Gehri Chal in Hindi Adventure Stories by bharat Thakur books and stories PDF | गहरी चाल

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गहरी चाल

हाथ मे चाकू लिए रोमिल कमरे के एक कोने में खड़ा हुआ था। कमरे में खून पसरा हुआ था। खून की अजीब सी गंध वातावरण में फैली हुई थी। गंध ऐसी थी जैसे खुद का ही खून पसरा हुआ हो! दर्द के मारे सिर फटा जा रहा था। रोमिल के माथे पर पसीने की बूंद साफ-साफ दिख रही थी। चाकू से खून बून्द-बून्द बन धीरे धीरे टपक रहा था। खून से लथपथ एक व्यक्ति की लाश फर्श पर औंधे मुँह पड़ी हुई थी। कमरे में कोई खिड़की नही थी। कमरे का दरवाजा भी बंद था। रोमिल की आंखों में खौफ साफ साफ दिखाई दे रहा था। खून लाश से रिसता हुआ कमरे में और दरवाजो की तरफ हौले हौले बढ़ रहा था। रोमिल का सिर दर्द से फटा जा रहा था। वह याद करने की कोशिश कर रहा था परंतु कुछ याद नही आ रहा था। रोमिल दरवाजे की तरफ हड़बड़ाहट में बढ़ता है। लाश को बिना छुए दरवाजे के डोर नोब को हिलाता है। पर दरवाजा बाहर से लॉक था। रोमिल कुछ ही पलों में जोर जोर से दरवाजे के नोब को हिलाता है पर लॉक खुल ही नही रहा था। रोमिल जोर से दरवाजे पर लात मारता है। जोर से चीखता है पर ऐसे लग रहा था मानो दरवाजे के बाहर सन्नाटा छाया हुआ था। कोई उसकी आवाज न सुन पा रहा था।

रोमिल कमरे का पुनः निरीक्षण करता है। उसे कमरा जाना पहचाना से लग रहा था। कमरे में एक बेड, एक वुडेन अलमारी और अटैच्ड लेट बाथरूम होता है। कमरे की छत पर पीओपी की गयी थी। पीओपी की लाइनों से मद्धम नीली रोशनी दमक रही थी। कमरे में एक और तीर कमान के साथ एक मूरत खड़ी हुई थी। अपने पैरों को चौड़ा कर तीर का निशाना आसमा की तरफ और नज़र जमीं पर पड़ी एक कटोरी की तरफ कुछ इस कदर था जैसे अर्जुन पानी के अक्ष को देखकर मछली की आंख में निशाना लगा रहा हो। रोमिल उस लाश से एक निश्चित दूरी बनाकर लकड़ी की अलमारी को खंगालता है। अलमारी में कुछ कपड़े, फाइलें, टोर्च, पेपर इत्यादि पड़े हुए थी। परफ्यूम और डियो भी रखे हुए थे। रोमिल ने अलमारी का ड्रावर खोला। ड्रावर में कोई चाभियों का गुच्छा नही था। रोमिल ने पूरा ड्रावर फर्श पर गिरा दिया। पूरे कमरे में छोटा मोटा सामान बिखर गया। कुछ सिक्के और नोट भी थे। पर रोमिल की नज़र कोई चाभी नुमा चीज को देख रही थी जो शायद कमरे की हो और वो वहां से भाग निकले। चाभी वहां नदारद थी। रोमिल ने अलमारी में टँगे हुए कपड़ो पर नजर दौड़ाई, उन्हें यहां वहां अलमारी में सरकाने लगा। उसके कान किसी चाभी की खनक के लिए तरस रहे थे। कोई भी आवाज उस चाभी नुमा जैसी नही लग रही थी जिसकी रोमिल की आंखे और कान टोह ले रहे थे।

रोमिल अलमारी को छोड़ एक बार फिर फर्श पर बिखरे हुए सामान को ध्यान से देखने लगा। उसे चाभी नही दिखी। यकायक उसके दिमाग ने बाथरूम के अंदर की खिड़की को तरफ गया। उसे लगा वो वहां से निकल सकता है। रोमिल बाथरूम के दरवाजे को खोलकर दीवार पर नज़र गढ़ा दी। जैसे उसका अंतर्मन उस छोटी खिड़की से निकलने की तरकीब सोच रहा था, पर दिमाग बार बार उसे कह रहा था कि खिडकी इतनी छोटी है कि उसमे से सिर्फ एक बच्चा ही बाहर निकल सकता है। रोमिल टॉयलेट सीट पर खड़ा होकर उस खिड़की से बाहर झांकता है। खिड़की गोल थी और बाहर की तरफ एग्जॉस्ट फैन लगा हुआ था। रोमिल के दिमाग ने आखिर में अपने ही अंतर्मन को मना कर दिया। रोमिल उस खिड़की से बाहर देखने लगा, बाहर अंधेरा छाया हुआ था। आस पास किसी भी तरह की आवाज नही हो रही थी। तभी, पास ही तकरीबन 500 मीटर की दूरी से ट्रैन के गुजरने की आवाज आ रही थी। रोमिल समझ ही नही पा रहा था के वो कहा और कैसे फंस गया है? वो टॉयलेट सीट पर बैठ जाता है और शायद सुबह होने का इंतज़ार करता है। उसके दिमाग मे तरह तरह के ख्याल आ रहे थे कि सुबह होते ही कोई न कोई इस कमरे में दाखिल होगा और लाश को देखते ही चिल्ला उठेगा। रोमिल को देखते ही वो कमरे का दरवाजा तुरंत बन्द कर देगा, और पुलिस को फोन कर देगा। पुलिस आएगी और रोमिल के हाथों में हथकड़ी डाल उसे ले जाएगी। पुलिस थाने में रोमिल को डंडों, लातों और घुसो से आवभगत होगी। रोमिल को लाश के बारे में और कत्ल के बारे में पूछेगी पर रोमिल बिलखता, रोता हुआ, उनसे दया की भीख मांगेगा। रोमिल यही कहेगा की, "मुझे कुछ नही पता! सच मे कुछ नही पता! कुछ याद नही मुझे! कुछ भी याद नही!" यह सब सोचते ही रोमिल के शरीर मे झुरझुरी सी फैल गयी। माथे पर पसीने की बूंद सूखने का नाम ही नही ले रही थी। रोमिल का दिमाग इस वक़्त एक ही दिशा में दौड़ रहा था कि कैसे इस जगह से बाहर निकले!

रोमिल बाथरूम से बाहर आता है। कमरे में बिखरे हुए सामान पर फिर से सरसरी निगाह दौड़ाता है। दिमाग कह रहा था कि चाभी यही है, पर दिल लगभग हार मानने ही वाला था। तभी, लाश के पीछे की पेंट की जेब पर रोमिल का ध्यान गया। रोमिल के मन मे विचार कौंधा, शायद! शायद!! चाभी लाश की जेब मे हो! रोमिल डरते-डरते लाश के करीब गया। खून में डूबी हुई लाश का चेहरा नही दिख रहा था। बाल काले और मध्यम आकार का शरीर था। रोमिल को लाश से अजीब सी गंध आ रही थी। अजीब सी गंध डर को और बढ़ावा दे रही थी। रोमिल ने खून पर अपने पैर रखे। मानो कीचड़ में रोमिल के पैर धँसते जा रहे हो! रोमिल के पैर काँपने लग गए। रोमिल डरते-डरते अपनी एड़ी पर बैठ गया। रोमिल के कांपते हाथो ने लाश की पेंट में हाथ डाला। रोमिल को पॉकेट हाथ मे लगी। पॉकेट में कुछ रुपये, एक पेपर जिसपर कुछ अंक लिखे हुए थे और एक फोटो थी। फ़ोटो किसी दूल्हे दुल्हन की थी। बिना चेहरा देखे ही रोमिल ने एक बारगी पॉकेट को अलमारी की तरफ फेका।

रोमिल ने अपना हाथ अब उस लाश के पेंट के आगे के जेब डाला। चुकी, लाश का मुख फर्श की तरफ था, रोमिल का हाथ, पेंट की बाएं जेब मे अधिक नही जा रहा था। रोमिल ने दूसरे हाथ से लाश को हिलाना चाहा परंतु लाश का वजन कुछ अधिक था। रोमिल के हाथों में भी खून लग चुका था। रोमिल तुरंत इससे छुटकारा चाहना चाह रहा था पर रोमिल को पता था ये नामुमकिन है। हाथो में खून देखकर ही रोमिल की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। फिर भी जैसे तैसे अपने आप को सम्हालते हुए रोमिल ने उस लाश को थोड़ा सरका कर उसकी जेब मे हाथ डालने की लगातार कोशिश कर रहा था। आखिरकार, जेब की तह में जाने के बाद भी, हाथ खाली रह गया। रोमिल ने जट से अपना हाथ बाहर निकाला। हाथ को बाहर निकलते वक्त लाश का शरीर अचानक थोड़ा हिल गया। रोमिल तुरंत, उठकर दीवार से सटकर खड़ा हो गया। लाश के हिलने से रोमिल के तिरपन भी काँप गए थे। रोमिल उस लाश को एकटक देखे जा रहा थी जैसे वो लाश नही बल्कि कोई जीवित व्यक्ति चिर निद्रा में सो रहा हो! कुछ देर तक जब लाश में कोई हरकत नही हुई, रोमिल के दिमाग ने खुद को समझाया कि शायद हाथ को लाश की जेब से तुरंत निकालने के बाद, लाश खुद के हाथ से ही हिली हो! पसीने से रोमिल तरबतर हो गया था। कुछ देर बाद, रोमिल ने फिर अपना हाथ, दाएं जेब की तरफ बढ़ाया। अंदर हाथ डालने भर से उसके हाथ मे कुछ लगा। शायद कोई छल्ला था। रोमिल ने तुरंत उस छल्ले को जेब से बाहर निकाला। छल्ले के साथ एक चाभी नुमा आकार भी जेब से बाहर आया।

