Murder @night - 1 in Hindi Crime Stories by Abhishek Hada books and stories PDF | Murder @night - 1

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Murder @night - 1

Murder @night

1st part

3 जनवरी 2020

अनिरूद्ध मर्डर केस के मर्डरर ने अपना मुंह खोला क्या ? - इंस्पेक्टर नागेश ने थाने में आते ही हवलदार संजय से पूछा।

हवलदार संजय ने उसे सैल्युट किया। लेकिन कुछ कहा नही।

क्या हुआ ? तुमने जवाब नही दिया। - नागेश ने उसे घूर कर देखते हुए पूछा।

सर वो बताना तो चाहता है, उससे रात को पूछताछ की गई, पर उसका कहना है कि वो सिर्फ आपको ही बताएगा। - हवलदार ने इंस्पेक्टर नागेश के कान में आकर कहा।

ऐसा क्या ? पर मैं ही क्यों ? - नागेश ने उससे पूछा।

सर, ये तो पता नही। लेकिन शायद वो आपको जानता है या शायद आप उसको जानते है। - संजय ने कहा।

ठीक है। मैं देखता हूं। तब तक तुम वो केस की फाइल और उसमें क्या प्रोग्रेस हुई है ? उसके बारे में बताओ। कल शाम को ही मुझे इस केस को सौंपा है। और मैं इससे जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी चाहता हूं। - नागेश ने कहा।

जी, सर। - संजय ने कहा।

और संजय ये मुझे सर सर कहना बंद करो। तुम मेरे स्कूल के

टाइम से दोस्त हो। ये सर सर सुनना अच्छा नही लगता। माना कि मैं तुमसे बड़ी पोस्ट पर हूं लेकिन . . .

अरे, नागेश यार, सुन लिया कर। यहां तू मेरा दोस्त नही - संजय ने हंसते हुए कहा।

नागेश हंसने लगा और कहा - हां ये अच्छा लगा। पर दूसरों के सामने ध्यान रखना।

जी सर - संजय ने फिर से उसी तरह बात करना शुरू कर दिया।

अच्छा। चलो। वो फाइल लाओ। उसे देख लूं। और फिर उस मर्डर के आरोपी से भी बात कर लूं। - नागेश ने मुस्कुराते हुए कहा।

०००

नागेश अनिरूद्ध मर्डर केस में अनिरूद्ध की हत्या के आरोपी राजू के सामने बैठा था। अनिरूद्ध की हत्या परसों रात यानि 1-2 जनवरी की रात 2.30 बजे हुई। जिसकी हत्या के आरोप में राजू को अनिरूद्ध की पत्नी दीक्षा ने रंगे हाथों पकड़ा। और उसे उसी कमरे में बंद कर दिया। पुलिस को फोन किया। तब पुलिस ने आकर राजू को अनिरूद्ध के कमरें में उसकी लाश के पास बैठा हुआ पाया। और उसे उसकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। अनिरूद्ध के गले पर कपड़े से बांध कर गला दबा कर मारने के सबूत मिले है। मरने से पहले कातिल के साथ थोड़ी हाथापाई भी हुई थी। इसके भी सबूत मिले। कत्ल के आरोपी के पास से 50 हजार रूप्ये बरामद हुए है। जिससे पहली नजर में देखने पर पता चलता है कि कत्ल पैसो की चोरी और उससे बचने के लिए किया गया है।

देखो। जो मैंने फाइल में पढ़ा। उससे तो पहली बार देखने पर तुम ही कातिल साबित हो रहे हो। लेकिन संजय ने मुझे बताया कि तुम केवल मुझे ही सब बताना चाह रहे हो तो अब बताओ क्या बात है ? और केवल मुझे ही क्यों बताना चाह रहे हो ? - नागेश ने राजू की आंखो में आंखे डालकर पूछा।

राजू ने कहा - साब आप शायद भूल गए। लेकिन मैं आपको नही भूला। एक बार चोरी के केस में आपने मुझे पकड़ा था लेकिन जब मेरे चोट लग गई थी। तब आपने अस्पताल मेरा इलाज करवाया। मुझे अपने पैसो से खाना भी खिलाया था। तब से आपके लिए दिल में इज्जत है। और विश्वास है कि आप मेरी बात को सही मानोगे।

नागेश ने उसे ध्यान से देखा। और उसे सारी बातें याद आ गई।

कुछ देर सोच कर नागेश ने कहा - देखो। उस समय जो मुझे ठीक लगा मैंने किया। उस वक्त तुम चोरी के इल्जाम में पकड़ में आए थे। और शायद वो तुम्हारी मजबूरी रही होगी। क्योंकि तुम दुकान से खाने चीज चुराकर भागे थे। लेकिन इस बार तुम मर्डर केस में पकड़ आए हो। इसलिए इस बार मुझसे दया की उम्मीद मत करना।

