Poem in a new style in Hindi Poems by Writer Dhaval Raval books and stories PDF | कविता एक नए अंदाज़ में

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कविता एक नए अंदाज़ में

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जिंदगी एक जंग है और जंग को हमेशा लड़ा जाता है क्योंकि कहेतहै ना कि जब कोई लड़त नहीं है तो वो हार जाता है लेकिन हारकर बैठने से हम जीत नहीं जाता करते

कभी कभी किसी को छोड़ना होता है तो कभी किसीको अपनाना पड़ता है कभी भी कोई चीज आपको से ही नहीं मिल जाती ना

अपनों का साथ हर कोई को मिलता है पर कभी कभी समायकी वजहसे हमारे दाव सारे उल्टे होने लगते है लेकिन फिरभी हम हार नहीं चाहिए हम जीत चाहिए और इसी जीत कि हम इतिहास ना रचा शेक तो कोई बात नहीं पर किसीको जीवन तो सुधार दे

मुक्तमे ज़िंदगी मिली है तो जी भरके जिलों कहा कोई बार बार आने वाल है..

कविता एक दूसरे अंदाजमे

मोटीवेशन कविता





चला तो था मंज़िल पाने
पर थक कर बैठ गया हूं

चाहा तो था किसी एक को
पर अकेला साथ और मासूम खड़ा हूं

जितने के लिए दौड़ा बहॉत में
पर सबके हाथ देखे खंजर तो चकरा गया हूं

सामने वाले से डर कोन गया था ?
अपनों ने चलाया तीर तो घाव घावसा हो गया हूं

बिखरने वाल हम मारता हुआ देखना चाहते थे
लेकिन में सारे घाव दरदक

जानकर आया हूं



इतनी बड़ी दुनिया बनाई भगवानने
पर अकेला साया देखकर गभरा रहा हूं

मुझे कहा पता कि कोई बीच मनजरमे छोड़ेगा
पर समयकी मारसे में तन्हा तन्हासा हो गया हूं

लड़ाई तो जारी ही है ज़िंदगी से मेरी
पर रखना संबंध किसिके साथ वहां अब थक चुका हूं

दुख दर्दतो ज़िंदगी में आने ही है
पर ईश्वर अब में तेरा बनने को आया हूं

संभाल कर अब तू ही रख लेना मुजको
क्योंकि अपनों का रंग ढंग जानकर आया हुआ हूं

अनुभव की पक्की दिवारको बनाया है मैने
है ईश्वर समयकी पहेचान करके आया हूं

जीना जीना करके कितना जिया अपनों के लिए
पर हुआ उसका बुरा तो नाम अपना रख कर आया हूं

मरही जाते हम लड़ते लड़ते जमाने से
पर अब आशिक में तुम्हारा बनने आया हू

रख लेना शरणमे अपनी है ईश्वर
सिर्फ इश्वरके आगे शीरको जुकाकर आया हूं

पावमे पड़े इतने छाले की देख सब मुस्कुरा बैठे
भरोसा तुमपे करके में सबको छोड़ आया हूं

एकने कितना निभाया मेरा साथ
बस एक शब्दके लिए तरस गया हूं

कुछ नहीं चाहिए अब किसी और से
क्योंकि अपनोका साथ छोड़ कर आया हूं

जीतेजी यहां हम मृत्यु देख रहे थे
आप की बनी छत्र छाया में आया हूं

साथ रहेकर भी साथ नहीं निभाया किसीने
में सबके चेहरे ऑर दिलको समजके आया हूं

जगाने के लिए गया था में दिलामें प्यार को
अपना ही दिल तोड़ कर वापिस में आया हूं

किसिसे भी ना रखना उम्मीद इस दौर में
में दुनिया और अपनोके मुखको देखकर आया हूं

कितना फसा था में किसी एक ख्वाहिश के लिए।
आंसुभी सुका कर में आया हूं

पाव में छाले आंखोंमें आंसू फिरभी हारा नहीं हू में
क्योंकि इश्वरकी कृपा प्राप्त करके वापिस आया हूं में