रोमिल के खुशी का ठिकाना नही रहा। वो तुरंत, दरवाजे की ओर बढ़ा। चाभी को उस गोल से हैंडल में डाली। चाभी के घुमाते ही दरवाजा खुल गया। रोमिल ने चाभी के छल्ले को उसी दरवाजे में छोड़, धीरे से दरवाजा खोला। बाहर अंधेरा था। रोमिल ने धीरे से अपने कदम बाहर की ओर बढ़ाये। हल्की नीली रोशनी यहां भी पीओपी से रोमिल की ओर झाँक रही थी। एक कमरे से दूसरे कमरे में रोमिल दाखिल हुआ। कमरे में सोफा सेट, डायनिंग और दीवार पर एक बडी सी टीवी लगी हुई थी। सामने किचन का आभाश सा था और पास में शायद कोई स्टोर रूम हो, जिसका दरवाजा बंद था। तभी, घड़ी की जोर से आवाज हुई। 'डिंग डोंग.. डिंग डोंग'!

रोमिल फिर सहम कर डर जाता है। रोमिल की नज़र बाहर जाने के दरवाजे पर पड़ती है। दरवाजा ठीक टीवी से कुछ ही फ़ीट दूरी पर था। रोमिल दरवाजे की तरफ बढ़ता है। कमरे में अंधेरा था। रोमिल ने दरवाजे के हैंडल को घुमाया, दरवाजा एक आवाज से खुल गया। जैसे अपने आप अनलॉक हो गया हो।

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टीवी पर रोमिल साफ साफ दिखाई दे रहा था। रोमिल अब सीढ़ियों के पास खड़ा हुआ था। एक तरफ सीढियां ऊपर जा रही थी तो एक तरफ सीढियां नीचे। सीढ़ियों के पास ही तीन कमरों के दरवाजे साफ साफ दिख रहे थे। उन्ही तीन कमरों में से एक कमरे से रोमिल बाहर आया था। रोमिल नीचे की सीढ़ियों से उतर रहा था। दूसरे कैमरे में दिख रहा था कि रोमिल धीरे धीरे कदम बढ़ा रहा था।

सीसीटीवी पर गहरी नज़र रखे हुए एक चश्मा पहने हुए शक्श ने अपने पास पड़ी हुई कॉफी का कप उठाया और उसे होठो से लगाने लगा। उसने काफी पीकर अपना मोबाइल हाथ मे लिया और गेम खेलने लग गया।

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रोमिल अंधेरे में धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए सीढ़ियों से नीचे आया। यह कोई बड़ा बंगला था। रोमिल पहले फर्स्ट फ्लोर पर था और अब भूतल पर आ गया था। अंतिम सीढ़ी उतरने के बाद रोमिल ने अपनी नज़र दौड़ाई। अंधेरा उस कमरे में पसरा हुआ था। यहाँ नीली रोशनी भी नदारद थी। बाहर खिड़कियों से आती हुई चाँद की रोशनी नाकाफी थी। खिड़कियों के पास ही, ठीक सीढ़ियों के बिल्कुल सामने मुख्य दरवाजा सा प्रतीत हुआ। हॉल अंधेरे में भी आलीशान लग रहा था। फर्श पर रोयें वाली पूरी कालीन बिछी हुई थी। मुख्य दरवाजा उस वक़्त 50 से 60 कदम दूर होगा। रोमिल फुर्ती से उस मुख्य दरवाजे की ओर बढ़ा। अचानक कुछ कदम बाद ही रोमिल के पैरों पर जोर से सेंटर टेबल से आघात हुआ। रोमिल एक ओर गिर गया और दर्द से कराह उठा पर चीखने की हिम्मत न कर सका। रोमिल कुछ देर बाद पैरो पर जोर से हाथ मलने के बाद उठा और मुख्य दरवाजे की ओर बढ़ा ही था की उसका मुख किसी से टकराया। वो वस्तु हिलते हुए पुनः उसके मुख से टकराई। रोमिल ने उस हिलती चीज को हाथ लगाया तो सन्न सा रह गया। ये किसी के पैर थे! जो उस समय हवा में झूल रहे थे। रोमिल करीब दो फीट पीछे जा गिरा। उसके होश फाख्ता हो गए थे। डर के मारे उसकी चीख उसके हलख में आकर सुख गयी थी। रोमिल का तन मन अब डर के मारे काँप रहा था। तभी, एक ट्रेन की आवाज आती है और गड़गड़ाहट से अपनी पटरियों पर दौडती है। ट्रैन की लाइट उस खिड़की पर गिरते हुए सीधे उन पैरो पर पड़ रही थी। झपकती हुई रौशनी में उन लटकते हुए पैरो को देख रोमिल की आंखे चौंधिया गयी। कोई व्यक्ति फाँसी पर लटका हुआ था। मुख पर काले कपड़े लगा, रस्सी से झूल रहा था। रोमिल बुरी तरह डर गया और तुरंत उस मद्धम रोशनी से मुख्य दरवाजे की ओर बढ़ा। दरवाजे के हैंडिल को रोमिल बुरी तरह हिला रहा था पर दरवाजा खुल ही नही रहा था। रोमिल ने दरवाजे पर लगी चिटखनी देखी जो कि लगी हुई नही थी। दरवाजे के पास एक की पैड नुमा गैजेट लगा हुआ था। शायद दरवाजा किसी पास कोड से खुलता हो। रोमिल उस की-पेड पर डर के मारे कई कॉम्बिनेशन लगाता है। उसकी अंगुलिया हर नंबर को दो बार दबा रही थी पर किसी बीप की साउंड के साथ उस गैजेट में एक लाल बत्ती जल उठती है और मैसेज पॉप अप होता 'इनवैलिड कोड'!! रोमिल चीखता रहा, चिल्लाता रहा! उस दरवाजे को लातों से मरता रहा पर कुछ न हुआ। रोमिल दरवाजे में बनी नही छेद से बार बार बार बाहर देख रहा था पर उसे बाहर छोटा गार्डन के अलावा और कुछ नज़र नही आ रहा था।

रोमिल न जाने कहा फंस गया था। दरवाजे को छोड़ वो खिड़कियों की तरफ दौड़ता है और उन्हें खोलने का प्रयास करता है। खिड़कियो के दरवाजे खुले तो जाते है पर बाहर ग्रिल लगी होने से वो बाहर नही आ पाता। रोमिल बुरी तरह हाँफते हुए सभी खिड़कियों की टोह लेता है, परंतु सभी में एक समान ग्रिल लगी हुई थी। रोमिल थक कर उस रूम को पुनः डर डर कर देखता है। अंधेरे में भी साफ साफ किसी शक्श के उस कमरे में होने का आभाश डरावना सा लग रहा था। वो भी ऐसा शक्श जो इस वक़्त फाँसी खा रस्सियों से झूल रहा था। रोमिल की आंखों में उस वक़्त पानी की बूंदे तैर गयी। अपने आपको किसी चक्रव्यूह में फंसा पा रहा था। रोमिल दरवाजे से सटकर वही बैठ जाता है। शायद इस घर से निकलने का कोई रास्ता नही बचा था। रोमिल अपने आप को झकझोरता है। मस्तिष्क के पटल पर कुछ स्मृतियां उभर आती है। याद करने की कोशिश करता है कि कैसे वो यहां फंस गया?