साब मैं दया की उम्मीद कर भी नही रहा। लेकिन आप कम से कम मेरी बातों पर विश्वास कर सकते है और मैं आपको सारी बातें विश्वास के साथ बता सकता हूं। - राजू ने नागेश की कुर्सी के पास सरकते हुए कहा।

‘‘कहने का मतलब क्या है तुम्हारा ?’’- नागेश ने पूछा।

साहब, मुझे लगता है कि अनिरूद्ध साब को मारने के पीछे बहुत गहरी साजिश है। और इसमें बड़े लोग शामिल है। और पुलिस के लोग भी इनसे मिले हो सकते है। और कल जो यहां मुझसे पूछताछ करने आया था उसे तो मैंने एक दो बार अनिरूद्ध साहब के घर पर देखा है इसलिए आपको ही बताना चाहता हूं।

मुझे पता है कौन है वो ? - नागेश ने मन नही मन में कहा।

हां ये सब छोड़ो। पहले मुझे वो बताओ। जो तुम बताना चाहते हो। तुमने मर्डर क्यों किया ? और कैसे किया ?

अरे साब, ये क्या बोल रहे हो ? मैंने मर्डर नही किया। मैं एक छोटा मोटा चोर हूं बस। अनिरूद्ध साब का मर्डर करके मुझे क्या मिलेगा ?

तुमने ही अनिरूद्ध को कुछ महीनों पहले धमकी दी थी। कि तुम उसे देख लोगे क्योंकि उन्होंने तुम्हे नौकरी से निकाल दिया था क्योंकि तुम नौकरी जरूर करते थे लेकिन तुम्हारी चोरी की आदत छूटी नही थी।

साहब ये सब सच है लेकिन आप एक बार मेरी बात तो सुन लीजिए। - राजू ने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा।

हां ठीक है चलो बताओ। क्या बताना चाहते हो ? उस दिन कितनी बजे ? कब कैसे ? तुम अनिरूद्ध के घर क्यों गए ? - पकंज ने अपना मोबाइल निकाला और उसमें उसकी बातों की रिकोर्डिंग शुरू कर दी।

राजू ने बताना शुरू किया।

1 जनवरी 2020 रात 11.45

उस रात मैं अनिरूद्ध मेंशन के पीछे दरवाजे से अंदर जाने की कोशिश कर रहा था, पर दरवाजा बंद था। तब मैंने अपनी रस्सी को छत की तरफ फेंका और जल्दी से छत पर चढ़ गया। क्योंकि मैं एक चोर हूँ और किसी बड़े घर में घुसने के लिए ये मेरा हमेशा का काम था। घर की छत से मैं सीढ़ियों की तरफ जाने वाले दरवाजे की तरफ गया। मैंने दरवाजे को धक्का देकर देखा। दरवाजा खुला हुआ था।

’’लगता है आज किस्मत साथ है। वरना बहुत सारा टाइम तो दरवाजा काटने में ही लग जाता है।’’ - मैंने खुद से कहा।

उसके बाद में बहुत धीरे धीरे मैं सीढ़ियों से नीचे उतरा। पूरे घर में छोटे छोटे बल्बों का उजाला था। बहुत ही मद्धम रोशनी थी। लेकिन मेरे लिए ये ही बहुत बड़ी बात थी। अपना काम करने के लिए मुझे बहुत ही कम रोशनी की जरूरत पड़ती है।

सबसे पहले मैंने सीढ़ियों के पास बने कमरे के दरवाजे को हल्के हाथ से धक्का दिया। पर उसमें अंदर से लॉक लगा था। बिल्कुल हल्के कदमों से मैं आगे की तरफ बढ़ा। तभी मुझे अंदर से कुछ आवाज आती सुनाई दी।

कैसी आवाज ? और क्या सुना तुमने ? - नागेश ने पूछा।

साब मैंने सुनने की कोशिश की लेकिन मुझे कुछ सुनाई नही दिया। - राजू ने कहा।

आगे क्या हुआ ये बताओ ? - नागेश ने कहा।

राजू ने फिर से बताना शुरू किया - उसके बाद मैं अगले कमरे की तरफ गया। पर उसमें बाहर से ताला लगा हुआ था। मैं सोचने लगा - ये कमरा तो साहब का था। आज इसमें ताला लगा है और जिसमेंं ताला लगा रहता था वो अंदर से बंद है। इसका क्या मतलब है ? और मैंने तो सोचा था कि आज साहब घर में अकेले है तो चोरी करना आसान रहेगा। क्योंकि साहब को शराब पीने के बाद बहुत गहरी नींद आती है। और वो बेंड बाजों की आवाज में नही उठते है।

