Sadgati - 1 in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | सदगति - 1

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सदगति - 1

अग्नि का स्पर्श होते ही चिता ने आग पकड़ ली।चिता के चारों ओर लोग खड़े थे।गीतिका चिता से दूर खड़ी थी।
शमशान मे नीरवता छायी थी।वातावरण में अजीब सी खामोशी थी।चिता में जलती लकड़ियों के चटखने कीआवाज वातावरण की शान्ति भंग कर रही थी।
"न जाने कौन था बेचारा?"चिता के पास खड़े लोगो मे से एक बोला था,"सुरेश की नज़र न पड़ती तो लाश की न जाने क्या दुर्गति होती।"
"इस कलयुग में भी सुरेश जैसे लोग मौजूद है।"दूसरा कोई बोला था।
"आजकल अपनो का क्रियाकर्म करना लोगो को भारी लगता है।सुरेश महान है, जो एक लावारिस लाश का क्रियाकर्म पूर्ण सम्मान से कर रहा है।"
मरने वाला इन लोगो के लिए लवारिस था।वह कौन था?कन्हा का रहनेवाला था?उसका नाम क्या था?कोई नही जानता था।लेकिन गीतिका के लिये न वह लावारिस था।न ही अनजान था।
सुरेश के लिए वह पराया. था।गीतिका के लिए आज वह पराया था।लेकिन पहले वह पराया नही था।उसका अपना था।सुरेश के जिंदगी में आने से पहले वह उसका सर्वस था।
अग्नि धीरे धीरे चिता के चारों तरफ फैल चुकी थी।आग की लपटों से उठते धुंए के बीच उसे आदमी की धुंधली सी आकृति नज़र आयी।धीरे धीरे उसे ऐसा लगने लगा कि लपटें गायब हो रही है और एक आकृति उभर रही है।गीतिका को ऐसा लगा मानो चिता पर लेटा मृत शरीर फिर से जीवित हो उठा हो।
गीतिका का जन्म निम्न माध्यम वर्ग के परिवार में हुआ था।उसके पिता बाबू थे।वे चार भाई बहन थे।गीतिका के इन्टर पास करते ही पिता ने उसके लिए रिश्ते की तलाश शुरू कर दी थी।कुछ दिनों बाद उनकी तलाश देवेन पर जाकर समाप्त हो गई।देवेन एक फैक्ट्री में काम करता था।उस पर किसी तरह की ज़िम्मेदारी नही थी।बेटी ससुराल में राज करेगी ।यह सोचकर पिता ने उसकी शादी कर दी।रिश्ते से पहले देवेन उसे देखने के लिए आया ।
शादी से पहले लोगो ने बताया था कि लड़का बहुत शरीफ है।किसी तरह का अवगुण नही है।गीतिका पहली बार उससे मिली तब देवेन उसे भी शरीफ लगा था।उससे बात करते हुए झिझक रहा था।लेकिन शादी के बाद जैसा उसने सुना और उससे मिलकर जैसा अनुमान लगाया ठीक उसके विपरीत पाया था।
देवेन को शराब के साथ जुए की भी लत थी।वह जो कमाता इन्ही शौक पूरे करने में उड़ा देता।अब शादी तो हो चुकी थी।गीतिका ने प्यार से पति की बुरी आदतें छुड़ानी चाही।प्यार से समझाने पर वह माना और उसने शराब,जुए को छोड़ा भी।लेकिन ज्यादा दिन तक नही।
देवेन अपनी कमाई अपने शौक पूरे करने पर उड़ा देता।उसकी गंदी आदतों की वजह से गीतिका को बेहद आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता।जब खुद की कमाई उसके शौक पूरे करने में कम पड़ने लगी तब वह देहज में मिला समान बेचकर अपने शौक पूरे करने लगा।जब घर मे बेचने लायक कुछ नही बचा तो वह उधार लेने लगा।वह उधार चुका नही पाता था।इसलिए लोगो ने उधार देना भी बंद कर दिया।
तब देवेन, गीतिका पर मैके से पैसे लाने के लिए दबाव डालने लगा।जब उसने मना कर दिया,तो वह उसे तंग करने लगा मारने पीटने लगा। उसका शारीरिक उत्पीडन करने लगा।लेकिन उसके हर जुल्म सितम को सहकर भी गीतिका मायके से पैसे लाने को तैयार नही हुई।तब देवेन ने उस पर ज़ोर डालना बन्द कर दिया।
पति में आये बदलाव से उसने सोचा पति अब सुधर गया है।एक दिन कसम से लौट तो गीतिका से बोला,"जल्दी तैयार हो जाओ।"
"कयों?"
"एक जगह चलना है।"
देवेन काफी खुश नजर आ रहा था।