रोमिल घर से निकलते हुए अपनी माँ से अलविदा कहकर किसी कैब में बैठे हुए खुद को देखता है। माँ, बिल्डिंग के चौथे मझले से उसे हाथ हिला रही थी। रोमिल भी माँ की तरफ हाथ दिखा कैब में बैठ जाता है। रोमिल खुश दिखाई दे रहा था। शायद.. शायद.. किसी अजीज से मिलने जा रहा था। अजीज... शब्द गूंजते ही उसके मस्तिष्क पर निशा का चेहरा उभर आता है। हंसते हुए निशा का चेहरा तब और भी हसीन हो जाता था पर जब वो अपने हाथो से अपने चेहरे पर आए लट को सँवार कर, अपने कानों पर मोड़ कर रख देती थी। जैसे सामने देखने वाले को कह रही हो उसे ज्यादा मत घूरो वरना बालो के लट की तरह गूंथा हुआ, उसके असीम सौंदर्य में खो जाएगा। एक निशा ही थी रोमिल की जिंदगी में जो उसे सहलाती, सवारती, उससे घण्टो बाते करती। उसके लिए अपनी जान भी देने को तैयार रहती। रोमिल उसे दिल से चाहता। उसके लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए सदा तैयार रहता। निशा भी उससे बेहद प्रेम करती। रोमिल तो दिन रात उसके ख्यालो में खोया रहता। निशा से मिले कुछ महीने ही हुए थे पर लगता मानो दोनों का जन्मों जन्मों का साथ है। कैब में बैठने के बाद रोमिल को कुछ भी याद नही आ रहा था! हो सकता है कैब वाले ने ही उसे बेहोश कर यहां ला पटका हो! रोमिल की आंखों में गुस्सा तैर जाता है। उसके एक्टिंग का ऑडिशन भी था जो दूसरे दिन फिल्मसिटी में होना था। वह अपना चेहरा उठा अब यहां वहां देखता है। शायद उसके अलावा भी कोई वहां उस वक़्त उस बंगले में मौजूद हो! वरना इन दो लाशों के अलावा और भी कोई जरूर मौजूद होना चाहिए था उस वक़्त उस बंगले में जो शायद उस पर निगाह भी रख रहा हो! रोमिल ये सोच दीवार पर बने इलेक्ट्रिक स्विच को ढूंढ रहा था। अंधेरे में वो अपने हाथों से दीवार पर किसी अंधे व्यक्ति की तरह बटन ढूंढ रहा था। तभी दीवार के साथ रखा फूलदान जमीन पर गिर जाता है। रोमिल का पैर उस तिपाई को छू जाता है जिसपर वो फूलदान रखा हुआ था। फूलदान गिरते ही पूरे बंगले में आवाज गूंज जाती है। रोमिल को आखिरकार दीवार पर स्विच मिल ही जाते है। वो खुशी के मारे उन्हें जल्दी जल्दी में सारे ऑन कर देता है। पर लाइट चालू ही नही हुई! रोमिल की खुशी बहुत जल्द काफूर हो गयी।

रोमिल उस अंधेरे से विशाल कक्ष में खुद को असहाय और बेसहारा पाता है। एक झूलती हुई लाश और दूसरी खून में तैरती हुई लाश के बीच रोमिल अपने आप को झकझोकर रहा था। डर के मारे रोमिल की सूझ बूझ बार बार जवाब दे रही थी। रोमिल के मन मे यकायक बंगले की छत से निकलने का विचार कौंधा। रोमिल पुनः हड़बड़ाकर उन्ही सीढ़ियों से ऊपर की ओर जाता है जहाँ से थोड़ी देर पहले ही वो नीचे उतर आया था। रोमिल जट से पहले मंझिल तक पहुच जाता है। सामने वही कमरा जहाँ से रोमिल अभी अभी चक्रव्यूह तोड़कर बाहर आया था। रोमिल उस कमरे को नजरअंदाज कर ऊपर जाती हुई सीढ़ियों की ओर लपका। दूसरे मंझिल का अंत एक दरवाजे पर होता है। दरवाजा अंदर से बन्द होता है। रोमिल झट से दरवाजे की ऊपर की ओर लगी हुई चिटखनी और बीच मे लगी कड़ी को खोल देता है। दरवाजे पर एक सांस से जोर लगा, दरवाजा खुला जाता है। बाहर आते ही एक खुली छत रोमिल का इंतज़ार कर रही थी। रोमिल को खुले में आने पर एक अजीब सी शकुन का एहसास हुआ। रोमिल ने आसमा की ओर देखा जैसे चाँद की रोशनी कह रही हो, रास्ता यही से मिलेगा!

रोमिल जल्दी से छत के कोने में जाता है। छत के चारो ओर तीन फीट ऊंची दीवार लगी हुई थी। सिर्फ सामने और पीछे की ओर लोहे की ग्रिल लगी हुई थी। पीछे से देखने पर एक पूरे बिल्डिंग की सपाट दीवार दिखा रही थी। इससे उतरना नामुकिन था। रोमिल दौड़कर आगे की ओर आता है परंतु आगे से भी उतरना नामुकिन सा लग रहा था। आगे से देखने पर पहली मंझिल पर बालकनी सी दिखती है। परंतु, बालकनी अंदर की तरफ बनी हुई थी और आगे छत की सीध में सिर्फ नीचे भूतल पर तीन चार सीढ़िया ही नजर आ रही थी। जो शायद मैन गेट पर लगी हो! छत से भूतल करीब पैतीस फ़ीट लम्बा था। रोमिल परेशान हो उठता है! उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि वो इस भूलभुलैया से बाहर कैसे आये? छत से आसपास कुछ नही दिख रहा था। घने सघन पेड़ और दूर दूर तक कोई रोशनी नही! मानो जंगल मे फार्म हाउस बनाकर किसी को क्या मिल गया!

रोमिल वही छत पर खड़ा होकर आसमा की तरफ देख जैसे कुछ मांगने की मुद्रा में, स्तब्ध खड़ा था। रोमिल कुछ सोच ही रहा था कि ट्रैन घड़घड़ाती हुई, पटरियों पर दौड़ती हुई दिखी। ट्रैन तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर दौड़ रही थी। आस पास घने जंगल के अलावा और कुछ नही था। ट्रैन अपनी रफ्तार से दौड़ती हुई जल्द ही आंखों से ओझल हो गयी। ट्रैन की लाइट अपने आगे की हेडलाइट की वजह से रोशनी की एक लकीर खिंचती हुई आगे बढ़ रही थी। रोमिल को लकीर देखकर कुछ सुझा और तुरंत सीढ़ियों की ओर बढ़ चला।

रोमिल उसी पहली मंझिल के कमरे में पहुचा। वहां जहाँ तहाँ कुछ खोज रहा था। रोमिल रस्सी ढूंढ रहा था। उसके दिमाग ने आकलन किया कि वह रस्सी के सहारे नीचे उतर कर इस घर से भाग सकता है। रोमिल पहली मंझिल के किचन और पास में बने स्टोर रूम में चीजो को अस्त व्यस्त कर रस्सी ढूंढ रहा था। पर पहली मंझिल की नीली रोशनी में रस्सी दिख नही रही थी। स्टोर रूम में रखे सारे डिब्बे देख लिए परंतु रस्सी नही दिखी। किचन के ड्रावर देख ही रहा था के उसे एक बड़ा चाकू और एक छोटा चाकू ड्रावर में रखा दिखा। रोमिल ने बड़े चाकू को हाथ मे धरा और छोटे चाकू को अपने पैंट के पीछे की जेब मे रख दिया। वहां पास ही देशी और विदेशी शराब का पूरी अलमारी भरी हुई थी। किचन भी पूरी तरह देखने के बाद उसे रस्सी नही मिली। रोमिल उस कमरे में जाना नही चाह रहा था जिसमे लाश खून में तैर रही थी। पर रोमिल को टोर्च की जरूरत महसूस हुई जो की रोमिल ने अलमारी में देखी थी। रोमिल डरते हुए उस कमरे की ओर बढ़ता है। लाश अब भी उसी अवस्था मे पड़ी हुई थी। खून लगभग लगभग कई जगह पर फैल गया था। रोमिल ने अपनी आंख एक पल के लिए बन्द की और तुरंत अपने कदम लाश से बचते हुए अलमारी की तरफ बढा दिए। अलमारी की तरफ पहुचते ही रोमिल ने अलमारी से टोर्च निकाली और मुड़कर सावधानी से कमरे से बाहर आया। उसने टोर्च से पुनः स्टोर रूम और किचन खंगाला पर रस्सी नही मिली। किचन से होते हुए एक बालकनी बनी हुई थी पर दीवार कांच की थी।

रोमिल टोर्च लेकर नीचे की मंझिल पर आया। टोर्च की फलेश लाइट उन लटकती हुए पैरो को देख एक बारगी रोमिल धक्क से रह गया। तुरंत अपने को सम्हालते हुए रोमिल ने बड़े से हाल के आस पास बने छोटे छोटे कमरों की अलमारी की टोह ली। पर रस्सी वहां भी नही मिली। रोमिल टोर्च से उस आलीशान हॉल को टोर्च से देख ही रहा था तभी रोमिल की नज़र रस्सी के गुच्छे पर पड़ी जो किसी लोहे की छड़ से बंधी हुई थी। रोमिल उस गुच्छे की तरफ बढा ही था के अचानक ध्यान गया कि यह तो वही रस्सी है जिससे वो लाश लटकी हुई है। उस रस्सी का एक सिरा उस कमरे की छत पर बने लोहे की छड़ से गुजरती हुई लाश के गर्दन तक बंधी हुई थी। रोमिल उस रस्सी के पास ही बैठ जाता है। दिमाग कह रहा था कि रस्सी निकाल कर भाग लेते है और दिल कह रहा था कि लाश को मैं कैसे नीचे उतारू?

