Swarnim bharat ki aur in Hindi Philosophy by Rishi Sachdeva books and stories PDF | स्वर्णिम भारत की और......

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स्वर्णिम भारत की और......

कठिन समय है, मानवीय संवेदनाएँ काँच की तरह होती है, कब टूट जाये , पता ही नहीं लगता।

मनोवैज्ञानिकों का कहना कि आज जो परिदृश्य है, उसमें आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक ताना - बाना कहीं न कहीं छिन्न - भिन्न हो रहा है, जिससे लोग भयभीत हैं ।

*मेरा मानना है कि जैसे गुलेल से पत्थर छोड़ते हुए उसे अपनी ओर खींचते हैं, बंदूक से गोली के लिए ट्रिगर बैक किया जाता है, तीर से कमान को छोड़ते हुए धनुष में प्रत्यञ्चा पीछे खींचते है , उसी प्रकार ईश्वर हमें पीछे खींच रहा है और जब छोड़ेगा तो हम सफलता की नई ऊंचाई छुएँगे ।*

वर्ल्ड कप में बढ़िया प्रदर्शन से युवराज सिंह ' मैन ऑफ द टूर्नामेंट ' बने, 28 साल बाद 2011 में टीम इंडिया ने विश्व कप जीता। युवराज सिंह को ' प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट ' चुना गया, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वर्ल्ड कप के दौरान उनको खून की उल्टियां हो रही थीं। उन्हें तब लगा कि यह सब चैन्नई की गर्मी की वजह से हो रहा है, वह डटे रहे और जब मालूम हुआ कि कैंसर है , तब भी वह एक योद्धा की तरह लड़े और जीते।

किसी को फ्रैक्चर होता है तो वो एक - दो महीने आराम करता है। मान लीजिए अब तो सारी दुनियाँ को ही फ्रैक्चर हुआ है और फायदे की बात यह है कि सब आराम कर रहे थे । इस बीच आपका कोई कॉम्पिटिटर आपसे आगे नहीं निकला ।

शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कब करना चाहिए ?

जब मार्किट डाउन हो , तो यह सही समय है मार्केटिंग का, प्रतिद्वंद्वी सोया हुआ है, उसे सोने दें। आप खुद का ब्रांड बनाएँ।

' राजा उद्योग ' के सेल्स एंड मार्केटिंग हेड 'कुलदीप सिंह परमार ', B.C. Hasaram & Sons के एम डी ' डॉ राधा कृष्ण चंदवानी ', आसन इलेक्ट्रिकल्स के कंट्री हैड ' अनिल सेठी ', एक्वा स्टार हेल्थ केअर के सी ईओ ' अमित ' सभी का कहना है कि कोरोना काल में माँग अधिक है। प्रोडक्शन के मुकाबले, डाबर के GM व मीडिया प्रमुख ' राजीव दुबे ' ने एक राष्ट्रीय समाचार - पत्र के साथ हुए वेबिनार में बताया कि उनके कुछ प्रोडक्ट की माँग इतनी अधिक हो गयी कि उन्हें एकाधिक यूनिट्स में उसका उत्पादन करना पड़ रहा है।

ट्रैवल इंडस्ट्री के दिग्गज "क्लब महिंद्रा हॉलीडेज" के संस्थापक
' आनंद महेंद्रा' ने एक टी वी शो में बताया कि कैसे ' वह समय का सदुपयोग भविष्य की रणनीति एवं विस्तारीकरण की योजना बनाने में कर रहे हैं।

भारती टेलीकॉम ने 8,433 करोड़ रुपये में एयरटेल को 2.75 फीसदी हिस्सेदारी बेची है।

जर्मनी की फुटवियर कंपनी
' कासा ऐवर्ज जिम्ब ' ने भारतीय जूता निर्यातक कंपनी ' आईआट्रिक इंडस्ट्रीज ' के साथ समझौता किया है, कंपनी लगभग 110 करोड़ रुपए से उत्तर प्रदेश में आगरा में कारखाना स्थापित करेगी, कंपनी का दावा है कि इससे 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा ।

कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक माह के भीतर ही रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स में फेसबुक इंक, जनरल अटलांटिक, सिल्वर लेक और विस्टा इक्विटी पार्टनर्स के द्वारा निवेश का ऐलान किया है, इन सभी ने रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स में हिस्सेदारी लेकर करीब 78,562 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

मैं जो कह रहा हूँ , तथ्यों के आधार पर कह रहा हूँ । इनमें से कोई आँकड़ा काल्पनिक नहीं है। आप स्वयं सोचिए , आज के युग में कोई किसी को 100 रुपये बिना मतलब के नहीं देगा । फिर क्यों इतनी बड़ी- बड़ी कंपनियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश कर रही हैं ? उसका एकमात्र कारण है भारत का उज्जवल स्वर्णिम भविष्य। बाहर वाले आकर हम पर निवेश कर रहे हैं और हम घबराए हुए हैं ।

चीन से अपना व्यापार समेटकर भारत में 1000 से अधिक बड़े संस्थान के निवेश की संभावना है, जिनमें प्रमुख रूप से i Phone निर्माता एप्पल की सहयोगी कंपनी ' विस्ट्रॉन कॉरपोरेशन ',
i Phone असेंबल करने वाली ताइवान की कंपनी ' पेगाट्रोन ', दक्षिण कोरिया की दो आयरन एवं स्टील कंपनी ' हुंडई स्टील ' और ' पॉस्को '।

अमेरिका की इलेक्ट्रॉनिक्स एवं टेक्नोलॉजी कम्पनी ' टेलिडाइन ', अमेरिका की ही ' मेडिकल डिवाइस ' और फार्मास्यूटिकल कंपनी ' जॉनसन एंड जॉनसन '।

कहने का तात्पर्य केवल इतना है कि यह आपकी मानसिकता पर निर्भर करता है कि आप क्या करना चाहते हैं ? अगर आप अपने को प्रोडक्टिविटी की ओर ले जाना चाहें , तो कौन रोक सकता है आपको?

अधिकतर सफल उद्योग अपने लिए एक बिज़नेस प्लान बनाते हैं और उसके अनुसार कार्य करते हैं , पर आप और हम क्या करते हैं , बिना किसी लक्ष्य के , बिना किसी रणनीति के , सुबह से शाम तक मेहनत करते हैं, यह सही समय मिला है , भविष्य के लिये अपनी सोच के अनुसार एक योजना बनाइए । बस थोड़े दिनों की बात है , जुट जाइये । संक्रमण काल है , चला जायेगा । इस दुनिया में स्थायी कुछ भी नहीं है।

कालचक्र है , अपनी गति पूरी करके निकल जाएगा ।

जीवन में संघर्ष भी ज़रूरी होता है, अगर ईश्वर परीक्षा न ले , संघर्ष न कराए तो हम सफलता का स्वाद भी न ले पाएँगे , न ही मजबूत बन पाएँगे।

✒️ ऋषि सचदेवा
📨 हरिद्वार, उत्तराखंड ।
📱 9837241310
📧 abhivyakti31@gmail.com
संपादन : पूनम सेतिया

डिस्क्लेमर:- लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं । किसी व्यक्ति विशेष, संस्था का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है ।

लेखक को मार्केटिंग का 30 वर्ष का अनुभव है । वह गैलेक्सी एडवरटाइजर, उत्तराखंड में विज्ञापन एजेंसी के एम डी हैं।