kavitaye in Hindi Poems by Kishanlal Sharma books and stories PDF | कविताएं

Featured Books
Categories
Share

कविताएं

दिनचर्या
--------------
जैसे
हवा,पानी,खाना जरूरी है
ऐसे ही जरूरत बन गया है
अखबार
इसके बिना
रहा नही जााता
सुबह उठते ही
गेट की तरफ नज़रे टिकी रहती हैं
अखबार वाले के इन्तजार मे
जब तक अखबार नही आता
मन बेचैन रहता है
अगर अखबार आने मे
जरा भी देर.हो जाये,
तो मन मे अनेक प्रश्न उठने लगतेे है
अखबार आयेगा या नही?
अखबार वाला कंही बाहर, तो
नही चला गया?
कंही वह बीमार,तो
नही पड़ गया?
सारी आशंकाए निर्मूल साबित होती है।
चाहे देर भले हो जाये,
अखबार की नागा नही होती।
अखबार आते ही,जैसे
कुत्ता रोटी पर या
बिल्ली दूध पर
वैसे ही,मैं अखबार पर
जब तक उसे पूरा चाट नही लूं
भूख शांत नही होती।
अखबार पढ़ने के बाद,अपने को
हल्का महसूस करता हूँ
साल में चार दिन
होली,दीवाली,स्वतन्त्रता दिवस और
गणतंत्र दिवस के अगले दिन
अखबार नही आता,तब
खाली खाली सा लगता है,
शरीर टूटा टूटा सा और
किसी काम मे मन नही लगता
अख़बार मेरे से, ऐसा
जुड़ गया है कि दिन कि
शुरुआत अखबार से ही होती है
अखबार दिनचर्या का हिस्सा
बन गया है,
आपकी भी और
मेरी भी
--------////////-------------
बचपन
-----------//////----------
तलाशती रहती है,
मेरी आँखें,
खेत खलिहानों मे,
नदी पोखर मे,
घर के आंगन में,
रसोई मे,
मेरे अपने बचपन को,
याद आते है,
बचपन के भाई बहन के झगड़े,
याद आटी है,
बचपन की वो नन्ही गुड़िया,
जो मेरे साथ
खाती-पीती-खेलती-सोती थी,
याद आती है,
बचपन की सखी सहेलिया,
घर गृहस्थी के कामों,
पति की सेवा और
बच्चों की देखभाल में ,
न जाने कहां खो गया
मेरा अपना बचपन
तलाशती रहती है,
मेरी आँखें
रात दिन,हर पल,हर जगह
अपने बचपन को
लेकिन
कंही नही मिलता
मुझे अपना बचपन
अगर कंही कभी
आपको मिल जाये,
मेरा बचपन,तो
लौटा देना
मुझे
मेरा बचपन
---------//////-----/////---
कोई और
-------//////-------
माना
तुम सुंदर हो
हो नही,
लेकिन
हीरो से लगते हो
तुम पर
न जाने कितनी लडकिया
जान छिड़कती है,
मुझे भी तुम
अछे लगने लगे हो,
लेकिन
माफ करना
तेरे प्यार को नही
कर सकती स्वीकार
क्योंकि
तेरे से पहले
आ चुका है,
कोई और मेरी जिंदगी में
जिसे दे चुकी हूं,
मैं अपना दिल
भूल जा मुझे,
मेरे दिल मे,
तेरे लिए कोई
जगह नही है
इसलिए
तू मान ले
मेरी बात
भूलकर मुझे
तू ढूंढ ले
कोई और लड़की
अपने लिए
--------/////----////---------
सौगात
--------/////------///////
दुखों से क्या घबराना
ये भी तो,
जिंदगी का हिस्सा है,
अगर दुख न होगे,
तो कैसे तुम
जान पाओगे,
सुख देते है,
कितना मज़ा?
आतें है, दुख
तो उन्हें आने दो
अंधेरे के बाद उजाला,
रात के बाद दिन
नियम है प्रकृति का,
दुख आएंगे और
चले जायेंगे
लेकिन
जाते जाते तुम्हे
सुख की सौगात
दे जाएंगे
---------/////-----///////----
सर्कस
-------///////-------///---
शमशान के अंदर
मुर्दा जल रहा है,
शमशान के बाहर
बारात चढ़ रही है,
शमसान के अंदर प्रियजन की
मृत देह को
चिता पर जलते देखकर
लोग उदास,गमगीन है,
शमशान के बाहर
बाराती खुस है,
वे बैंड की धुन पर
नाच गा रहे है,
दोनो ही घटनाये
जीवन का हिस्सा है,
जो इस संसार मे आया है,
उसे यंहा से एक दिन जाना है,
लेकिन मौत के डर से,
जीवन ठहरता नही,
सर्कस का एक नियम है,
शो मस्ट गो ऑन
यह संसार भी तो एक सर्कस है
और हम सब
इसके किरदार
-------//////------
चेहरा
-----//--------///--
क्यू
छिपा लिया है,
चेहरा,
घूंघट में,
मुझे देख कर
चांद में,
तो
दाग है,
जो
जा छिपता है,
बादलो की ओट में,
लेकिन
गोरी,
तू
क्यो शरमाये
--------//////-------//----
कबूतर
-------/////---- ////---
कबूतर
आ बैठा है,
मेरे घर की मुंडेर पर और
करने लगा है,
गुटूर गूं ,गुटूर गूं,
उसकी गुटूर गूं
का मतलब है,
आईं लव यू,
कबूतर है,बड़ा अनाड़ी, नादान
जानता नहीं प्यार की भाषा,
प्यार जग जाहिर करने की चीज़ नही
हो जाये अगर प्यार जगजाहिर,
तो हो जाती है बदनामी,
दुनिया है बड़ी ज़ालिम,
जीने नही देती,
प्यार करने वालो को,
इसलिए
प्यार किया जाता है,
गुपचुप,चोरी छिपे
ताकि किसी को भनक भी न लगे,
डरती हूं,
कबूतर के अनाड़ीपन से,
कंही हो ना जाऊ बदनाम
इसलिए
कबूतर की,
गुटूर गूं,
सुनते ही मैं
दौड़ पड़ती हूं,
छत की तरफ
कबूतर
को भगाने
------///-----///-----
रिश्ता
-------/////------//---
मिलती है,जब
वह
सबके सामने
झट से खींच कर
पल्लू,
कर लेती है,घूंघट
मुझसे
लेकिन
मिलती है
जब अकेले में
भर कर बांहो
में मुझे,
कहती है,
आई लव यू,
समझ नही पाता
कौनसा रिश्ता सही है