काफी देर तक कशमकश जारी रही और आखिरकार रोमिल ने दीवार पर बने लोहे की छड़ से रस्सी को निकालने लगा। रस्सी जरा सी हल्की हुई और लाश धम्म से नीचे आ गिरी। रोमिल आवाज से इतनी बुरी तरह डर गया था कि उसे लगा लाश अभी उठ बैठेगी! रोमिल ने जैसे तैसे अपने आपको सम्हाला! रस्सी उतनी बड़ी नही थी। पर रस्सी के दूसरे छोर यानी फंदे सहित निकाले तो शायद रोमिल वहां से निकल सकता है। डरते हुए रोमिल ने उस लाश के गले से रस्सी निकाली। रस्सी निकालते हुए लाश के ऊपर से काला नकाब भी हट गया। नकाब हटते ही रोमिल ने देखा कि किसी इंसान की आंखे और जुबान दोनों बाहर निकले हुए थे। रोमिल डर के मारे थोड़ी दूरी पर जा खड़ा हुआ। उठते हुए टोर्च वही गिर गयी और लुढ़कते हुए टोर्च उस लाश के चेहरे पर किसी पेंडुलम की भांति हिल डुल रही थी। रोमिल ने ध्यान से देखा ये चेहरा जाना पहचाना हुआ था। ये चेहरा रॉकी का था। यकायक रोमिल को ये घर भी याद आ गया। ये घर भी रॉकी का ही था।

रोमिल, रॉकी और संजय तीनो ही दो या तीन बार इस घर मे आये थे और दारू पार्टी करने के बाद अपने घर को निकल गए थे। पर अभी काफी दिनों से रोमिल की रॉकी और संजय से मुलाकात नही हुई थी। तो किसने मार दिया रॉकी को? और वो खुद क्यो फंसा हुआ है इस घर मे? ऊपर लाश किसकी पड़ी हुई है? कौन है जो उन्हें फंसाना चाह रहा था? रोमिल सोच सोच कर परेशान हुए जा रहा था।

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वो चश्मे वाला शक्श सीसीटीवी के मॉनिटर पर रोमिल के माथे पर उभरे परेशानीयो की लकीरों को साफ साफ देख पा रहा था। उस शक्श ने पास में पड़े पानी की बोतल को उठाया और उसे अपने मुख से लगाया। पानी को अपने गले के नीचे उतारता हुआ अपनी प्यास बुझाई। पर ऐसे लग रहा था मानो उसके मन की प्यास अब भी बाकी थी। दूसरे मॉनिटर पर कुछ लोग शराब के नशे में धुत होकर किसी लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे। सभी का चेहरा तकनीक के सहारे बिगाड़ा हुआ था। चेहरे की जगह टीवी पर धुंधला सा प्रतीत हो रहा था जिससे चेहरा साफ दिख नही रहा था। बस उस लड़की की चीख और उन धुंधले चेहरों के पीछे की राक्षशी हँसी ही आ रही थी। उस चश्मे वाले व्यक्ति में अपनी मुट्ठी भींच ली और उस मॉनिटर को जमीन पर फेंक मारा। मोबाइल को उठा वह जमीन पर मारने ही वाला था कि मोबाइल में एक नोटिफिकेशन आया, नया गेम आया है। उस शक्श ने उसे डाउनलोड किया और खेलने लग गया। बेहतरतीब तरीके से गेम में लोगो को मारने का आनंद ही कुछ अलग होता है।

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रोमिल ने सारी रस्सी को अपने हाथ मे बांध कर छत की ओर बढ़ चला। रोमिल छत पर पहुचकर रस्सी के एक सिरे को छत के आगे की ग्रिल से बांध लिया और दूसरे सिरे को नीचे की ओर फेक दिया। रोमिल ने अपने भगवान का नाम ले आंखे बंद की और ग्रिल पर चढ़ गया। ग्रिल पर चढ़ते हुए रोमिल ने दोनों हाथों से रस्सी को कसकर पकड़ा हुआ था। नीचे देखने भर से ही रोमिल के बदन में झुरझुरी सी आ गयी। फिर भी रोमिल ने अपने आप से इस मुसीबत से निकलने के लिए कहा और रस्सी के सहारे अपने पैर ग्रिल से हटा लिये। ग्रिल से पैर हटाते ही जैसे रोमिल के शरीर का पूरा वजन बस अब वो दो हाथ ही ढोह रहे थे। दोनों पैर रस्सी पर अपनी जगह बनाने में असमर्थ से दिख रहे थे। रोमिल हाथो से धीरे धीरे रस्सी के सहारे नीचे उतर रहा था पर दर्द असहनीय सा बना हुआ था। हाथ छिले जा रहे थे और नीचे देख देख कर रोमिल को चक्कर आ रहा था। जैसे तैसे रोमिल धीरे धीरे नीचे रस्सी के सहारे उतर रहा था वैसे वैसे दर्द लगातार बढ़ रहा था। रोमिल के हाथों से खून बहना शुरू हो ही चुका था के अचानक रोमिल का हाथ फिसल जाता है और रोमिल रस्सी को पुनः पकड़ने की असफल प्रयास करते हुए पहली मंझिल पर बने बालकनी नुमा कांच की दीवार पर आ गिरता है। रोमिल दर्द के मारे चीख उठता है। जैसे तैसे रोमिल उस दीवार से बालकनी पर उतरता है और उसके दोनों हाथ जोड़ से काँपने लगते है। गिरते वक़्त उसके घुटनो पर भी कांच की मोटी परत जा लगती है जिससे असहनीय दर्द उत्पन्न हुआ।

रोमिल कुछ देर वही बैठा अपने घावों के ठीक होने का इंतज़ार कर रहा था। उसे लगने लगा कि अब शायद वो यहां से कभी न निकल पायेगा। रस्सी से उतरना उसके बस की बात नही थी। रस्सी से फिसलने पर सीधे मौत के मुँह में जाने जैसा था। वो तो अच्छा हुआ को बीच मे वो इस बालकनी में गिर गया वरना इस बार शायद नीचे गिरने पर उसका सर ही फट जाता। रोमिल अपनी आंखें बंद कर भगवान को याद कर रहा था। आजके घटनाक्रम को याद कर रहा था। कैसे वो यहां फंस गया? दो लाशें! रस्सी! ये भूतिया और डरावना घर! वो मैन गेट पर सिक्योरिटी गैजेट जिसमे इनवैलिड कोड वाला मेसेज पॉप अप होना!

अचानक रोमिल की आंखों में चमक आ जाती है। जैसे पहली लाश से दरवाजे की चाभी मिली वैसे ही हो सकता है रॉकी की जेब मे दरवाजे के पास कोड लिखा हो! रोमिल तुरंत उठ जाता है और पुनः सीढ़ियों से नीचे की ओर रवाना होता है। रॉकी की लाश उसी अवस्था मे पढ़ी हुई थी जैसे रोमिल छोड़ गया था। रोमिल ने उसकी जेब खंगाली पर कुछ नही मिला। रोमिल ने उसकी पॉकेट खंगाली पर उसे वहां से भी कुछ नही मिला। कोई भी किसी भी प्रकार का अंक कही भी लिखा हुआ नही था। तभी, रोमिल का ध्यान ऊपर पहली मंझिल पर पड़ी हुई लाश पर जाता है। रोमिल का याद आता है की उसकी पॉकेट में कुछ अंक लिखा हुआ पेपर जरूर पड़ा हुआ था। रोमिल तुरंत हरकत में आते हुए ऊपरी मंजिल पर जाता है। ठीक उस कमरे के सामने खड़ा हो जाता है जहाँ वो लाश अब भी जस की तस पड़ी हुई थी। रोमिल को अलमारी के पास पॉकेट दिख जाती है। रोमिल तुरंत अलमारी के पास पहुचता है और पॉकेट को खोलकर देखता है। उसमे एक फोटो और वो पेपर मिलता है जिसमे कुछ अंक लिखे हुए थे। रोमिल उस पेपर को लेकर वहां से निकलने ही वाला था कि इस बार उसने उस फ़ोटो को ध्यान से देखना चाहा! ये फोटो संजय और उसकी बीवी रेणु की थी। संजय को देख रोमिल का चेहरा पीला पड़ जाता है। सामने लाश को देखकर रोमिल को एहसास होता है कि शायद ये संजय तो नही! रोमिल धीरे धीरे उस लाश के पास पहुचता है। उस लाश को पैरो से सीधा करने की कोशिश करता है पर लाश ऐंठ चुकी थी। रोमिल अब एड़ी पर बैठकर पूरा जोर लगाता है, लाश को सीधा करने में! लाश सचमुच में संजय की ही होती है! रोमिल अपने बाल नोच लेता है। उसके दोनों दोस्त की लाश उसके सामने तांडव करती हुई प्रतीत हो रही थी। अब उसे उसकी भी मृत्यु निश्चित लग रही थी। रोमिल उठ कर सीढ़ियों से दौड़ता हुआ नीचे हॉल की तरफ आता है। रोमिल की आंखों में आंसू की बूंद टपक रही थी। रोमिल को एहसास ही न था कि उसकी आँखों के कोने से कोई आंसू टपक रहा था। रोमिल, मेन गेट के सिक्योरिटी डिवाइस के पास उस पेपर के टुकड़े को खोल कर देख ही रहा था कि तभी दरवाजे की घण्टी बजती है। रोमिल की चीख निकलने ही वाली थी कि हलख पर आकर रूक गयी। रोमिल डर के मारे बुरी तरह काँपने लग जाता है। उसे कुछ आवाजे आती है,,,,

रोमिल मेन गेट के सिक्योरिटी डिवाइस के पास उस पेपर के टुकड़े को खोल कर देख ही रहे थे कि तभी दरवाजे की घण्टी बजती है। रोमिल की चीख निकलने ही वाली थी कि हलख पर आकर रूक गयी। रोमिल डर के मारे बुरी तरह काँपने लग जाता है। उसे कुछ आवाजे आती है,

"साहब! क्या पक्का पता है अलार्म इसी घर का था? मतलब आप पर शक नही है पर फिर भी एक बार फिर से कह रहा हु?"

