Geeta ki madad in Hindi Short Stories by Shweta Singh books and stories PDF | गीता की मदद

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गीता की मदद

कहानी एक लड़की की है, जो न जाने कितनी नज़रो से परे होकर घर से कदम बाहर निकालती है। न जाने कौन कहा किस उम्मीद को लिए बैठा होगा। एक लड़की जो ज्ञान की तलाश में घर से तो निकली मगर काली नज़रो को पीछे छोड़े। गीता एक दिन घर से कॉलेज जा रही थी। खुश थी, मन में रोज की तरह व्याकुलता थी आज क्या नया सिखने को मिलेगा, कॉलेज में। मगर सवेरा रोज की भांति हुआ वो घर से स्टैंड पर पहुची। लोगो की कतार थी उसके आगे पीछे, वो सब छोड़ बस के इंतज़ार मे खड़ी थी। बस आयी तो मगर थोड़ी देर से वो बस पर चढ़ी, तो पहली सीट पकड़ी और बैठ गयी। दोस्तों की कमी न थी उसके पास, मगर उस दिन न जाने सभी दोस्त जो साथ में जाती थी। न जाने एक साथ सब छुट्टी पर थी। फिर भी अकेलेपन को छोड़ वो आज बस में बैठी थी। न जाने आज इतनी ख़ुशी और उत्साह क्यों था हवाओ में की वो अकेलेपन को भी भूल गयी थी। बस में भी कोई रोज उसके इंतज़ार में बैठा होता था, अंतिम सीट पर, बस इंतज़ार मे। सब अनजानी बातें छोड़ वो नयी नवेली सुबह का आनंद ले रही थी। बस का सफ़र तो कट गया। अब कॉलेज के स्टैंड पर उतरना था। बस रुकी, वो स्टैंड पर उतरी तो देखा उसकी एक सहेली स्टैंड पर बैठी है। मगर वो अकेली नहीं है, एक लड़का उसका हाथ पकडे बैठा है। उसने सवाल किया क्या तुम्हे समय लगेगा या तुम कॉलेज चलोगी। तो उसकी सहेली ने कहा मुझे कॉलेज ही जाना है। मगर ये अनजान शक्श मेरा पीछा करते हुए आ रहा था और ा अचानक मेरा हाथ पकड़ लिए न जाने 5 मिनट से मै हाथ छुड़ा रही हु। लेकिन ये मेरा हाथ नही छोड़ रहा है। गीता ने अपनी सहेली से फिर सवाल किया। क्या तुम इसे सच में नही जानती। उसने कहा ''नही मै सच में नही जानती ये कौन है''। तब वो लड़का बोला नही मै इसे जानता हु, ये मेरी फ्रेंड है। लड़की ने फिर मना किया नही मै इसे नहीं जानती, आस-पास आते जाते लोग बस मूक दर्शक बने देख कर चले जा रहे थे। तब गीता ने उस लड़के को क्रोध से कहा तुम्हे दूसरों को आदर देना भले न आये, परन्तु फिर भी तुमसे आग्रेह है छोड़ो मेरी सहेली का हाथ। वो लड़का फिर अपने आप को शक्ति का राजा समझ हाथ छोड़ने को न माना। तब गीता ने उस लड़के को ऐसी डाट सुनाई कि आस पास के लोग आकर सुंनने लगे कि कुछ तो गलत हुआ है, यहाँ। लोगो को देखकर उस लड़के को संकोच हुआ। मगर फिर भी उसने हाथ न छोड़ा तब गीता ने अपनी सहेली को समझाया की आवाज पीड़ित उठाये तो दुनिया खड़ी होती है, उसके संग। लेकिन अगर वो सब सेहती रहेगी तो, कोई कुछ कहना तो दूर आपको अपने हाल पर छोड़ देंगे। अपने लिए तुम खुद भी कुछ बोलो। तब उसकी सहेली ने अपने भीतरी डर को ख़त्म कर हिम्मत बंधी और अपने क्रोध को अपने सम्मान के लिए जगाया। उस लड़के को एक थप्पड़ लगाया। थप्पड़ खाते ही उस लड़के ने हाथ छोड़ दिया। गीता अपनी सहेली को कॉलेज ले गई वहाँ पहुँचते ही उसने सारी कहानी कॉलेज के हेड को सुनाई टीचर्स ने एक्शन लेते हुए उस लड़के को ढूंढ कर उस पर कार्येवही की। गीता फिर खुश होकर अपनी सहेली के साथ अपनी क्लास मे पहुंची और अपनी क्लास ली। आज वो खुश थी की किसी की मदद कर सकी थी और किसी में खुद के प्रति भरोसा जगा सकी।
दोस्तों न जाने ऐसी कितनी कहानिया रोज हम अनदेखा कर आगे बढ़ जाते है। परन्तु हमारी बाँधी हिम्मत कितनों का सहारा बन सकती है। किसी का हौसला, तो किसी की उम्मीद, बस कभी आप तो कभी कोई परमात्मा का दूत बनकर मदद देता है। वो मददगार बनिए।