vo kab lotenge ? in Hindi Horror Stories by Sushma Tiwari books and stories PDF | वो कब लौटेंगे?

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वो कब लौटेंगे?

" जन्मदिन मुबारक हो मम्मी जी!,.. आप कहां थे मैं कल रात से ही आपका फोन लगा रही थी "
" सॉरी बहू! तुम बच्चों का प्यार मेरे साथ ही रहता है और इस बुढ़ापे में तुम्हारे पापा जी ने जन्मदिन पर सरप्राइज दिया है.. हम लोनावाला आए है बेटा.. और सोचो कहाँ, खूबसूरत से बंगले में रुके है जो हमारा ही है "
" हमारा? हमारी कोई प्रॉपर्टी लोनावाला में नहीं है मम्मी जी.. "
" अरे बहू इन्होंने जन्मदिन पर खरीदा है मेरे लिए.. मैं ना कहती थी कि बुढ़ापे में कहीं शांत जगह रहना है, तो इन्होंने ये बंगला गिफ्ट किया है.. ऐसा करो तुम लोग भी आ जाओ, तीन चार घंटे लगेंगे, डिनर साथ करेंगे, मैं एड्रेस मैसेज कर रही हूं "
मोबाइल पर मम्मी पापा की सेल्फी जिसमें बैकग्राउंड में वो लाल बंगला था, साथ में मेसेज में अड्रेस भी था।
सासु माँ की बाते सुनकर मीरा खुश कम परेशान ज्यादा हो गई थी।
" रवि ! ये क्या बात हुई? बंगला और हमे बताया भी नहीं पापा जी ने.. तुम्हें पता था क्या? "
" नहीं मीरा ! नहीं पता था अब जाने दो उनका इतना तो हक बनता ही है, सारी उम्र पैसे ही बनाए है.. अब प्रॉपर्टी डीलर है तो मिल गई होगी सस्ती डील.. छोड़ो तुम.. चलो हम भी निकलते है.. मुंबई से थोड़ी दूर तो है, चलो तुम मूड ठीक करो "
थोड़े चिंता में ही और खुद में खोई मीरा सारी तैयारी कर चुकी थी। गाड़ी मुंबई पुणे एक्सप्रेस हाई वे पर दौड़ रही थी।
" अभी भी नाराज हो रिया "
" नहीं रवि ! नाराज नहीं चिंतित हूं बस.. आजकल किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, ना जाने क्यूँ मुझे सब ठीक नहीं लग रहा है "
रवि ने मीरा की लटकी सूरत को देख कर कहा
" कुछ नहीं होगा.. तुम खामख्वाह.."
" रवि sss! आगे देखो " मीरा जोर से चिल्लाई और रवि ने ब्रेक मारा। ब्रेक मारते ही पीछे वाली गाड़ी भी आ टकराने से बची । नुकसान नहीं हुआ क्यूँकी वो साइड पर ड्राइव कर रहा था, शाम हो रही थी और स्पीड उतनी नहीं थी।
मीरा और रवि अपनी सीट पर शौक में थे।
"मीरा तुम ठीक हो "
मीरा जो सदमे में थी
" रवि वो.. वो गाड़ी के ठीक सामने वो विशालकाय आकृति.. मैं डर.."
तभी मीरा के साइड वाली कांच पर किसी ने जोर से धबधबाया
" अबे मरना है क्या? हमारा एक्सीडेंट हो जाता तो?.."
मीरा डर से चीख पड़ी।
" सॉरी सर! वो गाड़ी के सामने कुछ आ गया था.. आई एम रियली सॉरी"
उस आदमी को निपटाकर मीरा को पानी दिया।
अचानक मीरा का मोबाइल पर मैसेज पॉप हुआ
" हमे बचा लो मीरा ! हमने गलती कर दी"
"रवि ! मैंने कहा था ना कुछ गडबड है.. मम्मी का मैसेज है.. अब क्या होगा"
कहकर मीरा बेतहाशा रोने लगी।
" मीरा शांत हो जाओ, मैं वहाँ की पुलिस को कॉल करता हूं तुम एड्रेस दो"
रवि ने लोनावाला पुलिस को कॉल कर के सब बताया।
" क्या हुआ रवि ? तुम्हारा चेहरा क्यूँ पीला पड़ गया? "
" तुम ठीक कह रही थी मीरा , कुछ गडबड है.. पुलिस कह रही है ऐसा कोई एरिया ही नहीं है यहां जो अड्रेस में है "
" हो सकता है मम्मी से लिखने में कोई गलती हुई हो"
" जो भी हो हम वहाँ पहुँच कर देखेंगे"
रवि ने गाड़ी स्टार्ट की पर नहीं हुई।
हार कर एक दूसरी गाड़ी में लिफ्ट लेकर वो लोनावाला पहुंचे। मीरा को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उन्हें वहाँ आने से रोक रहा था ।
पोलिस स्टेशन पहुंच कर उन्होंने वो मैसेज दिखाया। फिर उन्होंने उस नंबर को जीपीएस से लोकेशन चेक किया और वहाँ पहुंचने का प्लान किया। लोकेशन के नजदीक आते ही सड़क खत्म हो गई थी। सिर्फ काला जंगल था। उन लोगों ने टॉर्च लेकर अंदर प्रवेश किया। लोकेशन पर पहुंच कर देखा तो खुला मैदान था, वहाँ कोई बंगला नहीं था।
" सर आपसे किसी ने मज़ाक किया है, यहां कोई बंगला नहीं है"