"शिंदे! दस बार बोला तुझे चुप हो जा! वायरलेस मेसेज आया तब तू भी साथ था न! एड्रेस इधरीच का है! अलार्म से मेसेज सीधे पोलिस स्टेशन पर मैसेज आता है कि कोई उस पर बार बार गलत नंबर डाल रहा है। पांच बार गलत नंबर डालने के बाद उस अलार्म से सीधे नजदीक के पुलिस थाने में भी मेसेज जाता है। भूल गया क्या?"

रोमिल दरवाजे पर बने हुए छेद से देखता है तो पाता है कि दो पुलिस वाले वर्दी में खड़े में है। पुलिस वालों को देख रोमिल के पैरों पर से जमीन खिसक जाती है। रोमिल को कुछ सूझ नही रहा था। एक पुलिस वाले कि कद और काठी सटीक थी तो दूसरा हविलदार सा लग रहा था।

"साहब! कौन इस बियाबान जंगल के बीचोबीच अपना घर बांधता है? वो भी अलार्म के सहारे सारा हमारे भरोसे छोड़ जाता है!"

"शिंदे! ये अमीर लोगो का फार्म हाउस कह लो या वीकेंड होम कह लो! यही तो ऐश करते है!" इतना कहते ही शिंदे ने दुबारा घण्टी बजाई। रोमिल दरवाजे से दूर खड़ा हो गया। उसे कालीन पर बिछी हुई रॉकी की लाश दिखाई दे रही थी।

"साहब! लगता है कोई है नही घर पर!"

"इसलिए तो आये है यहां की कही कोई चोर तो नही आया यहां पर। एक काम कर इस बंगले के मालिक का नंबर आया है न, उसको फोन लगा। उससे पास कोड ले और ये गेट खोल दे!"

"साहब! मेसेज तो गया ही होगा न अलार्म वाले डिवाइस से!"

"हा! गया होगा पर रात है शिंदे! सोया होगा घोड़े बेचकर तू फोन नंबर लगा!"

"जो आप बोलो साहब! वो घोड़े बेचकर सो गया है और हम गधे क्यो आये यहां को?"

"क्या बोला शिंदे?"

"साहब! मैं तो अपने आप को गधा बोल रहा हु! जो इस पुलिस की नौकरी में आ गया। न दिन है न रात, बस काम ही काम है!"

"चल! चल! अपना काम कर शिंदे पहले! फिर अपना रोना रो!"

अंदर रोमिल की हालत पतली हुई जा रही थी। उसे डर लगने लग गया था कि अब वो पकड़ में आ जायेगा और बचेगा नही! जिस तरह अंदर की ओर ये डिवाइज लगा हुआ है उसी तरह बाहर की ओर भी ऐसा ही डिवाइज लगा हुआ है। किस मूर्ख ने ऐसा इंतजाम किया था! इतना सोचते ही रोमिल का ध्यान रॉकी की तरफ जाता है। रोमिल को यकीन हो चला था के किसी भी वक़्त वे लोग अंदर आ जायेंगे। रोमिल के मन मे पता नही क्या चला और उसने रॉकी की लाश को खींचकर एक हाल से सटे कमरे में ले जाने लगा।

शिंदे ने पेपर का टुकड़ा निकाला और अपने मोबाइल से फोन लगाना शुरू किया। फोन कनेक्ट होते ही घण्टी बजने लगी। फोन के रिंग की आवाज अंदर से आ रही थी। रोमिल सकपका गया। रॉकी का फोन हाल में एक तरफ मेज पर रखा हुआ था। फोन की रिंग पूरे हाल में गूंज रही थी।

"साहब! फोन की घण्टी की आवाज तो अंदर से आ रही है!"

"सही बोला शिंदे! शायद अंदर ही है इसका मालिक!"

"अरे! वो अंदर है तो हम बाहर क्यो है? माइला वो तो आराम से सो रहा है और इधर मैं रात के मच्छर ताड़ रहा हु!"

"शिंदे! गप्प बस रे! मैं तो वे सोच रहा हु की मालिक न तो फोन उठा रहा है और न ही दरवाजा खोल रहा है। कुछ तो गड़बड़ है!"

"गड़बड़ नही हुई तब भी अपुन गड़बड़ करेगा इस बार तो!" और शिंदे खिलखिलाकर हँसने लगा।

रोमिल रॉकी की लाश को छोड़ फोन की तरफ बढा। फोन के पास पहुचते ही घण्टी बन्द हो गयी। रोमिल ने फोन को उठाया और रॉकी की लाश की तरफ बढ़ चला।

"फिर से फ़ोन लगा शिंदे! अबकी बार नही उठाया तो वे दरवाजा ही तोड़ना पड़ेगा।"

रोमिल तक उनकी सारी बात पहुच रही थी। रोमिल रॉकी को एक कमरे में ले गया और जहाँ सोफा और कुछ चेयर रखी हुई थी। रोमिल के पास पड़े मोबाइल में फिर से घण्टी बजी। रोमिल ने आना फानन में सोफे को सरकाया और रॉकी की लाश को सोफे के रख दी। जल्दी जल्दी में रोमिल ने फोन उठाया,

"ह...ह...हेलो!"

"हेलो! मैं शिंदे बोल रहा हु! कवठे पोलिस स्टेशन से आपके घर के सामने से बोल रहा हु। जागो और दरवाजो खोलो!"

"ह..ह.... हा! अभी आता हूं!"

इतना कहते ही शिंदे अपने साहब सचिन की तरफ देखते बोला!

"साहब! आवाज तो यही से आ रही थी जैसे मानो पास ही हो!"

"हम्म!" सचिन ने हामी भरी।

रोमिल के फोन रखते ही लॉक हो गया था। फोन फिंगर प्रिंट से ही अनलॉक हो सकता था। रोमिल ने रॉकी के अंगुलियों के निशान फोन के पीछे लगाए और फोन अनलॉक हो गया। रोमिल ने तुरंत फोन के फिंगर प्रिंट सेंसर को बंद कर दिया। रोमिल दरवाजे की तरफ बढा और जेब से अंकों वाले कागज को निकाला और डिवाइस पर उंगलियां चलने लगी। अंकों के दबाते ही दरवाजा अनलॉक होने की आवाज आई। रोमिल ने कांपते हुए दरवाजे के नोब को छुआ और उसे घड़ी की दिशा में घुमाया, दरवाजा खुल गया था। सामने दो वर्दीधारी इंसान जिसमें एक के हाथ मे डंडा तो दूजे के कमर में रिवाल्वर टंगी हुई थी।

"मैं सचिन एसआईपी कवठे पुलिस थाने से! और ये मेरे साथी शिंदे!"

"जी कहिए! मैं क्या मदद कर सकता हु आपकी!"

सचिन ने देखा कि कमरे में अंधेरा था और रोमिल के हाथ मे मोबाइल!

"जी आप क्या इस बंगले के मालिक हो!"

"जी!" रोमिल ने बड़े ही इत्मीनान से कहा। रोमिल अपने डर को जैसे तैसे छिपा कर सहज लगने की कोशिश कर रहा था। तभी रोमिल का ध्यान दरवाजे के बाहर पास में लगे इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड पर जाता है। मीटर के पास लगी एमसीबी डाउन थी।

"काफी अंधेरा है, अंदर आ सकते है क्या?" सचिन ने कहा। सचिन को शक था।

"हा, क्यो नही! प्लीज वेलकम! पर पहले लाइट की व्यवस्था करता हु।" इतना कहते ही रोमिल उन दोनों के बीच से। निकला और एमसीबी को ऑन कर दिया। ऑन करते ही पूरा बंगला रौशनी से चकाचौंध हो जाता है। हाल बड़ा ही आलीशान लग रहा था। बीच मे झूमर लगा हुआ और बेहतरीन रोयें वाला नक्काशी वाला कालीन बिछा हुआ था। जगह जगह पर अप्रतिम और प्राचीन मूरत और तस्वीरें लगी हुई थी। हाल के बीचों बीच एक बड़ी तस्वीर लगी हुई थी। सचिन ने अंदर आते ही देखा उस तस्वीर में तीन लोगों की एक साथ सेल्फी ली गयी थी। ये तीन लोग थे रॉकी, संजय और रोमिल!