उसके बाद मैं एक और कमरे की तरफ गया। उसमें बाहर से कुंडी लगी हुई थी। मैंने हल्के से उस कुंडी को खोला। अंदर देखा। पर उस कमरे में कबाड़ रखा हुआ था।

क्या मेरे जाने के बाद पूरे घर को ही बदल दिया। अब कैसे पता लगाऊँ कि कौन से कमरे में तिजोरी रखी हुई है ? - मैंने मन में सोचा।

तभी मुझे रसोई नजर आई। जिसका दरवाजा खुला हुआ था। मुझे प्यास लग रही थी इसलिए मैं जल्दी से उस तरफ गया।

और फ्रिज खोलकर देखा। उसमें एक से बढ़ कर एक खाने की चीजें रखी हुई थी। मेरा मन होने लगा कि मैं उसमें से कुछ खा लूं। वैसे भी ऐसी खाने की चीजे मुझे रोज रोज नही मिलती। और उस शाम को तो मैंने बस दो समोसे ही खाए थे। इसलिए उस वक्त मेरे दिमाग से चोरी का विचार निकल गया। और पेटपूजा करने का विचार हावी हो गया। जल्दी से मैंने आइसक्रीम, रसगुल्ले, खीर बाहर निकाली और दरवाजा बंद कर के उसके पीछे बैठकर खाने लगा। ताकि अचानक से कोई आ भी जाए तो मुझे भागने का मौका मिल जाए। वैसे तो मुझे पता था कि साहब को रात में जागने की आदत है नही। और मालकिन आज अपने मायके गई हुई थी। नौकरों को आज साहब ने छुट्टी दे दी थी। और वो आज घर पर अकेले थे। ये बात मुझे पता लग गई थी। इसलिए मैंने उसी दिन घर में चोरी का प्लान बनाया था।

अच्छा। फिर तूने चोरी के साथ मर्डर भी कर दिया - नागेश ने पूछा।

अरे नही साहब ऐसा नही है। - राजू ने चेहरे पर उदासी के भाव लाते हुए कहा।

हां मान लेते हैं, नही किया। अब आगे बता - नागेश ने कहा।

2 जनवरी 2020 रात 12.15

साब उसके बाद मैं जल्दी जल्दी से खीर खाने लगा। तभी अचानक मुझे लगा कि रसोई के दरवाजे के सामने से कोई सांया गुजरा। एक पल के लिए तो मैं सहम गया। खीर मेरे गले से नही उतरी। लेकिन कुछ समय तक जब कुछ नही हुआ था। तब मैंने दरवाजे के नीचे की जगह से झांककर देखा। लेकिन मुझे कुछ नजर नही आया। तब मैंने चैन की सांस ली।

शायद कोई बिल्ली होगी - मैंने खुद को समझाया।

और फिर से खाने लगा। खीर, आइसक्रीम और रसगुल्ले खाकर मेरा मन बहुत खुश हो गया। मैंने सारे बर्तन सिंक में रख दिए। और पानी पीते हुए सोचने लगा - साहब ऐसे तो अच्छे है कि लेकिन मुझे एक छोटी से गलती पर नौकरी से निकाल कर उन्होंने अच्छा नही किया। अब इतना अच्छा खाने के बाद तो चोरी करने का मन ही नही कर रहा है। लेकिन साहब ने इतनी बेइज्जती की है। उसका बदला तो लेना ही पड़ेगा।

मैं ये सब सोच रहा था कि मुझे फिर से लगा कि रसोई के दरवाजे के पास से कोई गुजरा है। मैंने जल्दी से रसोई के दरवाजे के ‘की हॉल’ से देखा। मैंने देखा कि एक काले कपड़ों में कोई आदमी रसोई की तरफ ही आ रहा है। मेरा कलेजा धक धक कांपने लगा।

मैं जल्दी से दरवाजे के पीछे लगे परदे के अंदर छुप गया। उस आदमी ने रसोई का दरवाजा खोला और पानी पीने के लिए फ्रिज की तरफ गया। मैंने देखा कि वो मेरे मालिक नही है, उनका शरीर और इस इंसान के शरीर में, कद में बहुत अंतर था।

तुमने उसका चेहरा देखा। - नागेश ने कहा।

नही साब। छोटे बल्ब की मद्धम रोशनी में किसका चेहरा दिखाई दे सकता है। इससे पहले की मैं उसका चेहरा देख पाता अचानक से लाइट चली गई।

फिर फिर क्या हुआ ? - नागेश ने पूछा।

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