नहीं लिखूंगी .पर तुम चाहो तो मुझे लिख सकती हो और मैं सहर्ष उत्तर भी दूँगी ."


मैं उसे देखती रही , मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूं . कुछ शर्मिंदगी भी महसूस करने लगी थी .


डोरा आगे बोली " तुम्हारा देश बहुत अच्छा है और यहाँ के लोग भी .जॉन और मुझे दोनों को इंडिया की ऐतिहासिक स्थलों दिल्ली , जयपुर , आगरा , मैसूर आदि देखने की प्रबल इच्छा थी . वह पूरी हुई .और तुम लोगों से भी मिलना जुलना हो गया . अब हम सिर्फ पेन फ्रेंड ही नहीं रहे , रियल फ्रेंड हो गए . बोलो मुझसे दोस्ती करोगी ? "


जॉन भी आगे बढ़ कर बोला " अशोक और तुम बेबी के साथ हमारी शादी में जरूर आना , हमें बहुत ख़ुशी होगी . मैं टिकट भेज दूंगा .साथ में वीजा के लिए इनविटेशन कार्ड और स्पॉन्सरशिप भी ."

अशोक बोले " हम पूरी कोशिश करेंगे आने का .अमेरिका भी हमारा ड्रीम डेस्टिनेशन है . "

फिर अशोक मेरे पास आकर बोले " अब भी कोई कन्फ्यूजन है तुम्हारे मन में. अब तो दिल्ली चल सकती हो ."

मैंने कहा " अब और शर्मिंदा न करें ."डोरा आ कर मुझसे गले मिली और जॉन ने हाथ मिलाया .वे दोनों अशोक से भी हाथ मिला कर विदा ले रहे थे .
डोरा और जॉन को विदा कर अगले दिन मैं अशोक के साथ दिल्ली लौट गयी . डोरा की शादी के अवसर पर हम लोग अमेरिका गए . उसने हमारे स्वागत में कोई कमी नहीं बरती थी . उसने हमें अमेरिका के कुछ दर्शनीय जगहों की सैर करायी . हमलोग दो सप्ताह में भारत लौट आये . उसके बाद से अशोक का पत्र लिखना तो बंद हो गया पर मैं डोरा की पेन फ्रेंड बन गयी और आज भी हूँ.

- शकुंतला सिन्हा -
( बोकारो , झारखण्ड )

currently in USA