रोमिल भी उस तस्वीर को देख हक्का बक्का रह जाता है। पर जैसे तैसे अपने को सम्हालते हुए उन्हें बैठने के लिए कहता है! रोमिल की आंख का एक कोना रॉकी की लाश वाले कमरे पर था जिसे उसने बन्द कर दिया था।

"काफी शानदार है आपका मकान! ऐसी जगह पर इतना शानदार मकान बनाना और मेन्टेन करना हर किसी के बस की बात नही!" सचिन ने कहा। शिंदे तो बस उस जगह को अपलक निहार ही रहा था।

"जी! खंडाला के पास ही है ये जगह इसलिए इस जगह को चुना! ये जगह सस्ती और नजदीक भी है। और मुम्बई की आपाधापी से दूर यहां सुकुन मिलता है!" रोमिल ने कहा।

"इतना सुकुन की आप अंधेरे में भी सुकुन को ही ढूंढ रहे थे। मुझे तो 25 साल हो गए अब तक सुकुन नही मिला। मिला तो बस मच्छर और मलेरिया!" शिंदे ने अपना मुँह खोला।

रोमिल हँसने की कोशिश करने लगा।

"जी! मैं छत पर था तब शायद लाइट में कुछ देर पहले वोल्टेज का फलक्चुएशन हुआ था। छत पर तारे और चांद की रोशनी तब और भी भाती है जब कुत्रिम लाइट न हो आपके पास। इसलिए मैं नीचे नही आया।" रोमिल ने कहा।

"हमे तो अर्जेंट मेसेज आया कि की सिक्योरिटी डिवाइज से छेड़छाड़ हो रही है इसलिए एहतियातन आ गए। कोई गलत नम्बर बार बार फीड कर रहा था, जिससे हमें सिक्योरिटी का मैसेज आया।" सचिन ने कहा।

"हो सकता है शायद वोल्टेज की वजह से आपको गलत मेसेज चला गया हो! बाकी यहां सब ठीक है। मेरा फोन नीचे ही था इसलिए पता ही नही चला, वरना दुबारा काल करके आपको बता देता। आपको कष्ठ नही होता!"

"कष्ठ! हमे तो विकट कष्ठ हो गया है। अब इस कष्ठ निवारण का एक ही पर्याय है, विदेशी चाहिए एक बोतल और हम रवाना होते है।" शिंदे ने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा।

"शिंदे! गप्प बस्स रे जरा!" सचिन ने डांटते हुए कहा।

"हा,, हा,, क्यो नही अभी लाता हु! आप आराम फरमाइए मैं अभी ऊपर से ले आता हूं!" रोमिल पीछे मुड़कर सीढ़ियों की ओर बढ़ चला।

"साहब! बहुत जल्दी आटे में आ गया। आज रात मजा आ जायेगा!" शिंदे फिर से खिशियानी सी हंसी लिए साहब की ओर देख रहा था।

सचिन का ध्यान वहां कमरे में लोहे की छड़ के पास पड़े चाकू की ओर जाती है।

"शिंदे! वो देख ज़रा! कुछ गड़बड़ लग रही है!" सचिन ने शिंदे की तरफ देखते हुए कहा।

रोमिल फुर्ती से किचन के पास अलमारी से एक विदेशी बोतल की शराब उठाई और पुनः सीढ़ियों की तरफ दौड़ चला।

नीचे उतरते वक़्त ही उसने देख लिया के शिंदे उस चाकू के पास खड़ा था जहां कुछ रस्सियों के टुकड़े भी पड़े हुए थे।

"लीजिये साहब! आपकी खिदमत में विदेशी बोतल हाज़िर है।" रोमिल ने शिंदे की ओर देखते हुए कहा।

शिंदे भी रोमिल को देख रहा था कि चाकू को देखकर भी रोमिल हैरान न हुआ!

"क्या देख रहे हो साहब! ये चाकू मेरा नौकर यही छोड़ गया कुछ रस्सी से काम था उसे! आज उसकी बीवी की तबियत ठीक नही थी इसलिए जल्दी चला गया। मेरा भी ध्यान नही गया।" इतना कहते ही रोमिल झुका और चाकू को उठाकर मेज पर रख दिया। रोमिल के झुकते ही सचिन को रोमिल के पीछे के पैंट की जेब मे भी एक चाकू दिखा!

"ये क्या है आपकी जेब मे!" सचिन ने पूछा।

रोमिल ने पीछे की जेब मे हाथ डाला तो उसे एहसास हुआ की उसने एक छोटा चाकू अपनी जेब मे डाला था।

"ये!" रोमिल ने चाकू को निकाला और शिंदे की तरफ उसकी नोक कर दी। शिंदे ने हड़बड़ी में अपना हाथ ऊंचा कर दिया।

"अरे! साहब डर क्यो रहे हो! ये तो मेरी सेफ्टी के लिए पास में रखे हुए था। एक तो नौकर भी आज चला गया और लाइट भी नही थी यहां पर, तो अपनी सेफ्टी भी तो जरूरी है।" रोमिल ने बड़े ही इत्मीनान से कहा।

"हम्म! अपनी सेफ्टी का ध्यान बहुत रखते हो, अच्छी बात है। पर कानून अपने हाथ मे मत लीजिएगा, वरना हाथ जेल की चक्कियों पर काम करते दिखेंगे आपको!" सचिन ने अपनी बात रखी।

शिंदे ने सोचा अब तो गयी दारू की बोतल साहब के डायलॉग में!

"नही! आप गलत समझ रहे हो ,, आपका नाम.." रोमिल ने शर्ट पर लगे बेज को पढ़ते हुए कहा," सचिन... जी! हम खुद कानून का मान सम्मान करते है। ये तो बस राइट ऑफ सेल्फ डिफेंस के अंतर्गत आता है।" रोमिल की बात को सचिन ने अनसुना कर दिया।

शिंदे झट से रोमिल के हाथों से बोतल को ले लेता है।

"अच्छा साहब! फिर मिलते है! अच्छा लगा आपसे मिलकर! चला साहेब! आज की बोतल तो मिल गयी।" शिंदे की बात सुन सचिन को गुस्सा आ रहा था पर वो कुछ भी नही कर सका।

सचिन का ध्यान अचानक हाल से सटे कमरे के खुले दरवाजे पर जाता है।

"ये दरवाजा..." सचिन ने उंगली उठाते हुए कहा।

"हा... क्या... क्या हुआ दरवाजे को?" रोमिल ने तपाक से पूछा।

"कुछ नही! दरवाजे के कोनो पर छिपकली मरी हुई पड़ी है। लगता है दरवाजे के बीच आ गयी हो! इसे उठाकर फेक दो! घर मे ये शुभ नही होता!" सचिन इतना कह कर मेन गेट की ओर बढ़ जाता है।

शिंदे भी चुपचाप सचिन के पीछे चल पड़ता है।

सचिन और शिंदे वहां से निकलने लगे। वे मेन गेट के दरवाजे के बाहर आये। रोमिल भी फुर्ती से उनके पीछे पीछे आ गया।
"ठीक है! फिर चलते है! कोई काम हो तो फोन जरूर कर देना पुलिस स्टेशन में!" सचिन ने रोमिल से कहा।

"जी! जरूर! आप ही तो रक्षक है हमारे!" रोमिल ने कहा।

सचिन और शिंदे बाहर निकले ही थे कि उनका ध्यान बाहर लटकती रस्सी पर गया।

"हे काय आहे!" शिंदे ने अचरज में सचिन की ओर देखते हुए कहा।

रोमिल वही दरवाजे के पास खड़ा था। उसे अनुमान ही नही हुआ कि एमसीबी ऑन करते ही बाहर लान की भी लाइट जल जाएगी। ऊपर से लटकती रस्सी का तो ध्यान ही हट गया था। बाहर आते ही उसे भी रस्सी दिख गयी थी। रोमिल को कुछ सूझ नही रहा था के वो क्या जवाब दे!