" ऐसे कैसे हो सकता है? मम्मी क्यूँ झूठ बोलेंगी.. और उन्होंने मुझे सेल्फ़ी भी भेजी थी बंगले के साथ। ये देखिए"
" देखिए मैडम! हम नहीं कह रहे बंगले वाली बात गलत होगी.. बस लोकेशन ये नहीं हो सकता है.. हम देखते हैं क्या कर सकते हैं, ये फोटो आप हमे भेज दीजिए "
मीरा और रवि का बुरा हाल था। जन्मदिन वाला दिन ऐसे खत्म होगा सोचा नहीं था। मार्केट में एक रूम लेकर वो रात वही बिताई। अगली सुबह वो फिर उसी जगह पहुंच गए।
चारो तरफ घूम घूम कर देखा सिर्फ और सिर्फ खाली जमीन और कुछ नहीं था। तभी झाड़ियों में मीरा के पैर से कुछ टकराया।
" रवि ! मम्मी का फोन!" मीरा ने चीखते हुए कहा।
मीरा ने फोन ऑन किया। उसमे बहुत सारे फोटो थे। बंगला साफ दिख रहा था, अंदर के भी काफी फोटो थे। मम्मी ने वीडियो भी रिकॉर्ड की थी जिसमें उन्होंने एक औरत को दिखाया जिसे अपनी हाउस हेल्प बताया था।
" रवि ! पुलिस से कुछ नहीं होने वाला, वो ईन सब बातों को मानेगी भी नहीं.. हमे आजू बाजू के एरिया में पूछना पड़ेगा"
मीरा और रवि पूछने लगे जो मिलता उससे। बंगले के बारे में, उस हाउस हेल्प का फोटो दिखाते, शायद लोकल हो तो कोई पहचानता हो उसे। थक कर एक छोटे से ढाबे पर चाय पीने रुके।
" मैंने सुना है इसके बारे में.. " वो लड़का जो चाय देने आया था उसने कहा।
" क्या.. क्या सुना है प्लीज बताओ"
" वो.." तब तक पीछे से उसकी अधेड़ उम्र की माँ ने आकर उसकी पीठ पर जोर से मारा।
"कितनी बार कहा है ग्राहक से फालतू बात नहीं, आप.. आप लोगों और कुछ चाहिए तो ठीक वर्ना जाइए, समय मत खराब कीजिए"
मीरा को उसका व्यवहार अजीब लगा।
उस समय वहाँ से निकल गए फिर इशारे से लड़के को बाहर बुलाया। हाथ में दो हजार का नोट दिया और पूछा
"बताओ क्या पता था तुम्हें "
" वो इस बंगले के बारे में यहां कोई बात नहीं करता है.. आपको कोई नहीं बताएगा, राक्षसों का बंगला है ये, मतलब है ही नहीं"
" है भी और है ही नहीं.. साफ साफ बताओ"
" देखो साहब! मैंने सुना है ये बंगला किसी और लोक का रास्ता था कई सौ साल पुराना। कोई नहीं आता जाता था, फिर एक बिल्डर ने खरीद लिया और तुड़वा दिया वहाँ रिसॉर्ट बनाने के लिए। मत पूछो साहब फिर। उस रोज बहुत लोग मारे गए। सुना है कोई नहीं बचा, किसी ना किसी घटना में बिल्डर, उसके कामगार सब मारे गए। फिर उस जमीन को वैसे ही छोड़ दिया। कुछ नहीं बना फिर। आप लोग इस घटना से मत छेड़छाड़ करो। और हाँ सुना है एक बाई उधर रखवाली करती थी उसको भी बुलडोजर चला कर उसी में खत्म किया था। "
मीरा और रवि के हाथ पांव फूल चुके थे। उन्होंने तय किया लड़के के माँ से मिलेंगे शयद उसको ज्यादा पता होगा। अगले दिन वो उस होटल पहुंचे तो वो बंद था। पूछने पर पता चला कल आग लग गई थी और उसका लड़का जल कर मर गया।
मीरा जोर जोर से रोने लगी।
" हमारी वजह से सब हुआ है"
रवि ने उसे चुप कराया और उस औरत के घर पर पहुंचे। उन्हें देखते ही चीखते हुए वो औरत मीरा पर कूद पड़ी।
" तुम लोग मेरे लड़के को खा गए। मना किया था उसे.."
मीरा ने रोते हुए सारी बात बताई की कैसे उसने भी अपनों को खोया है और मदद के लिए ही पूछा था।
" आप लोग चले जाओ वापस! कोई मदद नहीं होगी, जितनी बात करोगे उतनी लाशें बिछेगी.. अब बेटा गया तो मैं जी के क्या करूँगी इसलिए बताती हूं, हर दस साल में एक बार जेठ की अमावस्या से एक हफ्ते पहले वो बंगला वहाँ अपने आप आ जाता है और अमावस्या के दिन गायब हो जाता है। अगर कोई गया या उसके बारे में बात भी की तो वो भी चला जाता है उनके साथ उनके लोक , आप के घरवाले अब नहीं मिलेंगे.. वापस जाओ और लोगों को जीने दो "
उसकी बाते सुन कर मीरा स्तब्ध रह गई। और दोनों ने फैसला किया लौट जाने का।
वापस आकर मीरा उदास बैठी थी।
" मीरा मैंने सोचा है अंतिम क्रिया करवा देते है.. आत्मा तो शांत रहेगी मम्मी पापा की, मैं जाता हूँ ऑफिस, आकार बात करते हैं "
रवि चला गया तो मीरा के फोन पर मेसेज आया

"हमे बचा लो " ।