"ये रस्सी यहां कैसे लटकी है साब! जरूर कोई चोर गुसा है बंगले में!" शिंदे ने अचरज भरी निगाहों से कहा।

"च.. च..चोर! नही कोई चोर नही! मेरे नौकर की मति मारी गयी थी जो वो इसे यहां छोड़ गया।" रोमिल ने हड़बड़ाहट में कहा।

"तो इस रस्सी पर उसने आत्महत्या कर ली क्या? जो वो निकालना भूल गया!" सचिन ने नजर टेढ़ी करते हुए कहा।

"नही! कुछ सामान इस रस्सी से बांध कर ऊपर खिंचा था! उसके बाद वो भूल गया निकालने को! ऐसा हो सकता है!" रोमिल के माथे पर पसीने की बूंद साफ नजर आ गयी थी।

"हो तो बहुत सकता है! पर लगता है अभी कुछ छुपा रहे हो आप! शिंदे! चेक करके आ तो घर पूरा शायद चोर छुपा हो जिसकी भनक इन साहब को नही लगी! हम तो अपनी ड्यूटी करे!" सचिन के चेहरे पर हल्की कुटिल मुस्कान उभर गयी।

"जी साहब!" और शिंदे दरवाजे की तरफ बढा।

रोमिल अपना हाथ उठाकर जोर से चिल्लाया,"अरे साहब! बोल रहा हु न कुछ नही है! सब ठीक है।"

"तो फिर तेरे हाथ छिले हुए क्यो है?" सचिन ने उसके हाथों की तरफ नज़र करते हुए कहा।

"किसको लटकाया है तूने रे! कहि कुछ भारी गड़बड़ है रे शिंदे! देख रे बाबा ऊपर ध्यान से! एक एक कमरा और कोना सब चेक करना शिंदे! खाली हाथ आया तो यही बोतल तेरे सर पर मारूंगा!" सचिन ने रोमिल की तरफ घूरते हुए कहा।

"साब! कैसी बाते कर रहे हो! मैं...मैं... क्यो लटकाउंगा किसीको? ये निशान तो तब बने जब मैं मेरे नौकर की मदद कर रहा था सामानको खिंचने में!" रोमिल ने अपने आप को सम्हालते हुए कहा।

"एडा समझा है क्या रे! शिंदे खड़ा क्या है रे अभी तक! जा पटकन!" सचिन ने शिंदे को गुसे से देखा।

रोमिल डर के मारे पसीने से तरबतर हो गया। एक एक कदम शिंदे के सीढ़ियों पर पड़ते जा रहे थे और रोमिल खड़ा खड़ा जैसे अपनी आखिरी साँसें गिन रहा था। वक़्त जैसे हौले हौले बढ़ रहा था। सचिन को रोमिल की छटपटाहट कुछ अजीब सी लग रही थी। कुछ देर में शिंदे भागते हुए नीचे आया। "लाश.. लाश..."

सचिन के होश फाख्ता रह गए ये सुनकर! उसने रोमिल का कॉलर पकड़ा और अंदर की ओर घसीटता ले गया। रोमिल शिंदे की आवाज सुनते ही अपने होश खो बैठा था। मानो ज्वालामुखी को अब तक सम्हालते हुए रखा पर आखिरकार फुटकर सब कुछ तहस नहस कर गया। उसे सचिन और शिंदे की चिल्लाने की आवाज नही आ रही थी। सचिन उससे बार बार पूछ रहा था पर रोमिल जैसे सुन्न हो गया था। कोई आभाश नही, कोई आवाज नही!

थोड़ी ही देर में पुलिस की गाड़ी और फोरेंसिक टीम आई। जो घर कुछ देर पहले शांत और मृत था यकायक उसमी चहल पहल से जान आ गयी थी। दोनों लाशों को उठाकर अस्पताल ले जाया गया पोस्ट मार्टम के लिए।

रोमिल को वैन में बिठाकर पुलिस स्टेशन ले गए। रोमिल कुछ भी बोलने में अक्षम हो गया था। जब कुछ समय पश्चात होश आया तब एक ही बात जुबान पर थी," मैं बेकसूर हु! मैने कुछ नही किया! मुझे कुछ भी याद नही!" पुलिस वालों ने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया पर रोमिल की एक ही बात दिन भर थाने में गूंज रही थी। सभी वरिष्ठ पुलिस अफसर रोमिल की बातों पर हँस रहे थे। सचिन और शिंदे ने रोमिल की एक्टिंग बड़े चाव से सुनाई। बाद में पता चला कि रोमिल खुद बड़ा एक्टर बनना चाहता है, बाकी सभी अफसरों ने रोमिल की बात पर ध्यान नही दिया। बंगलो रॉकी का था। रॉकी, संजय और रोमिल तीनो अच्छे दोस्त थे। पर ऐसा क्या हुआ जो रोमिल ने दोनों का खून कर दिया, ये समझ के बाहर की बात थी। बंगलो के बाहर ही दो गड्ढे खुदे हुए थे, रोमिल का स्विच ऑफ मोबाइल वही पड़ा हुआ मिला।

मीडिया के लिए सनसनीखेज खबर मिल गयी थी। फोरेंसिक रिपोर्ट से चाकू और रस्सियों पर से मिले हाथ के निशान रोमिल से मैच हो गए। दोनों लाश पर रोमिल के बाल के टुकड़े भी मिले। हथियार भी बरामद था और बाकी सबूत भी रोमिल के खिलाफ ही थे। कोर्ट ने ये मान लिया कि रोमिल ने ही उन दोनों का खून किया और लाश को ठिकाने लगाने लगा था। लिहाजा, अदालत ने फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में, मामले का शीघ्र निपटारा किया और रोमिल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। रोमिल तब भी एक ही बात कर रहा था, "मुझे नही पता!मुझे कुछ नही पता! मैं बेकसूर हु! मैंने कोई कत्ल नही किया! मैं तो घर मे फंस गया था!"

पर उसकी आवाज कोर्ट रूम की दीवारों से टकराकर पुनः उसी के पास आ रही थी। उसकी आवाज का किसी पर कोई फर्क नही पड़ रहा था। रोमिल की माँ, वही फैसला सुनाते वक़्त, कोने में रो रो कर अपना बुरा हाल कर रही थी। रोमिल अपने बाल नोचने लग गया। उसकी आंखें निशा को ढूंढ रही थी पर निशा आज भी नदारद थी। जब से पुलिस वालों की गिरफ्त में रोमिल आया था, निशा से उसका संपर्क ही नही हुआ। पुलिस वाले उसे घसीटते हुए जेल में ले गए। बार बार उसके जहन में यही बात गूंज रही थी के आखिर कौन है जिसने उसे फंसाया? किस पाप की सजा वो काट रहा था? अजीब कशमकश की जिंदगी हो गयी थी रोमिल की, एक तरफ रोना तो दूसरी तरफ गुस्सा!!

***** कुछ महीनों बाद*****

रोमिल अपनी कोठरी में बैठा अपने हाथो से जमीन को साफ कर रहा था। कुछ कचरा मिलते ही उसे जीभ से लगाता और फिर बाहर फेक देता! फिर थोड़े देर बाद अपने आप को जमीन पर रगड़ने लगता। बाकी कैदियों ने रोमिल के पागलपन की शिकायत वार्डन से पहले भी करी थी। पर पागल खाने में इलेक्ट्रिक झटके देकर पुनः कुछ दिनों बाद उसे बैरक में ले आते। कुछ दिन तो वो शांत रहता पर बाद में फिर से पागलों जैसे हरकते करने लगता।

"रोमिल! चलो कोई आया है तुमसे मिलने!" वार्डन ने आकर जेल की सलाखों पर डंडा मारते हुए कहा।

माँ की मौत के बाद रोमिल पूरी तरह पागल हो गया था। उसके जीवन मे और कोई नही था। जब कोई मिलने आया तो उसे लगा शायद.. शायद.. निशा आई हो उससे मिलने!

वो तुरंत उठा और अपनी जीभ पर उंगलियां लगाकर बालो को बनाने लगा। तत्पश्यात, वो विजिटर रूम में फुर्ती से पहुच गया। सामने एक नौजवान इंसान बैठा हुआ था जिसने काले फ्रेम का चश्मा लगाया हुआ था। मुँह पर दादी बढ़ी हुई थी पर आंखों में एक अलग ही तेज पसरा हुआ था। रोमिल और उस शक्श के बीच ग्लास की एक दीवार बनी हुई थी। दोनों को बातचीत करने के लिए एक एक फोन दिया गया था। इण्टरकॉम से बात होती थी उस जेल में। उस शक्श ने रोमिल को देखते ही मुस्कुराया और फिर उसे इशारे से फोन उठाने के लिए कहा। रोमिल ने भी फोन उठाया और शक्श की बात सुनने लगा।

"कैसे हो रोमिल? मुझे पहचाना? मैं अविनाश! रेणु का भाई!" उस शक्श ने रोमिल की आंखों में आंख डालते हुए कहा।

रेणु का नाम सुनते ही रोमिल परेशान हो उठा। जैसे ये नाम उसके जहन में कही दबा हुआ था। जैसे कोई पुराना राज दफन था उसके सीने में! जैसे मृत इंसान पुनः जीवित हो उठा, "रेणु, संजय की बीवी!" रोमिल बुदबुदाया।

"हा! बिल्कुल सही! याददाश्त तेज है तेरी। याद है तुम जालिमों ने क्या किया था मेरी बहन के साथ!" अविनाश की आंखे उस समय रोमिल की आंखों में झाँक रही थी।

रोमिल जैसे यादों के अतीत में चला गया था। चलचित्र समान घटनाएं उसके सामने पेश होने लगी। संजय की नई नई शादी हुई थी। रॉकी ने उन्हें अपने फार्म हाउस में बुला कर पार्टी दी थी। काफी लोग आए हुए थे। पार्टी खत्म होने के बाद सभी रुखसत हो लिए थे। रात काफी हो गयी थी। पर ये तीनो दोस्त नशे में बुरी तरह धुत्त थे। रॉकी और रोमिल ने संजय को जुए में हराया था बदले में रॉकी, संजय की बीवी का संभोग करना चाहता था। संजय पहले तो हिचकिचाया पर नशे की अवस्था मे मान गया। रॉकी ने अपनी दौलत से कई उपकार किये थे, जिसे संजय ने अपनी बीवी को उसके हवाले कर चुकाना चाहा। रोमिल को सही नही लगा, पर संजय की बीवी रेणु थी ही इतनी खूबसूरत के किसी का भी मन डोल जाए!

उस रात तीनो शैतान बन उस पर टूट पड़े थे। कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था जिस पर ये सारा कांड रिकॉर्ड हो रहा था। रेणु चिल्लाती रही, रोती रही, रहम की भीख मांगती रही पर उन नशेड़ियों के मस्तिष्क पर हवस सवार थी। जब तीनो ने इसे नोंच खाया तब थक कर तीनो बेहोश हो गए। रेणु ने अपने कपड़े सम्हाले और पास में पटरी पर जा आत्महत्या कर ली। दूसरे दिन, रॉकी ने सीसीटीवी रिकॉर्डर हटा दिया। कैमरे को पानी की टंकी में फेंक दिया। पैसों के बूते से ये जता दिया कि रेणु शादी से पहले अपने पुराने बॉयफ्रेंड को चाहती थी। शादी से वो खुश नही थी इसलिए रात को उसने आत्महत्या कर ली। शव इतना विक्षिप्त था कि उस पर कोई जोर जबरदस्ती हुई ये मेडिकल रिपोर्ट में आ ही नही सकता था। रोमिल और संजय जैसे अपने होशो हवाश खो बैठे थे। रोमिल ने उस बंगलो की तरफ फिर मुड़ कर नही देखा। दो साल बीत गए थे। रोमिल का संपर्क रॉकी और संजय से न के बराबर होने लगा। रॉकी और संजय ने खूब कोशिश की पर वे रोमिल से मिल ही नही पाते।

रोमिल ये सब सोच ही रहा था कि उस शक्श ने कहना जारी रखा, "कहा खो गए रोमिल! मैं यही हु! मैं भी तुम्हारी इस बात पर भरोसा कर लेता अगर मेरे पास वो वीडियो नही आता!"

"कौनसा वीडियो?" रोमिल ने पूछा।

"वही जिसमे तुमारी हैवानियत कैद थी! तुम सबने मिलकर जो रेणु के साथ दुष्कर्म किया था वो रॉकी ने तकनीक के सहारे चेहरे को धुंधला कर कुछ वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था। पर धुंधला करने में वो ये भूल गया था कि कमरे में बाकी चीजे एक जैसी थी, कमरे में एक ओर तीर कमान के साथ एक मूरत खड़ी हुई थी। अपने पैरों को चौड़ा कर तीर का निशाना आसमा की तरफ और नज़र जमीं पर पड़ी एक कटोरी की तरफ कुछ इस कदर थी जैसे अर्जुन पानी के अक्ष को देखकर मछली की आंख में निशाना लगा रहा हो। ये मूरत मैंने पार्टी में देखी थी। मैं उस कमरे में उस दिन अकस्मात पहुच गया था। मुझे वो मूरत बड़ी पसंद आई थी। पर पता नही था के हमारे जाने के बाद तुम तीनो मेरी बहन पर टूट पड़ोगे! पहले पता होता तो वो रात तुम सबकी आखिरी रात होती! जब ये वीडियो मैंने देखा तो मैं मेरी बहन की आवाज जान गया, और जान गया कि उस रात को हुआ क्या था?" इतना कहते ही क्रोध की अग्नि अविनाश की आंखों से निकलने लगी।

"मैं.. मैं.. नशे में था, मुझे सही गलत का भान नही रहा था।" रोमिल गिड़गिड़ाते हुए अविनाश से कहने लगा।

"रोमिल! इसी वास्ते तो तुझे पल पल जिंदा रहना है और अपने किये का प्रायश्चित जीवन भर करना है। उन दोनों की जिंदगी तो पूरी हो गयी थी। तेरी बची थी। बाकी इसलिए थी के तू तरसे! हर एक पल को तरसे! अपनी बाकी की जिंदगी इस कालकोठरी में गुजारे और अपने किये हुए पर रोये! चिल्लाए! रहम की भीख मांगे! पर ऊपरवाला तुझे वो नसीब में न दे! मैं ही था उस दिन ओला कैब में! पहले तुझे गाड़ी के एसी के वेंट से बेहोशी की दवा सुंघाई, तेरे दोनों नशेड़ी दोस्त उस दिन उसी बंगलो में नशा कर रहे थे। मुझे उनको निपटाने में ज्यादा परेशानी नही हुई। एक को लटका दिया! दूजे को चाकू से घोप दिया। तुझे वहां छोड़, जगह जगह वायरलेस कैमरे लगाए जिसकी डायरेक्ट फीड मेरे कम्प्यूटर में आती रही। सब कुछ मेरे प्लानिंग के तहत हो रहा था। इस प्लानिंग को करते करते पूरे दो साल हो गए थे। इस बीच मैंने फोरेंसिक साइंस की अपनी पढ़ाई भी पूरी कर ली और पुलिस डिपार्टमेंट की फोरेंसिक टीम में लग गया। उस दिन जब तुझे पुलिस वाले उठा ले गए थे तब मैं ही फॉरेन्सिक टीम लीड कर उस बंगलो में आया था जिससे कि मेरे बचे खुचे सबूत भी मिटा सकू! सारे कैमरों को मैंने सफाई से हटा दिया जिसका किसी को जरा भी इल्म न हुआ! तुझे ऐसा केमिकल सुंघाया था कि कुछ घण्टे तू आराम से सो जाएं और जब उठे तब बेहोश होने के पहले के कुछ घण्टे भूल जाये। याददाश्त कमजोर हो जाये कुछ पलों के लिए!"

"मुझे माफ़ कर दो! मेरी इतनी सी गलती के लिए इतनी बड़ी सजा मत दो! मैं पहले ही अपने किये पर शर्मिंदा था! इसलिए मैंने उनसे दोस्ती भी रखनी बन्द कर दी थी!" रोमिल पुनः गिड़गिड़ाया।

"रोमिल! इसलिए तो तू जिंदा है मेरी जान! तुझे जिंदगी का बोझ इस कालकोठरी में ही ढोना है। पल पल सोच सोच कर तेरा दिमागी संतुलन बिगड़ जाएगा! तुझे पागल होना है। मैं यही चाहता हु! मेरा बदला ऐसे ही पूरा होगा! रेणु की आत्मा को शांति चाहिए रोमिल! अब बस तू ही बचा है! अगर तू पागल होने का बहाना कर के भी बाहर आया तो तुझे तो मारूंगा ही साथ मे तेरी अजीज हमदम को भी नही छोडूंगा!"

रोमिल ने अविनाश की तरफ प्रश्नवाचक मुद्रा में देखा।

"तू निहायत ही बेवकूफ इंसान है! इसे पहचानता है!" और अविनाश ने मोबाइल में किसी दूल्हे दुल्हन की तस्वीर रोमिल को दिखाई!

रोमिल देखते ही पहचान गया कि ये और कोई नही बल्कि निशा और अविनाश है। रोमिल को जैसे गहरा धक्का लगा, उसका दिल रोने लग गया। उसका दिमाग सुन्न हो गया। निशा की शादी अविनाश से? ये बात वो पचा नही पा रहा था।

"ये निशा! तेरी एक्स महबूबा और मेरी वर्तमान बीवी! जिस दिन तू बाहर आया उस दिन तेरा आखिरी दिन होगा और इसका भी आखिरी दिन होगा! मुझे ज्यादा कुछ नही कहना! बाकी तू समझदार है! चलता हूं, अलविदा!"

इतना कह अविनाश अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ और बिना मुड़े दरवाजे से बाहर हो गया। रोमिल उसे देखता भर रह गया। कुछ न कर सका! कुछ भी न कर सका! निशा की जिंदगी से नही खेल सकता था वो! रेणु की जिंदगी तो उसने पहले ही ले ली थी पर अब उसकी वजह से निशा की जिंदगी नही जाने देगा। रोमिल को लगने लगा शायद भगवान यही चाहता है कि वो अपने कर्मो का भुगतान जेल की चारदीवारी में ही करे!

रोमिल का दिमागी संतुलन वाकई कुछ दिनों में बिगड़ने लगा। उसे पागल खाने भर्ती कर दिया था। उसे रेणु की चीख तो निशा की सिसकियां रोज सुनाई देती! उसने अपने बाल बुरी तरह नोंच लिए थे।

****समाप्त****

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भरत ठाकुर
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